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सिंगल यूज प्लास्टिक - इतिहास, नकारात्मक प्रभाव और चुनौतियाँ | यूपीएससी नोट्स

Last Updated on May 01, 2024
Single Use Plastics अंग्रेजी में पढ़ें
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सिंगल यूज़ प्लास्टिक,  प्लास्टिक बैग, स्ट्रॉ, कटलरी, बोतलें और खाद्य पैकेजिंग जैसी वस्तुएं हैं जिनका उपयोग थोड़े समय के लिए किया जाता है और फिर फेंक दिया जाता है। ये उत्पाद उपभोक्ता सुविधा के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, लेकिन इनके महत्वपूर्ण पर्यावरणीय परिणाम हैं।

 

यूपीएससी आईएएस परीक्षा के इच्छुक उम्मीदवारों को इस लेख को अत्यधिक महत्व देना चाहिए। अपने यूपीएससी तैयारी को और मजबूत करने के लिए, आप यूपीएससी कोचिंग में शामिल होने पर भी विचार कर सकते हैं

सिंगल यूज़ प्लास्टिक क्या है?

सिंगल यूज़ या सिंगल यूज़ प्लास्टिक से तात्पर्य प्लास्टिक से बनी वैसी वस्तुओं से है जिन्हें एक बार उपयोग के लिए डिज़ाइन किया जाता है और फिर फेंक दिया जाता है। इनमें प्लास्टिक बैग, स्ट्रॉ, खाद्य पैकेजिंग प्लास्टिक, डिस्पोजेबल कटलरी प्लेटें आदि शामिल हैं। सिंगल यूज़ प्लास्टिक हमारे रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन इनके महत्वपूर्ण पर्यावरणीय खतरे हैं।

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सिंगल यूज प्लास्टिक का इतिहास

प्लास्टिक, जो मूल रूप से सिंथेटिक पॉलिमर से बना है, की उत्पत्ति 19वीं सदी के मध्य में हुई थी, लेकिन इसका व्यापक रूप से अपनाया जाना 1970 के दशक तक नहीं हुआ था। प्लास्टिक के कंटेनर, विशेष रूप से जग, अपने हल्के वजन, कम लागत और बढ़ी हुई स्थायित्व के कारण कागज या कांच से बने पारंपरिक दूध के कंटेनरों की जगह लेने लगे। आश्चर्यजनक रूप से, 1950 के दशक से उत्पादित 8.3 बिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक में से आधे का निर्माण अकेले पिछले 15 वर्षों के भीतर किया गया है।

कुछ सामान्य सिंगल यूज़ प्लास्टिक वस्तुओं की सूची

  • प्लास्टिक बैग: पतले प्लास्टिक कैरी बैग खरीदारी के लिए बहुत आम और सुविधाजनक हैं, लेकिन इन्हें आमतौर पर इनका उपयोग कुछ ही देर के लिए किया जाता है और फिर इन्हें कूड़े के रूप में फ़ेंक दिया जाता है। चूँकि बहुत कम का ही पुन: उपयोग या पुनर्चक्रण किया जाता है।
  • डिस्पोजेबल कटलरी और प्लेटें: प्लास्टिक के कांटे, चम्मच, चाकू और प्लास्टिक फोम या प्लास्टिक-लेपित कागज से बने डिस्पोजेबल प्लेट जैसे उत्पाद बड़े पैमाने पर पिकनिक, पार्टियों और भोजन ले जाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। हालाँकि, एक बार उपयोग के बाद इन्हें तुरंत फेंक दिया जाता है। 
  • प्लास्टिक की बोतलें और पेय कप: पानी, शीतल पेय और अन्य पेय पदार्थों के लिए प्लास्टिक की बोतलें और गर्म और ठंडे पेय के लिए प्लास्टिक के कप बेहद आम हैं। वे सुविधा प्रदान करते हैं, लेकिन चूंकि वे एकल उपयोग के लिए होते हैं, उनमें से अधिकांश अपशिष्ट के रूप में समाप्त हो जाते हैं जो दशकों तक पर्यावरण में बने रहते हैं।
  • स्ट्रॉ और स्टिरर: कोल्ड ड्रिंक के साथ स्वचालित रूप से उपलब्ध कराए जाने वाले प्लास्टिक स्ट्रॉ और स्टिरर सर्वव्यापी हो गए हैं। हालाँकि, वे अक्सर अनावश्यक होते हैं और आदत से बाहर होते हैं। इन्हें सिर्फ एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंक दिया जाता है जो कूड़े और प्लास्टिक प्रदूषण का हिस्सा बन जाते हैं।
  • खाद्य पैकेजिंग: प्लास्टिक फिल्म और पैकेट जो स्नैक फूड, ब्रेड, चिप्स, कैंडीज आदि को पैकेज करते हैं, सुरक्षा और शेल्फ जीवन विस्तार प्रदान करते हैं। लेकिन चूँकि वे बहुत पतले और कमज़ोर होते हैं, इसलिए इनमें से लगभग किसी भी पैकेजिंग का पुन: उपयोग या पुनर्चक्रण नहीं किया जाता है। अपना उद्देश्य पूरा करने के बाद, अधिकांशतः कचरे और प्रदूषण  के रूप में पर्यावरण में व्याप्त रहता हैं

एकल-उपयोग प्लास्टिक के नकारात्मक प्रभाव

सिंगल यूज़ प्लास्टिक के नकारात्मक प्रभाव

यहां सिंगल यूज़ प्लास्टिक के कुछ नकारात्मक प्रभाव दिए गए हैं:

  • प्रदूषण: बैग, स्ट्रॉ, बोतलें और पैकेजिंग जैसी सिंगल यूज़ वाली प्लास्टिक वस्तुएं कूड़े और प्रदूषण का कारण बनती हैं क्योंकि इनमें से अधिकांश का ठीक से पुनर्चक्रण नहीं किया जाता है। वे नालियों को अवरुद्ध करते हैं, मिट्टी को प्रदूषित करते हैं और जल निकायों में प्रवेश कर इन्हें भी दूषित करते हैं।
  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन: सिंगल यूज़ प्लास्टिक के उत्पादन और दहन से ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं जो ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन में योगदान करती हैं। उत्पादन, उपयोग, वितरण और निपटान ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन के प्रमुख स्रोत हैं; 2019 में, उन्होंने वैश्विक कुल का लगभग 3.4% योगदान दिया। इन उत्सर्जनों में अकेले प्लास्टिक उत्पादन का 90% योगदान है। वहीं यह अनुमान है कि सिंगल यूज़ प्लास्टिक का 2050 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 5-10% हिस्सा हो सकता है।
  • वन्यजीवों को नुकसान: जानवर अक्सर फेंकी गई प्लास्टिक की वस्तुओं को निगल लेते हैं या उनमें फंस जाते हैं। इससे चोट, संक्रमण, भुखमरी और यहां तक कि हर साल लाखों जानवरों की मौत हो जाती है।
  • संसाधन की कमी: सिंगल यूज़ प्लास्टिक के उत्पादन के लिए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस जैसे कच्चे माल की आवश्यकता होती है। जैसे-जैसे प्लास्टिक का उत्पादन बढ़ता है,  सीमित प्राकृतिक संसाधनों पर अधिक दबाव पड़ने लगता है जैसे कि संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि 99% प्लास्टिकगैर -नवी करणीय हाइड्रोकार्बन जैसे कि पे ट्रोलियम और प्राकृतिक गैस से बने होते हैं
  • वित्तीय लागत: प्लास्टिक कचरे का प्रबंधन, कूड़े की सफाई, और सिंगल यूज़ वाली प्लास्टिक वस्तुओं से प्रदूषण को दूर करने की जिम्मेदारी सरकारों, करदाताओं और समुदायों पर पड़ती है। इसके वित्तीय लागत बहुत अधिक हैं
  • सौंदर्य संबंधी प्रभाव: फेंके गए सिंगल यूज़ प्लास्टिक से सड़कों पर गंदगी फैलती है, नालियां बंद हो जाती हैं, और आस-पड़ोस , पर्यटन स्थलों और प्राकृतिक क्षेत्रों में गंदगी फैलती है, जिससे सुन्दरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: पीने के पानी, भोजन, मिट्टी और मानव ऊतकों में प्लास्टिक के कण पाए गए हैं।हालाँकि माइक्रोप्लास्टिक के स्वास्थ्य प्रभावों का अभी भी अध्ययन किया जा रहा है लेकिन यह एक बढ़ती चिंता का विषय है।
  • पुनःचक्रण कठिन: बैग, बोतलें, स्ट्रॉ और खाद्य पैकेजिंग जैसी कई सिंगल यूज़ प्लास्टिक वस्तुएं जटिल संरचना, संदूषण या पतले आकार के कारण पुनःचक्रण के लिए कठिन होती हैं
  • पर्यावरण में स्थायित्व: चूंकि प्लास्टिक आसानी से बायोडिग्रेड नहीं होते हैं, इसलिए सिंगल यूज़ वाली वस्तुओं से कूड़ा-कचरा सैकड़ों वर्षों तक बना रहता है, जो समय के साथ जमा होता रहता है, जिसके घटक पर्यावरणीय परिणाम हैं

सिंगल यूज़ प्लास्टिक को कम करने या प्रतिबंधित करने के प्रयास और पहल

सिंगल यूज़ प्लास्टिक को कम करने के लिए उठाए गए कुछ प्रयास हैं:

कई देशों, राज्यों और शहरों ने बैग, स्ट्रॉ, कटलरी, बोतलें और फोम कंटेनर जैसी सिंगल यूज़ प्लास्टिक वस्तुओं पर पूर्ण या आंशिक प्रतिबंध लागू किया है। जैसे कि भारत ने 5 जून, 2018 को, विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर यह घोषणा की थी कि भारत 2022 तक सिंगल यूज़ प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर देगा। वहीं 1 जुलाई, 2022 से पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 19 पहचाने गए सिंगल यूज़ प्लास्टिक वस्तुओं पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (यूएनईए) द्वारा 2022 में प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया था। इस प्हारस्लताव पर तब 124 देशों ने हस्ताक्षर किया था। हाल ही में यूरोपीय संघ ने प्रस्ताव दिया है कि सभी देश सिंगल यूज़ प्लास्टिक श्रेणियों के निर्माण और बिक्री को प्रतिबंधित करें।

  • प्लास्टिक के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिए कई देशों ने कर लगाने की शुरुआत भी की है। चूँकि इससे उत्पाद महंगे हो जाते हैं और ऐसा माना जाता है कि हर 10% मूल्य वृद्धि पर मांग एम् लगभग 4% की कमी हो जाति है
  • कॉर्नस्टार्च और बांस से बने पुन: प्रयोज्य विकल्प अधिक उपलब्ध और किफायती होते जा रहे हैं। कई देशों और राज्यों ने वैक्ल्पिक उपयोगों को बढ़ाने पर जोर दिया है
  • सरकारों, गैर सरकारी संगठनों और व्यवसायों ने नागरिकों को डिस्पोजेबल प्लास्टिक के हानिकारक प्रभावों और इसके उपयोग को कम करने के तरीकों के बारे में शिक्षित करने के लिए सार्वजनिक आउटरीच अभियान शुरू किया है। सोशल मीडिया ने भी जागरूकता फैलाई है
  • कई कंपनियों ने अपने परिचालन और आपूर्ति श्रृंखलाओं में सिंगल यूज़ प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की पहल की है। वे पुनः उपयोग विकल्पों की ओर जा रहे हैं। जैसे कि वर्ष 2022 में डाबर भारत की पहली प्लास्टिक न्यूट्रल कंपनी बनी थी
  • कुछ सरकारें ऐसी नीतियां लागू कर रही हैं जो प्लास्टिक उत्पादकों और विनिर्माताओं को उपयोग के बाद प्लास्टिक उत्पादों के संग्रह, पुनर्चक्रण या निपटान के लिए जिम्मेदार बनाती हैं। यह अतिरिक्त प्लास्टिक को कम करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करता है।जैसे कि इसके लिए भारत ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 में विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) व्यवस्था लागू किया है, जिसके अनुसार यह उत्पादकों, आयातकों और ब्रांड-मालिकों की जिम्मेदारी है कि वे अपने प्लास्टिक पैकेजिंग कचरे का पुनर्चक्रण, पुन: उपयोग या समाप्ति के माध्यम से प्रसंस्करण सुनिश्चित करें।

सिंगल यूज़ प्लास्टिक को कम करने के लाभ

  • पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार: इससे मिट्टी, पानी और पर्यावरण प्रदूष्ण कम होगा। इससे पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। चूँकि कई आंकडें बताते हैं कि आज के स्तर पर ही सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उत्पादन होता रहा तो हमारे महासागर इतने प्रदूषित हो जाएँगे कि 2050 तक उनमें मछलियों से ज्यादा संख्या प्लास्टिक कचरों की होगी
  • ग्रीनहाउस गैस का कम उत्सर्जन: सिंगल यूज़ प्लास्टिक के उत्पादन और दहन को कम करने से कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन के उत्सर्जन में कमी आएगी जो ग्लोबल वार्मिंग में योगदान करते हैं।
  • वन्यजीवों को कम नुकसान: जब पर्यावरण में प्लास्टिक का कचरा कम होगा, तो जानवरों पर इसके सेवन, उलझने और निवास स्थान के क्षरण से होने वाले नकारात्मक प्रभाव कम होंगे। इससे जैव विविधता को संरक्षित करने में मदद मिल सकती है । जैसे कि कई अध्ययन बताते हैं कि 90 प्रतिशत समुद्री पक्षियों और 100 प्रतिशत कछुओं की आंतों में प्लास्टिक पाया गया है जो उनके स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।
  • संसाधन संरक्षण: सिंगल यूज़ प्लास्टिक का कम उपयोग करने से प्लास्टिक उत्पादन के लिए आवश्यक जीवाश्म ईंधन संसाधनों का संरक्षण होता है। इससे वर्जिन सामग्रियों की मांग भी कम हो जाती है।
  • लागत बचत: कम प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन, सफाई और उपचार लागत से सरकारों, करदाताओं और कंपनियों के लिए संभावित बचत है। पुन: उपयोग वस्तुएं समय के साथ लागत भी बचा सकती हैं। जैसे कि 2020 में, अपशिष्ट प्रबंधन की वैश्विक प्रत्यक्ष लागत अनुमानित $252 बिलियन थी। जबकि हाल ही में जारी छठी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा (यूएनईए-6) रिपोर्ट में कहा गया है कि जब खराब अपशिष्ट निपटान प्रथाओं से प्रदूषण, खराब स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन की छिपी हुई लागत को भी शामिल किया जाता है, तो लागत बढ़कर 361 अरब डॉलर हो जाती है। ऐसे में इसे भी कम करने में मदद मिलेगी।
  • स्वास्थ्य जोखिम कम :माइक्रोप्लास्टिक संदूषण को कम करके मनुष्यों और पारिस्थितिक तंत्र के लिए संबंधित स्वास्थ्य जोखिमों को उत्पन्न करने की संभावना है। UNDP के अनुसार औसत वयस्क विभिन्न माध्यम से प्रति वर्ष लगभग 2,000 माइक्रोप्लास्टिक का उपभोग करता है। ये यौगिक अंतःस्रावी व्यवधान, वजन बढ़ना, इंसुलिन प्रतिरोध, प्रजनन स्वास्थ्य में कमी और कैंसर जैसे गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों से कारण बन सकते हैं। हालाँकि, इसपर अभी अधिक शोध की आवश्यकता है।

सिंगल यूज़ प्लास्टिक पाबंदी से संबंधित चुनौतियाँ 
  • उपभोक्ता सुविधा: एकल-उपयोग प्लास्टिक वस्तुएं सुविधा प्रदान करती हैं, जिसके लोग आदी हो गए हैं। ऐसे में इससे उपभोक्ता सुविधा को धक्का लगेगा। हालाँकि विभिन्न सर्वे बताते हैं कि ऐसी ही सुविधा उन्हें दूसरे उत्पादों द्वारा प्रदान करना संभव होगा तो वे इसे अपनाने से नहीं हीचकिचायेंगे।
  • जागरूकता का अभाव: बहुत से लोग डिस्पोजेबल प्लास्टिक से जुड़ी समस्याओं और इसके उपयोग को कम करने के तरीकों से अनभिज्ञ रहते हैं। ऐसे में जागरूकता बढ़ाने की जरुरत है
  • विकल्पों की लागत: पुन: प्रयोज्य विकल्प अक्सर डिस्पोजेबल प्लास्टिक वस्तुओं की तुलना में अधिक महंगे होते हैं। यही कारण है कि लोग प्लास्टिक का उपयोग जारी रखे हुए हैं 
  • सीमित अवसंरचना: पुन: उपयोग को सक्षम करने वाली प्रणालियाँ वर्तमान में बड़े पैमाने पर मौजूद नहीं हैं।
  • उद्योग जगत का प्रतिरोध: प्लास्टिक उत्पादक और निर्माता एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पादों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का विरोध करते हैं। चूँकि इससे उनकी लागत बढती है
  • सीमित पुनर्चक्रण विकल्प: कई एकल-उपयोग प्लास्टिक वस्तुओं को प्रभावी ढंग से पुनर्चक्रित करने के विकल्प सीमित हैं। जैसे कि हाल ही में जारी UNEP रिपोर्ट के अनुसार भारत अपने प्लास्टिक कचरे के 85% को पुनःचक्रित नहीं करता है।
  • कमजोर नीति तंत्र: कई सरकारों के पास प्लास्टिक पर निर्भरता कम करने और प्रभावी ढंग से पुनः उपयोग को सक्षम बनाने के लिए नीतियों का अभाव है। जैसे कि अमेरिका इसका हमेशा विरोध करता रहता है। हालाँकि कई छोटे देशों जैसे कि तंजानिया और रवांडा ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण सफलता पाई है, जिससे दूसरे देशों को भी सीखने की जरुरत है

निष्कर्ष

निष्कर्ष में, पर्यावरण, वन्यजीवन और मानव स्वास्थ्य पर सिंगल यूज़ प्लास्टिक के नकारात्मक प्रभावों के बारे में व्यापक चिंताएँ हैं। ऐसे में इससे निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर मिलकर प्रयास करने होंगे। वहीं देशों को भी अपने-अपने स्तर से इसे रोकने के लिए संभाव्य वैकल्पिक उत्पाद तलाशने होंगे। इसके साथ ही नागरिकों को भी जागरूक होने की आवश्यकता है। असल में देखा जाए तो सिंगल यूज़ प्लास्टिक से दूर और अधिक टिकाऊ सामग्री अर्थव्यवस्था की ओर प्रभावी ढंग से संक्रमण के लिए नीतिगत हस्तक्षेप, तकनीकी प्रगति, उद्योग परिवर्तन, नागरिक जुड़ाव और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से युक्त एक बहु-आयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी।

 

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सिंगल यूज़ प्लास्टिक संबंधी सामान्य प्रश्न

सिंगल-यूज प्लास्टिक, जिसे डिस्पोजेबल प्लास्टिक भी कहा जाता है, ऐसे प्लास्टिक की वस्तुएं हैं जिन्हें फेंकने से पहले केवल एक बार इस्तेमाल किया जाता है। इनमें किराने की थैलियाँ, स्ट्रॉ, कप, कटलरी, खाद्य पैकेजिंग, बोतलें आदि चीज़ें शामिल हैं।

हां, सिंगल-यूज प्लास्टिक पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा है। वे प्लास्टिक प्रदूषण, अपशिष्ट, माइक्रोप्लास्टिक संदूषण, उत्सर्जन और संसाधनों की कमी में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। वे वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्र को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

कपड़े के थैले, धातु के स्ट्रॉ, कांच के कंटेनर और पुन: प्रयोज्य खाद्य आवरण जैसी पुन: उपयोग वस्तुओं का बार-बार उपयोग किया जा सकता है, जिससे अपशिष्ट, प्रदूषण कम होता है और नई प्लास्टिक वस्तुओं के उत्पादन की आवश्यकता कम हो जाती है।

जी हाँ, 100 से भी अधिक देशों की सरकारों ने किसी न किसी मात्रा में ऐसा किया हैकपड़े के थैले, धातु के स्ट्रॉ, कांच के कंटेनर और पुन: प्रयोज्य खाद्य आवरण जैसी पुन: उपयोग वस्तुओं का बार-बार उपयोग किया जा सकता है, जिससे अपशिष्ट, प्रदूषण कम होता है और नई प्लास्टिक वस्तुओं के उत्पादन की आवश्यकता कम हो जाती है।

सिंगल-यूज प्लास्टिक को तकनीकी रूप से रीसाइकिल किया जा सकता है, वास्तविकता यह है कि अधिकांश को रीसाइकिल नहीं किया जा सकता है। बैग, स्ट्रॉ, कप, कटलरी और बहुत सी खाद्य पैकेजिंग जैसी वस्तुओं को रीसाइकिल करना मुश्किल और महंगा है। इसलिए दोबारा इस्तेमाल करना बेहतर विकल्प है।

लोग प्लास्टिक के स्ट्रॉ और थैलों का उपयोग न करके, पुनः प्रयोज्य थैलों और कंटेनरों का उपयोग करके, अतिरिक्त खाद्य पैकेजिंग से बचकर, तथा जहां तक संभव हो कम प्लास्टिक पैकिंग वाले उत्पादों का चयन करके प्लास्टिक के उपयोग को कम कर सकते हैं।

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