भयानक रस MCQ Quiz - Objective Question with Answer for भयानक रस - Download Free PDF

Last updated on Jun 10, 2025

Latest भयानक रस MCQ Objective Questions

भयानक रस Question 1:

‘भय’ किस रस का स्थायी भाव है? 

  1. अद्भुत रस 
  2. वीभत्स रस 
  3. रौद्र रस 
  4. भयानक रस 
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : भयानक रस 

भयानक रस Question 1 Detailed Solution

दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 4 भयानक रसहै। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।

Key Points

  • ‘भय’ नामक स्थायी भाव ‘भयानक रस’ का है।
  • जब किसी भयानक व्यक्ति या वस्तु को देखने, उससे संबन्धित वर्णन सुनने या किसी दुखद घटना का स्मरण करने से मन में जो व्याकुलता उत्पन्न होती है उसे भयानक रस कहते हैं।  

भयानक रस

किसी भयानक दृश्य को देखने से उत्पन्न भय की परिपक्व अवस्था को भयानक रस कहते हैं। इसका स्थाई भाव भय होता है।

बालधी विशाल, विकराल, ज्वाला-जाल मानौ, लंक लीलिबे को काल रसना परारी है।

Additional Information

रस

काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है।  हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

रस और उनके स्थायी भाव -

 

रस

स्थायी भाव

1.

शृंगार रस

रति

2.

हास्य रस

हास

3.

करुण रस

शोक

4.

रौद्र रस

क्रोध

5.

वीर रस

उत्साह

6.

भयानक रस

भय

7.

वीभत्स रस

जुगुप्सा

8.

अद्भुत रस

विस्मय

9.

शांत

निर्वेद

भयानक रस Question 2:

भयानक रस का स्थायीभाव क्या होता है?

  1. रति
  2. भय
  3. शोक
  4. निर्वेद

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : भय

भयानक रस Question 2 Detailed Solution

भयानक रस का स्थायीभाव होता है- भय

Key Points

  • जब किसी भयानक व्यक्ति या वस्तु को देखने,
  • उससे संबन्धित वर्णन सुनने या किसी दुखद घटना का स्मरण करने से मन में जो व्याकुलता उत्पन्न होती है,
  • उसे भयानक रस कहते हैं। इसका स्थायी भाव भय होता है।
  • उदाहरण -
    • ​विनय न मानत जलधि जड़, गये तीन दिन बीति।
    • बोले राम सकोप तब, भय बिनु होहि न प्रीति ।।

Important Pointsरस एवं उनके स्थाई भाव -

रस स्थाई भाव
श्रृंगार  रति / प्रेम 
हास्‍य  हास 
करुण  शोक 
वीर  उत्‍साह 
रौद्र  क्रोध 
भयानक भय 
वीभत्‍स  जुगुप्‍सा  / घ्रणा 
अदभुत विस्‍मय  / या आश्‍चर्य 
शांत शम / निर्वेद  / वैराग्‍य  / वीतराग 
वत्‍सल  वात्‍सल रति
भक्ति रस रति / अनुराग

Additional Information 

श्रृंगार रस-

  • जहाँ पर नायक और नायिका के सौंदर्य
  •  तथा प्रेम संबंधी वर्णन को श्रृंगार रस कहते हैं,
  • श्रृंगार रस को रसराज या रसपति कहा गया है। 
  • श्रृंगार रस - इसका स्थाई भाव रति है। 

उदाहरण -

  • बतरस लालि लाल की, मुरली धरी लुकाय।
  • सौंह करै भौंहचन हँसै, दैन कहै नचह जाय।।

करूण रस-

  • किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं। इसका स्थायी भाव शोक होता है।

उदाहरण-

  • ​​शोक विकल सब रोवहि रानी।
  • रूपु सीलु बलू तेजु बखानी।।
  • करहि विलाप अनेक प्रकारा।
  • परिहि चूमि तल बारहि बारा।।

शांत रस-

  • शांत रस का विषय वैराग्य है। जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो। इसका स्थायी भाव निर्वेद होता है। 

उदाहरण -

  • जब मैं था तब हरि नहीं अब हरि है मैं नाहीं
  • सब अंधियारा मिट गया जब दीपक देख्याँ माहीं।।

भयानक रस Question 3:

एक ओर अजगरहि लखि एक ओर मृगराय ।

विकल बटोही बीच ही परयो मूरछा खाय ।।

इन पंक्तियों में प्रयुक्त रस है

  1. करुण रस
  2. भयानक रस
  3. वीर रस
  4. रौद्र रस
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : भयानक रस

भयानक रस Question 3 Detailed Solution

इन पंक्तियों में प्रयुक्त रस है- भयानक रस।Key Points

  • ‘एक ओर अजगरहि लखि, एक ओर मृगराय।, विकल बटोही बीच ही, परयों मूरछा खाय।।‘ काव्य पंक्ति में ‘भयानक रस’ है।
  • इन पंक्तियों में पथिक के एक ओर अजगर और दूसरी ओर सिंह की उपस्थिति से वह भय के मारे मूर्छित हो गया है।
  • इन पंक्तियों में भय स्थायी भाव, यात्री आश्रय, अजगर और सिंह आलम्बन, अजगर और सिंह की भयावह आकृतियाँ और
  • उनकी चेष्टाएँ उद्दीपन, यात्री को मूर्छा आना अनुभाव और आवेग, निर्वेद, दैन्य, शंका, व्याधि, त्रास, अपस्मार आदि संचारी भाव हैं, अत: यहाँ भयानक रस है।
  • भयानक रस- डरावने दृश्य देखकर मन में भय उत्पन्न होता है। जब भय नामक स्थायीभाव का मेल विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से होता है, तब भयानक रस उत्पन्न होता है।
  • अन्य विकल्प-
रस परिभाषा
करुण रस प्रिय जन की पीड़ा, मृत्यु, वांछित वस्तु का न मिलना, अनिष्ट होना आदि से शोकभाव परिपुष्ट होता है तब वहाँ करुण रस होता है।
वीर रस जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की अनुभूति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।
रौद्र रस जब कोई व्यक्ति या पक्ष आपकी निंदा करता है, बुरा भला बोलता है, अपमान करता है या जब कोई आपकी आत्मीय निंदा करता है, तो उसके प्रति मन में जो क्रोध का भाव उत्पन्न होता है वही रौद्र रस कहलाता है।

Additional Information 

  • श्रव्य काव्य के पठन अथवा श्रवण एवं दृश्य काव्य के दर्शन तथा श्रवण में जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, वही काव्य में रस कहलाता है।
  • रस के जिस भाव से यह अनुभूति होती है कि वह रस है वह स्थायी भाव होता है। 
  • रस, छंद और अलंकार - काव्य रचना के आवश्यक अव्यय हैं।
  • रस का शाब्दिक अर्थ है - आनन्द। काव्य में जो आनन्द आता है वह ही काव्य का रस है। 
  • काव्य में आने वाला आनन्द अर्थात् रस लौकिक न होकर अलौकिक होता है। रस काव्य की आत्मा है। 
  • संस्कृत में कहा गया है कि "रसात्मकम् वाक्यम् काव्यम्" अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है।

भयानक रस Question 4:

भयानक रस का स्थायी भाव क्या है?

  1. हास
  2. उत्साह
  3. भय
  4. जुगुप्सा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : भय

भयानक रस Question 4 Detailed Solution

भयानक रस का स्थायी भाव है - भय

Key Points

  •  जब किसी भयानक व्यक्ति या वस्तु को देखने, उससे संबन्धित वर्णन सुनने या
  • किसी दुखद घटना का स्मरण करने से मन में जो व्याकुलता उत्पन्न होती है, उसे भयानक रस कहते हैं।
    • इसका स्थायी भाव भय होता है।
  • उदाहरण -
    • उधर गरजती सिंधु लहरिया कुटिल काल के जालो सी।
    • चली आ रही फेन उंगलिया फन फैलाए ब्यालो सी।।

Important Points 

रस      स्थायी भाव
शृंगार  रति
करुण  शोक 
हास्य   हास
वीर  उत्साह
भयानक  भय
रौद्र  क्रोध
अद्भुत  आश्चर्य , विस्मय
शांत  निर्वेद या निर्वृती
वीभत्स  जुगुप्सा
वात्सल्य अनुराग

Additional Information

हास्य रस-

  • किसी व्यक्ति की अनोखी विचित्र वेशभूषा, रूप, हाव-भाव को देखकर अथवा सुनकर जो हास्यभाव जाग्रत होता है, वही हास्य रस कहलाता है। हास्य रस का स्थायी भाव हास है।

उदाहरण -

  • बरतस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय
  • सौंह करै भौंहन हंसै दैन कहै नटिं जाय।।
  • (यहाँ पर कृष्ण की मुरली को छुपाने और उसे माँगने पर हंसने और मना करने से हास्य रस उत्पन्न हो रहा है।)

वीर रस -

  • इस रस के अंतर्गत जब युद्ध अथवा कठिन कार्य को करने के लिए मन में जो उत्साह की भावना विकसित होती है, उसे ही वीर रस कहते हैं।
  • इसमें शत्रु पर विजय प्राप्त करने, यश प्राप्त करने आदि प्रकट होती है इसका स्थायी भाव उत्साह होता है।

उदाहरण -

  • बुंदेले हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थी।
  • खूब लड़ी मर्दानी वो तो झाँसी वाली रानी थी।।

वीभत्स रस:-

  • घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है। स्थायी भाव- जुगुप्सा

उदाहरण -

  • जहँ - तहँ मज्जा माँस रुचिर लखि परत बगारे। 
  • जित - जित छिटके हाड़, सेत कहुं -कहुं रतनारे।। 

भयानक रस Question 5:

एक ओर अजगरहि लखि एक ओर मृगराय ।

विकल बटोही बीच ही परयो मूरछा खाय ।।

इन पंक्तियों में प्रयुक्त रस है

  1. करुण रस
  2. भयानक रस
  3. वीर रस
  4. रौद्र रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : भयानक रस

भयानक रस Question 5 Detailed Solution

इन पंक्तियों में प्रयुक्त रस है- भयानक रस।Key Points

  • ‘एक ओर अजगरहि लखि, एक ओर मृगराय।, विकल बटोही बीच ही, परयों मूरछा खाय।।‘ काव्य पंक्ति में ‘भयानक रस’ है।
  • इन पंक्तियों में पथिक के एक ओर अजगर और दूसरी ओर सिंह की उपस्थिति से वह भय के मारे मूर्छित हो गया है।
  • इन पंक्तियों में भय स्थायी भाव, यात्री आश्रय, अजगर और सिंह आलम्बन, अजगर और सिंह की भयावह आकृतियाँ और
  • उनकी चेष्टाएँ उद्दीपन, यात्री को मूर्छा आना अनुभाव और आवेग, निर्वेद, दैन्य, शंका, व्याधि, त्रास, अपस्मार आदि संचारी भाव हैं, अत: यहाँ भयानक रस है।
  • भयानक रस- डरावने दृश्य देखकर मन में भय उत्पन्न होता है। जब भय नामक स्थायीभाव का मेल विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से होता है, तब भयानक रस उत्पन्न होता है।
  • अन्य विकल्प-
रस परिभाषा
करुण रस प्रिय जन की पीड़ा, मृत्यु, वांछित वस्तु का न मिलना, अनिष्ट होना आदि से शोकभाव परिपुष्ट होता है तब वहाँ करुण रस होता है।
वीर रस जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की अनुभूति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।
रौद्र रस जब कोई व्यक्ति या पक्ष आपकी निंदा करता है, बुरा भला बोलता है, अपमान करता है या जब कोई आपकी आत्मीय निंदा करता है, तो उसके प्रति मन में जो क्रोध का भाव उत्पन्न होता है वही रौद्र रस कहलाता है।

Additional Information 

  • श्रव्य काव्य के पठन अथवा श्रवण एवं दृश्य काव्य के दर्शन तथा श्रवण में जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, वही काव्य में रस कहलाता है।
  • रस के जिस भाव से यह अनुभूति होती है कि वह रस है वह स्थायी भाव होता है। 
  • रस, छंद और अलंकार - काव्य रचना के आवश्यक अव्यय हैं।
  • रस का शाब्दिक अर्थ है - आनन्द। काव्य में जो आनन्द आता है वह ही काव्य का रस है। 
  • काव्य में आने वाला आनन्द अर्थात् रस लौकिक न होकर अलौकिक होता है। रस काव्य की आत्मा है। 
  • संस्कृत में कहा गया है कि "रसात्मकम् वाक्यम् काव्यम्" अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है।

Top भयानक रस MCQ Objective Questions

'हाथ-पैर का काँपना, स्तंभ, रोमांच, मुखवैवर्ण्य, स्वर-परिवर्तन' इत्यादि किस रस के अनुभाव हैं?

  1. भयानक
  2. वीर
  3. हास्य
  4. करुण

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : भयानक

भयानक रस Question 6 Detailed Solution

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'हाथ-पैर का काँपना, स्तंभ, रोमांच, मुखवैवर्ण्य, स्वर-परिवर्तन' इत्यादि भयानक रस के अनुभाव हैं। 

भयानक रस-

  • स्थायी भाव-भय 
  • मुख्य-
    • हिंस्त्र स्वभाव वाले जीव तथा उग्र स्वभाव और आचरण वाले व्यक्ति इसके आलम्बन हैं।
    • विकृत और उग्र ध्वनि तथा भयावह चेष्टाएँ, निर्जनता आदि उद्दीपन हैं।
  • संचारी भाव-
    • शंका, मोह, दैन्य, आवेग, चिन्ता, त्रास, चपलता, मरण, जुगुप्सा आदि। 
  • उदाहरण-
    • हाहाकार हुआ क्रन्दनमय कठिन वज्र होते थे चूर,
      हुए दिगन्त बधिर भीषण रव बार-बार होता था क्रूर।

Key Pointsरस-

  • रस काव्य का मूल आधार प्राणतत्व अथवा आत्मा है। 
  • आचार्य भरतमुनि-
    • "विभावानुभावव्यभिचारि संयोगाद्रसनिष्पत्ति।"

Important Pointsवीर रस-

  • स्थायी भाव-उत्साह 
  • मुख्य-
    • इसका आलम्बन शत्रु, ऐश्वर्य, साहसिक कार्य, यश आदि हैं।
    • उद्दीपन चेष्टा, प्रदर्शन, ललकार, आदि।
    • अनुभव आँखों का लाल होना, भुजाओं या अंगों का संचालन, सैन्य को प्रेरित करना आदि हैं।
  • संचारी भाव-
    • गर्व, उग्रता, धैर्य, तर्क, असूया, मति आदि। 
  • इसके चार भेद हैं-
    • युद्धवीर
    • दानवीर
    • दयावीर
    • धर्मवीर।
  • उदाहरण-
    • तृण के समान धन धाम राज त्याग करि,
      पाल्यौ पितु वचन जो जानत जनैया है।

हास्य रस-

  • स्थायी भाव-हास 
  • मुख्य-
    • इसका आलम्बन विकृत रूप, आकार, वेशभूषा, विचित्र अनर्गल वचन, विलक्षण चेष्टाएँ हैं।
    • विचित्र अंगभंगिमा, क्रियाकलाप आदि उद्दीपन हैं।
    • आँखों और मुख का विकसित होना, खिलखिलाना आदि अनुभाव है। च
  • संचारी भाव-
    • पलता, हर्ष, गर्व आदि। 
  • हास्य के भेद-
    • स्वनिष्ठ, परनिष्ठ तथा स्मित, हसित, विहसित, अवहसित, अपहसित और अपिहसित। 
  • उदाहरण-
    • हँसि-हँसि भाजैं देखि दूलह दिगम्बर को,
      पाहुनी जे आवैं हिमाचल के उछाह मैं।

करुण रस-

  • स्थायी भाव-शोक 
  • मुख्य-
    • इसका आलम्बन प्रिय व्यक्ति या वस्तु का अनिष्ट, हानि या विनाश है।
    • उद्दीपन दुःखपूर्ण, अस्त-व्यस्त दशा का वर्णन या श्रवण है।
    • अनुभाव रुदन, वैवण्र्य, विलाप, भाग्य या दैव को कोसना, शरीर का शिथिल हो जाना आदि हैं।
  • संचारी भाव-
    • चिन्ता, ग्लानि, विषाद, स्मृति, व्याधि, निर्वेद आदि। 
  • उदाहरण-
    • बस यहीं दीप निर्वाण हुआ।
      सुत विरह वायु का बाण हुआ।।

भयानक रस का स्थायी भाव क्या है?

  1. हास
  2. उत्साह 
  3. भय
  4. जुगुप्सा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : भय

भयानक रस Question 7 Detailed Solution

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दिए गए विकल्पों में सही उत्तर ‘भय’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 
Key Points

  • भयानक रस का स्थायी भाव 'भय' है। 
  • जब किसी भयानक व्यक्ति या वस्तु को देखने, उससे संबन्धित वर्णन सुनने या किसी दुखद घटना का स्मरण करने से मन में जो व्याकुलता उत्पन्न होती है उसे भयानक रस कहते हैं।
  • जैसे - बालधी विशाल, विकराल, ज्वाला-जाल मानौ, लंक लीलिबे को काल रसना परारी है।

Additional Information

काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

 

रस

स्थायी भाव

1.

शृंगार रस

रति

2.

हास्य रस

हास

3.

करुण रस

शोक

4.

रौद्र रस

क्रोध

5.

वीर रस

उत्साह

6.

भयानक रस

भय

7.

वीभत्स रस

जुगुप्सा

8.

अद्भुत रस

विस्मय

9.

शांत रस

निर्वेद


इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-

10.

वात्सल्य

स्नेह

11.

भक्ति

वैराग्य

'एक ओर अजगरहि लखि एक ओर मृगराय ।'

बिकल बटोही बीच ही परयो मूरछा खाय ।। में कौन सा रस है?

  1. वीर रस
  2. भयानक रस
  3. अदुभत रस
  4. वीभत्स रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : भयानक रस

भयानक रस Question 8 Detailed Solution

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एक ओर अजगरहि लखि एक ओर मृगराय ।'बिकल बटोही बीच ही परयो मूरछा खाय ।। में भयानक रस हैKey Points

  • उक्त पंक्ति से भयानक रस के प्रभाव उत्पन्न हो रहे है,
  • क्योंकि यहाँ एक तरफ अजगर और एक तरफ शेर का भाव दिया हुआ है।
  • अत: यहाँ सही विकल्प  भयानक रस ही होगा। 
  • भयानक रस का स्थायी भाव- भय होता है।

एक ओर अजगरहि लखि एक ओर मृगराय ।

विकल बटोही बीच ही परयो मूरछा खाय ।।

इन पंक्तियों में प्रयुक्त रस है

  1. करुण रस
  2. भयानक रस
  3. वीर रस
  4. रौद्र रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : भयानक रस

भयानक रस Question 9 Detailed Solution

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इन पंक्तियों में प्रयुक्त रस है- भयानक रस।Key Points

  • ‘एक ओर अजगरहि लखि, एक ओर मृगराय।, विकल बटोही बीच ही, परयों मूरछा खाय।।‘ काव्य पंक्ति में ‘भयानक रस’ है।
  • इन पंक्तियों में पथिक के एक ओर अजगर और दूसरी ओर सिंह की उपस्थिति से वह भय के मारे मूर्छित हो गया है।
  • इन पंक्तियों में भय स्थायी भाव, यात्री आश्रय, अजगर और सिंह आलम्बन, अजगर और सिंह की भयावह आकृतियाँ और
  • उनकी चेष्टाएँ उद्दीपन, यात्री को मूर्छा आना अनुभाव और आवेग, निर्वेद, दैन्य, शंका, व्याधि, त्रास, अपस्मार आदि संचारी भाव हैं, अत: यहाँ भयानक रस है।
  • भयानक रस- डरावने दृश्य देखकर मन में भय उत्पन्न होता है। जब भय नामक स्थायीभाव का मेल विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से होता है, तब भयानक रस उत्पन्न होता है।
  • अन्य विकल्प-
रस परिभाषा
करुण रस प्रिय जन की पीड़ा, मृत्यु, वांछित वस्तु का न मिलना, अनिष्ट होना आदि से शोकभाव परिपुष्ट होता है तब वहाँ करुण रस होता है।
वीर रस जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की अनुभूति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है।
रौद्र रस जब कोई व्यक्ति या पक्ष आपकी निंदा करता है, बुरा भला बोलता है, अपमान करता है या जब कोई आपकी आत्मीय निंदा करता है, तो उसके प्रति मन में जो क्रोध का भाव उत्पन्न होता है वही रौद्र रस कहलाता है।

Additional Information 

  • श्रव्य काव्य के पठन अथवा श्रवण एवं दृश्य काव्य के दर्शन तथा श्रवण में जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, वही काव्य में रस कहलाता है।
  • रस के जिस भाव से यह अनुभूति होती है कि वह रस है वह स्थायी भाव होता है। 
  • रस, छंद और अलंकार - काव्य रचना के आवश्यक अव्यय हैं।
  • रस का शाब्दिक अर्थ है - आनन्द। काव्य में जो आनन्द आता है वह ही काव्य का रस है। 
  • काव्य में आने वाला आनन्द अर्थात् रस लौकिक न होकर अलौकिक होता है। रस काव्य की आत्मा है। 
  • संस्कृत में कहा गया है कि "रसात्मकम् वाक्यम् काव्यम्" अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है।

उधर गरजती सिंधु लहरियाँ कुटिल काल के जालों सी।

चली आ रहीं फेन उगलती फन फैलाये व्यालों सी।

इन पंक्तियों में निम्न में से कौन सा रस है?

  1. भयानक रस
  2. शृंगार रस
  3. शांत
  4. भक्ति रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : भयानक रस

भयानक रस Question 10 Detailed Solution

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दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 1 'भयानक रस' है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 

 Key Points

  • 'उधर गरजती सिंधु लहरिया कुटिल काल के जालों सी। चली आ रही फेंन उगलती, फेंन फैलाएं व्यालो सी।' इस काव्य पंक्ति में लहरों को काल के समान भयानक बताया है, इसलिए यहाँ 'भयानक रस' होगा। 
  • इन काव्य पंक्तियों में 'भय' नामक स्थायी भाव है।
  • भयप्रद वस्तु या घटना देखने सुनने अथवा प्रबल शत्रु के विद्रोह आदि से भय का संचार होता है।
  • यही भय स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों में परिपुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है तो वहाँ भयानक रस होता है।

अन्य विकल्प: 

रस

परिभाषा

उदाहरण

शृंगार रस

इस रस में नायक – नायिका के मिलन की स्थिति का वर्णन होता आई। इसके दो भेद हैं- संयोग और वियोग

बरतस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय, सौंह करें, भौंहनि हँसे, दैन कहे नटि जाए। (संयोग)

भूषण वसन विलोकत सीय के प्रेम विवस मन कंप, पुलक तनु नीरज नीर भाए पिय के। (वियोग)

शांत रस

शांत रस का विषय वैराग्य है। जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो।

चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोय।

दुइ पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय।

भक्ति रस

भक्ति रस का स्थाई भाव रति (प्रेम) , अनुराग आदि को माना गया है। यह प्रेम शृंगार रस से भिन्न है , यहां केवल भगवान के प्रति प्रेम, श्रद्धा को ही स्वीकार किया गया है।

प्रभु जी तुम चंदन हम पानी,

जाकी अंग-अंग बास समानी।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

Additional Information

काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है।  हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-

 

रस

स्थायी भाव

1.

शृंगार रस

रति

2.

हास्य रस

हास

3.

करुण रस

शोक

4.

रौद्र रस

क्रोध

5.

वीर रस

उत्साह

6.

भयानक रस

भय

7.

वीभत्स रस

जुगुप्सा

8.

अद्भुत रस

विस्मय

9.

शांत रस

निर्वेद

इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-

10.

वात्सल्य

स्नेह

11.

भक्ति

वैराग्य

 

“उधर गरजती सिंधु लहरियाँ, कुटिल काल के जालों-सी,

चली आ रही फेन उगलती, फन फैलाए व्यालों-सी |”

इन पंक्तियों में कौन सा रस है?

  1. हास्य रस
  2. वीर रस
  3. भयानक रस
  4. करूण रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : भयानक रस

भयानक रस Question 11 Detailed Solution

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उपर्युक्त पंक्तियों में भयानक रस हैं। अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 3 ‘भयानक रस​’ है।

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  • “उधर गरजती सिंधु लहरियाँ, कुटिल काल के जालों-सी,

    चली आ रही फेन उगलती, फन फैलाए व्यालों-सी”

  • इन पंक्तियों में भयानक रस है, इसमें सिन्धु नदी से उठने वाली लहरों के विकराल रूप की अभिव्यक्ति हुई है, अत: भयानक रस है।

  • भयानक रस का स्थायी भाव भय है। भयंकर प्राकृतिक दृश्यों को देखकर अथवा प्राणों के विनाशक बलवान् शत्रु को देखकर उसका वर्णन सुनकर भय उत्पन्न होता हैं। 

अन्य विकल्प - 

हास्य रस

जहाँ किसी व्यक्ति की विकृत (अटपटी) बाते वेश एवं बनावट, चेष्टा आदि का वर्णन हो जिसे सुनकर या देखकर हँसी उत्पन्न होती हैं, वहाँ हास्य रस होता हैं। 

वीर  रस

वीर रस का स्थायी भाव उत्साह हैं। युद्ध या कठिन कार्य करने के लिए जगा उत्साह भाव विभावादि से पुष्ट होकर वीर रस बन जाता हैं। युद्ध मे विपक्षी को देखकर, ओजस्वी वीर घोषणाएं या वीर गीत सुनकर तथा उत्साह वर्धक कार्यकलापों को देखने से यह रस जाग्रत होता हैं।

करुण   रस

किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जागे शोक स्थायी भाव का विभावादि से पुष्ट होने पर करूण रस परिपाक होता हैं।

 

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रस 

रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है।

 

"उधर गरजती सिंधु लहरियां, कुटिल काल के जालों सी।

चली आ रही फेन उगलती, फन फैलाए व्यालों सी।।"

पंक्ति में कौन-सा रस है?

  1. वीभत्स रस
  2. भयानक रस
  3. अद्भुत रस
  4. करुण रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : भयानक रस

भयानक रस Question 12 Detailed Solution

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इन पंक्तियों में भयानक रस है। Key Points
  • इसमें सिन्धु नदी से उठने वाली लहरों के विकराल रूप की अभिव्यक्ति हुई है
  • अत: भयानक रस है, भयानक रस का स्थायी भाव भय है।
  •  इस काव्य पंक्ति में लहरों को काल के समान भयानक बताया है, अर्थात यहाँ 'भय' नामक स्थायी भाव दृष्टव्य है। 

Additional Information

वीभत्स रस बीभत्स रस का स्थायी भाव 'जुगुत्सा' है। अप्रिय वस्तु के दर्शन, स्पर्शन अथवा स्मरण से उत्पन्न घृणा का भाव जुगुत्सा कहलाता है।  सिर पर बैठो काग आँखि दोउ-खात निकारत। 
भयानक रस जब किसी भयानक व्यक्ति या वस्तु को देखने, उससे सम्बंधित वर्णन सुनने या किसी दुखद घटना का स्मरण करने से मन में व्याकुलता और भय उत्पन्न होता है, उसे भयानक रस कहते हैं. इसका स्थायी भाव भय है “एक ओर अजगरहि लखि, एक ओर मृगराय।
अद्भुत रस जब किसी व्यक्ति के मन में अद्भुत या आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर विस्मय, आश्चर्य आदि के भाव उत्पन्न होते हैं तो वहाँ अद्भुत रस होता है। बिनू पद चलै सुने बिनु काना।
कर बिनु कर्म करै विधि नाना।।
करुण रस जहाँ पर पुनः मिलने कि आशा समाप्त हो जाती है करुण रस कहलाता है इसमें निःश्वास, छाती पीटना, रोना, भूमि पर गिरना आदि का भाव व्यक्त होता है।

 दुनिया की हजारों सड़कों से गुजरते हुए

बच्चे , बहुत छोटे-छोटे बच्चेकाम पर जा रहे हैं। 

निम्नलिखित पंक्तियों में कौन सा रस प्रयुक्त है?

एक ओर अजरहिं लखि एक ओर मृगराय।

विकल बटोही बीच ही पर्यो मूरछा खाय॥

  1. रौद्र रस
  2. वीर रस 
  3. भयानक रस 
  4. करुण रस 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : भयानक रस 

भयानक रस Question 13 Detailed Solution

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उपर्युक्त पंक्तियों में 'भयानक रस' है क्योंकि इसमें 'भय' का भाव युक्त है। शेष विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 'भयानक रस' है।

स्पष्टीकरण

  • उपर्युक्त दोहे में 'एक ओर अजगर और दूसरी ओर सिंह का देखकर व्याकुल होकर यात्री बीच में मूर्च्छित होकर गिर पड़ा।
  • यहाँ यात्री आश्रय है। अजगर और सिंह आलंबन है। अजगर की फुँकार और सिंह की गर्जना तथा उनकी भयंकर चेष्टाएँ उद्दीपन हैं।
  • यात्री का कांपना व मूर्छा अनुभाव हैं, व्याकुलता चिंता, डर आदि संचारी भाव हैं, इन सबसे पुष्ट होकर भय स्थायी भाव भयानक रस में परिणीत हुआ है।

 

अन्य विकल्प

रस

स्थायी भाव

परिभाषा

उदाहरण

रौद्र रस

क्रोध

किसी व्यक्ति के द्वारा क्रोध में किए गए अपमान आदि से उत्पन्न हुआ भाव।

जैसे - अविरत बोले वचन कठोर, बेगी देखाउ मूढ नत आजू। उलतऊँ माहि जंह लग तवराजू।

वीर

उत्साह

उत्साह नामक स्थाई भाव जब विभावादी के संयोग से परिपक्व होकर रस रूप में परिणत हो।

वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो। सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो। तुम कभी रूको नहीं, तुम कभी झुको नहीं।

करुण

शोक

किसी प्रिय व्यक्ति के विरह से उत्पन्न होने वाली शोकावस्था।

सोक विकल सब रोंवही रानी। रूपु सीलु बलु तेज बखानी। करहिं मिलाप अनेक प्रकार। परहिं भूमि तल बारहिं बारा।

हाट बाट कोट ओट ओटनी अगार पौरि,

खोरि खौरि दौरि दीन्ही अति अति अगि है।

आरत पुकारत सँभारत कोऊ काहू,

व्याकुल जहाँ सो तहाँ लोग चले भागि है। - में निम्न में से कौन सा रस है?

  1. रौद्र रस
  2. वीभत्स रस
  3. भयानक रस
  4. करूण रस

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : भयानक रस

भयानक रस Question 14 Detailed Solution

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उपर्युक्त पद्य में भयानक रस का प्रयोग हुआ है। अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प भयानक रस है।

विवरण

भयानक रस : जब किसी भयानक या अनिष्टकारी व्यक्ति या वस्तु को देखने या उससे संबंधित वर्णन करने या किसी अनिष्टकारी घटना का स्मरण करने से मन में जो व्याकुलता उत्पन्न होता है, उसे भय कहते और उससे उत्पन्न होने वाली रस को भयानक रस है। इसका स्थायी भाव भय है।हाट बाट कोट ओट ओटनी अगार पौरि, खोरि खौरि दौरि दीन्ही अति अति अगि है, आरत पुकारत सँभारत कोऊ काहू, व्याकुल जहाँ सो तहाँ लोग चले भागि है।इन पंक्तियों में से भय का भाव उत्पन्न होता है। इसलिए यहाँ भयानक रस है।

अन्य विकल्प

रस

परिभाषा

रौद्र

जहाँ क्रोध और प्रतिशोध का भाव विविध अनुभवों, विभावों और संचारियों के योग से परिपुष्ट होता है, वहाँ रौद्र रस की अभिव्यक्ति होती है। इसका स्थायी भाव क्रोध है।

जैसे –  " सुनत लखन के वचन कठोरा।
  परशु सुधारि धरेउ कर घोरा।
 अब जनि दोष मोहि लोगू,
 कटू वादी बालक वध जोगू।।"

वीभत्स

जहाँ किसी वस्तु अथवा दृश्य के प्रति जुगुप्सा का भाव परिपुष्ट हो, वहाँ बीभत्स रस होता है। जैसे

" कहुँ धूम उठत बरति कहूँ चिता,
   कहूँ होते रोर, कहूँ अर्थी धरि अहैं।
   कहूँ हाड़ परों, कहूँ जरो, अधजरो माँस,
   कहूँ गीध काग माँस नोचत पीर अहैं।।

करुण

इसका स्थायी भाव शोक होता है इस रस में किसी अपने का विनाश या अपने का वियोग, द्रव्यनाश एवं प्रेमी से सदैव विछुड़ जाने या दूर चले जाने से जो दुःख या वेदना उत्पन्न होती है उसे करुण रस कहते हैं। जैसे - हाय राम कैसे झेलें हम अपनी लज्जा अपना शोक
गया हमारे ही हाथों से अपना राष्ट्र पिता परलोक

भयानक रस का स्थायी भाव क्या है?

  1. विशाल
  2. भाय
  3. भय
  4. माय

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : भय

भयानक रस Question 15 Detailed Solution

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दिए गए विकल्पों में से ‘भयानक रस का स्थायी भाव भय हैl अन्य विकल्प इसके उचित उत्तर नहीं हैं। इसका सही उत्तर विकल्प भय हैl अतः स्पष्ट है कि विकल्प भय सटीक उत्तर हैl

विशेष:

भयानक रस

(इसका स्थाई भाव भय है)

किसी भयानक दृश्य को देखने से उत्पन्न हुई भय की अवस्था
जैसे - उधर गरजती सिंधु लहरिया कुटिल काल के जालों सी। चली आ रही फेंन उगलती, फेंन फैलाएं व्यालो सी।

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