काव्य और कवि MCQ Quiz in తెలుగు - Objective Question with Answer for काव्य और कवि - ముఫ్త్ [PDF] డౌన్‌లోడ్ కరెన్

Last updated on Apr 18, 2025

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Latest काव्य और कवि MCQ Objective Questions

Top काव्य और कवि MCQ Objective Questions

काव्य और कवि Question 1:

भूषण का वास्तविक नाम था

  1. घनश्याम
  2. रामबिहारी
  3. रासबिहारी
  4. कृष्णदास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : घनश्याम

काव्य और कवि Question 1 Detailed Solution

सही उत्तर है - घनश्याम। 

Key Pointsभूषण(1613-1705):-

  • रीतिकालीन लेखकों में भूषण प्रसिद्ध कवि थे जिनका वास्तविक नाम घनश्याम था। 
  • शिवराज भूषण ग्रंथ के एक दोहे के अनुसार 'भूषण' उनकी उपाधि है जो उन्हें चित्रकूट के राजा हृदयराम के पुत्र रुद्रशाह ने प्रदान की थी।
  • भूषण का काव्य छत्रपति शिवाजी और बुन्देलखण्ड के राजा छत्रसाल का समकालीन माना जाता है।
  • भूषण मध्य प्रदेश के एक प्रमुख मध्यकालीन साहित्यकार थे, जो 17वीं शताब्दी में रहते थे।

 Additional Information

  • भूषण रीतिकाल के प्रमुख कवियों में से एक हैं।
  • वीर रस की प्रमुखता वाली रचनायें की।
  • भूषण के काव्य की भाषा ब्रजभाषा थी।
  • प्रमुख रचनाएँ-

    • शिवराजभूषण
    • शिवाबावनी
    • छत्रसालदशक
    • भूषण उल्लास
    • भूषण हजारा
    • दूषनोल्लासा।

काव्य और कवि Question 2:

निम्नलिखित में से रीतिकाल के कवि हैं-

  1. तुलसीदास
  2. कबीरदास
  3. वृंद
  4. सूरदास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वृंद

काव्य और कवि Question 2 Detailed Solution

'वृंद' रीतिकाल के कवि हैं, अन्य विकल्प असंगत है, अत: विकल्प 3 'वृंद सही उत्तर होगा।  

Key Points

  •  रीतिकालीन परंपरा के अंन्तर्गत वृन्द जी का नाम बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है। 
  • इनका पूरा नाम वृन्दावनदास था। 
  •  वृन्द जी को कविताओं के माध्यम से कई बार सम्मानित पुरस्कारों से नवाजा गया। 
  • इसके चलते वृन्द जी का कविता के विषय में मनोवल बढता गया और वृन्द जी श्रेष्ठ कवि के रूप में पहिचाने जाने लगे। 
  • ‘वृंद-सतसई कवि वृन्द जी की सबसे प्रसद्धि रचनाओं में से एक है. जिसमें 700 दोहे हैं। 

Additional Information

  • हिन्दी साहित्य का उत्तर मध्यकाल रीतिकाल कहलाता है,रीतिकाल समृद्धि और विलासिता का काल कहा जाता है। 
  • हिंदी साहित्य में सम्वत् 1700 से 1900 (वर्ष 1643ई. से 1843 ई. तक) का समय रीतिकाल के नाम से जाना जाता है । 
  • भक्तिकाल को हिंदी साहित्य का पूर्व मध्यकाल और रीतिकाल को उत्तर-मध्य काल भी कहा जाता है ।
  • भक्ति काल और रीति काल दोनों के काल को हिंदी साहित्य का मध्यकाल कहा जा सकता है ।
  • रीतिकाल के कवियों में केशवदास और चिंतामणि का नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है ।
  •  सर्वामान्य रूप से केशवदास को ही रीतिकाल का प्रवर्त्तक कवि माना गया है ।
  • रीतिकाल के कवियों को मुख्यत: तीन वर्गों में रखा गया है :-
  1. रीतिग्रंथकार कवि या लक्षण बद्ध कवि या रीतिबद्ध कवि
  2. रीतिसिद्ध कवि
  3. रीतिमुक्त कवि

काव्य और कवि Question 3:

'रसखान' का साहित्य इनमें से कौन सा नहीं है?

  1. दान लीला
  2. प्रेम वाटिका
  3. सुजान रसखान
  4. शिवराज भूषण
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : शिवराज भूषण

काव्य और कवि Question 3 Detailed Solution

'रसखान' का साहित्य इनमें से नहीं है- शिवराज भूषण

  • 'शिवराज भूषण', कवि भूषण की प्रसिद्ध रचना है।

Key Pointsशिवराज भूषण-

  • रचनाकार- भूषण 
  • विधा- कविता 
  • विषय-
    • इसमें शिवाजी के कार्यकलापों का वर्णन किया गया है।

Mistake Pointsदान लीला-

  • रचनाकार- रसखान
  • विधा- कविता 

प्रेम वाटिका-

  • रचनाकार- रसखान
  • विधा- कविता 
  • दोहा - 53 
  • विषय- 
    • इस कृति में रसखान ने प्रेम का स्पष्ट रूप में चित्रण किया है।

सुजान रसखान-

  • रचनाकार- रसखान
  • विधा- कविता (सवैया)

Important Pointsरसखान-

  • जन्म-1548-1628 ई.
  • हिन्दी साहित्य में कृष्ण भक्त तथा रीतिकालीन कवियों में महत्त्वपूर्ण स्थान है। 
  • मुख्य रचनाएँ-
    • सुजान रसखान
    • प्रेमवाटिका
    • दान लीला
    • रसखान दोहावली 
    • रसखान गीतावली 

भूषण-

  • जन्म- 1613-1715 ई. 
  • यह वीर रस के कवि थे। 
  • मुख्य रचनाएँ-
    • शिवराजभूषण
    • शिवाबावनी
    • छत्रसालदशक

काव्य और कवि Question 4:

रीतिकालीन कवि बिहारी किसके आश्रयित कवि थे?

  1. महाराजा जयसिंह
  2. महाराज छत्रसाल
  3. नरेश रूद्रशाह
  4. छत्रपति शिवाजी महाराज

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : महाराजा जयसिंह

काव्य और कवि Question 4 Detailed Solution

रीतिकालीन कवि बिहारी महाराजा जयसिंह के आश्रयित कवि थे। 

महाराजा जयसिंह-

  • जन्म-1611-1667 ई.
  • अन्य नाम-मिर्ज़ा राजा जयसिंह, जयसिंह प्रथम
  • आमेर के राजा तथा मुग़ल साम्राज्य के वरिष्ठ सेनापति (मिर्ज़ा राजा) थे।
  • जयसिंह वीर सेनानायक और कुशल राजनीतिज्ञ होने के साथ ही साथ साहित्य और कला का भी बड़ा प्रेमी था।
  • उसी के आश्रय में कविवर बिहारी लाल ने अपनी सुप्रसिद्ध 'बिहारी सतसई' की रचना सन 1662 ई. में की थी।

Key Pointsबिहारी-

  • जन्म-1595-1663 ई. 
  • रीतिकाल की रीतिसिद्ध शाखा के प्रमुख कवि रहे है। 
  • अकबर के शासन के अंतिम दिनों से लेकर औरंगजेब के शासन के शुरुआती दिनों टक उनका जीवन काल फैला हुआ है। 
  • रचना-बिहारी सतसई 
    • दोहा छंद में रचित मुक्तक काव्य है 
    • 713 दोहे है। 

Important Pointsबिहारी के लिए विद्वानों के कुछ कथन-

  • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल-
    • "यदि प्रबंधकाव्य एक विस्तृत वनस्थली है तो मुक्तक एक चुना हुआ गुलदस्ता है।"
  • पद्म सिंह शर्मा ने इनके काव्य को 'शक्कर की रोटी' कहा है। 
  • राधाकृष्ण दास-
    • "यदि सूर सूर हैं, तुलसी शशि और उडगन केशवदास हैं तो बिहारी उस पीयूष वर्षी मेघ के समान हैं जिसके उदय होते ही सबका प्रकाश आछन्न हो जाता है।"

Additional Informationमहाराज छत्रसाल-

  • जन्म-1649-1731 ई. 
  • भारत के मध्ययुग के एक महान प्रतापी योद्धा थे।
  • मुगल शासक औरंगज़ेब को युद्ध में पराजित करके बुन्देलखण्ड में अपना राज्य स्थापित किया और ' महाराजा ' की पदवी प्राप्त की।
  • बुन्देलखण्ड केसरी के नाम से विख्यात थे। 
  • भूषण इनका दरबारी कवि था, उसने 'छत्रसाल दशक' ग्रंथ में महाराज छत्रसाल की प्रसंशा की है। 

छत्रपति शिवाजी महाराज-

  • जन्म-1630-1680 ई.
  • भारत के एक महान राजा एवं रणनीतिकार थे जिन्होंने 1674 ई. में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। 
  • इसके लिए उन्होंने मुगल साम्राज्य के शासक औरंगज़ेब से संघर्ष किया।
  • सन् 1674 में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और वह "छत्रपति" बने।
  • भूषण इनका दरबारी कवि था, उसने 'शिवराज भूषण'  'शिवाबावनी' ग्रंथ में महाराज शिवाजी की प्रसंशा की है। 

काव्य और कवि Question 5:

निम्नलिखित में से कौन सी रचना घनानंद की नहीं है?

  1. स्फुट पदावली
  2. स्फुट छंद
  3. यमुना यश
  4. सुजान हित प्रबंध

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : स्फुट छंद

काव्य और कवि Question 5 Detailed Solution

"स्फुट छंद", "घनानंद" की रचना नहीं है अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (2) स्फुट छंद सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।

Key Points

  • स्फुट छंद दूलह की रचना है।
  • घनानंद (1673- 1760) रीतिकाल की तीन प्रमुख काव्यधाराओं- रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध और रीतिमुक्त के अंतिम काव्यधारा के अग्रणी कवि हैं।
  • ये 'आनंदघन' नाम से भी प्रसिद्ध हैं।
  • घनानंद द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 41 बताई जाती है
  • इनके समसामयिक व्रजनाथ ने इनके 500 कवित्त सवैयों का संग्रह किया था।
  • घनानंद ग्रंथावली में उनकी 16 रचनाएँ संकलित हैं।
  • इनकी सर्वाधिक लोकप्रिय रचना 'सुजान हित' है, जिसमें 507 पद हैं।

काव्य और कवि Question 6:

''ये हिन्दी के प्रधान आचार्यों में माने जाते हैं और इनका 'भाषाभूषण' अलंकार ग्रंथ एक बहुत ही प्रचलित पाठयग्रंथ रहा है।''

रामचन्द्र शुक्ल ने उपर्युक्त बात किस रीतिकालीन कवि के विषय में कही है?

  1. मतिराम
  2. देव
  3. महाराज जसवंत सिंह
  4. पद्माकार

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : महाराज जसवंत सिंह

काव्य और कवि Question 6 Detailed Solution

  • सही उत्तर विकल्प 3 है।
  • महाराज जसवंत सिंह
Key Points
  • पुस्तक - हिंदी साहित्य का इतिहास - रीतिकाल प्रकरण 2
  • महाराज जसवंत सिंह - मारवाड़ के प्रतापी नरेश
  • प्रसिद्ध आचार्य और साहित्य मर्मज्ञ
Important Points
  • अन्य रचनाएं -
  1. अपरोक्ष-सिद्धांत,
  2. अनुभव-प्रकाश,
  3. आनंद-विलास,
  4. सिद्धांत-बोध,
  5. सिद्धांतसार,
Additional Information
  • मतिराम के ग्रंथ - रसराज, ललित ललाम, अलंकार पंचाशिका, आदि
  • देव के ग्रंथ - भाव विलास, अष्ट्याम, देव चरित, रस विलास आदि
  • पद्माकर के ग्रंथ - पद्माभरण, जगदविनोद, प्रबोध पचासा आदि

Confusion Points

  • भाषा भूषण नाम से रीतिकाल के ही कवि श्री धर ने भी ग्रंथ लिखा है।

काव्य और कवि Question 7:

रामचंद्र शुक्ल ने बिहारी की भाषा के बारे में क्या लिखा हैं?

  1. बिहारी की भाषा चलती हैं।
  2. बिहारी की भाषा साहित्यिक है।
  3. बिहारी की भाषा चलती होने पर भी साहित्यिक हैं।
  4. बिहारी की भाषा में शब्द-वैचित्र्य बहुत कम हैं।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : बिहारी की भाषा चलती होने पर भी साहित्यिक हैं।

काव्य और कवि Question 7 Detailed Solution

रामचंद्र शुक्ल ने बिहारी की भाषा के बारे में लिखा हैं-बिहारी की भाषा चलती होने पर भी साहित्यिक हैं।

पूर्ण कथन है-

  • "बिहारी की भाषा चलती होने पर भी साहित्यिक है।वाक्य रचना व्यवस्थित है और शब्दों के रूप का व्यवहार एक निश्चित प्रणाली पर है।यह बात बहुत कम कवियों में पाई जाती है।"

Key Pointsबिहारी-

  • जन्म-1595-1663 ई. 
  • रीतिकाल की रीतिसिद्ध काव्यधारा के महत्तवपूर्व कवि है। 
  • बिहारी का समय मुगल शासन के वैभव का काल माना जाता है। 
  • गुरु-नरहरिदास 
  • संप्रदाय-निम्बार्क 
  • एकमात्र रचना-सतसई 
    • दोहा छंद मे रचित मुक्तक काव्य है। 
    • शृंगार,नायिका भेद,रीति,गुण आदि पर सुंदर दोहे लिखे गए है। 
    • कुल 719 दोहे परंतु जगन्नाथ दास के अनुसार 713 दोहे है। 

Important Pointsजॉर्ज ग्रियर्सन-

  • "पूरे यूरोप में एक भी कवि बिहारी की बराबरी नहीं कर सकता।यूरोप में बिहारी सतसई के समकक्ष को रचना प्राप्त नहीं होती है।"

आचार्य शुक्ल-

  • यदि प्रबंधकाव्य एक विस्तृत वनस्थली है तो मुक्तक एक चुना हुआ गुलदस्ता है।"

Additional Information

  • बिहारी को राधचरण गोस्वामी ने 'पीयूषवर्षी मेघ' कहा है। 
  • बिहारी के काव्य को पद्म सिंह शर्मा ने 'शक्कर की रोटी' कहा है। 

काव्य और कवि Question 8:

"सत्यवती कथा" के रचनाकार निम्न में से कौन है?

  1. चिंतामणि
  2. बिहारी
  3. ईश्वर दास
  4. केशवदास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : ईश्वर दास

काव्य और कवि Question 8 Detailed Solution

"सत्यवती कथा" की रचना "ईश्वर दास" ने की है। अतः उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प (3) ईश्वरदास सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।

Key Points

  • रचना वर्ष :- 1501 ईस्वी
  • उक्त पुस्तक दिल्ली के बादशाह सिकंदर शाह (सं. 1546-1574) के समय में लिखी गई।
  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने सत्यवतीकथा को अवधी की सबसे पुरानी रचना माना है
  • दोहे और चौपाइ छंद है। पाँच-पाँच चौपाइयों (अर्धालियों) पर एक दोहा है।
Additional Information

रचनाकार

रचना

चिंतामणि त्रिपाठी

कवि कुल कल्पतरु

बिहारी

बिहारी सतसई

केशवदास

  1. रामचंद्रिका 
  2. रसिकप्रिया

काव्य और कवि Question 9:

बिहारी सतसई के संदर्भ में कौन-सा कथन असंगत है ?

  1. बिहारी की ऊहात्मक उक्तियों पर फ़ारसी कविता का प्रभाव है ।
  2. बिहारी सतसई के प्रथम टीकाकार जगन्नाथ दास रत्नाकर हैं ।
  3. कृष्ण कवि ने बिहारी के प्रत्येक दोहे पर सवैया छंद लिखा है ।
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक 
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : बिहारी सतसई के प्रथम टीकाकार जगन्नाथ दास रत्नाकर हैं ।

काव्य और कवि Question 9 Detailed Solution

बिहारी सतसई के संदर्भ में असंगत कथन है- बिहारी सतसई के प्रथम टीकाकार जगन्नाथ दास रत्नाकर हैं।

  • बिहारी सतसई के प्रथम टीकाकार कृष्ण कवि हैं। 
  • कृष्ण कवि ने 'कृष्णलाल की टीका' नाम से बिहारी सतसई पर टीका लिखी। 

Key Pointsबिहारी सतसई पर लिखित अन्य टीका ग्रंथ हैं-

टीकाकार  टीका 
सूरति मिश्र  अमरचंद्रिका 
लल्लू लाल  लालचंद्रिका 
अंबिकादत्त व्यास  बिहारी बिहार 
पद्म सिंह शर्मा  संजीवनी भाष्य 
जगन्नाथदास रत्नाकर बिहारी रत्नाकर

Important Pointsबिहारी-

  • जन्म-1595-1663 ई. 
  • रीतिकाल की रीतिसिद्ध शाखा के प्रमुख कवि है। 
  • गुरु-नरहरिदास 
  • संप्रदाय-निम्बार्क संप्रदाय 
  • रचना-बिहारी सतसई 
    • दोहा छंद में रचित मुक्तक काव्य है। 
    • दोहों की संख्या 713 है। 

काव्य और कवि Question 10:

इनमें से कौन-सी रचना घनानन्द की है?

  1. काव्यमंजरी
  2. इश्कलता
  3. विरह वारिश
  4. वृत्त कौमुदी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : इश्कलता

काव्य और कवि Question 10 Detailed Solution

इश्कलता,घनानन्द की रचना है।

  • घनानंद की अन्य काव्य कृतियाँ- सुजान सार, इश्कलता, विरहलीला, कोक सार आदिI 

Key Points

  • काव्यमंजरी --> पदुमनदास
  • विरह वारिश --> बोधा
  • वृत्त कौमुदी --> मतिराम

Additional Information

घनानंद

  • घनानंद (1673- 1760) रीतिकाल की तीन प्रमुख काव्यधाराओं - रीतिबद्ध, रीतिसिद्ध और रीतिमुक्त के अंतिम काव्यधारा के कवि हैं।
  • इन्हे सुजान नाम की नृतकी से प्रेम था, जिसके कारण इन्हें बाद में राजदरबार से निकाला गया। घनानंद प्रेम की पीड़ा के कवि है वियोग वर्णन में उनका मन अधिक रमा है।
  •  इनकी सर्वाधिक लोकप्रिय रचना सुजान हित है, जिसमें 507 पद हैं। इन में सुजान के प्रेम, रूप, विरह आदि का वर्णन हुआ है।
  • छंद-विधान की दृष्टि से घनानंद ने कवित्त और सवैये ही अधिक लिखे हैं। वैसे उन्होंने दोहे और चौपाइयां भी लिखी हैं।
  • रस की दृष्टि से घनानंद का काव्य मुख्यतः श्रृंगार रस प्रधान है। इनमें वियोग श्रृंगार की प्रधानता है।  घनानंद को भाषा में चित्रात्मकता और वाग्विदग्धता का गुण भी आ गया है।

इनकी कृतियाँ-

सुजानहित

प्रेमसरोवर

सुषमा

कृष्णकौमुदी

रसनायश

कृपाकंदनिबंध

व्रजविलास

गोकुलगीत

घामचमत्कार

गोकुलविनोद

वियोगबेलि

रसवसंत

नाममाधुरी

प्रियाप्रसाद

मुरलिकामोद

इश्कलता

अनुभवचंद्रिका

गिरिपूजन

वृंदावनमुद्रा

मनोरथमंजरी

यमुनायश

रंगबधाई

विचारसार

व्रजस्वरूप

व्रजव्यवहार

प्रीतिपावस

प्रेमपद्धति

दानघटा

गोकुलचरित्र

गिरिगाथा

छंदाष्टक

व्रजवर्णन

प्रेमपत्रिक

भावनाप्रकाश

प्रेमपहेली

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