सगुण राम काव्य MCQ Quiz in मल्याळम - Objective Question with Answer for सगुण राम काव्य - സൗജന്യ PDF ഡൗൺലോഡ് ചെയ്യുക
Last updated on Mar 19, 2025
Latest सगुण राम काव्य MCQ Objective Questions
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सगुण राम काव्य Question 1:
तुलसीदास ने 'कवितावली' की रचना किस भाषा में की है?
Answer (Detailed Solution Below)
सगुण राम काव्य Question 1 Detailed Solution
तुलसीदास ने कवितावली की रचना 'ब्रजभाषा' में की।Important Points
- तुलसीदास ने कालक्रमानुसार निम्नलिखित कालजयी ग्रन्थों की रचनाएँ कीं।
- रामललानहछू (1582), वैराग्यसंदीपनी (1612), रामाज्ञाप्रश्न (1612), जानकी-मंगल (1582), रामचरितमानस (1574), सतसई,पार्वती-मंगल (1582), गीतावली(1571), विनय-पत्रिका(1582), कृष्ण-गीतावली(1571), बरवै रामायण(1612),दोहावली (1583) और कवितावली (1612)।
- कवितावली एक प्रबंध रचना है।
Additional Information
- तुलसीदास का रामचरितमानस लोक ग्रन्थ है और इसे उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है।
- महाकाव्य श्रीरामचरितमानस को विश्व के 100 सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में 46वाँ स्थान दिया गया।
सगुण राम काव्य Question 2:
तुलसी कृत कवितावली, विनयपत्रिका व गीतावली की भाषा क्या है ?
Answer (Detailed Solution Below)
सगुण राम काव्य Question 2 Detailed Solution
तुलसी कृत कवितावली, विनयपत्रिका व गीतावली की भाषा ब्रज है।
कवितावली (16वीं शताब्दी)
- श्री रामचन्द्र के इतिहास का वर्णन है।
विनयपत्रिका
- 279 स्तोत्र गीतों का संग्रह है।
गीतावली
- मुद्रित संग्रह में 328 पद हैं।
अन्य विकल्प गलत हैं।
Key Points
- अवधी में तुलसीदास की रामचरितमानस है।
- कन्नौजी और बघेली में उनकी कोई रचना नहीं है।
Additional Informationगोस्वामी तुलसीदास -
- जन्म - बांदा जिले के राजपुर में,13 अगस्त 1532
- रचना - रामलला नहछू, हनुमान चालीसा, गीतावली, साहित्य रत्न, तुलसी सत्सई, गीतावली, कृष्ण गीतावली या कृष्णावली, बरवई रामायण, पार्वती मंगल, दोहावली आदि।
निधन - 31 जुलाई 1623
सगुण राम काव्य Question 3:
गो. तुलसीदास की इन रचनाओं में से किस रचना में ब्रजभाषा का प्रयोग है ?
Answer (Detailed Solution Below)
सगुण राम काव्य Question 3 Detailed Solution
गो. तुलसीदास की कवितावली रचना में ब्रजभाषा का प्रयोग है।
कवितावली-
- समय-सं.-1631-80
- भाषा-ब्रज
- प्रयुक्त छंद-कवित्त,छप्पय
- काव्य रूप-मुक्तक
- विषय-
- सात कांडों में राम कथा का वर्णन।
- उत्तराखंड में काशी की महामारी का वर्णन।
- 'हनुमानबाहुक' इसी का एक भाग है।
Key Points
- रामललानहछू,रामचरितमानस और जानकीमंगल रचनाओं की भाषा अवधी है।
Important Pointsरामललानहछू-
- समय-सं.-1628-29
- भाषा-ठेठ अवधी
- प्रयुक्त छंद-सोहर(60)
- काव्य रूप-प्रबंध
- विषय-
- इसमें राम विवाह व् यज्ञोपवीत संस्कार के समय नहछू का वर्णन है।
- तुलाई का श्रृंगारी व रसिक पक्ष प्रकट हुआ है।
रामचरितमानस-
- समय-सं.-1631
- भाषा-अवधी
- प्रयुक्त छंद-दोहा चौपाई (1074 कड़वक)
- काव्य रूप-प्रबंध
- विषय-
- सात कांडों में राम कथा का वर्णन हैं।
- यह ग्रन्थ 2 वर्ष 7 माह व 26 दिन में पूर्ण हुआ था।
- सात काण्ड हैं-बालकाण्ड,अयोध्याकाण्ड,अरण्यकाण्ड,किष्किन्धाकाण्ड,सुंदरकांड,लंकाकाण्ड और उत्तरकांड।
जनकीमंगल-
- समय-सं.-1629-30
- भाषा-अवधी
- प्रयुक्त छंद-सोहर (216)
- काव्य रूप-प्रबंध
- विषय-
- राम-सीता के विवाह का वर्णन है।
- इसका आधार वाल्मीकि रामायण है।
Additional Informationतुलसीदास-
- जन्म-1532-1623 ई.
- स्मार्त सम्प्रदाय में दीक्षित थे।
- दीक्षा गुरु-नरहर्यानन्द
- शिक्षा गुरु-शेष सनातन
- अन्य रचनाएँ-
- वैराग्य संदीपनी,रामाज्ञाप्रश्न,पार्वती मंगल,कृष्ण गीतावली,गीतावली,विनयपत्रिका,दोहावली और बरवै रामायण।
सगुण राम काव्य Question 4:
प्राणचंद चौहान का संबंध भक्ति की किस शाखा से है?
Answer (Detailed Solution Below)
सगुण राम काव्य Question 4 Detailed Solution
प्राण चंद चौहान का संबंध राम भक्ति शाखा से है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प रामभक्ति शाखा सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।\
Key Points
- प्राणचंद चौहान भक्तिकाल के कवि थे।
- वे राम भक्ति शाखा से हैं।
- वे रामायण महानाटक के रचयिता हैं ।
राम भक्ति काव्य के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएं:-
- श्रीकृष्ण शाखा
- भक्तिकाल में श्रीकृष्ण भक्ति साहित्य के प्रमुख कवियों में सूरदास ,कुंभनदास,परमानन्द दास ,कृष्ण दास ,नंददास ,चतुर्भुज दास ,गोविन्द स्वामी और छीतस्वामी आदि प्रमुख कवि हैं।
- ज्ञान मार्गी शाखा
- इस भाषा को 'सधुक्कड़ी' कहा गया है।
- इन संतों में प्रमुख कबीरदास थे।
- अन्य मुख्य संत-कवियों के नाम हैं - नानक, रैदास, दादूदयाल, सुंदरदास तथा मलूकदास।
सगुण राम काव्य Question 5:
भक्तमाल के रचनाकार है:-
Answer (Detailed Solution Below)
सगुण राम काव्य Question 5 Detailed Solution
"भक्तमाल" के रचनाकार "नाभादास" है। उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (4) नाभादास सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।
Key Points
- भक्तमाल का रचना वर्ष 1585 ईस्वी है।
- 'भक्तमाल' की रचना व्रजभाषा में हुई है। इसकी भाषा शैली प्रौढ़ एवं परिमार्जित है
- भक्तमाल' में नाभादास ने छप्पय छंद में अपने पूर्ववर्ती अथवा समसामयिक लगभग दो सौ भक्तों का चरितगान किया है।
- नाभादास (1570-1650)
- स्वामी अग्रदास जी के शिष्य हैं।
- इनके प्रसिद्ध ग्रंथ 'भक्तमाल' की टीका प्रियादास जी ने संवत् 1769 में, सौ वर्ष बाद, लिखी थी।
- नाभादास की तीन कृतियाँ उपलब्ध हैं -
- भक्तमाल (1585)
- अष्टयाम (1585)
- रामभक्ति संबंधी स्फुट पद
- 'भक्तमाल' में लगभग दो सौ भक्तों का चरित्रगान है।
- 'अष्टयाम' ब्रजभाषा गद्य और पद्य दोनों में पृथक्-पृथक् उपलब्ध है।
अन्य विकल्प:-
सगुण राम काव्य Question 6:
'रामचरित मानस' के उत्तरकांड में उन्होंने ज्ञान की अपेक्षा भक्ति को कहीं अधिक सुसाध्य और आशुफलदायिनी कहा है।'
यह कथन किसका है -
Answer (Detailed Solution Below)
सगुण राम काव्य Question 6 Detailed Solution
उपर्युक्त कथन रामचंद्र शुक्ल का है।
"रामचरितमानस के उत्तरकांड' में उन्होंने ज्ञान की अपेक्षा भक्ति को कहीं अधिक सुसाध्य और आशु फलदायिनी कहा है।
उपर्युक्त कथन रामचंद्र शुक्ल का है।
यह कथन गोस्वामी तुलसीदास के संबंध में है।
तुलसीदास शुक्ल जी के प्रिय कवि हैं।
रामचरितमानस
यह अवधी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास द्वारा 16वीं सदी में रचित प्रसिद्ध ग्रन्थ है।
इस ग्रन्थ को अवधी साहित्य (हिंदी साहित्य) की एक महान कृति माना जाता है।
इसे सामान्यतः 'तुलसी रामायण' या 'तुलसीकृत रामायण' भी कहा जाता है।
रामचंद्र शुक्ल के आलोचनात्मक ग्रंथ
सूर, तुलसी, जायसी पर की गई आलोचनाएं, काव्य में रहस्यवाद, काव्य में अभिव्यंजनावाद, रसमीमांसा आदि शुक्ल जी की आलोचनात्मक रचनाएं हैं।
रामस्वरूप चतुर्वेदी की रचनाएँ-
शरत् के नारी पात्र (1955)
हिन्दी नवलेखन (1960)
आगरा जिले की बोली (1961)
भाषा और संवेदना (1964)
अज्ञेय और आधुनिक रचना की समस्या (1968)
हिंदी साहित्य की अधुनातन प्रवृत्तियाँ (1969)
कामायनी का पुनर्मूल्यांकन (1970)
मध्यकालीन हिंदी काव्यभाषा (1974)
नयी कविताएँ: एक साक्ष्य (1976)
मलयज के कविता संग्रह
जख़्म पर धूल
अपने होने को प्रकाशित करता हुआ
हसते हुए मेरा अकेलापन
सगुण राम काव्य Question 7:
उत्तर भारत में भक्ति का यह उन्मेष "बिजली की चमक के समान अचानक कैसे हुआ?" - रेखांकित पंक्ति किस विद्वान् की है?
Answer (Detailed Solution Below)
सगुण राम काव्य Question 7 Detailed Solution
उत्तर भारत में भक्ति का यह उन्मेष "बिजली की चमक के समान अचानक कैसे हुआ?" - रेखांकित पंक्ति जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन विद्वान् की है।
Key Points जॉर्ज ग्रियर्सन-
- जन्म-1851-1941ई.
- जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन "इंडियन सिविल सर्विस" के कर्मचारी, बहुभाषाविद् और भाषावैज्ञानिक थे।
- बंगाल के रॉयल एशियाटिक सोसायटी के सदस्य थे।
- प्रमुख रचनाएँ-
- राजा गोपीचंद की कथा
- मैथिली ग्रामर
- ए हैंड बुक टु दि कैथी कैरेक्टर
- बिहार पेजेंट लाइफ
- बीइग डेस्क्रिप्टिव कैटेलाग ऑफ दि सराउंडिंग्ज ऑफ दि वर्नाक्युलर्स
- जर्नल ऑफ दि जर्मन ओरिएंटल सोसाइटी
- कश्मीरी व्याकरण और कोश आदि।
- इंशा अल्ला खाँ 'इंशा' हिन्दी साहित्यकार और उर्दू कवि थे। वे लखनऊ तथा दिल्ली के दरबारों में कविता करते थे।
- रानी केतकी की कहानी हिन्दी की प्रथम गद्य रचना मानी जाती है। इसके लेखक इंशा अल्ला खाँ थे।
Important Points हजारी प्रसाद द्विवेदी-
- जन्म- 1907 - 1979 ई.
- आलोचना ग्रंथ -
- सूर साहित्य (1930)
- हिंदी साहित्य की भूमिका (1940)
- कबीर (1942)
- हिंदी साहित्य का आदिकाल(1952)
- सहज साधना (1963)
- कालिदास की लालित्य योजना (1965)
- मध्यकालीन बोध का स्वरूप (1970) आदि।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल-
- जन्म - 1884-1941 ई.
- आलोचनात्मक ग्रन्थ-
- गोस्वामी तुलसीदास (1923 ई.)
- जायसी ग्रंथावली (1924 ई.)
- भ्रमरगीत सार (1925 ई.)
- हिन्दी साहित्य का इतिहास (1929 ई.)
- काव्य में रहस्यवाद (1929 ई.) आदि।
सगुण राम काव्य Question 8:
'अवधी' का लोकप्रिय महाकाव्य है
Answer (Detailed Solution Below)
सगुण राम काव्य Question 8 Detailed Solution
'अवधी' का लोकप्रिय महाकाव्य है- रामचरितमानस
Key Points रामचरितमानस-
- रचनाकार-गोस्वामी तुलसीदास
- रचनाकाल-संवत् 1631
- भाषा-अवधी
- प्रयुक्त छंद-दोहा चौपाई
- काव्य रूप-प्रबंध
- मुख्य-
- यह ग्रंथ 2 वर्ष 7 माह व 26 दिन में पूर्ण हुआ था।
- इसमें सात कांड हैं।
- इसमें 1074 कड़वक हैं।
- 'अयोध्याकांड' को मानस का हृदयस्थल कहा जाता है।
Important Points
गोस्वामी तुलसीदास-
- जन्म-1532-1623 ई.
- भक्तिकाल की रामभक्ति शाखा के मुख्य कवि है।
- दीक्षा गुरु-नरहर्यानंद
- शिक्षा गुरु-शेष सनातन
- शुक्ल जी इन्हें स्मार्त वैष्णव मानते थे।
- रचनाएँ-
- वैराग्य संदीपनी
- जानकीमंगल
- पार्वती मंगल
- कृष्ण गीतावली
- विनय पत्रिका
- दोहावली
- बरवैरामायण
- कवितावली आदि।
मृगावती-
- रचनाकार-कुतुबन
- समय-1501 ई.
- यह अवधी भाषा में रचित है।
- दोहा-चौपाई में रचित प्रेमाख्यान काव्य है।
- इसमें राजकुमार और मृगावती की प्रेमकथा वर्णित है।
मधुमालती-
- रचनाकार-मंझन
- प्रकाशन वर्ष-1545 ई.
- भाषा-अवधी
- प्रयुक्त छंद-दोहा-चौपाई
- विषय-
- हिंदी का प्रथम प्रेमाख्यान काव्य।
- बहुपत्नीवाद का आभाव मिलता है।
- दो जोड़ो की कथा समांतर चलती है।
- पात्र-
- मनोहर-मधुमालती,ताराचंद-प्रेमा आदि ।
सगुण राम काव्य Question 9:
'गीतावली' किसकी रचना है ?
Answer (Detailed Solution Below)
सगुण राम काव्य Question 9 Detailed Solution
'गीतावली' तुलसीदास की रचना है।
Key Pointsतुलसीदास-
- जन्म-1532-1623 ई.
- शिक्षा गुरु-शेष सनातन
- दीक्षा गुरु-नरहर्यानंद
- तुलसी पर श्री संप्रदाय का प्रभाव देखा जाता है।
- मुख्य रचनाएँ-
- वैराग्य संदीपनी
- जानकी मंगल
- पार्वती मंगल
- कृष्ण गीतवाली
- विनय पत्रिका आदि।
- नाभादास ने इन्हें-
- "कलिकाल का वाल्मीकि" कहा।
- हजारीप्रसाद द्विवेदी-
- "भारतवर्ष का लोक नायक वही हो सकता है जो समन्वय करने का अपार धैर्य लेकर आया हो।
सगुण राम काव्य Question 10:
रामध्यानमंजरी किसकी रचना है ?
Answer (Detailed Solution Below)
सगुण राम काव्य Question 10 Detailed Solution
- रामध्यानमंजरी अग्रदास की रचना है ।
- अग्रदास ने रसिक सम्प्रदाय की स्थापना की ।
- अग्रदास ने रामभक्ति परंपरा में रसिक भाव का समावेश किया ।
- रसिक सम्प्रदाय में अग्रदास को अग्रअली भी कहा जाता है ।
Key Points
- शुक्ल जी ने अग्रदास की कविता को कृष्ण भक्त कवि नंददास के समान बताया है ।
- अग्रदास की भाषा सरस ब्रज है ।
- नाभादास ने अपने गुरु अग्रदास को बाग - बगीचों का प्रेमी कहा है ।
- अग्रदास ने स्वयं को सीता की सखी मानकर रामभक्ति में काव्य रचना की ।
Important Points
- ध्यानमंजरी और रामध्यानमंजरी रसिकोपासना का सिद्धांत ग्रन्थ है ।
- अग्रदास ने नीतिपरक कुंडलियों की रचना की ।
- अष्टयाम या रामाष्टयाम में संस्कृत भाषा में रचित सीतावल्लभ राम की दैनिक लीला का चित्रण किया ।
Additional Information
- नाभादास की प्रमुख रचना भक्तमाल है , नाभादास ने हिंदी में भक्तमाल की परंपरा का सूत्रपात किया ।
- केशवदास की प्रमुख रचनाएँ हैं - रसिकप्रिया , रामचन्द्रिका , कविप्रिया , रतन बावनी , विज्ञान गीता , छन्दमाल आदि ।
- तुलसीदास की प्रमुख रचनाएँ हैं - रामचरितमानस , विनयपत्रिका , कृष्णगीतावली , दोहावली , बरवै रामायण , कवितावली आदि ।