द्वितीयकक्षायाः शिक्षिका कक्षायां भावभङ्गिमया अभिव्यक्त्या च सह एकां बहुरुचिकरां कथां श्रावयति। ततः अनन्तरं सा कांश्चन छात्रान् तां कथां स्वशब्दैः पुनः कथयितुं निर्दिशति। एवं सा आकलनं करोति ________

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CTET July 2019 Paper I (L - I/II: Hindi/English/Sanskrit) (Hinglish Solution)
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  1. श्रवणावबोधस्य
  2. सम्भाषणावबोधस्य
  3. पठनावबोधस्य
  4. लेखनावबोधस्य

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Option 1 : श्रवणावबोधस्य
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प्रश्न का अनुवाद - दूसरी कक्षा की शिक्षिका कक्षा में भावभङ्गिमा तथा अभिव्यक्ति के साथ एक अत्यन्त रुचिकर कथा सुनाती है और उसके बाद कुछ छात्रों को उस कथा को अपने शब्दों में फिर से सुनाने को कहती है। इस प्रकार वह आकलन करती है ______

स्पष्टीकरण - 

भाषा शिक्षण के द्वारा छात्रों में चार प्रकार के कौशलों का विकास किया जाता है।

भाषा-कौशल - भाषा शिक्षण में बहुमुखी प्रयास के सिद्धांत का अनुपालन कर छात्रों की अशुद्धियों को दूर किया जा सकता है। जहां भी भाषायी व्यवहार का अवसर प्राप्त हो सर्वत्र शुद्ध भाषा के प्रयोग का प्रयास किया जाये तभी भाषायी कौशलों का समुचित विकास संभव है।

मानव के विचारों का विनिमय मुख्यतः इन चार प्रक्रियाओं से करता है -

  1. श्रवण-कौशल 
  2. सम्भाषण-कौशल 
  3. पठन-कौशल 
  4. लेखन-कौशल 

  • श्रवण भाषा कौशल, विकास का प्रथम और महत्वपूर्ण चरण है।
  • श्रवण कौशल बच्चे को किसी कथन को सुनकर उस पर चिंतन मनन करने योग्य बनाता है।
  • श्रवण कौशल बच्चे को कथन से संबंधित उचित और सहज प्रतिक्रिया देने या निर्णय लेने योग्य बनाता है।
  • श्रवण कौशल बच्चे द्वारा प्रतिक्रिया देने के दौरान उनकी तर्किक क्षमता तथा चिंतन कौशल को भी सही दिशा देता है।
  • पूर्व में सुने कथा के पूनः कथन के द्वारा छात्रों के श्रवणावबोध का ज्ञान होता है। 

अतः स्पष्ट है कि शिक्षिका कक्षा में छात्रों को पुनः कथा कथन करवा कर उनके श्रवण-कौशल अथवा श्रवणावबोध का आकलन करना चाहती है। 

Additional Information

  • सम्भाषणावबोध - कथा कथन से संभाषण का भी आकलन होता है परन्तु पहले स्वयं कहना फ़िर छात्रों से सुनना सम्भाषण से अधिक श्रवण पर ध्यान आकर्षित करता है।
  • पठनावबोध - पठनावबोध के आकलन के लिये पुस्तक पठन के लिए कहा जाता।
  • लेखनावबोध - वैसे ही लेखनावबोध के लिए कुछ लिखने के लिए कहा जाता।
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