भारतेन्दु युग MCQ Quiz in తెలుగు - Objective Question with Answer for भारतेन्दु युग - ముఫ్త్ [PDF] డౌన్లోడ్ కరెన్
Last updated on Mar 25, 2025
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भारतेन्दु युग Question 1:
"एक रूप हिन्दू तुरुक दूजी दशा न कोय।
मन की द्विविधा मानकर भये एक सों दोय।।"
यह कविता किस कवि की है?
Answer (Detailed Solution Below)
भारतेन्दु युग Question 1 Detailed Solution
"एक रूप हिंदू तुरक दूजी दशा न कोय!
मन की द्विविधा मानकर भये एक सों दोय!"- यह कविता बनारसीदास कवि की है।Key Points
- बनारसी दास- (1643 संवत)
- ये जौनपुर के रहने वाले एक जैन जोहरी थे जो आमेर में भी रहा करते थे।
- इन्होंने संवत 1698 तक का अपना जीवनवृत 'अर्द्धकथानक' नामक ग्रंथ में दिया है।
- पुराने हिंदी साहित्य में रचित यही एक आत्मचरित्र है।
- पहले यह शृंगार रस की कविता किया करते थे पर पीछे ज्ञान हो जाने पर इन्होंने वे सब कविताएं गोमती नदी में फेंक दी और ज्ञानोपदेश पूर्ण कविताएं करने लगे।
- इनके कुछ उपदेश ब्रजभाषा गद्य में भी है।
- जैन धर्म संबंधी अनेक पुस्तकों के सारांश हिंदी में कहें।
Important Points
- बनारसी दास की रचनाएं –
- बनारसी बिलास - फुटकल कवितों का संग्रह
- नाटक समयसार - कुंदकुंदाचार्य कृत ग्रंथ का सार है
- नाममाला - कोश ग्रंथ है।
- अर्ध कथानक, बनारसी पद्धति मोक्षपदी, ध्रुववंदना, कल्याण मंदिर भाषा, वेद निर्णय पंचाशिका, मारगन विद्या.
- इनकी रचना शैली पुष्ट है और इनकी कविता दादूपंथी सुंदर दास की कविता से मिलती जुलती है।
Additional Information
- नरोत्तमदास –
- इनका 'सुदामा' चरित्र ग्रंथ बहुत प्रसिद्ध है।
- सुदामा चरित ग्रंथ के सवैया बहुत लोगों के मुंह पर सुनाई पड़ते हैं।
- 'ध्रुव चरित्र ' इनका एक खंडकाव्य है।
- वली दक्कनी -
- इनका नाम बली मोहम्मद था।
- पुरानी प दखिनी धारा की परसमाप्ति और उर्दू काव्य धारा के आरंभ युग के संधि काल के महाकवि है।
- इन्हें उर्दू कविता के पिता के रूप में जाना जाता है।
- उर्दू भाषा में ग़ज़ल बनाते थे।
- इन्होंने अपनी गजलों में भारतीयों विषयों मुहावरों और इमेजरी का भी प्रयोग किया है।
- नवल दास –
- नवल संप्रदाय के संस्थापक संत नवल दास है।
- संत नवल दास जी का जन्म हसोलाव गांव नागौर में हुआ
- नवल संप्रदाय की मुख्य पीठ जोधपुर में है।
- इनके भाषणों का संग्रह 'नवले श्वर अनुभव वाणी' में है।
भारतेन्दु युग Question 2:
'निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल' – किस प्रसिद्ध कवि की काव्यपंक्ति है ?
Answer (Detailed Solution Below)
भारतेन्दु युग Question 2 Detailed Solution
'निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति कौ मूल।' 'भारतेन्दु हरिश्चंद्र' की पंक्ति है।
- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (9 सितंबर 1850-6 जनवरी 1885) "आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह" कहे जाते हैं।
- इनका मूल नाम 'हरिश्चन्द्र' था, 'भारतेन्दु' उनकी उपाधि थी।
- इनके निबंध संग्रह निम्नलिखित हैं:-
- नाटक
- कालचक्र (जर्नल)
- लेवी प्राण लेवी
- भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है?
- कश्मीर कुसुम
- जातीय संगीत
- संगीत सार
- हिंदी भाषा
- स्वर्ग में विचार सभा
Important Points
- हिंदी में नाटकों का प्रारम्भ भारतेन्दु हरिश्चंद्र से माना जाता है।
- भारतेन्दु के नाटक लिखने की शुरुआत बंगला के विद्यासुन्दर (1867) नाटक के अनुवाद से होती है।
भारतेंदु हरिश्चंद्र के मौलिक नाटक निम्नलिखित हैं:-
भारतेन्दु युग Question 3:
'बगियान बसंत बसेरो कियो, बसिए, तेहि त्यागि तपाइए ना |
दिन काम-कुतूहल के जो बने, तिन बीच बियोग बुलाइए ना ||
'उपर्युक्त काव्य पंक्तियों के रचनाकार हैं:
Answer (Detailed Solution Below)
भारतेन्दु युग Question 3 Detailed Solution
उपर्युक्त काव्य पंक्तियों के रचनाकार-2) बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' हैं।
Important Points
- प्रेमघन की रचनाओं का क्रमशः तीन खंडों में विभाजन किया जाता है-
- प्रबंध काव्य
- संगीत काव्य
- स्फुट निबंध
- "भारत सौभाग्य" नाटक 1888 में कांग्रेस महाधिवेशन के अवसर पर खेले जाने के लिए लिखा गया था।
Additional Information
- प्रेमघन की रचनायें-भारत सौभाग्य,प्रयाग रामागमन,संगीत सुधासरोवर,भारत भाग्योदय काव्य।
- 1881 को मिर्जापुर से 'आनन्द कादम्बनी' इनके द्वारा ही संपादित की गई।
भारतेन्दु युग Question 4:
''कलिकौतुक' के रचयिता कौन हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
भारतेन्दु युग Question 4 Detailed Solution
- सही उत्तर विकल्प 2 है।
- प्रताप नारायण मिश्र
- कलि कौतुक - 1886 (प्रहसन)
- प्रताप नारायण मिश्र - भारतेंदु मंडल के कवि, लेखक और पत्रकार
- आचार्य शुक्ल ने हिंदी का एडीसन कहा।
- महत्त्वपूर्ण रचनाएँ
- नाटक: गो संकट, कलिकौतुक, कलिप्रभाव, हठी हम्मीर।
- निबंध संग्रह -, प्रताप पीयूष, प्रताप समीक्षा
- अनूदित गद्य कृतियाँ: राजसिंह, अमरसिंह, इन्दिरा, राधारानी, चरिताष्टक, पंचामृत, नीतिरत्नमाला,
- कविता : प्रेम पुष्पावली, मन की लहर,
- हिंदी, हिंदू, हिंदुस्तान का नारा दिया।
भारतेन्दु युग Question 5:
'क्या भूलूँ क्या याद करूँ' के अनुसार 'चम्मा' की मृत्यु के समय लेखक आयु की कौन सी अवस्था में था ?
Answer (Detailed Solution Below)
भारतेन्दु युग Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर है- लड़कपन
Key Points
- 'क्या भूलूँ क्या याद करूँ' में, 'चम्मा' की मृत्यु के समय लेखक, हरिवंश राय बच्चन, लगभग 10-11 वर्ष के थे, जो कि बाल्यकाल की अवस्था थी।
Important Pointsक्या भूलूँ क्या याद करूँ-
- रचनाकार- हरिवंशराय बच्चन
- विधा- आत्मकथा
- प्रकाशन वर्ष- 1969 ई.
- विषय-
- इसमें बच्चन सिंह के बचपन के चित्र प्रस्तुत किए गए है।
Additional Informationहरिवंशराय बच्चन-
- जन्म-1907-2003 ई.
- हिन्दी में हालावाद के प्रवर्तक है।
- प्रेम व मस्ती के कवि है।
- हिन्दी का 'बायरन' कहा जाता है।
- आत्मकथा-
- भाग-1: क्या भूलूँ क्या याद करूँ(1969 ई.)
- भाग-2: नीड़ का निर्माण फिर(1970 ई.)
- भाग-3: बसेरे से दूर(1978 ई.)
- भाग-4: दशद्वार से सोपान तक(1985 ई.)
- अन्य रचनाएँ-
- मधुशाला(1935 ई.)
- मधुबाला(1936 ई.)
- मधुकलश(1937 ई.)
- निशा निमंत्रण(1938 ई.)
- सतरंगिनी(1945 ई.) आदि।
भारतेन्दु युग Question 6:
हिन्दी का एडिसन किसे कहा जाता है ?
Answer (Detailed Solution Below)
भारतेन्दु युग Question 6 Detailed Solution
हिन्दी का एडिसन प्रतापनारायण मिश्र को कहा जाता है।
Key Points
प्रतापनारायण मिश्र-(1856-1894)
- भारतेन्दु मण्डल के प्रमुख लेखक, कवि और पत्रकार थे।
प्रमुख रचनाएँ-
- गो संकट
- कलिकौतुक
- कलिप्रभाव
- जुआरी-खुआरी (प्रहसन)
- निबंध नवनीत
- प्रताप पीयूष
- प्रताप समीक्षा आदि।
Additional Information
भारतेंदु हरिश्चन्द्र (1850-1885 ई.)
- आधुनिक हिंदी साहित्य के जनक माने जाते हैं। वे हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे।
प्रमुख रचनाएँ-
- वैदिक हिंसा हिंसा न भवति 1873
- भारत दुर्दशा 1875
- नीलदेवी 1881
- अंधेर नगरी 1881
- चन्द्रावली 1881 आदि।
बालकृष्ण भट्ट-(1844-1914ई.)
- हिन्दी के पत्रकार, उपन्यासकार, नाटककार और निबंधकार थे।
- उन्हें गद्य प्रधान कविता का जनक माना जा सकता है। हिन्दी गद्य साहित्य में उनका प्रमुख स्थान है।
प्रमुख रचनाएँ-
- साहित्य सुमन
- भट्ट निबंधमाला
- आत्मनिर्भरता (1893)
- चंद्रोदय
- संसार महानाट्यशाला
- प्रेम के बाग का सैलानी
- माता का स्नेह आदि।
भारतेन्दु युग Question 7:
डॉ. तुलसीराम को छोटी उम्र में अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की तरफ अनजाने में ही खींचनेवाले तीन लोग कौन थे ?
Answer (Detailed Solution Below)
भारतेन्दु युग Question 7 Detailed Solution
डॉ. तुलसीराम को छोटी उम्र में अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की तरफ अनजाने में ही खींचनेवाले तीन लोग थे- मुन्नर, सोनई, जेदीKey Pointsमुर्दहिया-
- रचनाकार- तुलसीराम
- विधा- आत्मकथा
- प्रकाशन वर्ष- 2010 ई.
- पात्र-
- धीरज(लेखक की माँ)
- जूठन(दादाजी)
- मुसडी
- सोम्मर
- नग्गर काका
- मुन्नेसर काका आदि।
- सात भागों में विभाजित आत्मकथा हैं।
- मुख्य-
- 'मुर्दहिया' अनूठी साहित्यिक कृति होने के साथ ही पूरबी उत्तर प्रदेश के दलितों की जीवन स्थितियों तथा साठ और सत्तर के दशक में इस क्षेत्र में वाम आंदोलन की सरगर्मियों का जीवंत खजाना है।
- दूसरे अंश 'मुर्दहिया तथा स्कूली जीवन' में शिक्षा के लिए किया जा रहा संघर्ष और उसमें गाँव से थोड़ा दूर स्थित मुर्दहिया की चौंकाने वाली घटनाओं को उदात्त रूप में प्रस्तुत किया है।
- 'मुर्दहिया' के तीसरे अंश 'अकाल में अंध विश्वास' के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों को प्रस्तुत किया है।
Important Pointsडॉ. तुलसीराम-
- जन्म-1949-2015 ई.
- डॉ. तुलसीराम हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार एवं दलित चिन्तक थे।
- इनका जन्म आजमगढ़ में हुआ।
- प्रमुख रचनाएँ-
- मुर्दहिया
- मणिकर्णिका आदि।
भारतेन्दु युग Question 8:
भारतेन्दु युग में पंक्ति 'हमारो उत्तम भारत देश' किनके द्वारा रचित है?
Answer (Detailed Solution Below)
भारतेन्दु युग Question 8 Detailed Solution
भारतेन्दु युग में पंक्ति 'हमारो उत्तम भारत देश' राधाचरण गोस्वामी के द्वारा रचित है।
Key Pointsराधाचरण गोस्वामी-
- जन्म- 1859-1925 ई.
- रचना-
- नवभक्तमाल
Important Pointsराधाकृष्ण दास-
- जन्म-1865-1907 ई.
- भारतेन्दु युगीन कवि है।
- रचनाएँ-
- भारत बारहमासा
- देश दशा आदि।
प्रताप नारायण मिश्र-
- जन्म-1856-1894 ई.
- भारतेन्दु युगीन कवि है।
- रचनाएँ-
- मन की लहर
- लोकोक्ति शतक
- शृंगार विलास
- हरगंगा आदि।
बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन-
- जन्म-1855-1922 ई.
- रचनाएँ-
- जीर्ण जनपद
- आनंद अरुणोदय
- मयंक महिमा
- वर्षा बिन्दु आदि।
भारतेन्दु युग Question 9:
'माटी की मूरतें' रेखाचित्र में बालगोबिन भक्त किस जाति से संबंधित थे?
Answer (Detailed Solution Below)
भारतेन्दु युग Question 9 Detailed Solution
- रचनाकार - रामवृक्ष बेनीपुरी
- प्रकाशन वर्ष - 1946 ई.
- विधा - रेखाचित्र
- पात्र - रजिया, बलदेव सिंह, मंगर, रूपा की आजी, देव, बालगोबिन भगत , भौजी, परमेश्वर, बैजू मामा, सुभान खा, बुधिया।
- मुख्य - बालगोबिन भगत तेली जाति के हैं।
- कबीर के अनुयाई है।
- गाने में कुशल, खँजड़ी बजाकर कबीर के पद गाता था।
- पुत्र की मृत्यु होने पर भी गीत गाए।
- आत्मा परमात्मा के पास चली गई यह कहकर उत्सव मनाने को कहा।
- 'माटी की मूरतें' में संकलित सभी रेखाचित्र रामवृक्ष बेनीपुरी ने हजारी बाग सेंट्रल जेल में रहते हुए लिखे हैं।
- इन रेखाचित्रों में रामवृक्ष बेनीपुरी ने अपने जीवन के उनचुनिदा लोगों के बारे में लिखा है जो उन्हें अत्यंतप्रिय थे।
- वे लगभग हर व्यक्ति के बारे में बताते हुए अपने बचपन में चले जाते हैं।
- बचपन के दिनों में इन सभी व्यक्तियों के साथ बिताए हुए पलों का संजीव चित्रण करने के साथ-साथ।
- उसे दूर की सामाजिक आर्थिक एवं सांस्कृतिक स्थिति भी उनके माध्यम से स्पष्ट करते चलते हैं।
- इन रेखाचित्रों के माध्यम से हर व्यक्ति के जीवन एक चरित्र के श्वेतश्याम पक्षों को दिखलातें हुए मानवीय एवं नैतिक पक्षो को अधिक उभारा गया है।
- रेखाचित्र में लेखक ने बचपन की स्मृतियों को महत्व दिया और जवानी एवं आगे के जीवन के साथ उसकी तुलना की है।
- लाल तारा (1938 ई.)
- गेहूं और गुलाब (1950 ई.)
- मील के पत्थर (1957 ई.)
भारतेन्दु युग Question 10:
भारतेंदु हरिश्चंद्र ने काव्य धारा को किस और मोड़ा?
Answer (Detailed Solution Below)
भारतेन्दु युग Question 10 Detailed Solution
भारतेंदु हरिश्चंद्र ने काव्य धारा को 'स्वदेश प्रेम की ओर मोडा' है।
Key Pointsभारतेंदु (1850-1885) के काव्य की प्रमुख विशेषताः-
- समाज सुधार की भावना
- राष्ट्र प्रेम आदि नवीन विषयों को भी अपनाया है।
- श्रृंगार-रस प्रधान
- भक्ति-रस प्रधान
- समाजिक समस्या प्रधान
- राष्ट्र प्रेम प्रधान आदि।
भारतेंदु की प्रमुख रचनाएँः-
- भक्ति सर्वस्व (1870)
- प्रेम मालिका (1871)
- प्रेम प्रलाप( 1877)
- फूलों का गुच्छा ((1882)
- कृष्णचरित्र (1883)
- प्रेम-फुलवारी (1883)
- विजयिनी विजय वैजयंती
- नीलदेवी (1881)
- विनय प्रेम पचास (1881)
- वैदिक हिंसा हिंसा न भवति(1873)
- सत्य हरिश्चंद(1876)
Additional Information
- निर्णुन भक्ति की ओर भक्तिकाल की ज्ञानाश्रयी शाखा तथा प्रेमाश्रयी शाखा के कवि हैं।
- शृंगार प्रियता की ओर रीतिकाल के कवि हैं।
- रीति ग्रंथो की ओर रीतिकाल के रीतिबद्ध कवि हैं।