भयानक रस MCQ Quiz in বাংলা - Objective Question with Answer for भयानक रस - বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন [PDF]
Last updated on Mar 18, 2025
Latest भयानक रस MCQ Objective Questions
Top भयानक रस MCQ Objective Questions
भयानक रस Question 1:
निम्नलिखित पंक्तियों में कौन सा रस प्रयुक्त है?
एक ओर अजरहिं लखि एक ओर मृगराय।
विकल बटोही बीच ही पर्यो मूरछा खाय॥
Answer (Detailed Solution Below)
भयानक रस Question 1 Detailed Solution
उपर्युक्त पंक्तियों में 'भयानक रस' है क्योंकि इसमें 'भय' का भाव युक्त है। शेष विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 'भयानक रस' है।
स्पष्टीकरण
- उपर्युक्त दोहे में 'एक ओर अजगर और दूसरी ओर सिंह का देखकर व्याकुल होकर यात्री बीच में मूर्च्छित होकर गिर पड़ा।
- यहाँ यात्री आश्रय है। अजगर और सिंह आलंबन है। अजगर की फुँकार और सिंह की गर्जना तथा उनकी भयंकर चेष्टाएँ उद्दीपन हैं।
- यात्री का कांपना व मूर्छा अनुभाव हैं, व्याकुलता चिंता, डर आदि संचारी भाव हैं, इन सबसे पुष्ट होकर भय स्थायी भाव भयानक रस में परिणीत हुआ है।
अन्य विकल्प
रस |
स्थायी भाव |
परिभाषा |
उदाहरण |
रौद्र रस |
क्रोध |
किसी व्यक्ति के द्वारा क्रोध में किए गए अपमान आदि से उत्पन्न हुआ भाव। |
जैसे - अविरत बोले वचन कठोर, बेगी देखाउ मूढ नत आजू। उलतऊँ माहि जंह लग तवराजू। |
वीर |
उत्साह |
उत्साह नामक स्थाई भाव जब विभावादी के संयोग से परिपक्व होकर रस रूप में परिणत हो। |
वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो। सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो। तुम कभी रूको नहीं, तुम कभी झुको नहीं। |
करुण |
शोक |
किसी प्रिय व्यक्ति के विरह से उत्पन्न होने वाली शोकावस्था। |
सोक विकल सब रोंवही रानी। रूपु सीलु बलु तेज बखानी। करहिं मिलाप अनेक प्रकार। परहिं भूमि तल बारहिं बारा। |
भयानक रस Question 2:
"पंचभूत का वैभव मिश्रण झंझाओं का सकल निपातु, उल्का लेकर सकल शक्तियाँ, खोज रही थीं खोया प्रात।" इन पंक्तियों में कौन सा रस है ?
Answer (Detailed Solution Below)
भयानक रस Question 2 Detailed Solution
उपर्युक्त सुललित, सुसंगठित, पद्य पंक्ति"पंचभूत का वैभव मिश्रण झंझाओं का सकल निपातु, उल्का लेकर सकल शक्तियाँ, खोज रही थीं खोया प्रात।" इन पंक्तियों में भयानक रस है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही विकल्प भयानक रस है।
Key Points
- जब किसी भयानक व्यक्ति या वस्तु को देखने, उससे सम्बंधित वर्णन सुनने या किसी दुखद घटना का स्मरण करने से मन में व्याकुलता और भय उत्पन्न होता है, उसे भयानक रस कहते हैं।
- इसका स्थायी भाव भय है।
अन्य विकल्प :-
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
रौद्र रस
|
इसका स्थायी भाव क्रोध होता है जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दुसरे पक्ष या दुसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि कि निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है उसे रौद्र रस कहते हैं इसमें क्रोध के कारण मुख लाल हो जाना, दाँत पिसना, शास्त्र चलाना, भौहे चढ़ाना आदि के भाव उत्पन्न होते हैं।
|
उस काल मरे क्रोध के तन काँपने उसका लगा।
|
भयानक रस
|
जब किसी भयानक व्यक्ति या वस्तु को देखने, उससे सम्बंधित वर्णन सुनने या किसी दुखद घटना का स्मरण करने से मन में व्याकुलता और भय उत्पन्न होता है, उसे भयानक रस कहते हैं. इसका स्थायी भाव भय है।
|
“अखिल यौवन के रंग उभार, हड्डियों के हिलाते कंकाल; कचो के चिकने काले, व्याल, केंचुली, काँस, सिबार; एक ओर अजगर हिं लखि एक ओर मृगराय विकल बटोही बीच ही, पद्यो मूर्च्छा खायl” |
शांत रस
|
शांत रस का स्थायी भाव निर्वेद होता है शांत रस में तत्व ज्ञान कि प्राप्ति या संसार से वैराग्य मिलने पर, परमात्मा के वास्तविक रूप का ज्ञान प्राप्त होने पर मन को जो शान्ति मिलती है वहाँ पर शान्त रस की उत्पत्ति होती है जहाँ पर न दुःख होता है, न ही द्वेष होता है मनुष्य का मन सांसारिक कार्यों से मुक्त हो जाता है और मनुष्य वैराग्य प्राप्त कर लेता है शान्त रस कहा जाता है।
|
मन रे तन कागद का पुतला लागै बूँद विनसि जाय छिन में गरब करै क्यों इतना।
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भयानक रस Question 3:
हाट बाट कोट ओट ओटनी अगार पौरि,
खोरि खौरि दौरि दीन्ही अति अति अगि है।
आरत पुकारत सँभारत न कोऊ काहू,
Answer (Detailed Solution Below)
भयानक रस Question 3 Detailed Solution
उपर्युक्त पद्य में भयानक रस का प्रयोग हुआ है। अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प भयानक रस है।
विवरण
भयानक रस : जब किसी भयानक या अनिष्टकारी व्यक्ति या वस्तु को देखने या उससे संबंधित वर्णन करने या किसी अनिष्टकारी घटना का स्मरण करने से मन में जो व्याकुलता उत्पन्न होता है, उसे भय कहते और उससे उत्पन्न होने वाली रस को भयानक रस है। इसका स्थायी भाव भय है। ‘हाट बाट कोट ओट ओटनी अगार पौरि, खोरि खौरि दौरि दीन्ही अति अति अगि है, आरत पुकारत सँभारत न कोऊ काहू, व्याकुल जहाँ सो तहाँ लोग चले भागि है।‘इन पंक्तियों में से भय का भाव उत्पन्न होता है। इसलिए यहाँ भयानक रस है।
अन्य विकल्प
रस |
परिभाषा |
रौद्र |
जहाँ क्रोध और प्रतिशोध का भाव विविध अनुभवों, विभावों और संचारियों के योग से परिपुष्ट होता है, वहाँ रौद्र रस की अभिव्यक्ति होती है। इसका स्थायी भाव क्रोध है। जैसे – " सुनत लखन के वचन कठोरा। |
वीभत्स |
जहाँ किसी वस्तु अथवा दृश्य के प्रति जुगुप्सा का भाव परिपुष्ट हो, वहाँ बीभत्स रस होता है। जैसे – " कहुँ धूम उठत बरति कहूँ चिता, |
करुण |
इसका स्थायी भाव शोक होता है इस रस में किसी अपने का विनाश या अपने का वियोग, द्रव्यनाश एवं प्रेमी से सदैव विछुड़ जाने या दूर चले जाने से जो दुःख या वेदना उत्पन्न होती है उसे करुण रस कहते हैं। जैसे - हाय राम कैसे झेलें हम अपनी लज्जा अपना शोक |
भयानक रस Question 4:
निम्नलिखित पंक्ति किस रस का उदाहरण है-
बालधी विशाल, विकराल, ज्वाला-जाल मानौ,
लंक लीलिबे को काल रसना परारी है।
Answer (Detailed Solution Below)
भयानक रस Question 4 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 4 ‘भयानक रस ’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
उपरोक्त काव्य पंक्ति भयानक रस से परिपूर्ण है।
रस |
परिभाषा |
करुण रस (स्थाई भाव शोक है)
|
किसी प्रिय व्यक्ति के विरह से उत्पन्न होने वाली शोकावस्था। जैसे – सोक विकल सब रोंवही रानी। रूपु सीलु बलु तेज बखानी। करहिं मिलाप अनेक प्रकार। परहिं भूमि तल बारहिं बारा। |
अन्य विकल्प
रस |
परिभाषा |
वीर रस (स्थाई भाव उत्साह है) |
उत्साह नामक स्थाई भाव जब विभावादी के संयोग से परिपक्व होकर रस रूप में परिणत हो। जैसे - वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो। सामने पहाड़ हो सिंह की दहाड़ हो। तुम कभी रूको नहीं, तुम कभी झुको नहीं। |
रौद्र रस (इसका स्थाई भाव क्रोध है) |
किसी व्यक्ति के द्वारा क्रोध में किए गए अपमान आदि से उत्पन्न हुआ भाव। जैसे - अविरत बोले वचन कठोर, बेगी देखाउ मूढ नत आजू। उलतऊँ माहि जंह लग तवराजू। |
भयानक रस (इसका स्थाई भाव भय है) |
किसी भयानक दृश्य को देखने से उत्पन्न हुई भय की अवस्था जैसे - उधर गरजती सिंधु लहरिया कुटिल काल के जालों सी। चली आ रही फेंन उगलती, फेंन फैलाएं व्यालो सी। |
Additional Information
रस |
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
रस और उनके स्थायीभाव -
रस |
स्थायी भाव |
शृंगार रस |
रति |
हास्य रस |
हास |
करुण रस |
शोक |
रौद्र रस |
क्रोध |
वीर रस |
उत्साह |
भयानक रस |
भय |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
अद्भुत रस |
विस्मय |
शांत |
निर्वेद |
इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-
वात्सल्य |
स्नेह |
भक्ति |
वैराग्य |
भयानक रस Question 5:
भयानक रस का स्थायी भाव क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
भयानक रस Question 5 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में से ‘भयानक रस का स्थायी भाव भय हैl अन्य विकल्प इसके उचित उत्तर नहीं हैं। इसका सही उत्तर विकल्प भय हैl अतः स्पष्ट है कि विकल्प भय सटीक उत्तर हैl
विशेष:
भयानक रस (इसका स्थाई भाव भय है) |
किसी भयानक दृश्य को देखने से उत्पन्न हुई भय की अवस्था |
भयानक रस Question 6:
” एक और अजगरहि लखि , एक ओर मृगराय।, विकल बटोही बीच ही परयो मूर्छा खाए। में कौन सा रस है?“
Answer (Detailed Solution Below)
भयानक रस Question 6 Detailed Solution
इसका सही उत्तर विकल्प 1 ‘भयानक रस’ है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
- 'एक और अजगरहि लखि , एक ओर मृगराय।, विकल बटोही बीच ही परयो मूर्छा खाए।‘ काव्य पंक्ति में ‘भयानक रस’ है।
- इन पंक्तियों में एक मुसाफिर अजगर और सिंह के मध्य फसने एवं उसके कार्य का वर्णन किया गया है।, अत: यहाँ भयानक रस है।
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
भयानक रस |
डरावने दृश्य देखकर मन में भय उत्पन्न होता है। जब भय नामक स्थायीभाव का मेल विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से होता है, तब भयानक रस उत्पन्न होता है। |
एक ओर अजगर सिंह लखि, एक ओर मृगराय। विकट वटोही बीच, पर्यो मूरछा खाय।। |
अन्य विकल्प:
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
वात्सल्य रस |
छोटे बच्चों के प्रति स्नेह के चित्रण में वात्सल्य रस उत्पन्न होता है। हृदय में ‘वत्सल’ नामक स्थायी भाव का मेल विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से होता है, तब वात्सल्य रस परिपुष्ट होता है। |
"धूरि भरे अति सोभित स्यामजू, |
अद्भुत रस |
आश्चर्यजनक एवं विचित्र चीजों को देखकर विस्मयकारी भावना का उत्पन्न होना अद्भुत रस कहलाता है। |
देख यशोदा शिशु के मुख में सकल विश्व की माया। क्षणभर को वह बनी अचेतन हिल न सकी कोमल काया।। |
वीर रस |
युद्ध में वीरों की वीरता के वर्णन में वीर रस परिपुष्ट होता है। जब हृदय में उत्साह नामक स्थायी भाव का विभाव, अनुभाव और संचारी भाव से संयोग होता है, तब वीर रस की उत्पत्ति होती है। |
वह खून कहो किस मतलब का |
Additional Information
- श्रव्य काव्य के पठन अथवा श्रवण एवं दृश्य काव्य के दर्शन तथा श्रवण में जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, वही काव्य में रस कहलाता है।
- रस के जिस भाव से यह अनुभूति होती है कि वह रस है वह स्थायी भाव होता है।
- रस, छंद और अलंकार - काव्य रचना के आवश्यक अव्यय हैं।
- रस का शाब्दिक अर्थ है - आनन्द। काव्य में जो आनन्द आता है वह ही काव्य का रस है।
- काव्य में आने वाला आनन्द अर्थात् रस लौकिक न होकर अलौकिक होता है। रस काव्य की आत्मा है।
- संस्कृत में कहा गया है कि "रसात्मकम् वाक्यम् काव्यम्" अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है।
भयानक रस Question 7:
भयंकर प्राकृतिक दृश्यों को देखकर अथवा प्राणों के विनाशक बलवान् शत्रु को देखकर उत्पन्न होना कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
भयानक रस Question 7 Detailed Solution
इसका सही उत्तर विकल्प 3 ‘भयानक रस’ है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
Key Points
- भयानक रस का स्थायी भाव भय है। भयंकर प्राकृतिक दृश्यों को देखकर अथवा प्राणों के विनाशक बलवान् शत्रु को देखकर उसका वर्णन सुनकर भय उत्पन्न होता हैं।
- जैसे- "एक ओर अजगर सिंह लखि, एक ओर मृगराय।, विकट वटोही बीच, पर्यो मूरछा खाय।।
अन्य विकल्प:
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
हास्य रस |
किसी वस्तु या व्यक्ति की वेश-भूषा, उसका आकार, चाल-ढाल किसी घटना और भावना से उत्पन्न रस को हास्य रस कहते हैं। |
बिहसि लखन बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभर यानी।। पुनि पुनि मोहि देखात कुहारु। चाहत उड़ावन कुंकी पहारू।। |
वीभत्स रस |
जहां घृणा का भाव होता है वहाँ पर वीभत्स रस होता है। |
मकड़ियों के जाल मुंह पर, और सर के बाल मुंह पर, मच्छरों के दंश वाले, दाग काले-लाल मुंह पर..... |
वीर रस |
युद्ध और कठिन कार्य करने के लिए जागा उत्साह भाव विभावादि से पुष्ट होकर वीर रस बन जाता है। |
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी। |
Additional Information
- श्रव्य काव्य के पठन अथवा श्रवण एवं दृश्य काव्य के दर्शन तथा श्रवण में जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, वही काव्य में रस कहलाता है।
- रस के जिस भाव से यह अनुभूति होती है कि वह रस है वह स्थायी भाव होता है।
- रस, छंद और अलंकार - काव्य रचना के आवश्यक अव्यय हैं।
- रस का शाब्दिक अर्थ है - आनन्द। काव्य में जो आनन्द आता है वह ही काव्य का रस है।
- काव्य में आने वाला आनन्द अर्थात् रस लौकिक न होकर अलौकिक होता है। रस काव्य की आत्मा है।
- संस्कृत में कहा गया है कि "रसात्मकम् वाक्यम् काव्यम्" अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है।
भयानक रस Question 8:
एक ओर अजगरही लखी, एक ओर मृगराय।
बिकल बटोही बीच ही पर्यो मूरछा खाए।।
उपरोक्त पंक्तियों में कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
भयानक रस Question 8 Detailed Solution
उपरोक्त विकल्पों में से दिए गए पंक्तियों में भयानक रस होता है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः विकल्प 2 भयानक सही उत्तर है।
Important Points
उपरोक्त पंक्तियों में अजगर और सिंह के बीच में होने से भय का जो भाव उत्पन्न होता है, वहाँ भयानक रस होता है। |
Key Points
भयप्रद वस्तु या घटना देखने सुनने अथवा प्रबल शत्रु के विद्रोह आदि से भय का संचार होता है। यही भय स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों में परिपुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है तो वहाँ भयानक रस होता है। |
अन्य विकल्प
रस |
परिभाषा |
करुण |
इष्ट वस्तु की हानि, अनिष्ट वस्तु का लाभ, प्रिय का चिरवियोग, अर्थ हानि, आदि से जहाँ शोकभाव की परिपुष्टि होती है, वहाँ करुण रस होता है। करुण रस का स्थायी भाव शोक है। |
रौद्र |
विरोधी पक्ष द्वारा किसी व्यक्ति, देश, समाज या धर्म का अपमान या अपकार करने से उसकी प्रतिक्रिया में जो क्रोध उत्पन्न होता है, वह विभाव, अनुभाव और संचारी भावों में परिपुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है और तब रौद्र रस उत्पन्न होता है। रौद्र रस का स्थायी भाव क्रोध है। |
अद्भुत |
अलौकिक, आश्चर्यजनक दृश्य या वस्तु को देखकर सहसा विश्वास नहीं होता और मन में स्थायी भाव विस्मय उत्पन्न होता हैं। यही विस्मय जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों में पुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है, तो अद्भुत रस उत्पन्न होता है। |
भयानक रस Question 9:
'एक ओर अजगरहि लखि , एक ओर मृगराय।
विकल बटोही बीच ही परयो मूर्छा खाए।'
इस काव्य पंक्ति में कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
भयानक रस Question 9 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 3 ‘भयानक रस’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
Key Points
- दिए गए वियकल्पों में से उपरोक्त काव्य पंक्ति में 'भयानक रस' है।
- दिए गए उदाहरण में एक मुसाफिर अजगर और सिंह के मध्य फसने एवं उससे जो भय उत्पन्न हो रहा है उसका वर्णन किया गया है।
- किसी बलवान शत्रु या भयानक वस्तु को देखने पर उत्पन्न भय ही भयानक रस है।
- भय नामक स्थाई भाव जब अपने अनुरूप आलंबन, उद्दीपन एवं संचारी भावों का सहयोग प्राप्त कर आस्वाद का रूप धारण कर लेता है तो इसे भयानक कहा जाता है।
Additional Information
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-
10. |
वात्सल्य |
स्नेह |
11. |
भक्ति |
वैराग्य |
भयानक रस Question 10:
भयानक रस का स्थायी भाव है?
Answer (Detailed Solution Below)
भयानक रस Question 10 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 3 ‘भय’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
- स्थायी भाव- साहित्य में वे मूल तत्व जो मूलतः मनुष्यों के मन में प्रायः सदा निहित रहते और कुछ विशिष्ट अवसरों पर अथवा कुछ विशिष्ट कारणों से स्पष्ट रूप से प्रकट होते हैं। जैसे–प्रेम, हर्ष या उससे उत्पन्न होनेवाला हास्य, खेद, दुःख, शोक, भय, वैराग्य आदि।
भयानक रस (इसका स्थाई भाव भय है) |
किसी भयानक दृश्य को देखने से उत्पन्न हुई भय की अवस्था। जैसे - उधर गरजती सिंधु लहरिया कुटिल काल के जालों सी। चली आ रही फेंन उगलती, फेंन फैलाएं व्यालो सी। |
Additional Information
रस |
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
रस और उनके स्थायीभाव -
रस |
स्थायी भाव |
शृंगार रस |
रति |
हास्य रस |
हास |
करुण रस |
शोक |
रौद्र रस |
क्रोध |
वीर रस |
उत्साह |
भयानक रस |
भय |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
अद्भुत रस |
विस्मय |
शांत |
निर्वेद |
इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-
वात्सल्य |
स्नेह |
भक्ति |
वैराग्य |