Question
Download Solution PDFकाॅलम पर यूलर के क्रांतिक भार की व्युत्पत्ति में की गई धारणाओं के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFस्पष्टीकरण:
लंबे काॅलम के लिए यूलर का सिद्धांत:
- कॉलम और स्ट्रट जो व्याकुंचन(बकलिंग) से विफल हो जाते हैं, उनका विश्लेषण यूलर के सिद्धांत द्वारा किया जा सकता है।
- यूलर का सिद्धांत लंबे कॉलम के लिए मान्य है और बंकन प्रतिबल के आधार पर लंबे कॉलम के व्याकुंचन(बकलिंग) भार के लिए व्युत्पन्न समीकरण है।
- इस समीकरण को व्युत्पन्न करते समय, प्रत्यक्ष प्रतिबल के प्रभाव की उपेक्षा की जाती है। इसे इस कथन के साथ उचित ठहराया जा सकता है कि बंकन प्रतिबल की तुलना में एक लंबे काॅलम में प्रेरित प्रत्यक्ष प्रतिबल नगण्य है।
- यह ध्यान दिया जा सकता है कि छोटे काॅलम के मामले में यूलर के सूत्र का उपयोग नहीं किया जा सकता है, क्योंकि प्रत्यक्ष प्रतिबल अधिक है और इसलिए इसे उपेक्षित नहीं किया जा सकता है।
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यूलर के सिद्धांत की धारणाऐं: यूलर के काॅलम सिद्धांत में निम्न सरल धारणाएँ बनाई गई हैं:
1. प्रारंभ में काॅलम पूरी तरह से सीधा है और लागू किया गया भार वास्तव में अक्षीय है।
2. काॅलम का अनुप्रस्थ काट उसकी पूरी लंबाई में एकसमान होता है।
3. काॅलम की सामग्री पूरी तरह से प्रत्यास्थ, समरूप और समदैशिक(आइसोट्रोपिक) है और इस प्रकार हुक के नियम का पालन करती है।
4. अनुप्रस्थ काट कि विमाओं की तुलना में काॅलम की लंबाई बहुत अधिक है।
5. प्रत्यक्ष संपीड़न (बहुत छोटा होने के कारण) के कारण काॅलम का लघुकरण होना उपेक्षित है।
6. काॅलम की विफलता केवल व्याकुंचन(बकलिंग) के कारण होती है, इसलिए यूलर के सिद्धांत के अनुसार अधिकतम बंकन आघूर्ण तक नहीं पहुंच पाता है
यूलर का क्षय(क्रिपलिंग) भार: \(P_{E}=\frac{\pi^2 EI}{L_{e}^2}\) , जहाँ E = काॅलम की सामग्री का प्रत्यास्थता मापांक, I= जड़त्व आघूर्ण, Le = समतुल्य लंबाई
Last updated on May 28, 2025
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