अद्भुत रस MCQ Quiz in বাংলা - Objective Question with Answer for अद्भुत रस - বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন [PDF]
Last updated on Mar 20, 2025
Latest अद्भुत रस MCQ Objective Questions
Top अद्भुत रस MCQ Objective Questions
अद्भुत रस Question 1:
इहाँ उहाँ दुई बालक देखा। मतिभ्रम मोरि किआन विसेखा।
देखिए राम जननी अकुलानी। प्रभु हंसि दीन्ह मधुर मुसकानी। में निम्न में से कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 1 Detailed Solution
सही उत्तर (विकल्प 4) 'अद्भुत रस' होगा।
Key Points
- "इहाँ उहाँ दुई बालक देखा। मतिभ्रम मोरि किआन विसेखा।। देखिए राम जननी अकुलानी। प्रभु हंसि दीन्ह मधुर मुसकानी।।" में अद्भुत रस है।
इसका अर्थ-
- (वह सोचने लगी कि) यहाँ और वहाँ मैंने दो बालक देखे। यह मेरी बुद्धि का भ्रम है या और कोई विशेष कारण है? प्रभु राम माता को घबड़ाई हुई देखकर मधुर मुस्कान से हँस दिए। यह विचित्र विविरण अद्भुत रस दर्शाता है।
- इसका स्थायी भाव आश्चर्य होता है जब ब्यक्ति के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि के भाव उत्पन्न होते हैं उसे ही अदभुत रस कहा जाता है।
अन्य विकल्प -
रस |
परिभाषा |
वीर रस |
जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता जैसे स्थायी भाव की उत्पत्ति होती है, तो उसे वीर रस कहा जाता है। |
भयानक रस |
भयप्रद वस्तु या घटना देखने सुनने अथवा प्रबल शत्रु के विद्रोह आदि से भय का संचार होता है। यही भय स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों में परिपुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है तो वहाँ भयानक रस होता है। |
रौद्र रस |
इसका स्थायी भाव क्रोध होता है जब किसी एक पक्ष या व्यक्ति द्वारा दुसरे पक्ष या दुसरे व्यक्ति का अपमान करने अथवा अपने गुरुजन आदि कि निन्दा से जो क्रोध उत्पन्न होता है उसे रौद्र रस कहते हैं। |
Additional Information
शब्द |
परिभाषा |
रस |
रस का शाब्दिक अर्थ है 'आनन्द'। काव्य को पढ़ने या सुनने से जिस आनन्द की अनुभूति होती है, उसे रस कहा जाता है। |
अद्भुत रस Question 2:
अद्भुत रस का स्थायीभाव क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 2 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में से ‘अद्भुत रस’ का स्थायी भाव ‘विस्मय’ है। अत: इसका सही उत्तर विकल्प 4 ‘विस्मय’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर होंगे।
स्पष्टीकरण:
रस:- काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत 'रस' कहा जाता है।
हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:-
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
श्रृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत |
निर्वेद |
इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-
10. |
वात्सल्य |
स्नेह |
11. |
भक्ति |
वैराग्य |
अद्भुत रस Question 3:
अद्भुत रस का स्थायी भाव है?
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 3 Detailed Solution
सही उत्तर 'आश्चर्य' है।
Key Points
- 'अद्भुत रस' का स्थायी भाव 'आश्चर्य' है।
- अन्य विकल्प अनुपयुक्त हैं।
Additional Information
अद्भुत रस अर्थात आश्चर्यजनक वर्णन के द्वारा उत्पन्न विभावों की अवस्था। इसका स्थायी भाव आश्चर्य है। |
भयानक रस का स्थाई भाव भय है। भयानक रस अर्थात किसी भयानक दृश्य को देखने से उत्पन्न हुई भय की अवस्था। |
रौद्र रस का स्थाई भाव क्रोध है । रौद्र रस अर्थात किसी व्यक्ति के द्वारा क्रोध में किए गए अपमान आदि से उत्पन्न हुआ भाव। |
वीर रस का स्थाई भाव उत्साह है। वीर रस अर्थात उत्साह नामक स्थाई भाव जब विभावादी के संयोग से परिपक्व होकर रस रूप में परिणत हो। |
अद्भुत रस Question 4:
निम्नलिखित चार विकल्पों में से, उस विकल्प का चयन करें, जो बताता है कि विस्मय किस रस का रूप है?
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 4 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 3 ‘अद्भुत’ है। अन्य विकल्प इसके असंगत उत्तर होंगे।
स्पष्टीकरण:
‘विस्मय’ उपरोक्त विकल्पों में से ‘अद्भुत रस’ का स्थायी भाव है। इसलिए इसका सही उत्तर विकल्प ‘अद्भुत’ होगा।
अद्भुत रस: इसका स्थायी भाव विस्मय होता है जब ब्यक्ति के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि के भाव उत्पन्न होते हैं उसे ही अदभुत रस कहा जाता है। इसके अन्दर रोमांच, औंसू आना, काँपना, गद्गद होना, आँखे फाड़कर देखना आदि के भाव व्यक्त होते हैं।
विशेष:
रस - काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
|
रस |
स्थायी भाव |
शृंगार |
रति |
हास्य |
हास |
करुण |
शोक |
रौद्र |
क्रोध |
वीर |
उत्साह |
भयानक |
भय |
वीभत्स |
जुगुप्सा |
अद्भुत |
विस्मय |
अद्भुत रस Question 5:
कबीर की उलटबांसियों में कौन-सा रस प्रमुख है ?
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 5 Detailed Solution
कबीर की उलटबांसियों में अद्भुत रस प्रमुख है।
Key Points
- कबीर की उलटबांसियों में प्रमुख रूप से अद्भुत रस विद्यमान है।
- 'अद्भुत रस' कबीर की उलटबांसियों की विशेषता है क्योंकि इनमें गूढ़ एवं विचित्र भावों को प्रकट किया गया है, जिससे पाठक या श्रोता चमत्कृत हो जाते हैं।
- जब किसी जीव के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि का भाव उत्पन्न होता है, उसे अद्भुत रस कहा जाता है।
- उदाहरण-
- अखिल भुवन चर-अचर सब, हरि मुख में लिख मातु।
- चकित भई गद्गद बचना, विकसित दृग पुलकातु।।
Important Points
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
करुण | शोक |
हास्य | हास |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
रौद्र | क्रोध |
अद्भुत | आश्चर्य , विस्मय |
शांत | निर्वेद या निर्वृती |
वीभत्स | जुगुप्सा |
वात्सल्य | रति |
Additional Information
रस | परिभाषा | उदाहरण |
करुण | किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं। स्थायी भाव- शोक |
करि विलाप सब रोबहिं रानी, महाविपति कीमि जय बखानी। सुनी विलाप दुखद दुख लगा, धीरज छूकर धीरज भागा। |
वीभत्स | घृणित वस्तु, घृणित व्यक्ति या घृणित चीजों को देखकर, उनको देखकर या उनके बारे में विचार करके मन में उत्पन्न होने वाली घृणा या ग्लानि ही वीभत्स रस कहलाती है। स्थायी भाव- निर्वेद |
जहँ - तहँ मज्जा माँस रुचिर लखि परत बगारे। जित - जित छिटके हाड़, सेत कहुं -कहुं रतनारे।। |
शांत |
शांत रस का विषय वैराग्य है। जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो। स्थायी भाव- निर्वेद
|
चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोय। दुइ पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय।। |
अद्भुत रस Question 6:
'अखिल भुवन चर-अचर सब हरि मुख में लखि मातु।
चकित भई गदगद् वचन, विकसत दृग पुलकातु।'
उपर्युक्त काव्य पंक्ति में कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 6 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 3 ‘अद्भुत रस’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
- अद्भुत रस अनुभाव अन्दर आँसू आना, काँपना, आँखे फाड़कर देखना आदि के भाव व्यक्त होते हैं|
- 'अखिल भुवन चर-अचर सब, हरिमुख में लखि मातु। चकित भई गद्गद् वचन, विकसित दृग पुलकातु।' इस काव्य पंक्ति में भगवान श्रीकृष्ण के मुख में सम्पूर्ण विश्व के दर्शन करने के बाद माता यशोदा आश्चर्यचकित रह गयीं।
- स्थायी भाव-विस्मय। आलम्बन श्रीकृष्ण का मुख।
अन्य विकल्प:
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
वीर रस |
युद्ध या कठिन कार्य करने के लिए जागा उत्साह भाव विभावादि से पुष्ट होकर वीर रस बन जाता है। अत्यन्त कठिन कार्य करने के उत्साह से रस की उत्पत्ति होती है। वीर रस के चार प्रकार हैं - युद्धवीर, दानवीर, दयावीर और धर्रमवीर। |
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी। |
भयानक रस |
भयप्रद वस्तु या घटना देखने सुनने अथवा प्रबल शत्रु के विद्रोह आदि से भय का संचार होता है। यही भय स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों में परिपुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है तो वहाँ भयानक रस होता है। |
एक ओर अजगरहि लखि, एक ओर मृगराय। विकल बटोही बीच ही, परयों मूरछा खाय। |
वीभत्स रस |
वीभत्स का स्थायी भाव जुगुप्सा है। अत्यंत गंदे और घृणित दृश्य वीभत्स रस की उत्पत्ति करते हैं। गंदी और घृणित वस्तुओं के वर्णन से जब घृणा भाव पुष्ट होता है तब यह रस उत्पन्न होता है। |
हाथ में घाव थे चार थी उनमें मवाद भरमार मक्खी उन पर भिनक रही थी, कुछ पाने को टूट पड़ी थी उसी हाथ से कौर उठाता घृणा से मेरा मन भर जाता। |
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
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रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
अद्भुत रस Question 7:
देखरावा मातहि निज अदभुत रुप अखण्ड।
रोम-रोम प्रति लगे कोटि-कोटि ब्रह्माण्ड।।
इन पंक्तियों में निम्न में से कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 7 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 3 ‘अद्भुत रस’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
- 'देखरावा मातहि निज अदभुत रुप अखण्ड। रोम-रोम प्रति लगे कोटि-कोटि ब्रह्माण्ड।' इस काव्य पंक्ति में अद्भुत रस है।
- अद्भुत रस का स्थायी भाव विस्मय होता है।
- काव्य पंक्ति में बालरूप श्री राम के अखंड अद्भुत रूप को देखकर माता विस्मय से भर गई।
- जब व्यक्ति के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि के भाव उत्पन्न होता है उसे ही अदभुत रस कहा जाता है।
अन्य विकल्प:
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
करुण रस |
किसी प्रिय व्यक्ति या वस्तु के विनाश या अनिष्ट की आशंका से जो भाव मन में पुष्ट होते हैं। |
करि विलाप सब रोबहिं रानी, महाविपति कीमि जय बखानी। सुनी विलाप दुखद दुख लगा, धीरज छूकर धीरज भागा। |
वीर रस |
अत्यन्त कठिन कार्य करने के उत्साह से रस की उत्पत्ति होती है। वीर रस के चार प्रकार हैं - युद्धवीर, दानवीर, दयावीर और धर्रमवीर। |
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी। |
शांत रस |
शांत रस का विषय वैराग्य है। जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो। |
चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोय। दुइ पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय। |
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
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रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
अद्भुत रस Question 8:
देख अशोदा शिशु के मुख में, सकल विश्व के माया।
क्षणभर को वह बनी अचेतन, हिल न सकी कोमल काया।।
उपरोक्त विकल्पों में कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 8 Detailed Solution
उपरोक्त विकल्पों में से दिए गए पंक्तियों में अद्भुत रस है। अन्य विकल्प असंगत है।अतः विकल्प 1 अद्भुत सही उत्तर है।
Important Points
दिए गए पंक्तियों में यशोदा कृष्ण के मुह में विश्व को देखने से जो विस्मय का भाव उत्पन्न होता है, वहाँ अद्भुत रस होता है। |
Key Points
अलौकिक, आश्चर्यजनक दृश्य या वस्तु को देखकर सहसा विश्वास नहीं होता और मन में स्थायी भाव विस्मय उत्पन्न होता हैं। यही विस्मय जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों में पुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है, तो अद्भुत रस उत्पन्न होता है। |
अन्य विकल्प
रस |
परिभाषा |
बीभत्स |
घृणा का स्थायी भाव जब विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से पुष्ट होकर आस्वाद्य हो जाता है तब बीभत्स रस उत्पन्न होता है। वीभत्स रस का स्थायी भाव जुगुप्सा या घृणा है। |
शांत |
संसार और जीवन की नश्वरता का बोध होने से चित्त में एक प्रकार का विराग उत्पन्न होता है परिणामतः मनुष्य भौतिक तथा लौकिक वस्तुओं के प्रति उदासीन हो जाता है, इसी को निर्वेद कहते हैं। जो विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से पुष्ट होकर शांत रस में परिणत हो जाता है। |
करुण |
इष्ट वस्तु की हानि, अनिष्ट वस्तु का लाभ, प्रिय का चिरवियोग, अर्थ हानि, आदि से जहाँ शोकभाव की परिपुष्टि होती है, वहाँ करुण रस होता है। करुण रस का स्थायी भाव शोक है। |
अद्भुत रस Question 9:
'अद्भुत रस' का स्थायी भाव है :
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 9 Detailed Solution
'अद्भुत रस' का स्थायी भाव है - विस्मय
Key Points
- जब किसी जीव के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि का भाव उत्पन्न होता है, उसे अद्भुत रस कहा जाता है।
- स्थायी भाव- विस्मय
- उदाहरण-
- देख यशोदा शिशु के मुख में, सकल विश्व की माया।
- क्षणभर को वह बनी अचेतन, हिल न सकी कोमल काया।।
Additional Information
रस- काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रस कहा जाता है। |
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क्र. म |
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
10. | वात्सल्य |
स्नेह |
11. |
भक्ति | वैराग्य |
अद्भुत रस Question 10:
"अखिल भुवन चर अचर सब, हरि मुख में लखि मात।
चकित भई गद्-गद् वचन, विकसित दृग पुलकात।।"
इन पंक्तियों में निम्नलिखित में से कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
अद्भुत रस Question 10 Detailed Solution
"अखिल भुवन चर अचर सब, हरि मुख में लखि मात। चकित भई गद्-गद् वचन, विकसित दृग पुलकात।।" इन पंक्तियों में रस है-अद्भुत रस।
अद्भुत रस-
- जब मनुष्य के मन में किसी ऐसी बात को जिसे पढ़कर या सुनकर आश्चर्य हो और देख के आश्चर्य भाव उत्पन्न होते है तो उसे अद्भुत रस कहते है।
- अद्भुत रस अनुभाव अन्दर आँसू आना,काँपना,आँखे फाड़कर देखना आदि के भाव व्यक्त होते हैं।
- 'अखिल भुवन चर-अचर सब, हरिमुख में लखि मातु। चकित भई गद्गद् वचन, विकसित दृग पुलकातु।' इस काव्य पंक्ति में भगवान श्रीकृष्ण के मुख में सम्पूर्ण विश्व के दर्शन करने के बाद माता यशोदा आश्चर्यचकित रह गयीं। स्थायी भाव-विस्मय। आलम्बन श्रीकृष्ण का मुख।
- उदाहरण-
- बिनु पग चले सुने बिनु काना। कर बिनु कर्म करे विधि नाना।
Key Points"अखिल भुवन चर अचर सब, हरि मुख में लखि मात। चकित भई गद्-गद् वचन, विकसित दृग पुलकात।।"
- यह पंक्तियाँ सेनापति द्वारा रचित है।
Important Pointsसेनापति-
- जन्म-1589 ई.
- रीतिसिद्ध कवि है।
- रचनाएँ-
- कवित्त रत्नाकर,काव्य कल्पद्रुम आदि।
Additional Informationश्रृंगार रस-
- नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस कि अवस्था में पहुँच जाता है तो वह श्रृंगार रस कहलाता है।
- इसके अंतर्गत सौन्दर्य, प्रकृति, सुन्दर वन, वसंत ऋतु, पक्षियों का चहचहाना आदि के बारे में वर्णन किया जाता है।
- इसके दो भेद है-
- संयोग श्रृंगार रस
- वियोग श्रृंगार रस
वीर रस-
- जब किसी रचना या वाक्य आदि से वीरता का अनुभव होता है,वहाँ वीर रस होता है।
- इसका स्थायी भाव उत्साह है।
- उदाहरण-
- बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।
करुण रस-
- किसी अपने के विनाश या उससे हमेशा के लिए बिछड़ने के भाव से उत्त्पन होने वाला दुःख,पीड़ा करुण रस कहलाता है।
- उदाहरण-
- राम राम कही राम कहि राम राम कहि राम ।
तनु परिहरि रघुबर बिरह राउ गयऊ सुरधाम ।।
- राम राम कही राम कहि राम राम कहि राम ।