शांत रस MCQ Quiz in తెలుగు - Objective Question with Answer for शांत रस - ముఫ్త్ [PDF] డౌన్లోడ్ కరెన్
Last updated on Mar 17, 2025
Latest शांत रस MCQ Objective Questions
Top शांत रस MCQ Objective Questions
शांत रस Question 1:
'शांत रस' का स्थायी भाव है।
Answer (Detailed Solution Below)
शांत रस Question 1 Detailed Solution
सही उत्तर 'निर्वेद’ है।
Key Points
- दिए गए विकल्पों में ‘शांत’ रस का स्थायी भाव ‘निर्वेद’ है।
- हृदय की इस वैराग्य भावना को ‘निर्वेद’ कहते हैं।
- शांत रस का विषय वैराग्य है।
- जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो।
अन्य विकल्प:
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-
10. |
वात्सल्य |
स्नेह |
11. |
भक्ति |
वैराग्य |
Additional Information
- काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रस कहा जाता है।
- हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य के मुख्यत: ‘नौ’ रस बताए गए हैं।
शांत रस Question 2:
'तपस्वी! क्यों इतने हो क्लांत,
वेदना का यह कैसा वेग?
आह! तुम कितने अधिक हताश
बताओ यह कैसा उद्वेग?
दी गई काव्य पंक्ति में कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
शांत रस Question 2 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 ‘शांत रस’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
- उपर्युक्त काव्य पंक्तियों में शांत रस है।
- इस पंक्ति में श्रद्धा मनु के प्रति सहानुभूति व्यक्त करती हुई उनके दुःख का कारण जानना चाहती है।
- इस रस में तत्व ज्ञान कि प्राप्ति अथवा संसार से वैराग्य होने पर, परमात्मा के वास्तविक रूप का ज्ञान होने पर मन को जो शान्ति मिलती है वहाँ शान्त रस की उत्पत्ति होती है।
अन्य विकल्प:
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
रौद्र रस |
किसी व्यक्ति के द्वारा क्रोध में किए गए अपमान आदि से उत्पन्न हुआ भाव। |
अविरत बोले वचन कठोर, बेगी देखाउ मूढ नत आजू। उलतऊँ माहि जंह लग तवराजू। |
शृंगार रस |
इस रस में नायक – नायिका के मिलन की स्थिति का वर्णन होता आई। इसके दो भेद हैं- संयोग और वियोग |
बरतस लालच लाल की मुरली धरी लुकाय, सौंह करें, भौंहनि हँसे, दें कहे नटि जाए। (संयोग) भूषण वसन विलोकत सीय के प्रेम विवस मन कंप, पुलक तनु नीरज नीर भाए पिय के।(वियोग) |
अद्भुत रस |
जब व्यक्ति के मन में विचित्र अथवा आश्चर्यजनक वस्तुओं को देखकर जो विस्मय आदि के भाव उत्पन्न होता है उसे ही अदभुत रस कहा जाता है। |
देख यशोदा शिशु के मुख में, सकल विश्व की माया क्षणभर को वह बनी अचेतन, हिल न सकी कोमल काया |
Additional Information
रस - काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत |
निर्वेद |
इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-
10. |
वात्सल्य |
स्नेह |
11. |
भक्ति |
वैराग्य |
शांत रस Question 3:
निम्नलिखित में से किसने 'शांत रस' को भी नाटक में अनुभव-योग्य माना है?
Answer (Detailed Solution Below)
शांत रस Question 3 Detailed Solution
उद्भट ने 'शांत रस' को भी नाटक में अनुभव-योग्य माना है।
विशेष-
- नाट्यशास्त्रियों ने शांत रस को नाटक के अनुपयुक्त माना है।
- अतः नाटक में आठ ही रस माने गए हैं।
Key Pointsशांत रस-
- जब किसी वस्तु, प्राणी अथवा किसी प्रिय जन से मोहभंग होता है वहां शांत रस की निष्पत्ति मानी जाती है।
- स्थायी भाव- निर्वेद
- आलंबन-
- संसार की असारता, मृत्यु, जरा, रोग , सांसारिक प्रपंच आदि का ज्ञान, श्मशान वैराग्य आदि।
- उद्दीपन-
- सत्संग, धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन- श्रवण, तीर्थाटन, जीवन के अनुभव आदि।
- अनुभाव-
- संयम, स्वार्थ का त्याग, सब कुछ बांट देना, सत्संग करना, गृह त्याग, शास्त्र अध्ययन, स्वाध्याय, आत्मचिंतन, रोमांच, कम्पन आदि।
- संचारी भाव-
- घृणा, हर्ष, ग्लानि, मति, स्मृति, धृति, संतोष, आशा, विश्वास, दैन्य आदि।
- उदाहरण-
- मन रे तन कागद का पुतला
लागै बूंद बिनसि जाय छिन में,
गरब करै क्या इतना।
- मन रे तन कागद का पुतला
Important Pointsआचार्य दंडी-
- समय-7 वीं शती
- ग्रन्थ-
- काव्यदर्श।
उद्भट-
- समय-8 वीं शती
- ग्रंथ-
- काव्यालंकारसारसंग्रह।
आचार्य भामह-
- समय-छठी शती
- ग्रन्थ-
- काव्यालंकार ,दशकुमार चरित आदि।
आचार्य वामन-
- समय-8वीं शती
- ग्रन्थ-
- काव्यालंकार सूत्र।
Additional Informationरस-
- आचार्य भरतमुनि के अनुसार-
- विभाव,अनुभाव और व्यभिचारी भाव के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है।
- रस के चार अंग हैं-
- स्थायी भाव
- विभाव
- अनुभाव
- संचारी भाव
शांत रस Question 4:
शांत रस का स्थायी भाव क्या होता है?
Answer (Detailed Solution Below)
शांत रस Question 4 Detailed Solution
- शांत रस - तत्त्वज्ञान और संसार से वैराग्य होने पर शांत रस की उत्पत्ति मानी गई है। जहाँ न दुःख हो, न सुख, न द्वेष हो, न राग और न कोई इच्छा हो ऐसी मन:स्थिति में शांत रस की उत्पत्ति होती है।
- स्थायी भाव - निर्वेद
- उदाहरण - मन पछितैही अवसर बीते
- भय - भयानक
- शोक - करुण
- रति - शृंगार
- स्थायी भाव - स्थायी भाव सुप्त अवस्था में सदैव सहृदय व्यक्ति के हृदय में विद्यमान रहते हैं, जो की अवसर आने पर वह जाग्रत होते हैं रस के रूप में परिणत होते हैं।
- विभाव - जिसके द्वारा (व्यक्ति, पदार्थ आदि) स्थायी भाव उद्दीप्त हो।
- विभाव के अंग - आलंबन विभाव और उद्दीपन विभाव
- अनुभाव - आलंबन और उद्दीपन द्वारा रस की उत्पत्ति को पुष्ट करनेवाले भाव।
- संचारी अथवा व्यभिचारी भाव - जो भाव स्थायी भावों को अधिक पुष्ट करते हैं, व तत्काल बनते एवं मिटते हैं उन्हें ही संचारी भाव कहा जाता है।
- संचारी भावों की संख्या 33 मानी गई है।
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
हास्य | हास |
करुण | शोक |
रौद्र | क्रोध |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
अद्भुत | आश्चर्य |
वीभत्स | जुगुप्सा |
शांत | निर्वेद |
वात्सल्य | वत्सलता |
भक्ति | देवविषयक रति/दास्य |
शांत रस Question 5:
शांत रस का स्थायी भाव क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
शांत रस Question 5 Detailed Solution
इसका सही उत्तर विकल्प 4 हैं। अन्य विकल्प असंगत हैं।
- शांत रस का स्थायी भाव 'निर्वेद' है।
- शांति रस का विषय वैराग्य है। जहां संसार की अनिश्चित एवं दु:ख की अधिकता को देखकर हृदय में विरक्ति उत्पन्न हो।
जैसे-चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोय। दुइ पाटन के बीच में साबुत बचा न कोय॥
अन्य विकल्प:
रस |
स्थायी भाव |
वीर रस |
उत्साह |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
अद्भुत रस |
विस्मय |
Additional Information
- श्रव्य काव्य के पठन अथवा श्रवण एवं दृश्य काव्य के दर्शन तथा श्रवण में जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, वही काव्य में रस कहलाता है।
- रस के जिस भाव से यह अनुभूति होती है कि वह रस है वह स्थायी भाव होता है।
- रस, छंद और अलंकार - काव्य रचना के आवश्यक अव्यय हैं।
- रस का शाब्दिक अर्थ है - आनन्द। काव्य में जो आनन्द आता है वह ही काव्य का रस है।
- काव्य में आने वाला आनन्द अर्थात् रस लौकिक न होकर अलौकिक होता है। रस काव्य की आत्मा है।
- संस्कृत में कहा गया है कि "रसात्मकम् वाक्यम् काव्यम्" अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है।
शांत रस Question 6:
शांत रस का स्थायी भाव क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
शांत रस Question 6 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 4 ‘निर्वेद’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
- दिए गए विकल्पों में ‘शांत’ रस का स्थायी भाव ‘निर्वेद’ है।
- हृदय की इस वैराग्य भावना को ‘निर्वेद’ कहते हैं ।
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत |
निर्वेद |
Additional Information
रस |
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं। |
शांत रस Question 7:
निम्नलिखित चार विकल्पों में से, उस विकल्प का चयन करें, जो बताता है कि वैराग्य किस रस का रूप है?
Answer (Detailed Solution Below)
शांत रस Question 7 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 ‘शांत’ है। अन्य विकल्प इसके असंगत उत्तर होंगे।
Key Points
- शांत रस का स्थायी भाव निर्वेद (उदासीनता) अथवा वैराग्य होता है।
Additional Information
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
|
रस |
स्थायी भाव |
शृंगार |
रति |
हास्य |
हास |
करुण |
शोक |
रौद्र |
क्रोध |
वीर |
उत्साह |
भयानक |
भय |
वीभत्स |
जुगुप्सा |
अद्भुत |
विस्मय |
इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-
वात्सल्य |
स्नेह |
भक्ति |
वैराग्य |
शांत रस Question 8:
निम्नलिखित में से किसने 'शांत रस' को भी नाटक में अनुभव-योग्य माना है?
Answer (Detailed Solution Below)
शांत रस Question 8 Detailed Solution
दण्डी ने 'शांत रस' को भी नाटक में अनुभव-योग्य माना है।
आचार्य दंडी-
- समय-7 वीं शती
- संस्कृत काव्य परंपरा के आचार्य है।
- रचनाएँ-
- काव्यादर्श आदि।
Key Pointsशांत रस-
- स्थायी भाव-निर्वेद
- गुण-माधुर्य
- आलम्बन-संसार की असारता, क्षणभंगुरता आदि।
- उद्दीपन-सत्संग, श्मशान या तीर्थदर्शन, मृतक आदि।
- अनुभाव-रोमांच, अश्रु, पश्चात्ताप, ग्लानि आदि।
- संचारी भाव-हर्ष, धृति, मति, स्मरण, बोध आदि।
- उदाहरण-
- हाथी न साथी न घोरे न चेरे न गाँव न ठाँव को नाँव बिलैहै।
तात न मात न मित्र न पुत्र न बित्त न अंग के संग रहै है।
- हाथी न साथी न घोरे न चेरे न गाँव न ठाँव को नाँव बिलैहै।
Important Pointsउद्भट-
- समय-8 वीं शती
- रचना-
- काव्यालंकारसारसंग्रह।
भामह-
- समय-छठी शती
- रचना-
- काव्यालंकार।
वामन-
- समय-8 वीं शती
- रचना-
- काव्यालंकार सूत्र।
Additional Informationरस-
- रस काव्य का मूल आधार प्राणतत्व अथवा आत्मा है।
- आचार्य भरतमुनि-
- "विभावानुभावव्यभिचारि संयोगाद्रसनिष्पत्ति।"
शांत रस Question 9:
बन बितान रवि ससि दिया, फल भख सलिल प्रवाह l
अवनि सेज पंखा पवन, अब न कछू परवाह l - में निम्न में से कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
शांत रस Question 9 Detailed Solution
बन बितान रवि ससि दिया, फल भख सलिल प्रवाह l अवनि सेज पंखा पवन, अब न कछू परवाह l - में शांत रस है।
उपर्युक्त पंक्ति में शांत रस है।
- शांत रस - तत्त्वज्ञान और संसार से वैराग्य होने पर शांत रस की उत्पत्ति मानी गई है। जहाँ न दुःख हो, न सुख, न द्वेष हो, न राग और न कोई इच्छा हो ऐसी मन:स्थिति में शांत रस की उत्पत्ति होती है।
- स्थायी भाव - निर्वेद
- अन्य उदाहरण - मन पछितैही अवसर बीते
दुरलभ देह पाइ हरिपद भुज, करम वचन भरु हिते।
सहसबाहु दस बदन आदि नृप, बचे न काल बलिते।।
- अन्य उदाहरण - मन पछितैही अवसर बीते
Key Pointsअन्य विकल्प -
- रौद्र रस - रौद्र रस 'क्रोध भाव' को व्यंजित करता है।
- अद्भुत रस - अद्भुत रस 'आश्चर्य भाव' को व्यंजित करता है।
- भक्ति रस - भक्ति रस 'देवविषयक/दास्य भाव' को व्यंजित करता है।
Additional Informationरस के अवयव -
- स्थायी भाव - स्थायी भाव सुप्त अवस्था में सदैव सहृदय व्यक्ति के हृदय में विद्यमान रहते हैं, जो की अवसर आने पर वह जाग्रत होते हैं रस के रूप में परिणत होते हैं।
- विभाव - जिसके द्वारा (व्यक्ति, पदार्थ आदि) स्थायी भाव उद्दीप्त हो।
-
विभाव के अंग - आलंबन विभाव और उद्दीपन विभाव
-
- अनुभाव - आलंबन और उद्दीपन द्वारा रस की उत्पत्ति को पुष्ट करनेवाले भाव।
- संचारी अथवा व्यभिचारी भाव - जो भाव स्थायी भावों को अधिक पुष्ट करते हैं, व तत्काल बनते एवं मिटते हैं उन्हें ही संचारी भाव कहा जाता है।
- संचारी भावों की संख्या 33 मानी गई है।
रस के स्थायी भाव -
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
हास्य | हास |
करुण | शोक |
रौद्र | क्रोध |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
अद्भुत | आश्चर्य |
वीभत्स | जुगुप्सा |
शांत | निर्वेद |
वात्सल्य | वत्सलता |
भक्ति | देवविषयक रति/दास्य |
शांत रस Question 10:
जब मै था तब हरि नाहिं अब हरि है मै नाहिं।
सब अँधियारा मिट गया जब दीपक देख्या माहिं।।
उपरोक्त पंक्तियों में कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
शांत रस Question 10 Detailed Solution
उपरोक्त विकल्पों में से दिए गए पंक्तियों में शांत रस होता है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः विकल्प 2 शांत सही उत्तर है।
मुख्य-
- शांत रस की परिभाषा के अनुसार जब किसी काव्य में सांसारिक मोह माया के प्रति ग्लानि या वैराग्य का भाव प्रकट किया जाए तो वहां पर शांत रस होता है।
- शांत रस में जब सांसारिक मोह माया के प्रति वैराग्य का भाव पैदा होने पर और ईश्वर के प्रति श्रद्धा प्रकट होने पर मन को जो शांति प्राप्त होती हो, वहां शांति रस प्रकट होता है।
- इन पंक्तियों में कवि अपने भगवान का महत्व स्पष्ट कर ईश्वर के प्रति भक्ति भाव प्रकट कर रहा है, और उस ये भाव प्रकट करके शांति मिल रही है, इसलिये यहाँ पर ‘शांत रस’ उत्पन्न हो रहा है।
Important Points
यहाँ रहीम कह रहे है कि भगवान के साक्षात्कार से जो विस्मय का भाव उत्पन्न होता है, वहाँ शांत रस होता है। |
Key Points
संसार और जीवन की नश्वरता का बोध होने से चित्त में एक प्रकार का विराग उत्पन्न होता है परिणामतः मनुष्य भौतिक तथा लौकिक वस्तुओं के प्रति उदासीन हो जाता है, इसी को निर्वेद कहते हैं। जो विभाव, अनुभाव और संचारी भावों से पुष्ट होकर शांत रस में परिणत हो जाता है। |
अन्य विकल्प
रस |
परिभाषा |
वात्सल्य |
वात्सल्य रस का सम्बन्ध छोटे बालक-बालिकाओं के प्रति माता-पिता एवं सगे-सम्बन्धियों का प्रेम एवं ममता के भाव से है।वात्सल्य रस का स्थायी भाव वत्सलता या स्नेह है। |
करुण |
इष्ट वस्तु की हानि, अनिष्ट वस्तु का लाभ, प्रिय का चिरवियोग, अर्थ हानि, आदि से जहाँ शोकभाव की परिपुष्टि होती है, वहाँ करुण रस होता है। करुण रस का स्थायी भाव शोक है। |
भक्ति |
शांत रस जहाँ निर्वेद या वैराग्य की ओर ले जाता है वहीं भक्ति ईश्वर विषयक रति की ओर ले जाते हैं यही इसका स्थायी भाव भी है। |