विद्यार्थिनः अन्येषां सहयोगेन उपलब्धेः तान् स्तरान् प्राप्तुं शक्नुवन्ति यान् ते एकाकिनः एवं स्वावलम्बेन प्राप्तुं न शक्नुवन्ति। भाषाशिक्षणे इयं धारणा किं कथ्यते ?

This question was previously asked in
CTET Paper 2 Social Science 31st Dec 2021 (English-Hindi-Sanskrit)
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  1. निविष्टि परिकल्पना (Input hypothesis)
  2. बहिर्गत परिकल्पना (Output hypothesis)
  3. अन्तर्क्रिया परिकल्पना (Interaction hypothesis)
  4. पृष्ठाश्रय परिकल्पना (Scaffolding hypothesis)

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Option 4 : पृष्ठाश्रय परिकल्पना (Scaffolding hypothesis)
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प्रश्नानुवादविद्यार्थी अन्यों के सहयोग से उपलब्धि के उस स्तर को प्राप्त कर सकते हैं, जिसको वे अकेले ही स्वयं प्राप्त नहीं कर सकते हैं। भाषा शिक्षण में इस धारणा को कहा जाता है ?

स्पष्टीकरण - उपरोक्त प्रश्न के सन्दर्भ में भाषा शिक्षण की इस धारण को पृष्ठाश्रय परिकल्पना (Scaffolding hypothesis) कहा जाता है। इसका प्रतिपादन लेव वायगोत्स्की द्वारा सामाजिक-सांस्कृति सिद्धान्त में किया गया।

उन्होंने स्काफोल्डिंग (Scaffolding) इस सम्प्रत्यय को प्रतिपादित किया। इसका अभिप्राय यह है कि बालक किसी उपलब्धि को अपने मित्र, वयस्क या अपने से बडे़ की सहायता से प्राप्त कर सकता है, जिसे वह स्वयं नहीं कर पाता। जो बालक के अधिगम में सहायक होता है।Important Points

लेव वाइगोत्सकी

  • लेव वाइगोत्सकी (1896-1934) एक रूसी मनोवैज्ञानिक थे।
  • वाइगोत्सकी के अनुसार संज्ञानात्मक विकास पर सामाजिक कारकों (परिवार, समाज, विद्यालय, मित्र-मंडली परिवेश) व भाषा का प्रभाव पड़ता है। 
  • संस्कृति और भाषा विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए इस सिद्धान्त को सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धान्त के नाम से भी जाना जाता है।
  • सामाजिक रचनावाद का प्रतिपादन लेव वाइगोत्सकी ने किया। यह उपागम अधिगम में सामाजिक अन्तःक्रिया व संदर्भ को महत्वपूर्ण मानता है। 
  • बच्चे परस्पर अन्तःक्रिया द्वारा एक-दूसरे से अपने विचार साझा करते हुए अर्थ ग्रहण करते हैं। 
  • ज्ञान पर्यावरण में फैला हुआ है, जिसे आपस में अन्तःक्रिया द्वारा विकसित किया जा सकता है।

वायगोत्स्की की समाजिक-सांस्कृतिक शिक्षा का सिद्धांत -

  • वायगोत्स्की एक रूसी मनोवैज्ञानिक थे, जो मानते थे कि सामाजिक अंतःक्रिया विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उनके अनुसार अधिगम तब होता है जब बच्चे लोगों और पर्यावरण के साथ अंतःक्रिया करते हैं।
  • वह इसे निकटतम विकास (ZPD) के क्षेत्र की अवधारणा के साथ समझाते हैं, जो कई कार्यों को संदर्भित करता है, जिसे एक बच्चा केवल अधिक कुशल वयस्क या अधिक ज्ञानवान कहे जाने वाले (MKO) सहकर्मी से सहायता के साथ प्राप्त करता है। जिसमें वह किसी कठिन कार्य को उनकी सहायता से पूरा कर लेता है। जहाँ भी आवश्यक हो वयस्क सहायता प्रदान की जाती है, जिसे पृष्ठाश्रय-परिकल्पना (Scaffolding) कहा जाता है।
  • वायगोत्स्की इस सिद्धांत में सन्निहित है, 'निजी भाषण' की अवधारणा जो एक प्रकार का भाषण है जो बिना किसी संप्रेषण क्रिया के स्वयं के लिए निर्देशित है। बच्चे स्वयं बोलकर अपने कार्यों का मार्गदर्शन करने के लिए निजी भाषण का उपयोग करते हैं।

 

अतः कहा जा सकता है कि उपरोक्त प्रश्न के सन्दर्भ में भाषा शिक्षण की इस धारण को पृष्ठाश्रय परिकल्पना (Scaffolding hypothesis) कहा जाता है। जहाँ बालक किसी उपलब्धि को अपने मित्र, वयस्क या अपने से बडे़ की सहायता से प्राप्त कर सकता है।

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