काव्य पंक्तियाँ MCQ Quiz in বাংলা - Objective Question with Answer for काव्य पंक्तियाँ - বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন [PDF]

Last updated on Mar 27, 2025

পাওয়া काव्य पंक्तियाँ उत्तरे आणि तपशीलवार उपायांसह एकाधिक निवड प्रश्न (MCQ क्विझ). এই বিনামূল্যে ডাউনলোড করুন काव्य पंक्तियाँ MCQ কুইজ পিডিএফ এবং আপনার আসন্ন পরীক্ষার জন্য প্রস্তুত করুন যেমন ব্যাঙ্কিং, এসএসসি, রেলওয়ে, ইউপিএসসি, রাজ্য পিএসসি।

Latest काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions

Top काव्य पंक्तियाँ MCQ Objective Questions

काव्य पंक्तियाँ Question 1:

क्लेश जहाँ है,

फूल खिलेगा 

हमको तुमको त्रान मिलेगा 

फूलों की खेती करने को

पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा। 

इन पंक्तियों में "पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा "से  कवि  का क्या आशय है ?

  1. अंग्रेजो से आजादी प्राप्त करना 
  2. अंग्रेजो की गुलामी में खेती करना 
  3. अंग्रेजो से ज़मीन को हड़पना 
  4. पूरे हिन्दुस्तान में बस फूलों की खेती करना 
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं/उपर्युक्त में एक से अधिक

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : अंग्रेजो से आजादी प्राप्त करना 

काव्य पंक्तियाँ Question 1 Detailed Solution

इन पंक्तियों में कवी का आशय "अंग्रेजों से आजादी प्राप्त करने से है।"

Key Points

  • ये पंक्तियाँ श्री केदार नाथ अग्रवाल की कविता पूरा हिंदुस्तान मिलेगा का अंग है।  
  • इस कविता का आशय ये है की जब पूरे हिंदुस्तान को अंग्रेजों से आज़ादी मिल जाएगी तब हर व्यक्ति देश में अपनी इच्छा अनुसार जीवन जी सकेगा।  

नोट: यह प्रश्न बिहार बोर्ड की कक्षा 9 की पाठ्य पुस्तक गोधूलि भाग 1 पर आधारित है।  

काव्य पंक्तियाँ Question 2:

सदियों की ठंढी बुझी राख सुगबुगा उठी,

मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है;

दोरा, समय के रथ का घर्घर - नाद सुनो,

सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।"

सही कथन चुनिए

  1. प्रस्तुत पंक्ति यह दीप अकेला' कविता से है।
  2. प्रस्तुत पंक्ति सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की है।
  3. प्रस्तुत पंक्ति में कवि लोकतंत्र में जनता को सर्वोपरि बतला रहा है।
  4. प्रस्तुत पंक्ति छायावाद से सम्बंधित है।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : प्रस्तुत पंक्ति में कवि लोकतंत्र में जनता को सर्वोपरि बतला रहा है।

काव्य पंक्तियाँ Question 2 Detailed Solution

सही कथन - "प्रस्तुत पंक्ति में कवि लोकतंत्र में जनता को सर्वोपरि बतला रहा है।"

  • प्रस्तुत पंक्तियाँ उत्तर छायावाद के प्रखर कवि रामधारी सिंह दिनकर ‘द्वारा रचित 'जनतंत्र का जन्म’ शीर्षक कविता से संकलित है।

व्याख्या -

  • पराधीन भारत की दयनीय स्थिति को देखकर कवि हृदय विचलित हो उठा था।
  • स्वाधीनता मिलते ही उसका मुखमंडल दीप्त हो उठा है।
  • जनता की हुँकार प्रबल बेग से उठती है।
  • सिंहासन की बात कौंन कहें धरती भी काँप उठती है। उसके साँसों से ताप हवा में उठने लगते हैं।
  • जनता की रूख जिधर उठती है उधर ही समय भी अपना मुख कर देता है।
  • वस्तुतः यहाँ कवि कहना चाहता है कि जनता ही सर्वोपरि है। वह जिसे चाहती है उसे राजसिंहासन पर आरूढ़ करती है।

Additional Information

  • सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (21 फरवरी, 1899 - 15 अक्टूबर, 1961) हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं।
  • वे जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा के साथ हिन्दी साहित्य में छायावाद के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं।
  • उन्होंने कई कहानियाँ, उपन्यास और निबंध भी लिखे हैं किन्तु उनकी ख्याति विशेषरुप से कविता के कारण ही है।
  • काव्यसंग्रह -
    • अनामिका (1923)
    • परिमल (1930)
    • गीतिका (1936)
    • अनामिका (द्वितीय) (1939) (इसी संग्रह में सरोज स्मृति और राम की शक्तिपूजा जैसी प्रसिद्ध कविताओं का संकलन है।
    • तुलसीदास (1939)
    • कुकुरमुत्ता (1942)
    • अणिमा (1943)
    • बेला (1946)
    • नये पत्ते (1946)
    • अर्चना(1950)
    • आराधना (1953)
    • गीत कुंज (1954)

काव्य पंक्तियाँ Question 3:

भर गया ऐसा हृदय दुख-दर्द से, फेन या बुदबुद नहीं उसमें उठा।

खींचकर उच्छ्वास बोले सिर्फ वे ‘पार्थ, मैं जाता पितामह पास हूँ।'

'कुरुक्षेत्र' की उक्त पंक्तियाँ किस चरित्र की मनोदशा को व्यक्त कर रही हैं?

  1. अर्जुन
  2. श्रीकृष्ण
  3. युधिष्ठिर
  4. भीम

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : युधिष्ठिर

काव्य पंक्तियाँ Question 3 Detailed Solution

भर गया ऐसा हृदय दुख-दर्द से, फेन या बुदबुद नहीं उसमें उठा। खींचकर उच्छ्वास बोले सिर्फ वे ‘पार्थ, मैं जाता पितामह पास हूँ।' 'कुरुक्षेत्र' की यह पंक्तियाँ युधिष्ठिर की मनोदशा को व्यक्त कर रही हैं। 

  • युधिष्ठिर-
    • इन पंक्तियों में युधिष्ठिर के दुःख पर विचार किया गया है। 
    • दर्द से भरे हृदय के साथ वह भीष्म पितामह से मिलने की इच्छा जाहिर करते है। 

Key Pointsकुरुक्षेत्र-

  • रचनाकार-रामधारी सिंह 'दिनकर'
  • प्रकाशन वर्ष -1946 ई.
  • विधा - प्रबंध काव्य
  • विषय-
    • इसकी कथावस्तु महाभारत के शांति पर्व से ली गयी है। 
    • यह रचना महाभारत के भीष्म-युधिष्ठिर संवाद पर आधारित है।  


Important Pointsरामधारी सिंह 'दिनकर'-

  • जन्म-1908-1974 ई.
  • ये राष्ट्रीय-सांस्कृतिक धारा के मुख्य कवि रहे है। 
  • रचनाएँ-
    • रेणुका(1935 ई.), हुंकार(1938 ई.), रसवंती(1940 ई.), रश्मिरथी(1952 ई.), उर्वशी(1961 ई.) आदि। 

Additional Informationकाव्य का सार-

  • युद्ध और शांति के ऊपर विचार किया गया है। 
  • युद्ध कितना विध्वंशकारी होता है उसके परिणामों को बताया गया है। 

काव्य पंक्तियाँ Question 4:

‘मैंने उसको जब जब देखा लोहा देखा, लोहे जैसा तपता देखा, गलते देखा ढलते देखा’ किस रचनाकार की पंक्तियाँ हैं?

  1. केदारनाथ अग्रवाल
  2. नागार्जुन
  3. अज्ञेय
  4. भवानी प्रसाद मिश्र

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : केदारनाथ अग्रवाल

काव्य पंक्तियाँ Question 4 Detailed Solution

  • उपर्युक्त पंक्तियाँ केदारनाथ अग्रवाल की ‘वीरांगना’ कविता से ली गयी है।
  • इस कविता में उन्होंने सशक्त और वीरता के भाव से ओतप्रोत महिलाओं का वर्णन किया है। अतः सही विकल्प केदारनाथ अग्रवाल है।
  • केदारनाथ अग्रवाल के कविता संग्रह -
  1. नींद के बादल (1947)
  2. फूल नहीं रंग बोलते हैं (1965)
  3. गुल मेहंदी (1978)
  4. पंख और पतवार (1979)
  5. हे मेरी तुम (1981)
  6. कहें केदार खरी खरी (1983)
  7. जो शिलाएं तोड़ते हैं (1985)

काव्य पंक्तियाँ Question 5:

"मैं तुमसे बात किया करता हूँ। और यही मेरी कविता है।"

प्रस्तुत काव्य-पंक्तियाँ किस कवि की हैं?

  1. शिवमंगल सिंह 'सुमन'
  2. त्रिलोचन
  3. केदारनाथ अग्रवाल
  4. शमशेर बहादुर सिंह
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : त्रिलोचन

काव्य पंक्तियाँ Question 5 Detailed Solution

"मैं तुमसे बात किया करता हूँ। और यही मेरी कविता है।" प्रस्तुत काव्य-पंक्तियाँ त्रिलोचन कवि की हैं। 

Key Pointsत्रिलोचन-

  • पूरा नाम-वासुदेव सिंह
  • जन्म-1917-2007 ई. 
  • प्रगतिवादी कवि है। 
  • रचनाएँ-
    • धरती(1945 ई.)
    • गुलाब और बुलबुल(1956 ई.)
    • दिगंत(1957 ई.)
    • उस जनपद का कवि हूँ(1981 ई.) आदि। 

Important Pointsशिवमंगल सिंह 'सुमन'-

  • जन्म-1915-2002 ई. 
  • प्रगतिवादी कवि है। 
  • रचनाएँ-
    • हिल्लोल
    • जीवन के गान 
    • विंध्य हिमाचल(1960 ई.)
    • मिट्टी की बारात(1972 ई.)
    • हम पक्षी उन्मुक्त गगन के आदि। 

केदारनाथ अग्रवाल-

  • जन्म-1911-2000 ई. 
  • प्रगतिवादी कवि है। 
  • रचनाएँ-
    • युग की गंगा(1947 ई.)
    • फूल नहीं रंग बोलते हैं(1965 ई.)
    • गुलमेहंदी(1978 ई.)
    • पंख और पतवार(1979 ई.)
    • अपूर्वा(1984 ई.) आदि।

शमशेर बहादुर सिंह-

  • जन्म-1911-1993 ई. 
  • दूसरा सप्तक के कवि है। 
  • रचनाएँ-
    • कुछ कविताएँ(1959 ई.)
    • कुछ और कविताएँ(1961 ई.)
    • चुका भी हूँ मैं नहीं(1975 ई.)
    • इतने पास अपने(1980 ई.)
    • काल तुझसे होड़ है मेरी(1988 ई.) आदि। 

काव्य पंक्तियाँ Question 6:

"बहुत दिनों के बाद" कविता में कवि की भावनात्मक स्थिति को किसके माध्यम से सबसे अधिक व्यक्त किया गया है?

  1. मौलसिरी के फूलों की सुगंध के माध्यम से
  2. "बहुत दिनों के बाद" की पुनरावृत्ति के माध्यम से
  3. धान कूटती किशोरियों की तान के माध्यम से
  4. फसलों की मुस्कान के माध्यम से

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : "बहुत दिनों के बाद" की पुनरावृत्ति के माध्यम से

काव्य पंक्तियाँ Question 6 Detailed Solution

उत्तर- "बहुत दिनों के बाद" की पुनरावृत्ति के माध्यम से
 

विश्लेषण: कविता में "बहुत दिनों के बाद" वाक्यांश की बार-बार पुनरावृत्ति कवि की लंबे समय बाद अपनी जड़ों से जुड़ने की तीव्र भावना, नॉस्टैल्जिया, और आनंद को व्यक्त करती है। यह पुनरावृत्ति कविता की भावनात्मक गहराई को बढ़ाती है।

काव्य पंक्तियाँ Question 7:

बहुत दिनों के बाद" कविता में कवि ने जी भरकर क्या खाया?

  1. चंदनवर्णी धूल और फसलें
  2. मौलसिरी के फूल और गन्ने
  3. धान और तालमखाना
  4. तालमखाना और गन्ने

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : तालमखाना और गन्ने

काव्य पंक्तियाँ Question 7 Detailed Solution

उत्तर- तालमखाना और गन्ने
 

विश्लेषण: कवि ने लिखा है, "अबकी मैंने जी भर तालमखाना खाया, गन्ने चूसे जी भर," जो ग्रामीण जीवन की सादगी और प्राकृतिक स्वादों के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है। तालमखाना एक जंगली फल है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में आम है।

काव्य पंक्तियाँ Question 8:

"बहुत दिनों के बाद" कविता में कवि ने पगडंडी की धूल को किस रंग का बताया है?

  1. सुनहला
  2. चंदनवर्णी
  3. लाल
  4. सफेद

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : चंदनवर्णी

काव्य पंक्तियाँ Question 8 Detailed Solution

उत्तर- चंदनवर्णी
 

विश्लेषण: कवि ने अपनी गँवई पगडंडी की धूल को "चंदनवर्णी धूल" कहा है, जो ग्रामीण मिट्टी के रंग को चंदन की तरह सुंदर और पवित्र दर्शाता है। यह कवि की अपनी जड़ों से गहरी संवेदनात्मक लगाव को व्यक्त करता है।

काव्य पंक्तियाँ Question 9:

"बहुत दिनों के बाद" कविता में कवि ने किशोरियों की तुलना किससे की है?

  1. कोयल से
  2. चंदन से
  3. मौलसिरी के फूलों से
  4. सुनहली फसलों से

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : कोयल से

काव्य पंक्तियाँ Question 9 Detailed Solution

उत्तर- कोयल से
 

विश्लेषण: कवि ने किशोरियों की आवाज को "कोकिलकंठी तान" कहा है, जिसमें "कोकिलकंठी" का अर्थ कोयल की तरह मधुर आवाज वाला होता है। यह तुलना किशोरियों की मधुर आवाज को प्रकृति की सुंदरता से जोड़ती है।

काव्य पंक्तियाँ Question 10:

"बहुत दिनों के बाद" कविता में कवि ने सबसे पहले किस प्राकृतिक सौंदर्य को जी भरकर देखा?

  1. धान कूटती किशोरियों को
  2. मौलसिरी के फूलों को
  3. गँवई पगडंडी की धूल को
  4. पकी-सुनहली फसलों की मुस्कान को

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : पकी-सुनहली फसलों की मुस्कान को

काव्य पंक्तियाँ Question 10 Detailed Solution

उत्तर- पकी-सुनहली फसलों की मुस्कान को
 

विश्लेषण: कविता की शुरुआत में कवि कहते हैं, "अबकी मैंने जी भर देखी, पकी-सुनहली फ़सलों की मुस्कान," जो सबसे पहले उनके अनुभव को दर्शाता है। यह ग्रामीण जीवन की समृद्धि और प्रकृति के सौंदर्य को व्यक्त करता है।

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