भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ MCQ Quiz in বাংলা - Objective Question with Answer for भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ - বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন [PDF]
Last updated on Apr 4, 2025
Latest भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ MCQ Objective Questions
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भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ Question 1:
वल्लभाचार्य का 'वेदान्त सूत्र’ पर लिखा प्रसिद्ध ग्रंथ है-
Answer (Detailed Solution Below)
भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ Question 1 Detailed Solution
वल्लभाचार्य का 'वेदान्त सूत्र’ पर लिखा प्रसिद्ध ग्रंथ है- अणु भाष्य
अणु भाष्य-
- ब्रह्मसूत्र पर वल्लभाचार्य का भाष्य।
Key Pointsवल्लभाचार्य-
- जन्म-1479-1531 ई.
- भक्तिकालीन सगुणधारा की कृष्णभक्ति शाखा के आधारस्तंभ है।
- पुष्टिमार्ग के प्रणेता थे।
- ये सिकंदर लोदी एवं बाबर के समकालीन थे।
- रचनाएँ-
- पूर्वमीमांसा भाष्य
- उत्तर मीमांसा
- सुबोधिनी टीका आदि।
Important Pointsभाषा काव्य-संग्रह-
- रचनाकार-महेशदत्त शुक्ल
- प्रकाशन वर्ष-1873 ई.
- विषय-
- यह हिन्दी भाषा में लिखा गया प्रथम हिन्दी साहित्येतिहास संबंधी ग्रंथ है।
आनंद भाष्य-
- रचनाकार-रामानंद
- यह टीका ग्रंथ है।
Additional Informationरामानंद-
- मध्यकालीन भक्ति आन्दोलन के महान सन्त थे।
- ये भक्ति को दक्षिण से उत्तर लाए।
- रचनाएँ-
- वैष्णवमताब्ज भास्कर
- श्रीरामार्चनपद्धति
- रामरक्षास्तोत्र
- सिद्धान्तपटल
- ज्ञानलीला
- ज्ञानतिलक
- योगचिन्तामणि आदि।
भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ Question 2:
रचनाकाल की दृष्टि से निम्नलिखित रचनाओं का सही अनुक्रम क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ Question 2 Detailed Solution
रचनाकाल की दृष्टि से निम्नलिखित रचनाओं का सही अनुक्रम-4) नाटयशास्र,काव्यालंकार,ध्वन्यालोक,साहित्य दर्पण है।
Key Points
रचना |
रचनाकार |
प्रकाशन वर्ष |
नाटयशास्र |
भरतमुनि |
दूसरी शती |
काव्यालंकार |
भामह |
छठी शती |
ध्वन्यालोक |
आनंदवर्धन |
नवमी शती |
साहित्य दर्पण |
विश्वनाथ |
चौदह्वी शती |
भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ Question 3:
भारतीय काव्यशास्त्र से संबंधित निम्नलिखित ग्रंथों को, उनके प्रथम प्रकाशन के अनुसार, पहले से बाद के क्रम में लगाइए।
A. रसगंगाधर
B. काव्य प्रकाश
C. काव्यालंकार
D. ध्वन्यालोक लोचन
E. साहित्य दर्पण
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ Question 3 Detailed Solution
सही उत्तर है- C, D, B, E, A
Key Points
ग्रंथ | आचार्य | समय |
काव्यालंकार | भामह | छठी शती |
ध्वन्यालोक लोचन | आनंदवर्धन | 9 वीं शती |
काव्य प्रकाश | मम्मट | 11 वीं शती |
साहित्य दर्पण | विश्वनाथ | 14 वीं शती |
रसगंगाधर | जगन्नाथ | 17 वीं शती |
Important Pointsआचार्य भामह-
- भारतीय काव्यशास्त्र के महत्तवपूर्ण आचार्य रहे है|
- इन्हें अलंकार संप्रदाय का जनक कहते हैं।
- काव्यशास्त्र पर काव्यालंकार नामक ग्रंथ उपलब्ध है।
- परिभाषा-"शब्दार्थौ सहितौ काव्यम्"
आनंदवर्धन-
- समय-9 वीं शती
- यह ध्वनि सम्प्रदाय के प्रवर्तक है।
- प्रमुख ग्रन्थ-
- ध्वन्यालोक लोचन
- अभिनव भारती
- तन्त्रालोक आदि।
मम्मट-
- जन्म-11वीं शती
- मम्मट संस्कृत काव्यशास्त्र के सर्वश्रेष्ठ विद्वानों में जाने जाते हैं।
- वे अपने शास्त्रग्रंथ काव्यप्रकाश के कारण अधिक प्रसिद्ध हुए।
आचार्य विश्वनाथ-
- संस्कृत काव्य शास्त्र के मर्मज्ञ और आचार्य थे।
- रचना-साहित्यदर्पण
- साहित्यदर्पण संस्कृत भाषा में लिखा गया साहित्य विषयक ग्रन्थ है।
- साहित्य दर्पण 10 परिच्छेदों में विभक्त है।
- मम्मट के काव्यप्रकाश ग्रन्थ की टीका "काव्यप्रकाश दर्पण" नाम से की।
- उक्ति-वाक्य रसात्मकं वाक्यं काव्यम्।
- इन्होंने रस को काव्य की आत्मा स्वीकार किया।
पंडित राज जगन्नाथ-
- "रमणीयार्थ प्रतिपादक: शब्द: काव्यं।"
- आचार्य जगन्नाथ ने अपने ग्रंथ 'रसगंगाधर' में यह काव्य लखन दिया है।
- अर्थात् रमणीय शब्दों के प्रतिपादन से ही काव्य अच्छा होता है।
भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ Question 4:
'साहित्य दर्पण' नामक ग्रंथ के रचयिता कौन हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ Question 4 Detailed Solution
- आचार्य विश्वनाथ ने आचार्य मम्मट के ग्रंथ काव्य प्रकाश की टीका की है जिसका नाम "काव्यप्रकाश दर्पण" है।
- रस को साहित्य की आत्मा मानने वाले वे पहले संस्कृत आचार्य थे।
- साहित्य दर्पण में उनका सूत्र वाक्य रसात्मकं वाक्यं काव्यम् आज भी साहित्य का मूल माना जाता है।
- वाक्यं रसात्मकं काव्यम् (विश्वनाथ)
भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ Question 5:
निम्नलिखित में से किस विद्वान ने बीसवीं सदी में भारतीय काव्यशास्त्र संबंधी कोई पुस्तक नहीं लिखी ?
Answer (Detailed Solution Below)
भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ Question 5 Detailed Solution
निम्नलिखित में से रामविलास शर्मा ने बीसवीं सदी में भारतीय काव्यशास्त्र संबंधी कोई पुस्तक नहीं लिखी।
Key Points
- बीसवीं सदी में भारतीय काव्यशास्त्र से संबंधित पुस्तकें लिखने वाले –
- राममूर्ति त्रिपाठी
- भोला शंकर व्यास
- रामचंद्र शुक्ल
Important Points
- राममूर्ति त्रिपाठी –
- इनकी प्रमुख कृतियां –
- व्यंजना और नवीन कविता
- भारतीय साहित्य दर्शन
- औचित्य विमर्श,
- रस विमर्श
- साहित्य शास्त्र के प्रमुख पक्ष
- रहस्यवाद
- काव्यालंकार सार संग्रह और लघु वृत्ति की (भूमिका सहित ) विस्तृत व्याख्या
- हिंदी साहित्य का इतिहास
- कामायनी काव्य कला और दर्शन
- आधुनिक कला और दर्शन,
- भोला शंकर व्यास की रचनाएं –
- ध्वनि संप्रदाय 1956
- भारतीय साहित्य शास्त्र तथा काव्यालंकार 1965
- समुंद्र संगम ( पंडित जगन्नाथ के जीवन पर आधारित सांस्कृतिक उपन्यास )
- संस्कृत का भाषाशास्त्रीय अध्याय 1957
- प्राकृत पैंगलम भाग 1, 2 1959
- भारतीय साहित्य की रूपरेखा 1965
- हिंदी साहित्य का वृहत इतिहास खंड 1.
- रामचंद्र शुक्ल की रचनाएं –
- निबंध-
- चिंतामणि भाग 1 और 2
- विचार वीथी
- इतिहास –
- हिंदी साहित्य का इतिहास 1929
- आलोचना-
- सूरदास
- रस मीमांसा
- त्रिवेणी
- संपादन –
- जायसी ग्रंथावली
- तुलसी ग्रंथावली
- भ्रमरगीत सार
- हिंदी शब्द सागर काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका,
Additional Information
- रामविलास शर्मा –
- प्रेमचंद 1941
- भारतेंदु युग 1946
- निराला 1946
- प्रगति और परंपरा 1949
- साहित्य और संस्कृति 1949
- प्रेमचंद और उनका युग 1952
- प्रगतिशील साहित्य की समस्याएं
- आचार्य रामचंद्र शुक्ल और हिंदी आलोचना और समाज 1961
- निराला की साहित्य साधना 3 भाग (1969, 1972, 1976),
- भारतेंदु युग और हिंदी साहित्य की विकास परंपरा 1975,
- महावीर प्रसाद द्विवेदी और हिंदी नवजागरण 1977
- भारतीय सौंदर्य बोध और तुलसीदास 2001.
- निराला की साहित्य साधना पर इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला है।
भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ Question 6:
सूची I का सूची II से मिलान कीजिए
सूची - I (ग्रंथ का नाम) |
सूची - II (समय) |
||
A. |
काव्य-कौतुभ |
I. |
16वीं शताब्दी |
B. |
शृंगार प्रकाश |
II. |
12वीं शताब्दी |
C. |
नाट्यदर्पण |
III. |
11वीं शताब्दी |
D. |
वृत्ति- वार्तिक |
IV. |
10वीं शताब्दी |
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
Answer (Detailed Solution Below)
भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ Question 6 Detailed Solution
सूची I का सूची II से सही मिलान है-
सूची - I (ग्रंथ का नाम) |
सूची - II (समय) |
||
A. |
काव्य-कौतुभ |
IV. |
16वीं शताब्दी |
B. |
शृंगार प्रकाश |
III. |
12वीं शताब्दी |
C. |
नाट्यदर्पण |
II. |
11वीं शताब्दी |
D. |
वृत्ति- वार्तिक |
I. |
10वीं शताब्दी |
भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ Question 7:
अलंकार संप्रदाय से सम्बद्ध अंलकार ग्रंथों का सही कालानुक्रम है
Answer (Detailed Solution Below)
भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ Question 7 Detailed Solution
अलंकार संप्रदाय से सम्बद्ध अंलकार ग्रंथों का सही कालानुक्रम है-
ग्रन्थ | कालक्रम |
काव्यालंकार | 6वीं शती |
काव्यालंकार सार संग्रह | 8वीं शती |
अलंकार सर्वस्व | 12वीं शती |
अलंकार कौस्तुभ | 18वीं शती |
Key Pointsग्रन्थों के रचनाकार-
ग्रन्थ | आचार्य |
काव्यालंकार | भामह |
काव्यालंकार सार संग्रह | उद्भट |
अलंकार सर्वस्व | रुय्यक |
अलंकार कौस्तुभ | विश्वेश्वर पंडित |
Important Pointsकाव्यालंकार-
- 6 परिच्छेदों में विभक्त ग्रन्थ।
काव्यालंकार सार संग्रह-
- उक्त ग्रंथ छह वर्गों में विभक्त है।
- इसकी 75 कारिकाओं में 41 अलंकारों का निरूपण है और 95 पद्यों में उदाहरण हैं।
अलंकार सर्वस्व-
- इसके दो भाग हैं-
- सूत्र तथा वृत्ति
अलंकार कौस्तुभ-
- अलंकार संबंधी ग्रन्थ है।
भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ Question 8:
वामन के ग्रन्थ का क्या नाम था?
Answer (Detailed Solution Below)
भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ Question 8 Detailed Solution
- काव्यालंकार सूत्र - आचार्य वामन द्वारा रचित काव्य ग्रन्थ है।
Key Points
- सूत्रों की संख्या - 319
- जन्म काल- 8 वीं शती
- भाग- 05 परिच्छेद
- काव्यालंकार सूत्र- वामन द्वारा रचित काव्य ग्रन्थ है,
- जबकि काव्यालंकार भामह द्वारा रचित है।
Additional Information
- वामन (6वीं शती) - काव्यालंकार
- दंडी (7 वीं शती) - काव्यादर्श
- कुंतक (10 वीं शती) - वक्रोक्ति जीवित
भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ Question 9:
'काव्यालंकार सूत्रवृत्ति किसकी रचना है?
Answer (Detailed Solution Below)
भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ Question 9 Detailed Solution
'काव्यालंकार सूत्रवृत्ति रचना है- आचार्य वामन
Key Points
- 'काव्यालंकार सूत्रवृत्ति' महान संस्कृत आचार्य वामन द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है।
- वामन 8वीं शताब्दी के संस्कृत काव्यशास्त्र के प्रतिष्ठित विद्वान थे।
- 'काव्यालंकार सूत्रवृत्ति' में वामन ने काव्य और अलंकारों के सिद्धांतों का विस्तृत वर्णन किया है,
- और यह ग्रंथ काव्यशास्त्र के अध्ययन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
- इसमें काव्य के गुण-दोषों, अलंकारों और रसों के सिद्धांतों की चर्चा की गई है।
- वामन का यह ग्रंथ संस्कृत काव्य में अलंकार विद्यालय का महत्वपूर्ण स्रोत माना जाता है।
Additional Informationआचार्य दंडी-
- यह (7वीं-8वीं शताब्दी) भारतीय काव्यशास्त्र और अलंकारशास्त्र के प्रमुख विद्वान रहे हैं।
- उन्होंने अपनी रचना 'काव्यादर्श' में काव्य और अलंकारों के सिद्धांतों का विस्तारपूर्वक वर्णन किया है।
- 'काव्यादर्श' एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो संस्कृत काव्यशास्त्र के अध्ययन में आवश्यक माना जाता है।
- जिसने भारतीय साहित्यिक परंपरा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- इसमें काव्य की संरचना, गुण, दोष, और अलंकारों के सिद्धांतों का विस्तृत और वैज्ञानिक रूप से विश्लेषण किया गया है।
आचार्य भामह-
- यह (7वीं-8वीं शताब्दी) संस्कृत काव्यशास्त्र के एक प्रमुख विद्वान थे।
- उन्होंने अपने महत्वपूर्ण ग्रंथ 'काव्यालंकार' में काव्य और अलंकारों के सिद्धांतों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया है।
- भामह का 'काव्यालंकार' काव्यशास्त्र का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है,
- जो काव्य के विभिन्न घटकों, गुणों, दोषों और अलंकारों को समझने और परिभाषित करने में महत्वपूर्ण योगदान करता है।
- उन्होंने काव्य और अलंकारों के सिद्धांतों पर विस्तार से चर्चा की।
आचार्य अभिनव गुप्त-
- आचार्य अभिनवगुप्त (10वीं शताब्दी) कश्मीर शैवदर्शन के प्रमुख आचार्य और भारतीय सौंदर्यशास्त्र के विद्वान थे।
- उन्होंने काव्य और अलंकारों के सिद्धांतों पर व्यापक रूप से चर्चा की है,
- जिसका मुख्य स्रोत उनका ग्रंथ 'अभिनवभारती' है, जो भरतमुनि के 'नाट्यशास्त्र' की टिप्पणी है।
- अभिनवगुप्त की दृष्टि में काव्य की वास्तविक प्रतिष्ठा और इसके रसपूर्ण अनुभव का महत्व सर्वोपरि है।
- उन्होंने भाषा, भाव और रस के संयोजन पर बल दिया, जिससे काव्यशास्त्र में एक नई गहराई आई।
- उनके विचार भारतीय काव्य और नाट्यशास्त्र के अध्ययन में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ Question 10:
'काव्यालंकार सूत्रवृत्ति' ग्रंथ किस आचार्य का है?
Answer (Detailed Solution Below)
भारतीय आचार्यो के ग्रन्थ Question 10 Detailed Solution
'काव्यालंकार सूत्रवृत्ति' ग्रंथ आचार्य वामन का है।
Key Pointsआचार्य वामन-(9वीं शती)
- वामन प्रसिद्ध अलंकारशास्त्री थे।
- उनके द्वारा प्रतिपादित काव्यलक्षण को रीति-सिद्धान्त कहते हैं।
- काव्यालङ्कारसूत्र इनका एकमात्र ग्रन्थ है।
- वे रीति को काव्य की आत्मा कहते हैं।
Additional Information
भामह-(6वीं शती)
- आचार्य भामह संस्कृत भाषा के सुप्रसिद्ध आचार्य इन्हें अलंकार संप्रदाय का जनक कहते हैं।
- " "शब्दार्थौ सहितौ काव्यम्" इनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध काव्य परिभाषा है।
- काव्यालंकार इनका प्रमुख ग्रन्थ है।
कुंतक-(10वीं शती)
- ग्रन्थ-वक्रोक्तिजीवितम
- वक्रोक्ति संप्रदाय के प्रवर्तक माने जाते हैं।
- इनके अनुसार वक्रोक्ति काव्यात्मा है-वक्रोक्ति: काव्यजीवितम।
उद्भट-(8वीं शती)
- उद्भटअलंकार संप्रदाय (संस्कृत) में भामह और दंडी के परवर्ती आचार्य थे।
- इन्होने 'काव्यलंकारसारसंग्रह' नामक ग्रंथ की रचना की थी।