Question
Download Solution PDFसंस्कृतभाषां पाठयन् शिक्षकः अपेक्षां न करोति यत् छात्रः -
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्न का अनुवाद- संस्कृत भाषा पढाने वाले शिक्षक ने छात्रों से अपेक्षा नही करनी चाहिये की छात्रों ने -
अध्यापक व विद्यार्थी-आपसी संबंध व व्यवहार-
- अध्यापक शिक्षण प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण अंग है।
- अध्यापक के बिना शिक्षा की प्रक्रिया सफल रुप से नहीं चल सकती।
- अध्यापक न केवल छात्रों को शिक्षा प्रदान करके ही अपने दायित्वत से मुक्ति पा लेता है वरन उसका उत्तर दायित्व है तो इतना अधिक और महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक व्यक्ति उन्हें पूर्ण करने में समर्थ नहीं है।
- शिक्षक की क्रिया और व्यवहार का प्रभाव उसके विद्यार्थियों,विद्यालय और समाज पर पड़ता है।इस दृष्टि से कहा जाता है कि अध्यापक राष्ट्र का निर्माता होता है।
- अतः अध्यापक अपने कार्यों को सफलतापूर्वक एवं उचित प्रकार से करने के लिए आवश्यक है कि उसमें कुछ गुण अथवा विशेषताएं होनी चाहिए।
- एक शिक्षक केवल अध्यापक के प्रति रुचि रखें यह पर्याप्त नहीं है।
- उसे अपने विद्यार्थियों में भी रुचि रखनी चाहिए।साथ ही विद्यार्थियों से प्रेम, सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए। विद्यार्थियों के द्वारा पूछे गए प्रश्नों का संतोषजनक रूप से उत्तर देना चाहिए।उनकी समस्याओं का सहानुभूतिपूर्ण समाधान करना चाहिए।इससे विद्यार्थी भी अध्यापक का आदर करेंगे।
संस्कृत भाषा अध्यापन-
- खास करके कक्षा में संस्कृत भाषा के शिक्षक को उसके भाषा प्रति पूर्ण समर्पण एवं भाषा में कुशल होना चाहिये उसे संस्कृत भाषा का संपूर्ण ज्ञान होना चाहिये।
- कक्षा-कक्ष की परिचर्चा में शिक्षक-विद्यार्थी के बीच सौहार्दपूर्ण वर्तन होना चाहिये।
- संस्कृतभाषामाध्यमेन सरलकथनानि कुर्यात्।- अर्थात् शिक्षक ने विद्यार्थियों को संस्कृत माध्यम से सरल कथन करना चाहिये। सिखाने में सुगमता होनी चाहिये।
- समुचितविरामचिह्नानां शुद्धाक्षराणां प्रयोगं कृत्वा संस्कृतभाषां पठनीया सङ्गतिपूर्णां च लिखेत्।- अर्थात एक आदर्श संस्कृत भाषा शिक्षक ने समुचित विरामचिन्होंं और शुद्ध अक्षरोंं का प्रयोग कर संस्कृत भाषा को संगतिपूर्ण तरीके से पढना एवं लिखना चाहिये।
- सम्बोधनानां, प्रार्थनानां, अभिवादनादीनां च उत्तरं संस्कृतभाषया दद्यात्।- संस्कृत भाषा शिक्षक की यह अपेक्षा रास्त है की, यदि वो संस्कृत भाषा का कुशल अध्यापन करत हो तो विद्यार्थियोंं ने कुछ संबोधन, प्रार्थना, अभिवादन एवं प्रश्नो के उत्तर संस्कृत में देने चाहिये।
- विद्यालये, कक्षायां, गृहे, समाजे वा स्वविचारान् संस्कृतभाषायां प्रकटयेत्।- यह कथन असत्य है। संस्कृत भाषीय शिक्षक का कुछ हद तक भाषा के उपयोग प्रति सजग होना सही है परंतु वह अपेक्षा कक्षा तक ही सीमित हो तो बेहतर रहेगा।
- विद्यालय में, कक्षा में, घर में, समाज में स्व-विचारो का प्रकटीकरण संस्कृत भाषा में ही हो यह जोर देना उचित नही होगा।
- विद्यार्थियोंं को भाषा में रुचि होना भी जरुरी है, जोर-जबरदस्ती से हर जगह संस्कृत संभाषण की मांग करना उचित नही है।
अत: 'विद्यालये, कक्षायां, गृहे, समाजे वा स्वविचारान् संस्कृतभाषायां प्रकटयेत्।' यह विकल्प उचित नही है। एक आदर्श संस्कृत भाषा शिक्षक ने विद्यार्थियो से यह अपेक्षा करना उचित नही होगा।
Last updated on Apr 30, 2025
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