भाषा शिक्षण में मूल्यांकन MCQ Quiz in தமிழ் - Objective Question with Answer for भाषा शिक्षण में मूल्यांकन - இலவச PDF ஐப் பதிவிறக்கவும்
Last updated on Mar 14, 2025
Latest भाषा शिक्षण में मूल्यांकन MCQ Objective Questions
Top भाषा शिक्षण में मूल्यांकन MCQ Objective Questions
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन Question 1:
मौखिक भाषा का आकलन ______ पर सर्वाधिक बल देता है।
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन Question 1 Detailed Solution
मौखिक भाषा का आकलन विचारों की क्रमबद्धता पर सर्वाधिक बल देता है।
मानव प्रधानत: अपनी अनुभुतियों तथा मनोवेगों की अभिव्यक्ति मौखिक भाषा में ही करता है क्योंकि भावों की अभिव्यक्ति का साधन साधारणत: उच्चरित भाषा ही होती है। मौखिक अभिव्यक्ति से तात्पर्य मन के विचारों को स्वतंत्र रूप से बोल कर अभिव्यक्त करने से है।
अभिव्यक्ति कौशल के मूल्यांकन का अर्थ- बालक की मौखिक अभिव्यक्ति द्वारा विचारों की क्रमबद्धता का आकलन जो निम्न बातों पर निर्भर करता है-
- भाषा प्रयोग का आकलन।
- विचारों की मौलिकता का आकलन।
- भाषा व्यवस्था का आकलन।
मौखिक अभिव्यक्ति के महत्त्व निम्न हैं:
- मौखिक भाषा ही अभिव्यक्ति का सहज व सरलतम माध्यम है तथा भाषा की शिक्षा मौखिक भाषा से प्रारम्भ होती है।
- मौखिक अभिव्यक्ति का आवश्यक गुण '' अर्थात प्रभावी रूप से वक्ता द्वारा श्रोताओं तक सूचनाओं को संप्रेषित करना है।
- मौखिक भाषा के द्वारा विचारों के आदान-प्रदान से नई-नई जानकारियाँ मिलती हैं। व्यक्ति बोलचाल के द्वारा ही ज्ञान-अर्जित करता है।
- सामाजिक सम्बन्धों के सुदृढ़ बनाने में एवं सामाजिक जीवन में सामंजस्य स्थापित करने में मौखिक भाषा की प्रमुख की प्रमुख भूमिका होती है।
Important Points
बच्चों की मौखिक अभिव्यक्ति का विकास करने के लिए प्रभावी तरीका अनुभवों का वर्णन, बातचीत करना तथा संवाद-अदायनी होगा क्योंकि इन गतिविधियों के वर्णन के दौरान बच्चे:
- वास्तविक अनुभव के साथ भाषाई कौशलों को सुगमता से ग्रहण करेंगें।
- तथ्यों को स्वयं के निजी अनुभवों से जोड़ कर अपने विचारों को अभिव्यक्त करेगें।
- स्वतंत्र एवं मौलिक अभिव्यक्ति के अवसर प्राप्त कर अपने विचारों को खुल कर रखेंगे।
अतः निष्कर्ष निकलता है कि मौखिक भाषा का आकलन विचारों की क्रमबद्धता पर सर्वाधिक बल देता है।
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन Question 2:
उच्च प्राथमिक स्तर पर अवलोकन का क्या महत्व है?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन Question 2 Detailed Solution
आकलन एक रचनात्मक प्रक्रिया है जो सीखने की प्रक्रिया में सुधार के उद्देश्य से गुणात्मक और मात्रात्मक आंकड़ों को एकत्र करने, प्राप्त करने और उपयोग करने को संदर्भित करता है। आकलन प्रक्रिया में न केवल बच्चो की क्षमताओ का आकलन होता है अपितु शिक्षक को भी अपने कार्य की प्रतिपुष्टि मिलती है।
Key Points
- आकलन- सतत तथा व्यापक मूल्यांकन का अर्थ है छात्रों के विद्यालय आधारित मूल्यांकन की प्रणाली जिसमें छात्र के विकास के सभी पक्ष शामिल हैं। आकलन एवं कक्षा शिक्षण प्रक्रिया साथ-साथ चलने वाली प्रक्रिया है।
- NCF 2005 के अनुसार बच्चों के आकलन का क्रम दैनिक होना चाहिए क्योंकि जब शिक्षक सीखने-सीखाने के दौरान नियमित रुप से शिक्षार्थियों पर बराबर दृष्टि रखते हुए उनकी प्रगति को आंकता है तो शिक्षण प्रभावी रूप से होता है।
- अवलोकन से आशय है-आँखों से देखना। इस प्रकार अवलोकन वह प्रणाली है जहाँ अवलोकनकर्ता स्वंय घटना स्थल पर जाकर अपनी आँखों से उन घटनाओं को देखता है और जानकारी प्राप्त करता हैं।
अतः उच्च प्रथमिक स्तर पर भाषा आकलन के लिए अवलोकन का विशेष महत्व है।
Additional Information
NCF 2005 के अनुसार बच्चों के आकलन का क्रम दैनिक होना चाहिए और किया गया दैनिक आकलन सतत आकलन के अन्तर्गत आता है, जिसके उद्देश्यनिम्न हैं-
- सतत आकलन और मूल्यांकन का मुख्य उद्देश्य बच्चे के सीखने में सुधार लाना है ताकि वे प्रगति कर सकें और उनका संपूर्ण विकास हो सके सतत मूल्यांकन छात्रों के निरन्तर तथा आवधिक पहलुओं का तथा व्यापक मूल्यांकन छात्रों के सर्वांगीण विकास का रिकॉर्ड रखते हैं।
- छात्रों के पिछड़े पक्षों को सुधारने का ज्ञान प्राप्त होता है।
- सतत आकलन शिक्षण को सरल नहीं वरन प्रभावशाली बनाने में मदद करता है।
- छात्रों के विकास के भविष्य की भविष्यवाणी करने में सक्षम है।
- छात्रों के स्वयं मूल्यांकन में सहायक होता है।
- यह बच्चे के संदर्भ में ही मूल्यांकन करता है।
- सतत और व्यापक मूल्यांकन बच्चों की सीखने की क्षमता और तरीके के बारे में जानकारी देता है।
- यह बताता है कि बच्चों को किस तरह की मदद की जरूरत है।
- प्रत्येक बच्चे को सीखने-सीखाने की प्रक्रिया के दौरान सीखने के भरपूर अवसर और सहायता मिले एवं जहाँ उसे फीडबैक और सहारे की जरूरत है मिले।
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन Question 3:
कक्षा दो का बालक बेझिझक अपने घर, अपने खिलौनों, खेलने के ढंग की बातों को आपसे बताता है।
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन Question 3 Detailed Solution
मानव प्रधानत: अपनी अनुभुतियों तथा मनोवेगों की अभिव्यक्ति मौखिक भाषा में ही करता है क्योंकि भावों की अभिव्यक्ति का साधन साधारणत: उच्चरित भाषा ही होती है। मौखिक अभिव्यक्ति से तात्पर्य मन के विचारों को स्वतंत्र रूप से बोल कर अभिव्यक्त करने से है।
मौखिक अभिव्यक्ति के महत्त्व निम्न हैं:
- मौखिक भाषा ही अभिव्यक्ति का सहज व सरलतम माध्यम है तथा भाषा की शिक्षा मौखिक भाषा से प्रारम्भ होती है।
- मौखिक अभिव्यक्ति का आवश्यक गुण '' अर्थात प्रभावी रूप से वक्ता द्वारा श्रोताओं तक सूचनाओं को संप्रेषित करना है।
- मौखिक भाषा के द्वारा विचारों के आदान-प्रदान से नई-नई जानकारियाँ मिलती हैं। व्यक्ति बोलचाल के द्वारा ही ज्ञान-अर्जित करता है।
- सामाजिक सम्बन्धों के सुदृढ़ बनाने में एवं सामाजिक जीवन में सामंजस्य स्थापित करने में मौखिक भाषा की प्रमुख की प्रमुख भूमिका होती है।
Important Points
मौखिक अभिव्यक्ति के महत्वपूर्ण पहलु:
- स्पष्टता
- गतिशीलता
- मौलिक विचार
- प्रभावोत्पादकता
- बोलने में आत्मविश्वास
अतः, यह स्पष्ट है कि यदि कक्षा दो का बालक बेझिझक अपने घर, अपने खिलौनों, खेलने के ढंग की बातों को आपसे बताता है। आप बालक के आत्मविश्वास को महत्व देते हुए बालक की मौखिक अभिव्यक्ति का आकलन कर लेते हो।
Hint
- उच्चारण की शुद्धता भी मौखिक अभिव्यक्ति का एक गुण है परन्तु प्रश्न के सन्दर्भ में ये सबसे कम महत्वपूर्ण है
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन Question 4:
प्राथमिक स्तर पर बच्चों की पठन-क्षमता के आकलन के लिए आवश्यक है-
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन Question 4 Detailed Solution
- सामान्यतः पढ़ने-लिखने को अनिवार्य बना दिए जाने से उसके प्रति जो रूचि और आकर्षण होते हैं वह कम हो जाते हैं।
- दूसरी ओर पढ़ने को स्वैच्छिक करने से न केवल उत्साह व रूचि बनी रहती है बल्कि उसका आनन्द व रस भी बना रहता है।
- इससे एक सामान्य पाठक भी कुशल पाठक बनने की ओर बढ़ने लगता है।
- स्वैच्छिक रूप से पढ़ना हमारे स्वयं के होने को सार्थक करता है।
- यहां स्वैच्छिक से आशय है पढ़ने के लिए अवसर, वातावरण, प्रेरणा तथा कई विकल्प मौजूद होना।
- स्वतंत्र रूप से पढ़ने के कई तरीके हम अपनाते रहते हैं लेकिन उनमें कुछ शर्तें भी जोड़ दी जाती हैं। जैसे- कुछ प्रश्न करना व पूछना या उससे संबंधित कुछ कार्य व अभ्यास पूरा करने को देना आदि। ऐसा करने से पढ़ने का उत्साह तो ठण्डा होता ही है, उससे मिलने वाले आनन्द की जगह दिए गए काम व सवालों की चिन्ता ले लेती हैं। इसीलिए पढ़ने को एक यांत्रिक तौर पर करने के आदी हो जाते हैं।
- अतः पढ़ने के लिए अपनी-अपनी पसंद की पठन सामग्री का चयन करके स्वयं के लिए पढ़ने का अवसर होना चाहिए।
उदाहरण-
- विभिन्न पुस्तकें, विभिन्न पाठ्यपुस्तकें, पत्रिकाएँ, बाल साहित्य, लेखों की फोटोकॉपी तथा समाचार पत्र सभी की अधिक से अधिक प्रतियां। इनमें कहानियां, कविताएं, डायरी, संस्मरण, यात्रा वृत्तान्त आदि शामिल हैं।
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन Question 5:
लेखन कौशल का आकलन करते समय भाषा शिक्षक के रूप में आप महत्व दोगे-
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन Question 5 Detailed Solution
मानव अपने विचारों को सुनकर, बोलकर, पढ़कर और लिखकर अभिव्यक्त करता है, भाषा से संबंधित इन चारो प्रक्रियाओं को प्रयोग करने की क्षमता ही भाषा कौशल कहलाती है।
- उपरोक्त चारों भाषा कौशलों में से 'लेखन कौशल' भाषाई कौशल का लिखित अभिव्यक्त रूप है। यह भावों और मौलिक विचारों को अर्थपूर्ण तरीके से लिखित रूप देने से संबंधित है।
- मौलिक विचार से तात्पर्य विचारों में मौलिकता अथार्त नवीनता का होना है। मौलिक विचार विद्या है जिसके द्वारा मनुष्य किसी समस्या के समाधान तक पहुचता है तथा सही मार्ग चुनता है।
Key Points
विचारों की अभिव्यक्ति, प्रभावी भाषाशैली का प्रयोग एवं प्रवाहशीलता एवम् क्रमबद्धता लेखन कौशल के गुणों में शामिल हैं तथा बच्चों के सशक्त लेखन क्षमता का परिचायक हैं क्योंकि:
- विचारों की अभिव्यक्ति लेखन कला की नीवं है तथा इसके अभाव में लेखन को प्रभावी नही बनाया जा सकता है।
- प्रभावी भाषाशैली का प्रयोग बच्चों को उनके अपने संसार का सृजन कर तथा उन्हें लेखन द्वारा अभिव्यक्त करने योग्य बनाता है।
- प्रवाहशीलता एवम् क्रमबद्धता बच्चों को विभिन्न उद्देश्यों कि पूर्ति के लिए अपने विचारों को लिखित रूप में व्यक्त करने में सक्षम बनाते हैं।
Important Points
लेखन कौशल के अन्य गुण:
- शुद्ध वर्तनी
- उचित शब्दावली
- सृजनात्मक लेखन
- उचित लेखन शैली
अतः, यह निष्कर्ष निकलता है कि विचारों की प्रवाहशीलता एवम् क्रमबद्धता लेखन कौशल का आकलन करते समय महत्वपूर्ण है।
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन Question 6:
पेड़ : (कौए को जगाते हुए) श्श्श ! ए ऽ ए कौए, जाग न? जाग !
कौआ : दिन हो गया?”
किसी पाठ का यह अंश पढ़ने के दौरान मुख्य रूप से________के विकास में सहायक है।
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन Question 6 Detailed Solution
हिंदी के खंडेतर स्वनिम मुख्य रूप से चार प्रकार के होते है-
- बालाघात
- सुर,तान तथा अनुतान
- दीर्घता
- संगम
सुर के उतार-चढ़ाव या आरोह-अवरोह के फलस्वरूप जब शब्द का अर्थ बदल जाता है तब उसे तान कहा जाता है परन्तु जब सुर परिवर्तन वाक्य के स्तर पर कार्य करता है और वाक्य का अर्थ परिवर्तित कर देता है तब उसे अनुतान कहते है।
Important Pointsअनुतान-
हिंदी में अनुतान परिवर्तन से एक ही वाक्य विभिन्न अर्थो में ग्रहण किए जाते है,उतार चढ़ाव या आरोह अवरोह की दृष्टि से हिंदी में अनुतान के तीन स्तर मिलते है- उच्च,सामान्य तथा निम्न।उदहारण के लिए- " दिन हो गया" वाक्य तीन भिन्न प्रकार के अनुतानो से यदि उचरित किया जाये तो तीन भिन्न प्रकार के अर्थ देता है जैसे-
- दिन हो गया।
(सामान्य सूचनार्थक वाक्य के रूप में)
- दिन हो गया?
(प्रश्नसूचक वाक्य के रूप में)
- दिन हो गया!
(आश्चर्यसूचक वाक्य के रूप में)
अतः हम कह सकते है किसी पाठ का यह अंश पेड़ : (कौए को जगाते हुए) श्श्श ! ए ऽ ए कौए, जाग न? जाग !कौआ : दिन हो गया?”
पढ़ने के दौरान मुख्य रूप से अनुतान के विकास में सहायक है।
Additional Informationकहने का तात्पर्य यह है की हिंदी में अनुतान स्वनिमिक कोटि की खंडेतर ध्वनि है जो वाक्य के अर्थ को परिवर्तित कर देने की क्षमता रखती है।
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन Question 7:
प्राथमिक स्तर पर बच्चों की मौखिक अभिव्यक्ति का आकलन करने के संदर्भ में आप किसे सर्वाधिक महत्व देंगे?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन Question 7 Detailed Solution
मौखिक अभिव्यक्ति से तात्पर्य मन के विचारों को स्वतंत्र रूप से बोल कर अभिव्यक्त करने से है। वक्ता द्वारा सूचनाओं का श्रोताओं तक प्रभावपूर्ण संप्रेषण मौखिक अभिव्यक्ति को सार्थक सिद्ध करता है।
- जब अपने विचारो को दुसरो के समक्ष रखने के लिए भाषा का बोलकर प्रयोग करता है तो उसे मौखिक अभिव्यक्त कहा जाता है।
- व्यक्तित्व के समायोजन के लिए मनोवैज्ञानिकों ने अभिव्यक्ति को मुख्य साधन माना है।
मौखिक अभिव्यक्ति के महत्वपूर्ण पहलु:
- स्पष्टता
- गतिशीलता
- मौलिक विचार
- प्रभावोत्पादकता
- बोलने में आत्मविश्वास
Key Point
मौखिक अभिव्यक्ति का आकलन के लिए प्रयोग में लायी जा सकने वाली गतिविधियाँ-
- नाटक का मंचन करवना जिससे बच्चे अपने भावों को व्यक्त कर सके
- बच्चों की आपस में किसी विषय पर परिचर्चा
- बालको के अनुभव व रूचि के विषयों के बारे में उनसे बाते करना
- समूह गतिविधियों का आयोजन
- कविता का भाव के साथ पठन
- कहानी का संदर्भानुसार उचित अनुतान के साथ सस्वर पठन
अतः निष्कर्ष निकलता है कि प्राथमिक स्तर पर बच्चों की मौखिक अभिव्यक्ति का आकलन करने के संदर्भ में नाटक का मंचन सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन Question 8:
डायरी लेखन शिक्षार्थियों की सहायता करता है ________
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन Question 8 Detailed Solution
- डायरी गद्य साहित्य की एक प्रमख विधा है इसमें लेखक आत्म साक्षात्कार करता है।
- वह अपने आपसे सम्प्रेषण की स्थिति में होता है। वह स्वयं से बातचीत करता चलता है।
- डायरी लेखन व्यक्ति के द्वारा लिखा गया व्यक्तिगत अनुभवों, सोच और भावनाओं को लेखित रूप में अंकित करके बनाया गया एक संग्रह है।
- डायरी लेखन में सृजनात्मक अभिव्यक्ति का विशेष महत्व है। इसमें कलात्मकता, मौलिकता, लालित्य एवं अनुरंजकता विशेष रूप से अपेक्षित है।
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन Question 9:
पाँचवीं कक्षा की सुहानी ‘पांँचोँँ' 'किन्हेंँ', 'आँखेँ', 'दोनोंँ' आदि शब्द लिखती है। आप सुहानी के लेखन क्षमता के बारे में क्या कहेंगे?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन Question 9 Detailed Solution
सामान्यीकरण द्वारा बच्चे एक जैसी चीजों को कुछ आधारभूत नियमों के आधार पर आत्मसात् करते हैं। सामान्यीकरण की प्रवृति जब अति सामान्यीकरण में बदल जाती है तब यह भाषा दोष का रूप ले लेती है।
- अतः बच्चे जब एक ही नियम को हर जगह प्रयोग करने लगते हैं तो उनके भाषा प्रयोग में त्रुटियां होने लगती है।
- उदाहरण: बच्चे द्वारा अनुनासिक चिन्ह के नियमों का अति सामान्यीकरण कर लिया जाना इसलिए वो हर शब्द में अनुनासिक चिन्ह का गलत प्रयोग करते है।
इसलिए हम कह सकते है कि सुहानी अनुनासिक चिन्ह के नियम का अति सामान्यीकरण करती है।
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन Question 10:
नाटक का सम्बन्ध किस ज्ञानेन्द्रिय से है?
Answer (Detailed Solution Below)
भाषा शिक्षण में मूल्यांकन Question 10 Detailed Solution
नाटक से तात्पर्य छात्रों की उस भूमिका से है जो पढ़ाए जा रहे पाठ या कहानी को अर्थपूर्ण बनाने के उद्देश्य से उसमें नाटकीयता लाने के लिए की जाती है। यह एक मूल्यवान शिक्षण उपकरण है जो शिक्षण में बच्चों की सक्रिय भागीदारी को सुनिश्चित करता है।
- नाटक का आनंद देख-सुन कर लिया जाता है अतः इसका संबंध कान और आंख दोनों ज्ञानेंद्रियों से है इसलिए इसे 'दृश्य-काव्य' भी कहते हैं।
- यह संचार और अभिनय में विद्यार्थियों को शामिल करके उनमें अवलोकन क्षमता, सामाजिकता और कल्पना कौशल को विकसित करता है।
- इससे बच्चे अनुभव के आधार पे अधिक सीखते हैं।