सगुण कृष्ण काव्य MCQ Quiz in मल्याळम - Objective Question with Answer for सगुण कृष्ण काव्य - സൗജന്യ PDF ഡൗൺലോഡ് ചെയ്യുക
Last updated on Mar 18, 2025
Latest सगुण कृष्ण काव्य MCQ Objective Questions
Top सगुण कृष्ण काव्य MCQ Objective Questions
सगुण कृष्ण काव्य Question 1:
सुदामाचरित के रचनाकर कौन हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
सगुण कृष्ण काव्य Question 1 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 ‘नरोत्तमदास’ है। अन्य विकल्प गलत उत्तर हैं।
Key Points
- 'सुदामाचरित' कवि नरोत्तमदास द्वारा ब्रज भाषा में रचित काव्य-ग्रंथ है।
- सुदामाचरित निर्धन ब्राह्मण सुदामा की कथा है जो महान कृष्ण भक्त थे।
अन्य कवि-
- सूरदास - सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य-लहरी, नल-दमयन्ती और ब्याहलो आदि।
- कृष्णदास - जुगलमान चरित, भ्रमरगीत, प्रेमतत्त्व निरूपण, राग-कल्पद्रुम, राग-रत्नाकर आदि।
- नंददास - रासपंचाध्यायी, भागवत दशमस्कंध, रुक्मिणीमंगल, सिद्धांत पंचाध्यायी, रूपमंजरी', मानमंजरी, विरहमंजरी आदि।
Additional Information
- हिंदी साहित्य में ऐसे लोग विरले ही हैं जिन्होंने मात्र एक या दो रचनाओं के आधार पर हिंदी साहित्य में अपना स्थान सुनिश्चित किया है।
- एक ऐसे ही कवि हैं, उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद में जन्मे कवि नरोत्तमदास।
- जिनका एकमात्र खण्ड-काव्य ‘सुदामा चरित’ (ब्रजभाषा में) मिलता है जो हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर मानी जाता है।
सगुण कृष्ण काव्य Question 2:
मीराबाई के गुरु निम्नलिखित में से माने जाते है?
Answer (Detailed Solution Below)
सगुण कृष्ण काव्य Question 2 Detailed Solution
"मीराबाई" के गुरु का नाम "रैदास" है। अतः उपयुर्क्त विकल्पों में से विकल्प (3) रैदास सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
Key Points
- "गुरु मिल्या रैदास जी दीन्ही ज्ञान की गुटकी" उपयुर्क्त पंक्ति में मीरा ने रैदास जी को अपना गुरु बताया था।
- गुरू रविदास (रैदास) का जन्म काशी में संवत 1433 को हुआ था।
- रैदास के 40 पद "गुरु ग्रंथ साहब" में संकलित है।
- जीवन भर समाज में फैली कुरीति जैसे जात-पात के अंत के लिए काम किया।
- रविदास जी के सेवक इनको " सतगुरु", "जगतगुरू" आदि नामों से सत्कार करते हैं।
- रैदास रामानंद के शिष्य हैं।
Additional Information
- रामानंद के शिष्य निम्नलिखित हैं:-
- अनतानन्द
- कबीर
- सुखा
- सुरसुरा
- पद्मावती
- नरहरि
- पीपा
- भावानन्द
- रैदासु
- धना
- सेन
- सुरसुरानंद की धर्मपत्नी
सगुण कृष्ण काव्य Question 3:
'सुजान रसखान' में किस विषय पर कवित्त सवैया है?
Answer (Detailed Solution Below)
सगुण कृष्ण काव्य Question 3 Detailed Solution
'सुजान रसखान' में "कृष्ण विषयक" विषय पर कवित्त सवैया है।
Key Points
- रसखान के दो ग्रंथ मिलते हैं – “प्रेमवाटिका और'सुजान रसखान' ।
- 'प्रेमवाटिका' में प्रेम-निरूपण संबंधी रचनाएँ हैं और 'सुजान रसखान' में कृष्ण की भक्ति संबंधी रचनाएँ ।
Important Points
- रीतिमुक्त कवियों में रसखान का अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थान है।
- सय्यद इब्राहीम "रसखान" का जन्म सन् 1533 से 1558 के बीच माना जाता है।
- वे विट्ठलनाथ के शिष्य थे एवं वल्लभ सम्प्रदाय के सदस्य थे।
- रसखान के सगुण कृष्ण सारी लीलाएं करते हैं।
- यथा-बाललीला,रासलीला,फागलीला,कुंजलीला,प्रेम वाटिका,सुजान रसखान आदि।
- इन्होंने मंगलाचरण,प्रेमवाटिका,सुजान रसखान,रसखान रत्नावली में पद लिखे हैं।
सगुण कृष्ण काव्य Question 4:
सूरसागर को कृष्ण चरित का महाकाव्य किसने माना है?
Answer (Detailed Solution Below)
सगुण कृष्ण काव्य Question 4 Detailed Solution
सूरसागर को कृष्ण चरित का महाकाव्य ब्रजेश्वर वर्मा ने माना है।
Key Pointsसूरसागर-
- सूरसागर में भ्रमरगीत की योजना की गयी है।
- हिंदी में भ्रमरगीत काव्य परम्परा की शुरुआत सूरदास सूरदास ने की।
- शुक्ल जी ने इसे 'उपालम्भ काव्य' व 'ध्वनि काव्य' कहा है।
- भ्रमरगीत सार की रचना 1535 ई. में हुई थी।
Important Pointsसूरदास-
- जन्म - 1478-1583 ई.
- भक्तिकाल के मुख्य कवि रहे है।
- वल्लभाचार्य के शिष्य थे।
- मुख्य रचनाएँ-
- सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य लहरी आदि।
सगुण कृष्ण काव्य Question 5:
'मीराबाई' की रचना नहीं हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
सगुण कृष्ण काव्य Question 5 Detailed Solution
Key Points
- गीतगोविंद की टीका, नरसीजी का मायरा, राग गोविंद मीराबाई द्वारा रचित हैं।
- मीरा जिन पदों को गाती थीं तथा भाव-विभोर होकर नृत्य करती थीं, वे ही गेय पद उनकी रचना कहलाईं ।
Important Points मीरा बाई-
- जन्म-1498 ई.
- मृत्यु- 1547 ई.
- मीरा सगुण धारा की महत्वपूर्ण भक्त कवयित्री थीं।
- कृष्ण की उपासिका होने के कारण इनकी कविता में सगुण भक्ति मुख्य रूप से मौजूद है, लेकिन निर्गुण भक्ति का प्रभाव भी मिलता है।
- प्रमुख रचनाएँ-
- राग गोविंद
- नरसी जी का मायरा
- मीरा पद्मावली
- राग सोरठा
- गोविंद टीका
सगुण कृष्ण काव्य Question 6:
'सूरदास' ने किस भाषा में 'सूरसागर' की रचना की?
Answer (Detailed Solution Below)
सगुण कृष्ण काव्य Question 6 Detailed Solution
'सूरदास' ने ब्रज भाषा में 'सूरसागर' की रचना की।
Key Points
- सूरसागर सूरदास जी का प्रधान एवं महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है।
- इसमें प्रथम नौ अध्याय संक्षिप्त है, पर दशम स्कन्ध का बहुत विस्तार हो गया है।
- इसमें भक्ति की प्रधानता है।
- इसके दो प्रसंग 'कृष्ण की बाल-लीला' और 'भ्रमर-गीतसार' अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं।
Important Points
साहित्य लहरी |
साहित्यलहरी ११८ पदों की एक लघु रचना है। इसके अन्तिम पद में सूरदास का वंशवृक्ष दिया है, जिसके अनुसार सूरदास का नाम ' |
सूर सारावली |
सूरसारावली भक्त कवि सूरदास की एक रचना है। इसमें ११०७ छन्द हैं। यह सम्पूर्ण ग्रन्थ एक "वृहद् होली" गीत के रूप में रचित है। |
सगुण कृष्ण काव्य Question 7:
सूरदास कृत 'भ्रमरगीत' का मुख्य विषय है :
Answer (Detailed Solution Below)
सगुण कृष्ण काव्य Question 7 Detailed Solution
सूरदास कृत 'भ्रमरगीत' का मुख्य विषय प्रेम की ज्ञान पर विजय है।
- विधा- काव्य
- श्रीकृष्ण ने उद्धव को संदेशवाहक बनाकर गोकुल भेजा| वहाँ गोपियों ने उस भ्रमर को प्रतीक बनाकर अन्योक्ति के माध्यम से उद्धव और कृष्ण पर जो व्यंग्य किए एवं उपालम्भ दिए उसी को ’भ्रमरगीत’ के नाम से जाना गया।
- भ्रमरगीत प्रसंग में निर्गुण का खण्डन, सगुण का मण्डन तथा ज्ञान एवं योग की तुलना में प्रेम और भक्ति को श्रेष्ठ ठहराया गया है।
Key Pointsसूरदास-
- जन्म-(1478-1563ई.)
- सूरदास हिन्दी के भक्तिकाल के महान कवि थे।
- हिन्दी साहित्य में भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक और ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि महात्मा सूरदास हिंदी साहित्य के सूर्य माने जाते हैं।
- प्रमुख रचनाएँ-
- सूरसागर
- सूरसारावली
- साहित्य-लहरी
- नल-दमयन्ती
- ब्याहलो आदि।
Important Pointsभ्रमरगीत-
- सूरसागर सूरदासजी का प्रधान एवं महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसमें प्रथम नौ अध्याय संक्षिप्त है, पर दशम स्कन्ध का बहुत विस्तार हो गया है।
- इसमें भक्ति की प्रधानता है। इसके दो प्रसंग 'कृष्ण की बाल-लीला’ और 'भ्रमरगीत-प्रसंग' अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं।
- इसके विषय में आचार्य शुक्ल ने कहा है, सूरसागर का सबसे मर्मस्पर्शी और वाग्वैदग्ध्यपूर्ण अंश भ्रमरगीत है।
- आचार्य शुक्ल ने लगभग 400 पदों को सूरसागर के भ्रमरगीत से छांटकर उनको 'भ्रमरगीत सार' के रूप में संग्रह किया था।
सगुण कृष्ण काव्य Question 8:
'शब्दों की कारीगरी की दृष्टि से कौनसे कृष्णभक्त कवि प्रसिद्ध हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
सगुण कृष्ण काव्य Question 8 Detailed Solution
सही उत्तर 'नंददास' है।
नन्ददास-
- जन्म-(1513-1583 ई.)
- नंददास 16वीं शती के अंतिम चरण के कवि थे।जो अष्टछाप प्रमुख कवियों में से एक थे। सूरदास के बाद सबसे अधिक प्रसिद्ध हुए।
- नंददास भक्तिरस के पूर्ण मर्मज्ञ और ज्ञानी थे।
Key Points
गद्यरचना- 'हितोपदेश', 'नासिकेतपुराण'।
Additional Information सूरदास (1478-1573) ब्रजभाषा के महाकवि माने जाते हैं।
प्रमुख रचनाएँ:-
- श्रीकृष्णमाधुरी
- सुर सुखसागर
- सुरसागर
- सुरसुरावली
- साहित्य लहरी आदि।
परमानंददास (1493-1583)
- परमानन्ददास वल्लभ संप्रदाय पुष्टिमार्ग के आठ कवियों अष्टछाप कवि में एक कवि थे।
- जिन्होने भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया।
प्रमुख रचनाएँ-
- बृंदावन क्यों न भए हम मोर
- कौन रसिक है इन बातन कौ
- ब्रज के बिरही लोग बिचारे
- मैया मोहिं ऐसी दुलहिन भावै
- कहा करौ बैकुंठहि जाय आदि।
गोविन्दस्वामी-(1505-1585)
- कृष्ण-भक्ति शाखा से संबद्ध। पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय के अष्टछाप कवियों में से एक। गोस्वामी विट्ठलनाथ के शिष्य।
- गोविंदस्वामी के 600 पद प्राप्त हैं।जिसमे 252 ही प्रचलित हैं।
सगुण कृष्ण काव्य Question 9:
इनमें से कौन सा कथन सही नहीं है ?
Answer (Detailed Solution Below)
सगुण कृष्ण काव्य Question 9 Detailed Solution
'भ्रमरगीत सूरसारावली का सबसे मार्मिक प्रसंग है' सही नहीं हैं।
Key Points
- भ्रमरगीत का मूलस्त्रोत श्रीमद्भागवत पुराण के दशम स्कंध के 46 एवं 47 अध्याय से लिया गया है।
भ्रमरगीत प्रसंग से संबंधिक कुछ बिदुः-
काव्य | संबंधित बिंदु |
भ्रमरगीत प्रसंग |
इसमे श्रीकृष्ण गोपियों को छोडकर मथुरा चले गए और गोपियाँ विरह विकल हो गई। कृष्ण मथुरा में लोकहितकारी कार्यों में व्यस्त थे किंतु उन्हें ब्रज की गोपियाँ की याद सताती थी। कृष्ण अपने प्रिय मित्र उद्धव को संदेशवाहक बनाकर गोकुल भेजता है। गोपियों के साथ उनका वार्तालाप हुआ तभी एक भ्रमर वहां उडता हुआ आता है। गोपियों ने उस भ्रमर को प्रतीक बनाकर अन्योक्ति के माध्यम से उद्धव और कृष्ण पर जो व्यंग्य किया है। उसी उपालम्भ को भ्रमरगीत का नाम दिया गया। |
Additional Information
सूरदास की प्रमुख रचनाएँः-
- सूरसागर , सूरसारावली , नल दमयंती , ब्याहलो आदि।
अष्ठछाप से संबंधित प्रमुख तथ्यः-
अष्टछाप |
इसकी स्थापना विट्ठलनाथ ने 1565 ईं. मे की हैं। विट्ठलनाथ वल्लाभाचार्य के पुत्र हैं। अष्ठछाप मे कुल आठ कवि सम्मलित है।जिसमे चार वल्लभाचार्य और चार विट्ठलनाथ के हैं। वल्लभाचार्य के शिष्यों के नाम ः- कुंभनदास, सूरदास, परमानंद दास, कृष्णदास। विट्ठलनाथ के शिष्यों का नामः- गोविंद स्वामि, छीत स्वामी, चतुर्भुजदास, नंददास। कुंभनदास प्रथम अष्टछापी कवि थे। नंददास सबसे कनिष्ठ अष्टछापी कवि थे। |
Important Pointsभ्रमरगीत परम्परा से संबंधित प्रमुख ग्रंथः-
रचना | रचयिता |
भ्रमरगीत | सूरदास |
भंवरगीत | नंददास |
भ्रमरदूत | सत्यनारायण कविरत्न |
प्रियप्रवास | हरिऔध |
उद्धवशतक | जगन्नाथ दास रत्नाकर |
सगुण कृष्ण काव्य Question 10:
वृन्दावन में मीराबाई की मुलाकात किस कृष्णभक्त कवि से हुई ?
Answer (Detailed Solution Below)
सगुण कृष्ण काव्य Question 10 Detailed Solution
वृन्दावन में मीराबाई की मुलाकात जीवगोस्वामी कृष्णभक्त कवि से हुई।
- वृंदावन में मीरा की भेंट चैतन्य मत के शास्त्र प्रणेता जीव गोस्वामी से हुई।
- वृंदावन से वह द्वारिका चली गई।
- वहाँ रणछोड़जी के मंदिर में बजन-कीर्तन करती थीं।
- वही उनकी मृत्यु हुई।
Key Pointsमीराबाई-
- जन्म-1516-1546 ई.
- सोलहवीं शताब्दी की एक कृष्ण भक्त और कवयित्री थीं।
- मीरा बाई ने कृष्ण भक्ति के स्फुट पदों की रचना की है।
- गुरु-संत रैदास या रविदास
- मीराबाई ने श्री कृष्ण की उपासना पति या प्रियतम रूप में की है।
- रचनाएँ-
- गीत गोविंद की टीका
- नरसी जी रो मायरो
- राग सोरठा
- मलार राग
- राग गोविन्द
- सत्यभामानुरुषणं
- मीरां की गरबी
- रुक्मणी मंगल आदि।
- मीराबाई की रचनाओं का संकलन ’मीराबाई की पदावली’ के रूप में उपलब्ध है।
Important Pointsछीतस्वामी-
- ये अष्टछाप के कवि है।
- ये विट्ठलनाथ के शिष्य थे।
- यह दीक्षा लेने के बाद गोवर्धन के निकट पूंछरी में तमाल वृक्ष की छाया में रहते थे।
- रचनाएँ-
- पदावली।
गोविंदस्वामी-
- ये अष्टछाप के कवि है।
- ये विट्ठलनाथ के शिष्य थे।
- यह महावन में रहते थे।
- रचनाएँ-
- गोस्वामीजी के पद।
रूपगोस्वामी-
- चैतन्य महाप्रभु के संप्रदाय गौड़ीय संप्रदाय से शिक्षा ग्रहण की।
- चैतन्य महाप्रभु ने अपने 6 अनुयायियों को भक्ति प्रसार के लिए वृंदावन भेजा,उनमें से एक ये भी थे।
- रचनाएँ-
- हंसदूत
- उद्धव-संदेश
- अष्टदश लीला आदि।
Additional Informationजीवगोस्वामी-
- गौड़ीय संप्रदाय के अनुयायी थे।
- वृंदावन में इन्होंने भक्ति का प्रसार किया।
- चैतन्य महाप्रभु के 6 अनुयायी में से एक है।