Question
Download Solution PDFनिम्नलिखितेषु कतमं कथनं क्रेशनमहोदयस्य प्राकृतिक-क्रम-परिकल्पनां (Natural order) व्याख्यायति -
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्नानुवाद - निम्नलिखित में से कौन-सा कथन क्रेशन महोदय की प्राकृतिक-क्रम-परिकल्पना (Natural order) को व्याख्यायित करता है -
स्पष्टीकरण - भाषा के अवयव अनुमेय क्रम में सीखे जाते हैं। - यह क्रेशन महोदय की प्राकृतिक-क्रम-परिकल्पना (Natural order) को व्याख्यायित करता है।
Important Points
स्टीफन क्रेशन-
- क्रेशन एक भाषाविद् और शिक्षाविद् है। इनके द्वारा भाषा अधिगम के क्षेत्र में शोधकार्य किया गया।
- इनके सिद्धान्त को भाषा अर्जन सिद्धान्त कहा जाता है।
- इनके अनुसार भाषा अर्जन के लिए व्यापक व्याकरणिक नियमों को जानने की आवश्यकता नहीं है।
- हमें जिस भाषा को सीखना है, उसमें अर्थपूर्ण अन्तःक्रिया करने की आवश्यकता होती है।
क्रेशन का भाषा अर्जन सिद्धान्त पाँच केन्द्रीय प्राक्कल्पनाओं पर आधारित है-
- भाषा अर्जन अधिगम परिकल्पना - इस परिकल्पना के अनुसार भाषा मुख्यतया दो योग्यताओं द्वारा विकसित होती है। भाषा अर्जन और भाषा अधिगम।
- भाषा प्राकृतिक क्रम परिकल्पना - इस परिकल्पना के अनुसार भाषा के किसी भी बिन्दु को अपनी इच्छा या आवश्यकता अनुसार अर्जित किया जा सकता है। जैसे हम कुछ व्याकरणिक नियमों को पहले सीखते है और कुछ को विलम्ब से। प्रत्येक व्यक्ति अलग-अलग क्रम में भाषा को अर्जित करता है।
- भाषा निरीक्षण परिकल्पना - इस परिकल्पना के अनुसार भाषा जब चेतनावस्था में सीखी जाती है, तब वह हमेशा ही निरीक्षक या सम्पादक के रूप में उपलब्ध होती है। निरन्तरता तथा स्पष्टता के साथ किसी भाषा को सीखना तभी संभव हो पाता है, जब हम भाषा अर्जित कर लेते हैं। व्यक्ति द्वारा बोली जाने वाली किसी भी भाषा के वे वाक्य स्वतः ही उसके मस्तिष्क में स्थान बना लेते हैं। हमारे द्वारा जब भी वाक्य संरचना की जाती है तब आन्तरिक रूप से निरीक्षित तथा मूल्यांकित होती है। अर्थात् व्यक्ति सोच-समझकर ही किसी वाक्य को बोलता है। जिसका आकलन वह बोलने से पूर्व कर लेता है।
- भाषा निवेश परिकल्पना - इस परिकल्पना के अनुसार भाषा अर्जन कर लेने के बाद ही किसी व्यक्ति द्वारा उस भाषा में बोले गये संदेश को हम समझ पाते हैं। कोई भी भाषा तभी संवर्धित होती है, जब हम उसमें संवाद और समझ का निवेश करते हैं।
- भाषा भावनात्मक निष्पादन परिकल्पना - इस परिकल्पना के अनुसार भाषा अर्जन प्राप्त करने हेतु मात्र सूचनाओं और संदेशों को समझना ही पर्याप्त नहीं है, हमें उन संदेशों के प्रति इस प्रकार उन्मुख होना चाहिए कि वे सभी सूचनाएं भाषा ग्रहण साधन तक पहुंच सकें। अर्थात् जब रुचिपूर्ण अधिगम वातावरण में हैं तो ज्यादा से ज्यादा निवेश भाषा ग्रहण साधन तक पहुंच पाता है। छात्र अधिक से अधिक भाषा अर्जन कर पाते हैं।
अतः कहा जा सकता है कि भाषा के अवयव अनुमेय क्रम में सीखे जाते हैं। - यह क्रेशन महोदय की प्राकृतिक-क्रम-परिकल्पना (Natural order) को व्याख्यायित करता है।
Last updated on Apr 30, 2025
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