बालकस्य बौद्धिक विकास-दृष्ट्या प्राथमिकस्तरे शिक्षायाः माध्यमः का भवेत्?

This question was previously asked in
UTET-II 2021 Maths & Science (Hindi-English-Sanskrit)
View all UTET Papers >
  1. राष्ट्रभाषा
  2. आंग्लभाषा
  3. मातृभाषा
  4. कम्प्यूटरभाषा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : मातृभाषा
Free
Uttarakhand TET (UTET) CDP Mock Test - 1
2.5 K Users
15 Questions 15 Marks 15 Mins

Detailed Solution

Download Solution PDF

प्रश्न का अनुवाद - बच्चे के बौद्धिक विकास की दृष्टि से प्राथमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम क्या होना चाहिए?
स्पष्टीकरण -  बच्चे के बौद्धिक विकास की दृष्टि से प्राथमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होना चाहिए। जिसके माध्यम से छात्र शीघ्र ही विषय को ग्रहण कर लेते हैं।

Important Pointsमातृभाषा-

  • शिक्षा के क्षेत्र में मातृभाषा स्वयं साध्य की भूमिका निभाती है और अन्य विषयों के शिक्षण के लिए साधन अर्थात् माध्यम के रूप में सिखाई जाती है। साध्य के रूप में मातृभाषा को स्वतंत्र विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। इसमें भाषा के साहित्य और भाषायी विशिष्टाताओं का ज्ञान कराया जाता है।
  • शिक्षार्थी बचपन में अपनी मातृभाषा बोलता और समझता तो है ही, उसकी बौद्धिक चेतना में वृद्धि करने के लिए विद्यालय में मातृभाषा के पढ़ने और लिखने के कौशल भी सिखाए जाते हैं। इसलिए वह साक्षर हो कर अपने प्रतिदिन के कार्य सुचारु रूप से करने में सक्षम और समर्थ हो जाता है।
  • साधन से अभिप्राय यह है कि मातृभाषा विज्ञान, चिकित्सा, प्रौद्योगिकी, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, इतिहास, भूगोल, भाषा विज्ञान आदि विषयों के शिक्षण के माध्यम के रूप में अपनी विशिष्ट भूमिका निभाती है। शिक्षार्थी विभिन्न विषयों का ज्ञान स्वाभाविक रूप से और सरलता एवं सहजता से प्राप्त करता है।
  • इस प्रकार मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने से शिक्षार्थी में बोलने, समझने, पढ़ने और लिखने के चारों कौशलों के विकास के साथ-साथ उसमें साहित्यिक रसास्वादन की क्षमता भी बढ़ती है और वह अपनी भाषा की सूक्ष्मताओं और विशिष्टताओं से परिचित भी होता है।
  • इससे लिखित साहित्य तक उसकी पहुँच हो जाती है। उसकी सर्जनात्मक क्षमता और तार्किक शक्ति का विकास होता है। सर्जनात्मक प्रतिभा से उसकी साहित्यिक रचना करने की शक्ति पैदा होती है। साथ ही अपने समाज में समाजोपयोगी कार्य करने की भाषिक क्षमता भी विकसित होती है।
  • शिक्षाशास्त्र के विभिन्न शोध बताते हैं कि बच्चों के पूर्ण मनो-बौद्धिक विकास के लिए आरंभिक शिक्षण मातृभाषा में ही होना चाहिए। आरंभिक शिक्षण मातृभाषा में होने से बोध एवं संज्ञान क्षमता बढ़ती है। छोटे बच्चों के संदर्भ में मातृभाषा हो तो पढ़ाने लिए ज्यादा कठिनाई नहीं आती है।
  • शैक्षणिक मनोविज्ञान के अनुसार मातृभाषा में संप्रेषण एवं संज्ञान सहज तथा शीघ्र हो जाता है। इससे बच्चे कठिन चीजें भी आसानी से समझ लेते हैं, जबकि इतर भाषाओं में बच्चों को रटना पड़ता है, जो उनके पूर्ण मानसिक विकास के लिए ठीक नहीं है।

 

अतः कहा जा सकता है कि बच्चे के बौद्धिक विकास की दृष्टि से प्राथमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होना चाहिए।

Latest UTET Updates

Last updated on Jul 11, 2025

-> UTET 2025 Applications are invited from 10 July to 05 August.

-> The UTET 2025 Notification has been released along with the details of application dates and eligibility.

-> The Uttarakhand Board of School Education conducts the Uttarakhand Teacher Eligibility Test (UTET) to determine the eligibility of candidates for recruitment as teachers for classes I-VIII, in institutions across the state of Uttarakhand.

-> Candidates can opt to appear for either UTET Paper I (classes I-V), UTET Paper II (classes VI-VIII), or both, depending on the classes they wish to teach.

->Enhance your preparation with the UTET Previous Year Papers.

More भाषा विकास Questions

More भाषा विज्ञान Questions

Get Free Access Now
Hot Links: teen patti master apk online teen patti real money teen patti teen patti joy apk