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विजयनगर साम्राज्य: इतिहास, राजाओं की सूची, शासक और राजवंश - यूपीएससी नोट्स
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विजयनगर साम्राज्य (Vijayanagara Empire in Hindi) भारतीय इतिहास में सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली साम्राज्यों में से एक था। यह 14वीं से 17वीं शताब्दी तक दक्षिण भारत में फला-फूला। विजयनगर साम्राज्य (vijay nagar samrajya in hindi) पीएससी पाठ्यक्रम में इसके उत्थान, प्रशासन, अर्थव्यवस्था, समाज, कला और अंततः पतन को शामिल किया गया है। साम्राज्य अपनी सैन्य शक्ति, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और स्थापत्य कला के चमत्कारों के लिए जाना जाता था। मध्यकालीन भारतीय इतिहास को समझने के लिए विजयनगर साम्राज्य का इतिहास आवश्यक है। राज्य की स्थापना हिंदू परंपराओं को बाहरी आक्रमणों से बचाने के लिए की गई थी। विजयनगर राजवंश ने एक मजबूत राजनीतिक संरचना और एक समृद्ध अर्थव्यवस्था का निर्माण किया। विजयनगर साम्राज्य के राजाओं की सूची में कृष्णदेवराय जैसे महान शासक शामिल हैं। यह लेख छात्रों और उम्मीदवारों के लिए विजयनगर साम्राज्य के इतिहास का गहन विश्लेषण प्रदान करता है।
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विजयनगर साम्राज्य (Vijayanagara Samrajya) यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण विषयों में से एक है। विजयनगर साम्राज्य पर इस लेख में, हम इसकी नींव, राजस्व, न्यायिक और सैन्य प्रशासन, महिलाओं की स्थिति, महत्वपूर्ण शासकों और इसके पतन पर चर्चा करेंगे। यह यूपीएससी आईएएस परीक्षा में मध्यकालीन इतिहास की तैयारी के लिए उम्मीदवारों के लिए बहुत उपयोगी होगा।
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विजयनगर साम्राज्य notes
विजयनगर साम्राज्य की उत्पत्ति और स्थापना | Origin and Foundation of Vijayanagara Empire in Hindi
विजयनगर साम्राज्य (vijay nagar samrajya in hindi) 14वीं शताब्दी के दौरान दक्षिण भारत में एक शक्तिशाली हिंदू साम्राज्य के रूप में उभरा। इसकी स्थापना इस्लामी आक्रमणों का मुकाबला करने और सांस्कृतिक परंपराओं की रक्षा करने के लिए की गई थी, जिससे उल्लेखनीय राजनीतिक और सैन्य प्रगति हुई।
विजयनगर साम्राज्य के संस्थापक
विजयनगर साम्राज्य (Vijayanagara Samrajya) के संस्थापक संगमा वंश के हरिहर प्रथम और बुक्का प्रथम थे। उन्होंने 1336 ई. में साम्राज्य की स्थापना की। दिल्ली सल्तनत और बहमनी साम्राज्य के मुस्लिम आक्रमणों के जवाब में यह साम्राज्य उभरा। विजयनगर साम्राज्य का उद्देश्य हिंदू संस्कृति, परंपराओं और मंदिरों को पुनर्जीवित करना और उनकी रक्षा करना था। साम्राज्य की स्थापना ने दक्षिण भारतीय इतिहास में एक नए युग की शुरुआत की।
विजयनगर साम्राज्य समय काल
विजयनगर साम्राज्य का काल 1336 से 1646 ई. तक चला, जो लगभग 300 वर्षों का था। इस अवधि में चार महान राजवंशों ने शासन किया:
- संगमा राजवंश (1336-1485 ई.) - साम्राज्य की स्थापना की और साम्राज्य का विस्तार किया।
- सलुवा राजवंश (1485-1505 ई.) - सेना और शासन को मजबूत किया।
- तुलुव राजवंश (1505-1570 ई.) - यह कृष्णदेवराय के अधीन साम्राज्य का स्वर्ण युग था।
- अरविदु राजवंश (1570-1646 ई.) - तालिकोटा के युद्ध के बाद कमजोर हो गया।
- विजयनगर साम्राज्य कृष्णदेवराय के नेतृत्व में अपने चरम पर पहुंच गया, और दक्षिण भारत में सबसे प्रमुख शक्ति बन गया।
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विजयनगर साम्राज्य में प्रशासन | Administration in the Vijayanagara Empire in Hindi
विजयनगर साम्राज्य (vijay nagar samrajya in hindi) के अंतर्गत प्रशासन की एक सुव्यवस्थित प्रणाली स्थापित की गई थी। सत्ता का सर्वोच्च स्रोत राजा के पास था, जो कुछ निश्चित मंत्रियों, राज्यपालों और स्थानीय अधिकारियों से परामर्श प्राप्त करता था। प्रशासन प्रणाली ने गतिरोध, उत्साहपूर्ण आर्थिक स्थिति और एक प्रभावी सैन्य प्रशासन बनाए रखा।
विजयनगर साम्राज्य की राजनीतिक संरचना
विजयनगर साम्राज्य (Vijayanagara Samrajya) की प्रशासनिक व्यवस्था बहुत सुव्यवस्थित थी। राजा सर्वोच्च अधिकारी था। उसे मंत्रियों, राज्यपालों और स्थानीय प्रशासकों द्वारा सहायता प्रदान की जाती थी।
- केन्द्रीय प्रशासन: राजा सर्वोच्च प्राधिकारी था, जिसे मंत्रिपरिषद का समर्थन प्राप्त था।
- प्रांतीय प्रशासन: साम्राज्य प्रांतों में विभाजित था, जिन पर आमतौर पर नायक या प्रांतीय शासक का शासन होता था।
- ग्राम शासन: ग्राम प्रधान और अन्य स्थानीय अधिकारी गांवों से छोटे क्षेत्रों पर शासन करते थे।
- सैन्य प्रशासन: साम्राज्य के पास घुड़सवार सेना, हाथी और नौसेना सहित एक मजबूत सेना थी।
अर्थव्यवस्था और व्यापार
विजयनगर साम्राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि, व्यापार और वाणिज्य पर आधारित थी।
- कृषि: किसान चावल, बाजरा, कपास और मसाले उगाते थे।
- व्यापारिक संबंध: साम्राज्य के फारस, अरब, चीन और यूरोप के साथ व्यापारिक संबंध थे।
- बाजार: स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजार फल-फूल रहे थे, जहां रेशम, मसाले और कीमती पत्थर बिक रहे थे।
- सिक्का-निर्माण: राज्य ने व्यापार के लिए सोने, चांदी और तांबे के सिक्के ढाले।
सैन्य शक्ति
विजयनगर साम्राज्य की सेना भारतीय इतिहास की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में से एक थी।
- पैदल सेना और घुड़सवार सेना: सेना में अच्छी तरह से प्रशिक्षित सैनिक और घोड़े थे।
- युद्ध हाथी: हाथियों का उपयोग युद्ध में दुश्मन की टुकड़ियों को तोड़ने के लिए किया जाता था।
- किलेबंदी: आक्रमणों को रोकने के लिए शहरों में विशाल दीवारें और किले होते थे।
- नौसैनिक शक्ति: साम्राज्य ने तटीय रक्षा के लिए एक मजबूत नौसैनिक बेड़ा बनाए रखा।
समाज और संस्कृति
विजयनगर साम्राज्य (Vijayanagara Empire in Hindi) संस्कृति और धर्म का केंद्र था।
- हिंदू पुनरुत्थानवाद: साम्राज्य ने हिंदू मंदिरों और परंपराओं को संरक्षण दिया।
- सामाजिक पदानुक्रम: समाज का विभाजन जातियों में था, जिसमें ब्राह्मणों की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
- महिलाओं की स्थिति: महिलाएं प्रशासन और सांस्कृतिक गतिविधियों में दखल रखती थीं, लेकिन उन्हें सामाजिक स्वतंत्रता से वंचित रखा जाता था।
- धार्मिक सहिष्णुता: यद्यपि हिंदू धर्म अधिक प्रभावशाली था, फिर भी साम्राज्य में अन्य धर्मों के प्रति सहिष्णुता का गुण विद्यमान था।
इसके अलावा, यहां भारतीय इतिहास के कालक्रम के बारे में यहां जानें!
विजयनगर साम्राज्य के महत्वपूर्ण शासक | Important Rulers of Vijayanagar Empire in Hindi
विजयनगर साम्राज्य (Vijayanagara Samrajya) के विभिन्न शक्तिशाली शासकों ने अपने राज्य का विस्तार और सुदृढ़ीकरण किया; उनके शासन के माध्यम से, साम्राज्य ने महान सैन्य और आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ सांस्कृतिक उन्नति भी प्राप्त की, इस प्रकार एक उत्कृष्ट और गौरवशाली इतिहास प्राप्त किया।
विजयनगर साम्राज्य के राजाओं की सूची
विजयनगर साम्राज्य के राजाओं की सूची में शक्तिशाली शासक शामिल हैं जिन्होंने राज्य का विस्तार और सुदृढ़ीकरण किया।
- हरिहर प्रथम (1336-1356 ई.)- विजयनगर साम्राज्य का संस्थापक।
- बुक्का प्रथम (1356-1377 ई.) - साम्राज्य के क्षेत्रों का विस्तार किया।
- देवराय प्रथम (1406-1422 ई.) - सैन्य को मजबूत किया।
- कृष्णदेवराय (1509-1529 ई.) - साम्राज्य को स्वर्ण युग तक ले गए।
- अच्युत देव राय (1529-1542 ई.) - साम्राज्य की समृद्धि को जारी रखा।
- राम राय (1542-1565 ई.) - तालीकोटा के युद्ध में पराजित।
कृष्णदेवराय: सबसे महान राजा
कृष्णदेवराय विजयनगर साम्राज्य के सबसे प्रमुख शासक थे। 1509 से 1529 ई. तक का उनका शासनकाल साम्राज्य का स्वर्ण युग माना जाता है।
- सैन्य सफलता : विजय के माध्यम से साम्राज्य की सीमाओं का विस्तार किया।
- सांस्कृतिक संरक्षण : साहित्य, कविता और मंदिर निर्माण को बढ़ावा दिया गया।
- आर्थिक विकास : व्यापार और कृषि को मजबूती मिली।
- प्रशासन : लोगों के कल्याण के लिए नीतियों को क्रियान्वित करना।
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विजयनगर साम्राज्य की कला और वास्तुकला | Art and Architecture of Vijayanagar Empire in Hindi
मंदिर और स्मारक
विजयनगर साम्राज्य (Vijayanagara Empire in Hindi) अपने भव्य मंदिरों और स्मारकों, जटिल नक्काशी और द्रविड़ वास्तुकला के लिए जाना जाता है।
- विरुपाक्ष मंदिर - हम्पी में एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल।
- विट्ठल मंदिर - अपने पत्थर के रथ और संगीतमय स्तंभों के लिए प्रसिद्ध।
- हजारा राम मंदिर - रामायण की कहानियों को दर्शाता है।
- कमल महल - हिंदू और इस्लामी स्थापत्य शैली का मिश्रण।
साहित्य और संगीत
विजयनगर साम्राज्य ने कवियों, विद्वानों और संगीतकारों को संरक्षण दिया।
- भाषाएँ: तेलुगु, कन्नड़ और संस्कृत का विकास हुआ।
- प्रसिद्ध विद्वान: तेनाली रामकृष्ण कृष्णदेवराय के दरबार में एक उल्लेखनीय कवि थे।
- संगीत का विकास: साम्राज्य ने कर्नाटक संगीत परम्परा में योगदान दिया।
विजयनगर साम्राज्य का पतन | Decline of Vijayanagar Empire in Hindi
तालिकोटा का युद्ध (1565 ई.)
1565 ई. में तालीकोटा के युद्ध में विजयनगर साम्राज्य (vijay nagar samrajya in hindi) को करारी हार का सामना करना पड़ा। दक्कन सल्तनतों ने गठबंधन बनाकर विजयनगर पर हमला कर दिया। राजधानी को लूटा गया और नष्ट कर दिया गया, जिससे साम्राज्य का पतन हो गया।
बाद के वर्ष और पतन
परित्याग की भावना से विजयनगर साम्राज्य ने अपनी शक्ति खो दी; अरविदु राजवंश ने कुछ समय तक शासन किया; साम्राज्य का विघटन आंतरिक संघर्षों और विदेशी आक्रमणों के कारण शुरू हुआ। इसलिए यह कहना सही है कि 17वीं शताब्दी तक साम्राज्य केवल एक दर्दनाक याद के रूप में ही बचा रह गया था।
निष्कर्ष
विजयनगर साम्राज्य भारतीय इतिहास के सबसे महान साम्राज्यों में से एक था। इसने हिंदू संस्कृति को संरक्षित रखा, उल्लेखनीय मंदिरों का निर्माण किया और एक मजबूत सैन्य बल बनाए रखा। भारत के मध्यकालीन अतीत को समझने के लिए विजयनगर साम्राज्य का इतिहास महत्वपूर्ण है। विजयनगर साम्राज्य का इतिहास इतिहासकारों और छात्रों को प्रेरित करता रहता है। विजयनगर साम्राज्य की विरासत इसकी कला, वास्तुकला और साहित्य में जीवित है।
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विजयनगर साम्राज्य यूपीएससी FAQs
विजयनगर साम्राज्य के पतन का कारण क्या था?
1565 ई. में तालीकोटा की लड़ाई विजयनगर साम्राज्य के पतन का कारण बनी।
विजयनगर राजवंश का क्या महत्व है?
विजयनगर राजवंश ने हिंदू धर्म को संरक्षण देकर तथा दक्षिण भारत में कला, वास्तुकला और साहित्य के विकास को प्रोत्साहित करके बदलाव लाया।
विजयनगर साम्राज्य का संस्थापक कौन था?
विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ई. में संगम वंश के हरिहर प्रथम और बुक्का प्रथम द्वारा की गई थी।
विजयनगर साम्राज्य का समय क्या था?
विजयनगर साम्राज्य का समय 1336 ई. से 1646 ई. तक चला।
विजयनगर साम्राज्य की राजधानी कहाँ थी?
हम्पी विजयनगर साम्राज्य की राजधानी थी।
विजयनगर साम्राज्य का सबसे शक्तिशाली शासक कौन था?
कृष्णदेवराय विजयनगर साम्राज्य के सबसे शक्तिशाली शासक थे।