हिंदी शिक्षाशास्त्र MCQ Quiz - Objective Question with Answer for हिंदी शिक्षाशास्त्र - Download Free PDF

Last updated on Jun 6, 2025

Latest हिंदी शिक्षाशास्त्र MCQ Objective Questions

हिंदी शिक्षाशास्त्र Question 1:

"शब्दों की सीमित सीमा का उपयोग जो कभी-कभी अभिव्यक्ति की स्पष्टता को प्रभावित करता है" ___________ के मूल्यांकन के लिए एक रूब्रिक हो सकता है।

  1. व्याकरण
  2. शब्दावली
  3. प्रवाह
  4. समाधान

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : शब्दावली

हिंदी शिक्षाशास्त्र Question 1 Detailed Solution

शब्दावली उन शब्दों के समूह को संदर्भित करती है जिन्हें कोई व्यक्ति, समूह या यहाँ तक कि एक पूरी भाषा जानती और इस्तेमाल करती है। यह संचार का आधार है, जो हमें विचारों, विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने की अनुमति देता है।

Key Points

  • शीर्षक "शब्दों की एक सीमित शृंखला का उपयोग करता है जो कभी-कभी अभिव्यक्ति की स्पष्टता को प्रभावित करता है" सीधे शब्दावली और स्पष्ट संचार पर इसके प्रभाव को लक्षित करता है।
  • शब्दावली का आकलन करने में शब्दों के चयन की विविधता और उपयुक्तता का मूल्यांकन करना शामिल है। यदि शब्दों की सीमित सीमा का उपयोग किया जाता है, तो यह संचार को कम स्पष्ट बना सकता है, जो सीधे शब्दावली कौशल से संबंधित है।
  • अगर किसी व्यक्ति के पास सीमित शब्दावली है, तो उसे अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए सबसे सटीक शब्द खोजने में कठिनाई हो सकती है। इससे निम्न परिणाम हो सकते हैं:
    • गलतफहमी : गलत शब्दों के चयन के कारण श्रोता या पाठक इच्छित अर्थ को नहीं समझ पाते।
    • अस्पष्टता : सामान्य शब्दों का प्रयोग अस्पष्टता पैदा कर सकता है, जिससे व्याख्या अनिश्चित रह जाती है।
    • सूक्ष्मता का अभाव : सीमित शब्दावली के कारण अर्थ में सूक्ष्म अंतर को व्यक्त करना कठिन हो सकता है।

इसलिए, सही उत्तर शब्दावली है।

Hint

  • व्याकरण : सीमित शब्दावली आवश्यक रूप से व्याकरण को प्रभावित नहीं करेगी, जो वाक्य संरचना और उचित शब्द उपयोग पर केंद्रित है।
  • प्रवाह : प्रवाह से तात्पर्य बोलने या लिखने की सहजता और सहजता से है।
  • उच्चारण : उच्चारण का संबंध शब्दों के उच्चारण से है, न कि चुने गए शब्दों से।

हिंदी शिक्षाशास्त्र Question 2:

व्याख्यान विधि के क्या लाभ हैं?

  1. छात्रों का श्रवण कौशल विकसित होता है। 
  2. इस तरह के अधिगम के लिए कोई उपकरण प्रयुक्त नहीं किया जाता है।
  3. छात्र व्याख्यान के दौरान अधिक सतर्क होते हैं।
  4. सभी छात्र व्याख्यान के दौरान सभी जानकारी समझते हैं।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : छात्रों का श्रवण कौशल विकसित होता है। 

हिंदी शिक्षाशास्त्र Question 2 Detailed Solution

व्याख्यान विधि शिक्षण में सबसे अधिक प्रयोग की जाने वाली विधियों में से एक है। यह शिक्षण की एक विधि है जिसके तहत शिक्षक छात्रों को समझने में मदद करने के लिए तथ्यों, सिद्धांतों या संबंधों को समझाने का प्रयास करता है।

Key Points

  • व्याख्यान विधि एक शिक्षक केंद्रित विधि है जिसमें  शिक्षक विभिन्न विषयों पर व्याख्यान देता है।
  • इन विषयों को ऐसी समझ और गणना की आवश्यकता नहीं होती है जो केवल व्याख्यान द्वारा संभव नहीं हो सकते।
  • शिक्षक कक्षा में कम या ज्यादा बात करता है। कक्षा याद रखने और बाद में उन्हें सोचने के लिए तथ्यों और विचारों को लिखता है और नोट करता है।
  • शिक्षक एक सक्रिय भागीदार है, छात्र निष्क्रिय श्रोता हैं। आमतौर पर, शिक्षक द्वारा व्याख्यान के दौरान छात्र शिक्षक के साथ बातचीत नहीं करते हैं।
  • व्याख्यान मॉडल शिक्षण के लिए उपयोग की जाने वाली पुरानी और पारंपरिक विधि है। यहां, छात्रों को पूरी तरह से शिक्षक को सुनना चाहिए, इसलिए उनके श्रवण कौशल को बढ़ाया जाता है जबकि सभी छात्र एक ही समय में सचेत नहीं हो सकते हैं या सभी जानकारी को समान रूप से समझ नहीं पाएंगे।
  • प्रत्येक छात्र के पास एक अलग एकाग्रता अवधि और अधिगम क्षमता होगी। यह जानना मुश्किल हो जाता है कि हर कोई इस विषय को समझ गया है या नहीं।
  • चूंकि प्रोजेक्टर या प्रयोगशाला जैसे कोई उपकरण नहीं है, इसलिए उन्हें केवल सिखाए जाने वाले कार्यों पर ध्यान देना चाहिए। यह आम तौर पर एक तरफा संचार है क्योंकि संकाय व्याख्यान प्रदान करता है।

इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि व्याख्यान पद्धति छात्रों के सुनने के कौशल को बढ़ाती है।

हिंदी शिक्षाशास्त्र Question 3:

परिचयात्मक प्रश्न होना चाहिए

  1. छात्रों के पिछले ज्ञान पर आधारित हो
  2. कठिन
  3. कोई संबंध नहीं है
  4. बहुत आसान नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : छात्रों के पिछले ज्ञान पर आधारित हो

हिंदी शिक्षाशास्त्र Question 3 Detailed Solution

परिचयात्मक प्रश्न किसी पाठ या अध्याय की शुरुआत में पूछा जाता है ताकि छात्रों की सोच को सक्रिय किया जा सके और उन्हें नई जानकारी से जोड़ने में सहायता मिल सके।Key Points

  • यह प्रश्न छात्रों के पूर्व ज्ञान से संबंधित होना चाहिए ताकि वे नए विषय को समझने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो सकें।
  • यह छात्रों के पिछले अनुभव और ज्ञान को जोड़ता है, जिससे सीखने की प्रक्रिया प्रभावी होती है।

Hint

  • कठिन - सही नहीं है क्योंकि कठिन प्रश्न शुरू में छात्रों को भ्रमित कर सकते हैं।
  • कोई संबंध नहीं है - पूरी तरह गलत है क्योंकि सवाल का पाठ्यवस्तु से संबंध ज़रूरी होता है।
  • बहुत आसान नहीं - आंशिक रूप से सही हो सकता है, परन्तु यह मुख्य उद्देश्य को स्पष्ट नहीं करता।

इसलिए सही उत्तर है 'छात्रों के पिछले ज्ञान पर आधारित' हो।

हिंदी शिक्षाशास्त्र Question 4:

वाचन की विश्लेषणात्मक विधि में निम्नलिखित में से कौन सी विधि असंगत है ?

  1. देखो और बोलो
  2. वाक्य विधि
  3. कहानी विधि
  4. ध्वनि साम्य विधि

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : ध्वनि साम्य विधि

हिंदी शिक्षाशास्त्र Question 4 Detailed Solution

वाचन की विश्लेषणात्मक विधि शिक्षा में एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य छात्रों को साहित्यिक सामग्री का गहन विश्लेषण और समझ प्रदान करना है। इसके तहत विभिन्न विधियों का उपयोग किया जाता है, जो बच्चों को शब्दों, वाक्यों और पूरे पाठ को समझने और विश्लेषित करने में मदद करती हैं।Key Pointsवाचन की विश्लेषणात्मक विधि में शामिल हैं:

  • देखो और बोलो विधि में बच्चों को चित्रों के माध्यम से शब्दों का पहचानने और फिर उन्हें बोलने की प्रक्रिया में लाया जाता है, जो वाचन की विश्लेषणात्मक विधि से संबंधित है।
  • वाक्य विधि में बच्चों को शब्दों को वाक्यों के रूप में जोड़ने और उनके अर्थ को समझने में मदद की जाती है, जो वाचन को समझने की प्रक्रिया का हिस्सा है।
  • कहानी विधि बच्चों को कहानी के माध्यम से वाचन में रुचि उत्पन्न करने और इसे समझने में मदद करती है, जो विश्लेषणात्मक विधि का ही एक रूप है।

Hint

  • ध्वनि साम्य विधि वाचन की विश्लेषणात्मक विधि के अंतर्गत असंगत है। यह विधि मुख्यतः ध्वनियों और शब्दों के उच्चारण पर ध्यान केंद्रित करती है, जबकि वाचन की विश्लेषणात्मक विधि का मुख्य उद्देश्य साहित्यिक सामग्री के गहरे विश्लेषण पर होता है। यह विधि पाठ की समझ और विश्लेषण से अधिक संबंधित होती है, न कि सिर्फ शब्दों और ध्वनियों के साम्य पर।

इस प्रकार, ध्वनि साम्य विधि वाचन की विश्लेषणात्मक विधि में असंगत है।

हिंदी शिक्षाशास्त्र Question 5:

ड्रेकोली विधि कौन से विद्यार्थियों के लिए प्रयोग में ली जाती है ?

  1. प्रतिभाशाली विद्यार्थी
  2. मानसिक विकार, मंद बुद्धि विद्यार्थी
  3. औसत विद्यार्थी
  4. सृजनशील विद्यार्थी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : मानसिक विकार, मंद बुद्धि विद्यार्थी

हिंदी शिक्षाशास्त्र Question 5 Detailed Solution

ड्रेकोली विधि एक विशेष शैक्षिक विधि है जिसका उपयोग मानसिक विकार और मंद बुद्धि वाले विद्यार्थियों की शिक्षा में किया जाता है। यह विधि विद्यार्थियों को उनके मानसिक विकास और शारीरिक क्षमता के अनुसार शिक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई है।Key Points

  • ड्रेकोली विधि विशेष रूप से मानसिक विकार और मंद बुद्धि वाले विद्यार्थियों के लिए प्रयोग की जाती है।
  • इस विधि में ऐसे विद्यार्थियों के लिए पाठ्यक्रम को सरल और अधिक समग्र तरीके से प्रस्तुत किया जाता है ताकि वे बेहतर तरीके से समझ सकें और सीख सकें।
  • यह विधि उनके विशेष शैक्षिक और मानसिक आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षा प्रदान करती है। इसमें विद्यार्थियों की विशेष आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम और शिक्षण शैली को अनुकूलित किया जाता है।

Hint

  • प्रतिभाशाली विद्यार्थी के लिए अन्य शैक्षिक विधियाँ अधिक उपयुक्त होती हैं, क्योंकि इन विद्यार्थियों की समझ और क्षमता सामान्य से अधिक होती है।
  • औसत विद्यार्थी के लिए यह विधि सामान्य तौर पर उपयोग नहीं की जाती है, क्योंकि औसत विद्यार्थियों के लिए अन्य सामान्य शैक्षिक विधियाँ उपयुक्त होती हैं।
  • सृजनशील विद्यार्थी के लिए अधिक उपयुक्त विधियाँ होती हैं, जो उनके रचनात्मक विकास को बढ़ावा देती हैं, जैसे कि प्रोजेक्ट आधारित लर्निंग।

इसलिए, ड्रेकोली विधि मानसिक विकार और मंद बुद्धि वाले विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त है।

Top हिंदी शिक्षाशास्त्र MCQ Objective Questions

शिक्षण-प्रक्रिया को रुचिकर बनाने में _______ शिक्षण-सामग्री सहायक होती है।

  1. ऑडियो – वीडियो
  2. वैविध्यपूर्ण
  3. वीडियोपरक
  4. पत्र-पत्रिकाएँ

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : वैविध्यपूर्ण

हिंदी शिक्षाशास्त्र Question 6 Detailed Solution

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शिक्षण सामग्री पाठ को सरल, सुगम और आकर्षक ढंग से प्रस्तुत करने में सहायक होती है।

  • सभी वैविध्यपूर्ण शिक्षण सामग्रियां मुख्य रूप से तीन प्रकारों अर्थात श्रव्य, दृश्य और श्रव्य-दृश्य सहायक सामग्रियों में शामिल होती हैं।
  • ये सभी सामग्रियां विभिन्न जटिल सम्प्रत्ययों के शिक्षण को आसान बना देती है। शिक्षण प्रक्रिया को रुचिकर बनाने में वैविध्यपूर्ण शिक्षण सामग्री सहायक होती है।

Important Points

विस्तृत जानकारी के लिए चित्र देखें।

F2 S.D 2.7.20 Pallavi D1     

अतः, यह कहा जा सकता है कि  शिक्षण-प्रक्रिया को रुचिकर बनाने में वैविध्यपूर्ण शिक्षण-सामग्री सहायक होती है।                                               

लिखने की क्षमता का विकास बोलने, सुनने और पढ़ने की क्षमता की संगति में होना चाहिए। यह विचार-

  1. पूर्णत: असत्य है।
  2. पूर्णत: सत्य है।
  3. आंशिक रूप से सत्य है।
  4. पूर्णंत: निराधार है।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : पूर्णत: सत्य है।

हिंदी शिक्षाशास्त्र Question 7 Detailed Solution

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मानव अपने विचारों का आदान प्रदान मुख्य रूप से चार प्रक्रियाओं यथा सुननाबोलनापढ़ना और लिखना द्वारा करता है। भाषा से संबंधित इन चारो प्रक्रियाओं को सहज प्रयोग करने की क्षमता ही भाषा कौशल कहलाती है।

  • भाषा के इन विभिन्न कौशलों को एकीकृत रूप में पढ़ाने की अनुशंसा की जाती है क्योंकि ये चारो कौशल एक दूसरे से अतःसंबंधित होते हैं।
  • यहां सुनना और पढ़ना विचारों को ग्रहण करने से तथा बोलना और लिखना विचारों को अभिव्यक्त करने से संबंधित है।
  • लिखने की क्षमता का विकास बोलने, सुनने और पढ़ने की क्षमता की संगति में होना चाहिए क्योंकि ये चारो भाषाई क्षमतायें एक दूसरे से अतःसंबंधित होती हैं तथा मानव में भाषाई विकास के विस्तार को आवश्यक गति प्रदान करती हैं।
  • श्रवण कौशल: इसका अर्थ है सुनकर भावग्रहण करना | यह एक मानसिक प्रक्रिया है जिसमे ध्यानपूर्वक सुनने, सुनी हुई बातो पर चिंतन मनन करने जैसी जटिल प्रक्रियाए है| 
  • मौखिक कौशल: अपने भावो को सार्थक शब्दों में बोलकर व्यक्त करना इसमें शामिल होता है | इसमें शुद्ध उच्चारण, उचित गति, हाव-भाव, विचार क्रमबद्धता, और नि:संकोच भवव्यक्ति जैसे पक्ष होते है | 
  • पठन कौशल: इसमें लिपि प्रतिको की पहचान करना, उच्चारण करना, अर्थ ग्रहण करना जैसी योग्यता का समावेश है | 
  • लेखन कौशल' भाषाई कौशल का लिखित अभिव्यक्त रूप है। यह भावों और मौलिक विचारों को अर्थपूर्ण तरीके से लिखित रूप देने से संबंधित है।

अतः उपर्युक्य पंक्तियों से स्पष्ठ है कि, "लिखने की क्षमता का विकास बोलने, सुनने और पढ़ने की क्षमता की संगति में होना चाहिए।" यह विचार पूर्णत: सत्य है।

जो बच्चे विशेष रूप से पढ़ने में कठिनाई महसूस करते हैं, वे

  1. डिस्ग्राफिया से ग्रस्त होते हैं
  2. डिस्लेक्सिया से ग्रस्त होते हैं
  3. सीखने में अक्षम होते हैं
  4. मंदबुध्दि हाते हैं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : डिस्लेक्सिया से ग्रस्त होते हैं

हिंदी शिक्षाशास्त्र Question 8 Detailed Solution

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अधिगम अक्षमता तंत्रिका संबंधी विकार को संदर्भित करती है जो संज्ञानात्मक हानि का कारण बनती है। डिस्लेक्सिया (पढ़ने में कठिनाई), डिस्ग्राफिया (लिखने में असमर्थता), डिस्क्लेकुलिया (गणना करने में असमर्थता), आदि सीखने की विकलांगता का उदाहरण हैं।

Key Points

  • अधिगम अक्षमता आजीवन स्थितियां हो सकती हैं जो स्कूल, कार्य, दैनिक दिनचर्या और सामाजिक स्थितियों में किसी के अनुभव को प्रभावित कर सकती हैं।
  • अधिगम अक्षमता आनुवांशिक और/या न्यूरोबायोलॉजिकल कारकों के कारण होती है जो मस्तिष्क के कार्य पद्धति को एक तरीके से बदलती है जो सीखने से संबंधित एक या अधिक संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं को प्रभावित करती है।

 

अतः उपर्युक्य पंक्तियों से स्पष्ठ है कि जो बच्चे विशेष रूप से पढ़ने में कठिनाई महसूस करते हैं, वे डिस्लेक्सिया से ग्रस्त होते हैं।

Additional Information

डिस्ग्राफिया यह एक लेखन विकार है जो सुसंगत रूप से लिखने की क्षमता को प्रभावित करती है।

डिस्लेक्सिया

यह एक पठन विकार है जो पढ़ने और समझने की क्षमता को प्रभावित करती है तथा बच्चे विशेष रूप से पढ़ने में कठिनाई महसूस करते हैं।

भाषाघात

यह एक भाषा विकार है जो संचार कौशल और समझ क्षमता को प्रभावित करती है।

डिस्केलकुलिया

यह विकार गणितीय गणना और संख्याओं को समझने की क्षमता को प्रभावित करती है।

भाषा अर्जन के संबंध में कौन-सा कथन सही है?

  1. यह सहज होता है।
  2. यह सरल होता है।
  3. यह कठिन होता है।
  4. यह सीखा जाता है।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : यह सहज होता है।

हिंदी शिक्षाशास्त्र Question 9 Detailed Solution

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अर्जन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य ज्ञान को बूझने और समझने के साथ-साथ शब्दों और वाक्यों को संप्रेषित करने और उपयोग करने की क्षमता प्राप्त करता है।

भाषा अर्जन: इस प्रक्रिया में बालक सुनकर, बोलकर, भाषा ग्रहण करता है तथा निरंतर परिमार्जन करता रहता है। भाषा सीखने की प्रक्रिया में भाषा अर्जन की प्रक्रिया महत्त्वपूर्ण होती है। सीखी हुई भाषा को समझने की क्षमता अर्पित करना तथा उसे दैनिक जीवन में प्रयोग में लाने को भाषा अर्जन कहते हैं। अर्जन में सामान्यतः अनुकरण की प्रवत्ति दिखाई देती है। 

  • भाषा अर्जन एक सहज एवं स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसमें बच्चें घरेलू परिवेश में भाषा के नियमों को आसानी से आत्मसात् करते हैं, और बच्चे भाषा को सहज और स्वाभाविक रूप से सीखते हैं।
  • भाषा अर्जन के माध्यम से  बालक अनुकरण द्वारा प्रथम भाषा सीख कर अपनी बातों को बोलचाल अर्थात घर की भाषा में आसानी से अभिव्यक्त कर पाता है।
  • भाषा अर्जन प्रक्रिया के माध्यम से बच्चे अनुकरण द्वारा भाषा सीख कर अपनी बातों को अभिव्यक्त कर पाने में सक्षम हो पाता है।

अतः उपर्युक्य पंक्तियों से स्पष्ठ है कि भाषा अर्जन सहज होता है।

अंतर्निहित भाषा क्षमता का संबंध _________ के साथ है।

  1. चॉम्स्की
  2. पियाजे
  3. स्किनर
  4. वाइगोत्स्की

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : चॉम्स्की

हिंदी शिक्षाशास्त्र Question 10 Detailed Solution

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भाषा अर्जन: इस प्रक्रिया में बालक सुनकर, बोलकर, भाषा ग्रहण करता है तथा निरंतर परिमार्जन करता रहता है। भाषा सीखने की प्रक्रिया में भाषा अर्जन की प्रक्रिया महत्त्वपूर्ण होती है। सीखी हुई भाषा को समझने की क्षमता अर्पित करना तथा उसे दैनिक जीवन में प्रयोग में लाने को भाषा अर्जन कहते हैं।

भाषा अर्जन क्षमता तथा अंतर्निहित भाषा की अवधारणा प्रसिद्ध भाषा वैज्ञानिक नोआम चॉम्स्की से संबंधित है। इन्होंने आधुनिक भाषा विज्ञान के जनक के रूप में भाषा विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। नोआम चॉम्स्की का मानना है कि बच्चों में भाषा अंतर्निहित एवं जन्मजात होती है। 

चॉम्स्की का दृढ़ विश्वास है कि:

  • बच्चों में भाषा अर्जन क्षमता जन्मजात होती है।
  • बच्चों में भाषा अर्जित करने की सहजात योग्यता होती है।
  • बच्चों की भाषा अर्जन क्षमता ही भाषा अधिग्रहण में आधार बनती है।
  • बच्चों में भाषाई विकास एक काल्पनिक भाषा अधिग्रहण उपकरण (Language Acquisition Device) द्वारा होता है।

अतः उपर्युक्त पंक्तियों से स्पष्ठ है कि अंतर्निहित भाषा क्षमता का संबंध नोआम चॉम्स्की के साथ है।

निम्नलिखित में से रचना शिक्षण की विधि नहीं है:

  1. प्रवचन विधि
  2. निर्देशन विधि
  3. प्रश्नोत्तर विधि
  4. भाषा संसर्ग विधि

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : भाषा संसर्ग विधि

हिंदी शिक्षाशास्त्र Question 11 Detailed Solution

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रचना शिक्षण से तात्पर्य बच्चों को मन के विचारों को शुद्ध, स्पष्ट, रोचक एवम् क्रमबद्ध रूप से मौखिक या लिखित रूप में अभिव्यक्त करना सीखाना है। यह मौलिक विचारों को सुसंबद्ध एवम् अलंकृत भाषा में प्रकट करने से संबंधित है। रचना शिक्षण की मुख्य विधियां इस प्रकार है:

प्रवचन विधि

इस विधि में शिक्षक किसी विशेष विषय संबंधी तथ्यों की व्याख्या बच्चों के सामने करता है और फिर बच्चे उन्हें सुन कर अपने योग्यतानुसार रचना कार्य करते हैं।

निर्देशन विधि

इस विधि में शिक्षक किसी विशेष विषय संबंधी निर्देश बच्चों को देकर विषय की जटिलता को कम करता है और बच्चे उन निर्देशों के आधार पर रचना कार्य करते हैं।

प्रश्नोत्तर विधि

इस विधि में शिक्षक विषय संबंधी प्रश्न क्रमबद्ध रूप से बच्चों से करता है और बच्चे उस विषय पर उन प्रश्न-उत्तर के माध्यम से पहले मौखिक और फिर लिखित रचना कार्य करते हैं।

नोट: भाषा संसर्ग विधि  शुद्ध व्याकरण के नियमों का ज्ञान तथा शुद्ध भाषा के प्रयोग पर बल देती है।

अतः भाषा संसर्ग विधि रचना शिक्षण से सम्बन्धित नहीं है।

एक अच्छे मूल्यांकन की विशेषता नहीं है-

  1. वैधता 
  2. वस्तुनिष्ठता
  3. आत्मनिष्ठता
  4. व्यापकता

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : आत्मनिष्ठता

हिंदी शिक्षाशास्त्र Question 12 Detailed Solution

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मूल्यांकन एक निश्चित समयावधि में एकत्र किए गए गुणात्मक और मात्रात्मक आंकड़ों के आधार पर मूल्य निर्णय लेने की एक सतत प्रक्रिया को संदर्भित करता है। मूल्यांकन के कुछ मुख्य विशेषताएं इस प्रकार है:

  • वैधता: मूल्यांकन के लिए तैयार प्रश्न वैध अर्थात उद्देश्यपूर्ण होना चाहिए ताकि वो बच्चों की उन योग्यताओं का मापन कर सके जिसके लिए निर्मित हुआ हो।
  • विश्वसनीयता: मूल्यांकन में विश्वसनीयता से तात्पर्य ऐसे प्रश्नों से है जिनके द्वारा बच्चों की योग्यताओं का मापन किसी भी समय करने पर समान परिणाम प्राप्त हो। 
  • व्यापकता: मूल्यांकन में व्यापकता से तात्पर्य ऐसे सभी प्रश्नों को सम्मिलित किए जाने से है जो किसी विशेष विषय संबंधी सभी पक्षों की योग्यताओं का मूल्यांकन कर सके।
  • वस्तुनिष्ठता: मूल्यांकन के लिए तैयार प्रश्न वस्तुनिष्ठ(बहुविकल्पीय) होने से मूल्यांकन प्रक्रिया में प्रमाणिकता आती है क्योंकि उस पर परीक्षक का व्यक्तिगत प्रभाव नहीं पड़ता।

अतः यह कहा जा सकता है कि आत्मनिष्ठता एक अच्छे मूल्यांकन की विशेषता नहीं है।

नोट: आत्मनिष्ठता मूल्यांकन की विशेषताओं में शामिल नहीं है। यह शब्द किसी के आत्मनिर्भर होने को संदर्भित करता है।

उच्च प्राथमिक स्तर पर हिंदी भाषा के आकलन का सबसे कमज़ोर बिदु है –

  1. लिखने में नए शब्द इस्तेमाल करना
  2. लेखन में तार्किकता का समावेश
  3. भाषा का सृजनात्मक प्रयोग
  4. संस्कृतनिष्ठ शब्दावली का प्रयोग

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : संस्कृतनिष्ठ शब्दावली का प्रयोग

हिंदी शिक्षाशास्त्र Question 13 Detailed Solution

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भाषा आकलन एक संवादात्मक तथा रचनात्मक प्रक्रिया माना जाता है, जिसके द्वारा शिक्षक विद्यार्थी का उचित अधिगम की जांच करता है। आकलन का उद्देश्य निदानात्मक होता है अर्थात शिक्षण अधिगम कार्यक्रम में सुधार करना, छात्रों व अध्यापकों को पृष्ठपोषण प्रदान करना तथा छात्रों की अधिगम संबंधी कठिनाइयों को ज्ञात करना आदि।

भाषा के आकलन का के महत्वपूर्ण बिदु:-

  • भाषा का सृजनात्मक प्रयोग का आकलन
  • लेखन में तार्किकता का समावेश तथा उसका आकलन
  • भाषा में नए शब्दों का प्रयोग 
  • अक्षरों की पहचान व उसका आकलन

नोट: संस्कृतनिष्ठ शब्दावली के प्रयोग का आकलन करना, आकलन का सबसे कमज़ोर बिदु है। 

‘भाषा अर्जन' के बारे में कौन-सा कथन सही है?

  1. यह विद्यालय में ही होता है।
  2. यह परिवार में ही होता है।
  3. यह सहज होता है।
  4. यह कठिन होता है।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : यह सहज होता है।

हिंदी शिक्षाशास्त्र Question 14 Detailed Solution

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अर्जन वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा मनुष्य ज्ञान को बूझने और समझने के साथ-साथ शब्दों और वाक्यों को संप्रेषित करने और उपयोग करने की क्षमता प्राप्त करता है।

भाषा अर्जन: इस प्रक्रिया में बालक सुनकर, बोलकर, भाषा ग्रहण करता है तथा निरंतर परिमार्जन करता रहता है। भाषा सीखने की प्रक्रिया में भाषा अर्जन की प्रक्रिया महत्त्वपूर्ण होती है। सीखी हुई भाषा को समझने की क्षमता अर्पित करना तथा उसे दैनिक जीवन में प्रयोग में लाने को भाषा अर्जन कहते हैं। अर्जन में सामान्यतः अनुकरण की प्रवृत्ति दिखाई देती है। 

Key Points

  • भाषा अर्जन एक सहज एवं स्वाभाविक प्रक्रिया है जिसमें बच्चें घरेलू परिवेश में भाषा के नियमों को आसानी से आत्मसात् करते हैं।
  • भाषा अर्जन के माध्यम से  बालक अनुकरण द्वारा प्रथम भाषा सीख कर अपनी बातों को बोलचाल अर्थात घर की भाषा में आसानी से अभिव्यक्त कर पाता है।
  • भाषा अर्जन प्रक्रिया के माध्यम से बच्चे अनुकरण द्वारा भाषा सीख कर अपनी बातों को अभिव्यक्त कर पाने में सक्षम हो पाता है।
  • भाषा अर्जन की प्रक्रिया एक स्वाभाविक, और अनौपचारिक प्रक्रिया है जो कक्षा में भाषा के अधिगम से भिन्न होती है।

अतः उपर्युक्त पंक्तियों से स्पष्ठ है कि ‘भाषा अर्जन' सहज होता है।

कहानी के संदर्भ में कौन-सा कथन उपयुक्त लगता है?

  1. कहानी में संवाद होना आवश्यक है।
  2. कहानी में शुरुआत होना आवश्यक है।
  3. कहानी में शुद्ध भाषा होना आवश्यक है।
  4. कहानी में कथानक का होना आवश्यक है।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : कहानी में कथानक का होना आवश्यक है।

हिंदी शिक्षाशास्त्र Question 15 Detailed Solution

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कहानी किसी सच या काल्पनिक घटना के बारे में बताती है। इसे इस तरह से बताया जाता है कि श्रोता अनुभव करे और कुछ सीखे। यह हिंदी भाषा शिक्षण से सम्बन्धित एक प्रभावी उपकरण है इसलिए इसका प्रयोग शिक्षण की एक विधि के रूप में भी किया जाता है।

कहानी में कथानक का होना आवश्यक होता है क्योंकि कथानक से तात्पर्य किसी कहानी की पृष्ठभूमि तथा सार से है। कहानी में उचित कथानक कहानी को सरल, सहज और औचित्यपूर्ण बनाता है तथा यह:

  • बच्चों में सृजनात्मकता और चिंतनशीलता को विस्तार देती है।
  • बच्चों की महत्वपूर्ण सोच कौशल और उनकी अंतर्दृष्टि को बढ़ावा देती है।
  • बच्चों में सजगता तथा सृजनशीलता बढ़ाते हुए उन्हें काल्पनिक दुनिया की सैर कराती है।
  • बच्चों की रुचि को कहानी में बनाये रखता है और उनकी तार्किक क्षमता को सही दिशा देती है।

अतः, यह स्पष्ट है कि 'कहानी में कथानक का होना आवश्यक है' कहानी के संदर्भ में उपयुक्त कथन है।

Additional Information

कहानी कथन की उपयोगिता सिद्ध करने हेतु ध्यान में रखे जाने वाले पक्ष:

  • आदर्श वाचन
  • रोचक अंदाज
  • स्पष्ट उच्चारण
  • उचित हाव भाव
  • सही उतार चढाव
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