गुण संधि MCQ Quiz - Objective Question with Answer for गुण संधि - Download Free PDF
Last updated on Jun 6, 2025
Latest गुण संधि MCQ Objective Questions
गुण संधि Question 1:
'सुरेश' का संधि-विच्छेद होगा:
Answer (Detailed Solution Below)
गुण संधि Question 1 Detailed Solution
'सुरेश' का संधि-विच्छेद होगा - 'सुर + ईश'
- 'सुरेश' का संधि विच्छेद = सुर + ईश (अ + ई = ए) गुण संधि है।
Key Pointsगुण संधि:-
- जब संधि करते समय (अ, आ) के साथ (इ, ई) हो तो ‘ए' बनता है, जब (अ, आ) के साथ (उ, ऊ) हो तो ‘ओ' बनता है,
- जब (अ, आ) के साथ (ऋ) हो तो ‘अर‘ बनता है तो यह गुण संधि कहलाती है।
उदाहरण-
- महा + ईश = महेश (आ + ई = ए)
- सर्व + उदय = सर्वोदय (अ + उ = ओ)
- देव + ऋषि = देवर्षि (अ + ऋ = अर्)
गुण संधि Question 2:
निम्नांकित में से किस शब्द में 'गुण सन्धि' नहीं है ?
Answer (Detailed Solution Below)
गुण संधि Question 2 Detailed Solution
"यद्यपि" शब्द में गुण संधि नहीं है। अन्य विकल्प असंगत हैं।
Key Points
- यद्यपि शब्द में यण संधि है।
- यद्यपि = यदि + अपि
संधि | परिभाषा | उदाहरण |
यण संधि | इक् (इ, उ, ऋ, लृ) वर्ण के परे असमान स्वर होने पर इक् (इ, उ, ऋ, लृ) के स्थान पर क्रमशः यण् (य्, व्, र्, ल्) का आदेश होता है। |
वध्वागम - वधू + आगमन। |
अन्य विकल्प-
शब्द | संधि-विच्छेद | संधि |
गणेश | गण+ईश | गुण संधि |
परोपकार | पर + उपकार | गुण संधि |
ब्रह्मर्षि | ब्रह्म + ऋषि | गुण संधि |
Additional Information
संधि- दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते है। संधि के तीन प्रकार हैं- |
स्वर संधि |
स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मेल से विकार उत्पन्न होता है। जैसे- विद्या +अर्थी = विद्यार्थी, महा + ईश = महेश। |
व्यंजन संधि |
एक व्यंजन से दूसरे व्यंजन या स्वर के मेल से विकार उत्पन्न होता है। जैसे- अहम् + कार = अहंकार, उत् + लास = उल्लास। |
विसर्ग संधि |
विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से विकार उत्पन्न होता है। जैसे - दु: + आत्मा = दुरात्मा, नि: + कपट = निष्कपट। |
गुण संधि Question 3:
निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द गुण स्वर संधि का सही उदाहरण है?
Answer (Detailed Solution Below)
गुण संधि Question 3 Detailed Solution
'सत्येन्द्र' शब्द में गुण स्वर संधि है। अन्य विकल्प असंगत हैं।
Key Points
- सत्येन्द्र का संधि-विच्छेद- सत्य + इंद्र
- सत्येन्द्र शब्द में गुण स्वर संधि है।
संधि | परिभाषा |
गुण स्वर संधि |
जब संधि करते समय (अ, आ) के साथ (इ, ई) हो तो ‘ए‘ बनता है, जब (अ, आ) के साथ (उ, ऊ) हो, तो ‘ओ‘ बनता है, जब (अ, आ) के साथ (ऋ) हो तो ‘अर्‘ बनता है तो यह गुण संधि कहलाती है। |
अन्य विकल्प-
शब्द | संधि | परिभााषा |
कार्यालय= कार्य +आलय | दीर्घ संधि | ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद यदि ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ आ जाएँ तो दोनों मिलकर दीर्घ आ, ई और ऊ हो जाते हैं। |
अत्यावश्यक= अति+आवश्यक | यण संधि | जब इ, ई, उ, ऊ, ऋ के आगे कोई भिन्न स्वर आता है तो ये क्रमश: य, व, र, ल् में परिवर्तित हो जाते हैं, इस परिवर्तन को यण सन्धि कहते हैं। |
लोकैषण = लोक+एषणा | वृध्दि संधि | जब संधि करते समय जब (अ , आ) के साथ (ए , ऐ) हो तो ' ऐ ' बनता है और जब (अ , आ) के साथ (ओ , औ) हो तो ' औ ' बनता है। उसे वृद्धि संधि कहते हैं। |
Additional Information
संधि- दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते है। संधि के तीन प्रकार हैं- |
स्वर संधि |
स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मेल से विकार उत्पन्न होता है। जैसे- विद्या +अर्थी = विद्यार्थी, महा + ईश = महेश। |
व्यंजन संधि |
एक व्यंजन से दूसरे व्यंजन या स्वर के मेल से विकार उत्पन्न होता है। जैसे- अहम् + कार = अहंकार, उत् + लास = उल्लास। |
विसर्ग संधि |
विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से विकार उत्पन्न होता है। जैसे - दु: + आत्मा = दुरात्मा, नि: + कपट = निष्कपट। |
गुण संधि Question 4:
'प्रेषिति' शब्द का संधि विच्छेद है :
Answer (Detailed Solution Below)
गुण संधि Question 4 Detailed Solution
प्र + इषिति 'प्रेषिति शब्द का संधि विच्छेद है।Key Points
- 'प्रेषिति' शब्द में गुण संधि है।
- गुण संधि - जब संधि करते समय अ, आ के बाद इ, ई हो तो ए बनता है, जब अ, आ के बाद उ,ऊ आए तो ओ बनता है, जब अ, आ के बाद ऋ आए तो अर बनता है।
Additional Information
संधि | परिभाषा | उदाहरण |
स्वर संधि |
स्वर के साथ स्वर के मेल से होने वाला परिवर्तन स्वर संधि कहलाता है। स्वर संधि के पांच प्रकार है - दीर्घ संधि, गुणसंधि, वृद्धि संधि,यण संधि, अयादि संधि |
गुर्वोदन, साध्वौदार्य,नतोदर, धीरोत्तर, पुस्तकालय, सुरेन्द्र, सदैव, स्वागत, नयन आदि। |
विसर्ग संधि | विसर्ग के बाद जब स्वर या व्यंजन आ जाय तब जो परिवर्तन होता है। | निष्पाप, हरिश्चंद्र, मनोबल, दुष्कर आदि। |
व्यंजन संधि | व्यंजन को किसी व्यंजन या स्वर के साथ मिलाने से जो परिवर्तन होता है। | अहोरूप, उन्मोचन, भूषण,प्रतिष्ठा, उद्धार, वागीश, आज़ादी, उन्मूलन आदि। |
गुण संधि Question 5:
'महर्षि' का सही सन्धि-विच्छेद होगा :
Answer (Detailed Solution Below)
गुण संधि Question 5 Detailed Solution
'महर्षि' का सही सन्धि-विच्छेद होगा- 'महा + ऋषि'।
- इसमे "गुण स्वर संधि" है।
Key Pointsगुण संधि- यह स्वर संधि का एक भेद है जब संधि करते समय 'अ, आ' + 'इ, ई' हो तो 'ए' बनता है, जब 'अ, आ' + 'उ, ऊ' हो तो 'ओ' बनता है, और जब 'अ, आ'+ 'ऋ' हो तो 'अर' बनता है तो यह गुण संधि कहलाती है।
उदाहरण-
- अंत्य + इष्टि = अंत्येष्टि। (अ + इ = ए)
- चन्द्र + उदय= चन्द्रोदय। (अ + उ= ओ)
- देव + ईश= देवेश। (अ + ई= ए)
Additional Information
- 'संधि'- 'दो वर्णों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे संधि कहते है।
वर्णों के आधार पर संधि के तीन भेद है-
- स्वर संधि- 'स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मेल से जो विकार उत्पत्र होता है, उसे 'स्वर संधि' कहते हैं।
- उदाहरण- महा + ईश = महेश।
- व्यंजन संधि- एक व्यंजन के दूसरे व्यंजन या स्वर से मेल को व्यंजन-संधि कहते हैं।
- उदाहरण- महान् + लाभ =महांल्लाभ।
- विसर्ग संधि- स्वर और व्यंजन के मेल से विसर्ग में जो विसर्ग होता है, उसे 'विसर्ग संधि' कहते है।
- उदाहरण- पयः + धर =पयोधर।
स्वर संधि के भेद- पांच भेद।
- दीर्घ संधि
- गुण संधि
- वृद्धि संधि
- यण संधि
- अयादी संधि
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'महेश्वर' का संधि-विच्छेद करने से होगा
Answer (Detailed Solution Below)
गुण संधि Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDF'महेश्वर' का संधि विच्छेद होगा- 'महा + ईश्वर'
Key Points
- महा + ईश्वर = महेश्वर (आ + ई = ए)
- अर्थ: शंकर, शम्भू, शिव, विश्वनाथ, नीलकंठ, महादेव, महेश।
- जब संधि करते समय (अ, आ) के साथ (इ, ई) हो तो ‘ए‘ बनता है, जब (अ, आ) के साथ (उ, ऊ) हो तो ‘ओ‘ बनता है, जब (अ, आ) के साथ (ऋ) हो तो ‘अर‘ बनता है तो यह गुण संधि कहलाती है।
- उदाहरण-
- महा + उत्सव = महोत्सव (आ + उ = ओ)
Important Pointsगुण संधि के कुछ उदाहरण:-
- नर + इंद्र = नरेन्द्र (अ + इ = ए)
- ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश (अ + उ = ओ)
- देव + ऋषि = देवर्षि (अ + ऋ = अर्)
- धन + उपार्जन = धनोपार्जन (अ + उ = ओ)
- सुर + इंद्र = सुरेन्द्र (अ + इ = ए)
देवेंद्र में प्रयुक्त संधि है:
Answer (Detailed Solution Below)
गुण संधि Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF'देवेंद्र'' शब्द में गुण संधि है। शेष विकल्प असंगत हैं। अतः विकल्प 1 ‘गुण संधि’ सही उत्तर है।
Key Points
- 'देवेंद्र' में गुण संधि है।
- देव + इंद्र = देवेंद्र' (अ + इ = ए), यहाँ 'अ' और 'इ' के मेल से 'ए' बना है।
- जब संधि करते समय (अ, आ) के साथ (इ, ई) हो तो 'ए' बनता है, जब (अ, आ) के साथ (उ, ऊ) हो तो 'ओ' बनता है, जब (अ, आ) के साथ (ऋ) हो तो 'अर' बनता है तो यह गुण संधि कहलाती है।
अन्य विकल्प -
संधि |
परिभाषा |
उदाहरण |
यण संधि |
जब संधि करते समय इ, ई के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ' य ' बन जाता है, जब उ, ऊ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ' व् ' बन जाता है , जब ऋ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ' र ' बन जाता है। |
पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा |
वृद्धि संधि |
अ आ का ए ऐ से मेल होने पर ऐ अ आ का ओ, औ से मेल होने पर औ हो जाता है। |
एक + एक = एकैक |
दीर्घ संधि |
जब दो शब्दों की संधि करते समय (अ, आ) के साथ (अ, आ) हो तो 'आ' बनता है, जब (इ, ई) के साथ (इ, ई) हो तो 'ई' बनता है, जब (उ, ऊ) के साथ (उ, ऊ) हो तो 'ऊ' बनता है। इस संधि को हम ह्रस्व संधि भी कह सकते हैं। |
पुस्तक + आलय = पुस्तकालय |
Additional Information
संधि - दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते हैं। संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर, 2. व्यंजन और 3. विसर्ग, |
||
संधि |
परिभाषा |
उदाहरण |
स्वर |
स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मेल से विकार उत्पन्न होता है। |
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी महा + ईश = महेश |
व्यंजन |
एक व्यंजन से दूसरे व्यंजन या स्वर के मेल से विकार उत्पन्न होता है। |
अहम् + कार = अहंकार उत् + लास = उल्लास |
विसर्ग |
विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से विकार उत्पन्न होता है। |
दुः + आत्मा =दुरात्मा निः + कपट =निष्कपट |
शब्द 'भुवनेश्वर' का सही संधि विच्छेद है-
Answer (Detailed Solution Below)
गुण संधि Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFउपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "भुवन + ईश्वर" सही है, तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।
- भुवनेश्वर
- भुवन + ईश्वर
- अ + ई :- ए
- गुण संधि
- भुवनेश्वर
- संज्ञा पुल्लिंग
- एक प्रसिद्ध तीर्थस्थान का नाम ।
- संज्ञा पुल्लिंग
- भुवन का पर्यायवाची शब्द
- जगत्, संसार, दुनिया, विश्व, ब्रह्माण्ड।
- गुण संधि के उदाहरण
- ऊमा + ईश :- ऊमेश (आ + ई = ए)
- नर + ईश :- नरेश (अ + ई = ए)
- महा + इन्द्र :- महेन्द्र (आ + इ = ए)
- मन + उपदेश :- मनोपदेश (अ + उ = ओ)
- महा + ऋषि :- महर्षि (आ + ऋ = आर्)
सप्तर्षि में कौन-सी सन्धि है?
Answer (Detailed Solution Below)
गुण संधि Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFसप्तर्षि में : गुण सन्धि
Key Points
- सप्त+ऋषि=सप्तर्षि, यहाँ अ के आगे ऋ आने पर अर् में परिवर्तन हो रहा है।
- गुण संधि जब अ अथवा आ के आगे ‘इ’ अथवा ‘ई’ आता है तो इनके स्थान पर ए हो जाता है।
- इसी प्रकार अ या आ के आगे उ या ऊ आता है तो ओ हो जाता है तथा अ या आ के आगे ऋ आने पर अर् हो जाता है।
- इसे गुण संधि कहते हैं। अतः सही विकल्प गुण है।
Additional Information
संधि |
परिभाषा |
उदाहरण |
विसर्ग संधि |
विसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन आने पर विसर्ग में जो विकार होता हैं, उसे विसर्ग सन्धि कहते हैं। |
दु: + व्यवहार = दुर्व्यवहार |
व्यंजन संधि |
व्यंजन के बाद स्वर या व्यंजन आने से जो परिवर्तन होता हैं, उसे व्यंजन संधि कहते हैं। |
उत् + मत्त = उन्मत्त
|
यण संधि |
यदि इ ई उ औ और ऋ के बाद भिन्न स्वर आए तो इ और ई का य, उ औ ऊ का व तथा त्रा का र हो जाता हैं। |
अधि + आहार = अध्याहार |
दीर्घ संधि |
हस्व या दीर्घ ‘अ’, ‘ई’, ‘उ’, के पश्चात क्रमशः हस्व या दीर्घ ‘अ’, ‘ई’, ‘उ’ स्वर आए तो दोनों को मिलाकर दीर्घ, ‘आ’, ‘ई’, ‘ऊ’, हो जाते हैं। वहाँ दीर्घ संधि होता है। |
भानु + उदय = भानूदय |
'रमेश' का संधि-विच्छेद होगा:
Answer (Detailed Solution Below)
गुण संधि Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDF- 'रमेश' का संधि-विच्छेद होगा :- रमा + ईश l
- यहाँ आ+ ई के योग से ए शब्द बना है।
- यह गुण संधि का उदाहरण है l
- अन्य विकल्प :- गलत उत्तर है क्योंकि इनमें से किसी की भी संधि करने पर हमें 'रमेश' शब्द प्राप्त नहीं होता l
Additional Information
- सन्धि (सम् + धि) शब्द का अर्थ है 'मेल' या जोड़। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है।
- गुण संधि - जब संधि करते समय अ या आ के बाद इ या ई आए तो दोनों मिलकर ए हो जाते हैं, अ या आ के बाद उ या ऊ आए तो दोनों मिलकर ओ हो जाते हैं और अ या आ के बाद ऋ आए तो अर् हो जाता है।
- उदाहरण :-
- अप + ईक्षा = अपेक्षा
- महा + इंद्र = महेंद्र
- अलका + ईश् = अलकेश
महोत्सव का संधि-विच्छेद है-
Answer (Detailed Solution Below)
गुण संधि Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDF'महोत्सव’ की संधि 'महा + उत्सव' होगी। शेष विकल्प त्रुटिपूर्ण हैं। अतः विकल्प 2 ‘महा + उत्सव’ सही है।
Key Points
स्पष्टीकरण:
- 'महोत्सव' में गुण संधि है। 'महा + उत्सव' = महोत्सव (आ + उ = ए), 'आ' के साथ 'उ' जोड़ने पर 'ओ' बनता है।
- गुण संधि- अ, आ के साथ इ, ई का मेल होने पर 'ए'; उ, ऊ का मेल होने पर 'ओ'; तथा ऋ का मेल होने पर 'अर्' हो जाने का नाम गुण संधि है।
Additional Information
विशेष:
संधि – दो वर्णों (स्वर या व्यंजन) के मेल से होने वाले विकार को संधि कहते हैं। दूसरे अर्थ में- संधि का सामान्य अर्थ है मेल। इसमें दो अक्षर मिलने से तीसरे शब्द रचना होती है, इसी को संधि कहते है। संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर, 2. व्यंजन और 3. विसर्ग |
||
संधि |
परिभाषा |
उदाहरण |
स्वर |
दो स्वरों से उत्पन्न विकार अथवा रूप -परिवर्तन को स्वर संधि कहते है। |
कवि + ईश्वर = कवीश्वर |
व्यंजन |
एक व्यंजन के दूसरे व्यंजन या स्वर से मेल को व्यंजन-संधि कहते हैं। |
पम् + चम =पंचम |
विसर्ग |
स्वर और व्यंजन के मेल से विसर्ग में जो विसर्ग होता है, उसे 'विसर्ग संधि' कहते है। |
अन्त: + पुर = अन्त: पुर |
महोत्सव शब्द में कौन-सी सन्धि है?
Answer (Detailed Solution Below)
गुण संधि Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFमहोत्सव शब्द में गुण सन्धि है। अन्य विकल्प असंगत है ।अतः सही उत्तर विकल्प 2 गुण सन्धि होगा ।
Key Points
संधि |
परिभाषा |
उदाहरण |
स्वर संधि |
स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मेल से विकार उत्पन्न होता है। |
जैसे – विद्या + अर्थी = विद्यार्थी, महा + ईश = महेश। |
Additional Information
परमेश्वर |
परम + ईश्वर |
गुण संधि |
देवेश |
देव + ईश |
गुण संधि |
ज्ञानोपदेश |
ज्ञान + उपदेश |
गुण संधि |
महोत्सव |
महा +उत्सव |
गुण संधि |
Important Points
स्वर संधि |
||
संधि |
परिभाषा |
उदाहरण |
दीर्घ संधि |
दो सवर्ण, ह्रस्व या दीर्घ, स्वरों के मेल होने पर दीर्घ स्वर बन जाता है। |
जैसे – शिव + आलय (अ + आ) = शिवालय, गिरि + इन्द्र (इ + इ) = गिरीन्द्र। |
गुण संधि |
अ, आ के साथ इ, ई का मेल होने पर 'ए'; उ, ऊ का मेल होने पर 'ओ'; तथा ऋ का मेल होने पर 'अर्' हो जाता है। |
जैसे – देव + इन्द्र (अ + इ) = देवेन्द्र, देव + ऋषि (अ + ऋ) = देवर्षि। |
वृद्धि संधि |
अ, आ का मेल ए, ऐ के साथ होने पर 'ऐ' तथा ओ, औ के साथ होने पर 'औ' में परिवर्तित हो जाता है। |
जैसे – एक + एक (अ + ए) = एकैक, परम + ओजस्वी (अ + ओ) = परमौजस्वी। |
यण संधि |
इ, ई, उ, ऊ या ऋ का मेल यदि असमान स्वर से हो तो इ, ई का 'य'; उ, ऊ का 'व' और ऋ का 'र' हो जाता है। |
जैसे - यदि + अपि (इ + अ) = यद्यपि, अनु + एषण = अन्वेषण। |
अयादी संधि |
ए, ऐ तथा ओ, औ का मेल किसी अन्य स्वर के साथ होने से क्रमशः ए का अय्, ऐ का आय, ओ का अव् तथा औ का आव् हो जाता है। |
जैसे – ने + अन (ए + अ) = नयन, गै + अक (ऐ + अ) = गायक। |
'महेंद्र' का संधि विच्छेद क्या है
Answer (Detailed Solution Below)
गुण संधि Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDF‘महेंद्र’ का उचित संधि- विच्छेद ‘महा + इन्द्र’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर होंगे।
Key Points
स्पष्टीकरण:
- ‘महेंद्र’ शब्द का उचित संधि-विच्छेद ‘महा + इन्द्र’ (आ+इ=ए) होगा। यह गुण संधि का उदाहरण है।
- गुण संधि- जहां अ, आ के आगे इ, ई हो तो ए ; उ, ऊ हो तो ओ तथा ऋ हो तो अर् हो जाता है।
- वहाँ गुण-संधि होती है। जैसे- महोत्सव= महा + उत्सव
Additional Information
विशेष:
संधि - दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते हैं। संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर, 2. व्यंजन और 3. विसर्ग। |
||
संधि |
परिभाषा |
उदाहरण |
स्वर |
स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मेल से विकार उत्पन्न होता है। |
महा + ईश = महेश |
व्यंजन |
एक व्यंजन से दूसरे व्यंजन या स्वर के मेल से विकार उत्पन्न होता है। |
उत् + लास = उल्लास |
विसर्ग |
विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से विकार उत्पन्न होता है। |
दुः + आत्मा =दुरात्मा |
'नरेंद्र' का संधि विच्छेद है____________।
Answer (Detailed Solution Below)
गुण संधि Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFनरेंद्र का संधि विच्छेद 'नर + इंद्र' है।
नर + इंद्र = नरेंद्र।
- अ + इ = ए
- गुण-संधि
नरेंद्र
- पुल्लिंग
- राजा, नरेश।
गुण-संधि
- अ, आ के आगे इ, ई हो तो ए
- उ, ऊ हो तो ओ
- ऋ हो तो अर् हो जाता है।
जैसे-
(आ + ऊ = ओ) महा + ऊर्मि = महोर्मि।
(अ + ऋ = अर्) देव + ऋषि = देवर्षि।
(आ + ऋ = अर्) महा + ऋषि = महर्षि।
'महेश्वर' का संधि विच्छेद होगा-
Answer (Detailed Solution Below)
गुण संधि Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDF'महेश्वर' का संधि विच्छेद होगा- 'महा + ईश्वर'
- महा + ईश्वर = महेश्वर (आ + ई = ए)
- अर्थ: शंकर, शम्भू, शिव, विश्वनाथ, नीलकंठ, महादेव, महेश।
- जब संधि करते समय (अ, आ) के साथ (इ, ई) हो तो ‘ए‘ बनता है, जब (अ, आ) के साथ (उ, ऊ) हो तो ‘ओ‘ बनता है, जब (अ, आ) के साथ (ऋ) हो तो ‘अर‘ बनता है तो यह गुण संधि कहलाती है।
- उदाहरण-
- महा + उत्सव = महोत्सव (आ + उ = ओ)
Key Pointsगुण संधि के कुछ उदाहरण:-
- नर + इंद्र = नरेन्द्र (अ + इ = ए)
- ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश (अ + उ = ओ)
- देव + ऋषि = देवर्षि (अ + ऋ = अर्)
- धन + उपार्जन = धनोपार्जन (अ + उ = ओ)
- सुर + इंद्र = सुरेन्द्र (अ + इ = ए)