Question
Download Solution PDF'गो + अक्षः' इत्यस्य संधियुक्तं पदं भवति -
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्नार्थ - 'गो + अक्षः' इस का संधियुक्त पद है-
स्पष्टीकरण - 'गो + अक्षः' जानने के लिये हमे 'अवङ् स्फोटायनस्य' समझना जरुरी है।
अवङ् स्फोटायनस्य - पद 'गो' शब्द के परे स्वर आने पर विकल्प से अवङ् आदेश होता है। जैसे-
गोः अग्रम् → गो + अग्र → ग् अवङ् अग्र (अवङ् स्फोटायनस्य) → ग् अव अग्र → गवाग्रम्
- गोः अग्रम् के लिये विकल्प 'सर्वत्र विभाषा गोः' इस सूत्र से 'गोअग्रम्' और 'एङः पदान्तादति' सूत्र से 'गोऽग्रम्' रूप भी बनते है।
गो + ओदन → ग् अवङ् ओदन (अवङ् स्फोटायनस्य) → ग् अव ओदन → गवौदनम्
- गो + ओदन का एचोऽयवायावः सूत्र से गवोदन सुप् भी बनता है।
Important Points
गो + अक्षः का सन्धि →
- गो + अक्षः
- ग् + अवङ् + अक्षः (अवङ् स्फोटायनस्य)
- ग् + अव + अक्षः (ङकारस्य इत्संज्ञा, लोपः)
- गवाक्षः
'गवाक्षः इत्यत्र नित्यम् अवङ् भवति' अर्थात् काशिका के अनुसार गवाक्षः के लिये 'अवङ् स्फोटायनस्य' यह एक ही सूत्र लगता है और 'सर्वत्र विभाषा गोः' और 'एचोऽयवायावः इन सूत्रों का प्रयोग नहीं होता।
अतः 'गवाक्षः' यह उचित पर्याय होता है।
Last updated on Jul 12, 2025
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