भक्ति सम्प्रदाय MCQ Quiz in தமிழ் - Objective Question with Answer for भक्ति सम्प्रदाय - இலவச PDF ஐப் பதிவிறக்கவும்

Last updated on Mar 20, 2025

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Latest भक्ति सम्प्रदाय MCQ Objective Questions

Top भक्ति सम्प्रदाय MCQ Objective Questions

भक्ति सम्प्रदाय Question 1:

गौड़ीय सम्प्रदाय के प्रवर्तक आचार्य थे-

  1. वल्लभाचार्य
  2. मध्वाचार्य
  3. चैतन्य महाप्रभु
  4. स्वामी हरिदास

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : चैतन्य महाप्रभु

भक्ति सम्प्रदाय Question 1 Detailed Solution

गौड़ीय सम्प्रदाय के प्रवर्तक आचार्य चैतन्य महाप्रभु थे। अन्य विकल्प असंगत है ।अतः सही उत्तर विकल्प 3 चैतन्य महाप्रभु होगा ।

Key Points

वल्लभाचार्य

श्रीवल्लभाचार्यजी भक्तिकालीन सगुणधारा की कृष्णभक्ति शाखा के आधारस्तंभ एवं पुष्टिमार्ग के प्रणेता थे।

मध्वाचार्य

मध्वाचार्य भारत में भक्ति आन्दोलन के समय के सबसे महत्वपूर्ण दार्शनिकों में से एक थे। वे पूर्णप्रज्ञ व आनन्दतीर्थ के नाम से भी प्रसिद्ध हैं।

चैतन्य महाप्रभु

चैतन्य महाप्रभु वैष्णव धर्म के भक्ति योग के परम प्रचारक एवं भक्तिकाल के प्रमुख कवियों में से एक हैं। इन्होंने वैष्णवों के गौड़ीय संप्रदाय की आधारशिला रखी, भजन गायकी की एक नयी शैली को जन्म दिया

स्वामी हरिदास

स्वामी हरिदास भक्त कवि, शास्त्रीय संगीतकार तथा कृष्णोपासक सखी संप्रदाय के प्रवर्तक थे। इन्हें ललिता सखी का अवतार माना जाता है। वे वैष्णव भक्त थे तथा उच्च कोटि के संगीतज्ञ भी थे।

भक्ति सम्प्रदाय Question 2:

निर्गुण ब्रह्म को जब भावना का विषय बना लिया जाता है तो _______ होता है।

  1. अद्वैतवाद का जन्म
  2. रहस्यवाद का जन्म
  3. एकेश्वरवाद का जन्म
  4. उपर्युक्त में से एक से अधिक
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : रहस्यवाद का जन्म

भक्ति सम्प्रदाय Question 2 Detailed Solution

निर्गुण ब्रह्म को जब भावना का विषय बना लिया जाता है तो रहस्यवाद का जन्म होता है।

  • ज्ञानाश्रयी शाखा के कवियों ने रहस्यवाद को सुंदर एवं सरल भाषा में व्यक्त किया है।
  • आत्मा-परमात्मा का कथन करके जब आत्मा का परमात्मा के प्रति अनुराग व्यक्त किया जाता है तो वह रहस्यवाद कहलाता है।

Key Points

  • हिंदी साहित्य में रहस्यवाद सर्वप्रथम मध्य काल में दिखाई पड़ता है।
  • संत या निर्गुण काव्यधारा में कबीर के यहाँ, तथा प्रेममार्गी या सूफी काव्यधारा में जायसी के यहाँ रहस्यवाद का प्रयोग हुआ है।
  • कबीर योग के माध्यम से तथा जायसी प्रेम के माध्यम से,
  • इसलिए कबीर का रहस्यवाद अंतर्मुखी साधनात्मक रहस्यवाद है तथा जायसी का बहिर्मुखी भावनात्मक रहस्यवाद है।

Important Pointsअद्वैतवाद-

  • अद्वैत विचारधारा के संस्थापक शंकराचार्य है उसे शांकराद्वैत भी कहा जाता है।
  • शंकराचार्य मानते हैं कि संसार में ब्रह्म ही सत्य है, जगत् मिथ्या है, जीव और ब्रह्म अलग नही हैं।
  • जीव केवल अज्ञान के कारण ही ब्रह्म को नहीं जान पाता जबकि ब्रह्म तो उसके ही अंदर विराजमान है।
  • उन्होंने अपने ब्रह्मसूत्र में "अहं ब्रह्मास्मि" ऐसा कहकर अद्वैत सिद्धांत बताया है।
  • जब पैर में काँटा चुभता है तब आखों से पानी आता है और हाथ काँटा निकालने के लिए जाता है ये अद्वैत का एक उत्तम उदाहरण है।

एकेश्वरवाद-

  • एकेश्वरवाद वह सिद्धान् है जहां 'ईश्वर के एकल स्वरूप की मान्यता प्राप्त है'
  • अथवा एक ईश्वर है विचार को सर्वप्रमुख रूप में मान्यता देता है।
  • एकेश्वरवादी एक ही ईश्वर में विश्वास रखता है और केवल उसी की पूजा-अर्चना उपासना करता है।

शुद्धाद्वैतवाद-

  • शुद्धाद्वैत वल्लभाचार्य (1479-1531 ई.) द्वारा प्रतिपादित दर्शन है।
  • वल्लभाचार्य पुष्टिमार्ग के प्रवर्तक हैं। यह एक वैष्णव सम्प्रदाय है जो श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना करता है।
  • वल्लभाचार्य का जन्म चंपारण में हुआ।
  • बनारस में दीक्षा पूरी करके अपने गृहनगर विजयनगर चले गए जहां इनको कृष्णदेवराय का संरक्षण प्राप्त हुआ।

भक्ति सम्प्रदाय Question 3:

सूची I का सूची II से मिलान कीजिए

सूची - I (संप्रदाय का नाम)

सूची - II (प्रवर्तक)

A.

श्री संप्रदाय

I.

रामानुजाचार्य

B.

ब्रह्म संप्रदाय

II.

निम्बार्काचार्य

C.

रुद्र संप्रदाय

III.

मध्वाचार्य

D.

सनकादि संप्रदाय

IV.

विष्णु स्वामी


नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:

  1. (A) - (I), (B) - (IV), (C) - (III), (D) - (II)
  2. (A) - (II), (B) - (III), (C) - (I), (D) - (IV)
  3. (A) - (I), (B) - (III), (C) - (IV), (D) - (II)
  4. (A) - (II), (B) - (IV), (C) - (I), (D) - (III)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : (A) - (I), (B) - (III), (C) - (IV), (D) - (II)

भक्ति सम्प्रदाय Question 3 Detailed Solution

सूची I का सूची II से सही मिलान हैं-

सूची - I (संप्रदाय का नाम)

सूची - II (प्रवर्तक)

A.

श्री संप्रदाय

I.

रामानुजाचार्य

B.

ब्रह्म संप्रदाय

III.

मध्वाचार्य 

C.

रुद्र संप्रदाय

IV.

विष्णु स्वामी

D.

सनकादि संप्रदाय

II.

निम्बार्काचार्य

Key Pointsश्री सम्प्रदाय-

  • अन्य नाम- रामानंदी सम्प्रदाय 
  • सिद्धांत- विशिष्टाद्वैतवाद 
  • मुख्य आचार्य-
    • रंगनाथ मुनि 
    • पुण्डरीकाक्ष 
    • राम मिश्र 
    • यामुनाजाचार्य 
    • रामानंद 
    • राघवानंद
    • रामानुजाचार्य आदि। 
  • इस संप्रदाय में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। 

ब्रह्म संप्रदाय-

  • मध्वाचार्य ने अद्वैतवाद का घोर विरोध करते हुए द्वैतवाद की स्थापना की। 
  • इनके अनुसार जगत सत्य है;ईश्वर और जीव का भेद,जीव का जीव से भेद तथा जड़ का जीव से भेद वास्तविक है। 
  • सभी जीव हरि के अनुत्तर है। 
  • विष्णु ही ब्रह्म है। 
  • वेद का समस्त तात्पर्य विष्णु ही है। 

वल्लभ सम्प्रदाय-

  • अन्य नाम- रुद्र सम्प्रदाय
  • दार्शनिक मत- शुद्धाद्वैतवाद 
  • प्रवर्तक- विष्णु स्वामी,वल्लभाचार्य
  • इस सम्प्रदाय में कृष्ण पूर्णानंद स्वरूप पूर्ण पुरूषोत्तम परब्रह्म हैं। 
  • इनकी भक्ति पुष्टि मार्ग की है।
  • 'पुष्टि' भगवान के आग्रह या कृपा को कहा जाता है।
  • अनुयायी-
    • कुम्भनदास, सूरदास, परमानंद दास, कृष्णदास, छित स्वामी, नंददास आदि।

निम्बार्क सम्प्रदाय-

  • अन्य नाम-सनकादि सम्प्रदाय
  • दार्शनिक मत-द्वैताद्वैतवाद 
  • इस सम्प्रदाय में कृष्ण के वामांग में सुशोभित राधा के स्वकीय रूप का विधान है।
  • इस सम्प्रदाय की सबसे बड़ी गद्दी राजस्थान के सलेमाबाद स्थान पर है।
  • अनुयायी-
    • श्री भट्ट,परशुराम आदि।

Important Pointsरामानुजाचार्य-

  • इन्हें दक्षिण में 'विष्णु का अवतार' माना जाता है। 
  • इनके अनुसार-
    • ईश्वर और ब्रह्म में कोई भेद नहीं है। 
    • ईश्वर के सगुण रूप की उपासना की है। 
    • सत्, चित् और आनंद उसके गुण है। 
    • आत्मा और जगत ईश्वर के अंश है। 

मध्वाचार्य-

  • इनका जन्म दक्षिण भारत के बेलिग्राम नामक स्थान पर हुआ था। 
  • दार्शनिक मत-द्वैतवाद 
  • तत्ववाद के प्रवर्तक है। 

विष्णुस्वामी-

  • जन्म-1300 ई. 
  • सम्प्रदाय-रुद्र सम्प्रदाय 
  • सिद्धांत-शुद्धाद्वैतवाद 

निम्बार्काचार्य-

  • जन्म- 1250 ई.
  • वैष्णव सम्प्रदाय के प्रवर्तक व इसे निम्बार्क संप्रदाय भी कहा जाता है।  

Additional Informationविशिष्टाद्वैतवाद-

  • इसके अनुसार यद्यपि जगत् और जीवात्मा दोनों कार्यतः ब्रह्म से भिन्न हैं फिर भी वे ब्रह्म से ही उदभूत हैं और ब्रह्म से उसका उसी प्रकार का संबंध है जैसा कि किरणों का सूर्य से है, अतः ब्रह्म एक होने पर भी अनेक हैं।

द्वैतवाद-

  • इस दर्शन के अनुसार प्रकृति, जीव तथा परमात्मा तीनों का अस्तित्त्व मान्य है।
  • द्वैतवादियों का मानना है कि विश्व में तीन चीजों का अस्तित्व है : ईश्वर, प्रकृति तथा जीवात्मा।
  • ईश्वर, प्रकृति तथा जीवात्मा तीनों ही नित्य हैं परन्तु प्रकृति और जीवात्मा में परिवर्तन होते रहते हैं जबकि ईश्वर में कोई परिवर्तन नहीं होता अर्थात् वो शाश्वत है।
  • द्वैतवादी मानते हैं कि ईश्वर सगुण है अर्थात् उसमे गुण विद्यमान हैं, जैसे दयालुता, न्याय, शक्ति इत्यादि। 

शुद्धाद्वैतवाद-

  • यह एक वैष्णव सम्प्रदाय है जो श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना करता है।
  • शुद्धाद्वैत मत में माया सम्बन्धरहित नितान्त शुद्ध ब्रह्म को जगत् का कारण माना जाता है।
  • इनके मार्ग को पुष्टि मार्ग कहा जाता है। 
  • बल्लभाचार्य विष्णु स्वामी के शिष्य थे। उनके बाद इन्होंने ही इस मार्ग को आगे बढ़ाया। 

द्वैताद्वैतवाद-

  • इस सम्प्रदाय को हंस सम्प्रदाय, कुमार सम्प्रदाय और निम्बार्क सम्प्र्दक भी कहा जाता है। 
  • उनके दर्शन को भेदाभेदवाद (भेद+अभेद वाद) भी कहते हैं। ईश्वर, जीव व जगत् के मध्य भेदाभेद सिद्ध करते हुए द्वैत व अद्वैत दोनों की समान रूप से प्रतिष्ठा करना ही निम्बार्क दर्शन (द्वैताद्वैत) की प्रमुख विशेषता है। 

भक्ति सम्प्रदाय Question 4:

द्वैतवादी वैष्णव संप्रदाय के प्रवर्तक हैं:

  1. रामानुजाचार्य
  2. मध्वाचार्य
  3. वल्लभाचार्य
  4. रामानंद

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : मध्वाचार्य

भक्ति सम्प्रदाय Question 4 Detailed Solution

द्वैतवादी वैष्णव संप्रदाय के प्रवर्तक मध्वाचार्य हैं।

  • वैष्णव सम्प्रदाय, भगवान विष्णु और उनके स्वरूपों को आराध्य मानने वाला सम्प्रदाय है।

Key Pointsमध्वाचार्य-

  • जन्म-1238-1317ई.
  • मध्वाचार्य भारत में भक्ति आन्दोलन के समय के सबसे महत्वपूर्ण संतों में से एक थे।
  • वे तत्ववाद के प्रवर्तक थे जिसे द्वैतवाद के नाम से जाना जाता है।
  • प्रमुख रचनाएँ-
    • उपनिषदों का भाष्य
    • गीताभाष्य
    • भागवततात्पर्यनिरणय
    • महाभारततात्पर्यनिर्णय
    • विष्णुतत्वनिर्णय
    • प्रपंचमिथ्यातत्वनिर्णय
    • गीतातात्पर्यनिर्णय
    • तंत्रसारसंग्रह आदि।

Additional Informationरामानुजाचार्य-

  • जन्म-1017-1137ई.
  • रामानुजाचार्य विशिष्टाद्वैत वेदान्त के प्रवर्तक थे।
  • वह ऐसे वैष्णव सन्त थे जिनका भक्ति परम्परा पर बहुत गहरा प्रभाव रहा।
  • वैष्णव आचार्यों में प्रमुख रामानुजाचार्य की शिष्य परम्परा में ही रामानन्द हुए जिनके शिष्य कबीर, रैदास और सूरदास थे।
  • श्रीरामानुजाचार्य ने भक्तिमार्ग का प्रचार करने के लिये सम्पूर्ण भारत की यात्रा की।
  • इन्होंने भक्तिमार्ग के समर्थ में गीता और ब्रह्मसूत्र पर भाष्य लिखा।
  • वेदान्त सूत्रों पर इनका भाष्य श्रीभाष्य के नाम से प्रसिद्ध है।

वल्लभाचार्य-

  • जन्म-1479-1541ई.
  • श्रीवल्लभाचार्यजी भक्तिकालीन सगुणधारा की कृष्णभक्ति शाखा के आधारस्तंभ थे।
  • वल्लभाचार्य पुष्टिमार्ग के प्रणेता थे।
  • प्रमुख रचनाएँ-
    • ब्रह्मसूत्र का 'अणु भाष्य' और वृहद भाष्य'
    • भागवत की 'सुबोधिनी' टीका
    • भागवत तत्वदीप निबंध
    • पूर्व मीमांसा भाष्य
    • गायत्री भाष्य
    • पत्रावलंवन आदि।

रामानंद-

  • जन्म-1400ई.
  • रामानंद मध्यकालीन भक्ति आन्दोलन के प्रमुख संत थे।
  • "भक्ति द्रविड़ उपजे लाये रामानंद" इनके बारे में प्रसिद्ध कथन।
  • प्रमुख रचनाएँ-
    • 'श्रीवैष्णव मताव्ज भास्कर'
    • 'श्रीरामार्चन-पद्धति'
    • 'गीताभाष्य'
    • 'उपनिषद-भाष्य'
    • 'आनन्दभाष्य ' आदि।

भक्ति सम्प्रदाय Question 5:

“भक्ति आंदोलन इस्लामी आक्रमण से पराजित हिंदू जनता की असहाय एवं निराश मन∶स्थिति का परिणाम था।"

यह कथन किसका है?

  1. आचार्य रामचंद्र शुक्ल
  2. आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी
  3. डॉ. रामकुमार वर्मा
  4. डॉ. नगेन्द्र

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : आचार्य रामचंद्र शुक्ल

भक्ति सम्प्रदाय Question 5 Detailed Solution

सही उत्तर 'आचार्य रामचंद्र शुक्ल' हैKey Points

  • “भक्ति आंदोलन इस्लामी आक्रमण से पराजित हिंदू जनता की असहाय एवं निराश मन∶स्थिति का परिणाम था।"

            यह पंक्ति आचार्य रामचंद्र शुक्ल की है।

  •  'हिंदी साहित्य का इतिहास'(1929) में आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने लिखा।
  •  'हिंदी साहित्य का इतिहास' नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित 'हिंदी शब्द-सागर' की भूमिका के रूप में लिखा गया था।
  • आचार्य रामचंद्र शुक्ल "अपने पौरुष से हताश जाति के लिए भगवान की शक्ति और करुणा की ओर ध्यान ले जाने के अतिरिक्त दूसरा मार्ग ही क्या था।"  

Additional Information

रचनाकार       जन्म                      रचनाएँ
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी 1907ई. सूर साहित्य(1930),हिंदी  साहित्य  की भूमिका(1940),कबीर(1941),हिंदी साहित्य का आदिकाल(1952),हिंदी साहित्य का उद्भव और विकास(1952),सहज साधना(1963),कालिदास की लालित्य योजना(1965),मध्यकालीन बोध का स्वरूप(1970)
डॉ. रामकुमार वर्मा

1905ई.

हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास
डॉ. नगेन्द्र

1915ई.

 

सुमित्रानंदन पंत(1938),साकेत:एक अध्ययन(1939),आधुनिक हिंदी नाटक(1940),विचार और विवेचन(1944),रीतिकाव्य की भूमिका(1949),देव और उनकी कविता(1949),विचार और अनुभूति(1949),आधुनिक हिंदी कविता की प्रवृत्तियाँ(1951),विचार और विश्लेषण(1955),अरस्तू का काव्यशास्त्र(1957),अनुसंधान और आलोचना(1961),रस सिद्धांत(1964),आलोचक की आस्था(1966)

भक्ति सम्प्रदाय Question 6:

निम्नलिखित सम्प्रदायों को उनके अनुयायियों के साथ सुमेलित कीजिए - 

 

सूची I

 

सूची II

(a)

वल्लभ सम्प्रदाय

(i)

हरिव्यास देव

(b)

निम्बार्क सम्प्रदाय

(ii)

दामोदर दास

(c)

राधावल्लभ सम्प्रदाय

(iii)

गदाधर भट्ट

(d)

चैतन्य सम्प्रदाय

(iv)

जगन्ननाथ गोस्वामी

 

(v)

गोविन्द स्वामी

  1. (a) - (v), (b) - (i), (c) - (ii), (d) - (iii)
  2. (a) -(iv), (b) - (i), (c) - (iii), (d) - (v)
  3. (a) - (ii), (b) - (i), (c) - (v), (d) - (iv)
  4. ​(a) - (v), (b) - (iv), (c) - (ii), (d) - (iii)

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : (a) - (v), (b) - (i), (c) - (ii), (d) - (iii)

भक्ति सम्प्रदाय Question 6 Detailed Solution

संप्रदायों का उनके अनुयायी के साथ सही सुमेलन हैं-

सूची-। सूची-।।
वल्लभ सम्प्रदाय गोविंद स्वामी
निम्बार्क सम्प्रदाय हरिव्यास देव
राधावल्लभ सम्प्रदाय दामोदर दास
चैतन्य सम्प्रदाय गदाधर भट्ट

Key Points

संप्रदायों के प्रवर्तक-

संप्रदाय प्रवर्तक
वल्लभ सम्प्रदाय वल्लभाचार्य
निम्बार्क सम्प्रदाय निम्बार्काचार्य
राधावल्लभ सम्प्रदाय हितहरिवंश
चैतन्य सम्प्रदाय चैतन्य महाप्रभु

अन्य संप्रदाय व प्रवर्तक-

संप्रदाय  प्रवर्तक  दर्शन 
श्री  रामानुजाचार्य  विशिष्टाद्वैतवाद  
ब्रह्म  मध्वाचार्य  द्वैतवाद 
सखी  स्वामी हरिदास  द्वैताद्वैतवाद

Important Pointsवल्लभ सम्प्रदाय-

  • दार्शनिक मत-शुद्धाद्वैतवाद 
  • इस सम्प्रदाय में कृष्ण पूर्णानंद स्वरूप पूर्ण पुरूषोत्तम परब्रह्म हैं। 
  • इनकी भक्ति पुष्टि मार्ग की है।
  • 'पुष्टि' भगवान के आग्रह या कृपा को कहा जाता है।
  • अनुयायी-
    • कुम्भनदास,सूरदास,परमानंद दास,कृष्णदास,छित स्वामी,नंददास आदि।

निम्बार्क सम्प्रदाय-

  • अन्य नाम-सनकादि सम्प्रदाय
  • दार्शनिक मत-द्वैताद्वैतवाद 
  • इस सम्प्रदाय में कृष्ण के वामांग में सुशोभित राधा के स्वकीय रूप का विधान है।
  • इस सम्प्रदाय की सबसे बड़ी गद्दी राजस्थान के सलेमाबाद स्थान पर है।
  • अनुयायी-
    • श्री भट्ट,परशुराम आदि।

राधावल्लभ सम्प्रदाय-

  • 1534 ई. में वृंदावन में इसकी शुरुआत हुई।
  • इस सम्प्रदाय में राधा का स्थान सर्वोपरि है।
  • इसमें तत्सुखीभाव को महत्व प्रदान किया गया है।
  • अनुयायी-
    • हरिराम व्यास,चतुर्भुजदास,ध्रुवदास आदि

चैतन्य सम्प्रदाय-

  • दार्शिनिक सिद्धान्त-अचिंत्य भेदाभेद
  • अन्य नाम-गौड़ीय सम्प्रदाय
  • चैतन्य महाप्रभु ने श्रीकृष्ण को ब्रजेंद्र कुमार कहा है।
  • अनुयायी-
    • रामराय,मदनमोहन,चन्द्रगोपाल,माधवदास 'मधुरी' आदि।

हरिदासी सम्प्रदाय-

  • स्वामी हरिदास ने वृंदावन मे इस संप्रदाय की स्थापना की। 
  • अन्य नाम-
    • सखी सम्प्रदाय,टट्टी सम्प्रदाय।
  • इस संप्रदाय मे निकुंज बिहारी श्रीकृष्ण सर्वोपरि है। 
  • अनुयायी-
    • बीठल बिपुल,बिहारिनीदास,नागरीदास आदि।

Additional Informationगोविंद स्वामी-

  • गुरु-विठ्ठलनाथ
  • ये ब्रजमंडल के महावन नामक स्थान पर रहते थे।
  • इनके पदों का संकलन 'गोविंद स्वामी के पद' नाम से प्रसिद्ध है।

हरिव्यास देव-

  • गुरु-श्रीभट्ट
  • इन्होंने ब्रजभाषा में 'महावाणी' नामक ग्रन्थ की रचना की।

दामोदर दास-

  • अन्य नाम-सेवक जी
  • रचनाएँ-
    • सेवक-वाणी

गदाधर भट्ट-

  • ब्रजभाषा के सुप्रसिद्ध कवि थे।
  • भागवत के अद्वितीय वक्ता थे।
  • रघुनाथ भट्ट गोस्वामी के शिष्य थे।

जगन्नाथ गोस्वामी-

  • हरिदासी सम्प्रदाय के अनुयायी है।
  • रचनाएँ-
    • अनन्य सेवानिधि, स्फुट पद आदि।

भक्ति सम्प्रदाय Question 7:

विट्ठलनाथ ने वल्लभ संप्रदाय में किस तरह की पूजा पद्धति का समावेश किया?

  1. बालकृष्ण की उपासना
  2. युगलोपासना
  3. राधा-स्तुति
  4. कांताभाव की उपासना

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : युगलोपासना

भक्ति सम्प्रदाय Question 7 Detailed Solution

विट्ठल दास ने वल्लभ संप्रदाय में युगलोपासना पूजा पद्धति का समावेश किया है।

Key Points

विट्ठलनाथ ने वल्लभ संप्रदाय में युगलोपासना पूजा पद्धति को अपनाया है।

इसमें राधा कृष्ण की युगल रूप की उपासना की जाती है।

विट्ठलनाथ वल्लभाचार्य के पुत्र हैं।

  • कांताभाव की उपासना वैष्णव भक्ति में की जाती है
  • इसको माधुर्य भाव भी कहते हैं। इसमें भगवन अपने एश्वर्य को भुलाकर भक्त के प्रियतम कान्त रूप में भक्त के सामने प्रकट होते हैं।
  • बालकृष्ण की उपासना भी वैष्णव भक्ति में वात्सल्य भाव के अंतर्गत आती है
Important Points

वल्लभ सम्प्रदाय

  • 'वल्लभ सम्प्रदाय' हिन्दुओं के वैष्णव सम्प्रदायों में से एक है।
  • वल्लभाचार्य ने अपने शुद्धाद्वैत दर्शन के आधार पर इस मत का प्रतिपादन किया था।
  • अन्य नाम :- वल्लभ मत, पुष्टिमार्ग
  • संस्थापक :- वल्लभाचार्य
  • भक्ति के प्रकार :- मर्यादाभक्ति तथा पुष्टिभक्ति
  • संबंधित लेख :-  हिन्दू धर्म, वल्लभाचार्य, वैष्णव सम्प्रदाय, निम्बार्क सम्प्रदाय  
Additional Information

पुष्टिभक्ति

  • जो भक्त साधन निरपेक्ष हो, भगवान के अनुग्रह से स्वत: उत्पन्न हो और जिसमें भगवान दयालु होकर स्वत: जीव पर दया करें, वह 'पुष्टिभक्ति' कहलाती है।
  • ऐसा भक्त भगवान के स्वरूप दर्शन के अतिरिक्त अन्य किसी वस्तु के लिए प्रार्थना नहीं करता।

पुष्टिमार्ग के तीन प्रमुख अंग हैं-

  • ब्रह्मवाद
  • आत्मनिवेदन
  • भगवत्सेवा

भक्ति सम्प्रदाय Question 8:

निम्नलिखित दार्शनिक मतों को उनके आचार्यों के साथ सुमेलित कीजिये-

सूची-1

सूची-2

1. विशिष्टाद्वैतवाद

i. मध्वाचार्य

2. शुद्धाद्वैतवाद

ii. शंकराचार्य

3. अद्वैतवाद

iii. निम्बार्काचार्य

4. द्वैताद्वैतवाद

iv. रामानुजाचार्य

 

v. वल्लभाचार्य

  1. 1 - v, 2 - iv, 3 - i, 4 - ii
  2. 1 - iii, 2 - iv, 3 - ii, 4 - i
  3. 1 - iv, 2 - v, 3 - ii, 4 - iii
  4. 1 - ii, 2 - v, 3 - i, 4 - iii

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : 1 - iv, 2 - v, 3 - ii, 4 - iii

भक्ति सम्प्रदाय Question 8 Detailed Solution

1 - iv, 2 - v, 3 - ii, 4 - iii.. यहाँ सही युग्म है।

  • विशिष्टाद्वैतवाद के प्रवर्तक : रामानुजाचार्य
  • शुद्धाद्वैतवाद : वल्लभाचार्य
  • अद्वैतवाद : शंकराचार्य
  • द्वैताद्वैतवाद : निम्बार्काचार्य
    • मध्वाचार्य  :- द्वैतवाद

Important Points

  • 1. अद्वैतवाद- शंकराचार्य
  • 2. विशिष्टाद्वैतवाद- रामानुजाचार्य
  • 3. द्वैतवाद - माधवाचार्य
  • 4. द्वैताद्वैतवाद-आचार्य निम्बार्क
  • 5. शुद्धताद्वैतवाद -बल्लभाचार्य
    • 6. स्यादवाद- पाश्र्वनाथ
    • 7. संघातवाद/क्षणिकवाद-बुद्ध
    • 8. श्री सम्प्रदाय - रामानुज
    • 9. सनक सम्प्रदाय-निम्बार्क
    • 10. रूद्र सम्प्रदाय -विष्णु स्वामी
    • 11. ब्रम्ह सम्प्रदाय -माध्वाचार्य
    • 12. रामावत सम्प्रदाय-रामानंद

Important Points

  • ये संप्रदाय इस प्रकार हैं :-
    • विष्णु संप्रदाय :
      • प्रवर्तक विष्णु गोस्वामी हैं।
      • रुद्र संप्रदाय भी कहा जाता है।
      • शुद्धाद्वैतवादी है ।
    • निम्बार्क संप्रदाय :
      • प्रवर्तक निम्बक आचार्य हैं
      • द्वैताद्वैतवादी है।
      • इस संप्रदाय में कृष्ण के वामांग में सुशोभित राधा के साथ कृष्ण की उपासना का विधान है ।
    • माध्व-संप्रदाय :
      • प्रवर्तक माध्वाचार्य है
      • द्वैतवाद
    • श्री संप्रदाय:
      • रामानुजाचार्य हैं
      • विशिष्टाद्वैत की स्थापना इनके द्वारा हुई ।
    • रामानंदी संप्रदाय :
      • संस्थापक रामानंद हैं।
      • इन्होंने विशिष्टाद्वैतवाद को मान्यता दी ।
    • वल्लभ संप्रदाय :
      • इसके प्रवर्तक वल्भाचार्य हैं
      • इन्होंने शुद्ध अद्वैतवाद को मान्यता दी।
      • इन्होंने श्रीमद्भागवत की तत्त्वबोधिनी टीका लिखी।
      • वल्लभ संप्रदाय में कृष्ण के बाल रूप की उपासना मिलती है।
    • चैतन्य संप्रदाय :
      • इसके प्रवर्तक चैतन्य महाप्रभु हैं।
      • इसे गौड़ीया संप्रदाय भी कहा जाता है
      • द्वैताद्वैतवाद में आस्था  
      • इसमें ब्रह्म की शक्ति राधा की उपासना का विधान है और ब्रह्म के रूप में कृष्ण की शक्ति का विधान है।
    • राधा-वल्लभी संप्रदाय :
      • प्रवर्तक हितहरिवंश हैं
      • इनके ग्रंथ हैं : राधासुधानिधि, हितचौरासी पद
      • इस संप्रदाय में राधा ही प्रमुख है
    • हरिदासी या सखी संप्रदाय :
      • प्रवर्तक तानसेन के गुरु हरिदास हैं
      • निकुंज बिहारी कृष्ण सर्वोपरि हैं
      • सहज शृंगार रस में लीन होकर निकुंज लीला परायण कृष्ण की उपासना और नित्य बिहार दर्शन ही सखी का काम्य है।​


Additional Information

  • बिम्बवाद-टी.ए. हयूम
  • कैप्सूलवाद -ओंकार नाथ त्रिपाठी
  • मांसलवाद-रामेश्वर शुक्ल
  • छायावाद- जयशंकर प्रसाद
    • स्वछंदतावाद -श्रीधर पाठक
    • रीतिकाल- केशवदास
    • हालावाद- हरिवंश राय
    • प्रयोगवाद- अज्ञेय
    • अलंकर वाद -मम्मट
    • ध्वनिवाद -आनंदवर्धन

भक्ति सम्प्रदाय Question 9:

पुष्टिमार्गियों की मान्यताएँ निम्नवत हैं;

A. भगवान के अनुग्रह पर भरोसा करते हैं।

B. स्वर्ग प्राप्ति में विश्वास नहीं रखते।

C. नित्यलीला में प्रवेश का विश्वास बना रहता है।

D. प्रवाह जीव सांसारिक सुखों की प्राप्ति में लगे रहते हैं। 

E. विधि - निषेधों का पालन नहीं करते।

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए 

  1. केवल B, C और E
  2. केवल A, C और E
  3. केवल A, C और D
  4. केवल B, D और E

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : केवल A, C और D

भक्ति सम्प्रदाय Question 9 Detailed Solution

पुष्टिमार्गीय की मान्यताएं - A, C और D

 Key Points

पुष्टि का अर्थ

  • स्वयं को भगवान के अनुग्रह पर छोड़ देते हैं।
  • पुष्टिमार्गियों की मान्यताएँ निम्नवत हैं।
  • भगवान के अनुग्रह पर भरोसा करते हैं।
  • नित्यलीला में प्रवेश का विश्वास बना रहता है।
  • प्रवाह जीव सांसारिक सुखों की प्राप्ति में लगे रहते हैं।

 Important Points

वल्लभ संप्रदाय / पुष्टिमार्ग संप्रदाय

  • प्रवर्तक – वल्लभाचार्या
  • दर्शन – शुद्धाद्वैतवाद
    • इनके दर्शन शुद्धाद्वैतवाद को पुष्टिमार्ग दर्शन भी कहा जाता है।
    • इसमें श्री कृष्ण पूर्णानंद स्वरूप, पूर्ण पुरुषोत्तम, परब्रह्म है।
    • श्री कृष्ण का लोक बैकुंठ लोक है।
  • इन्होंने जीव की मुक्ति के 3 मार्ग बताएं -

1. प्रवाह मार्ग

2. मर्यादा मार्ग

3. पुष्टीमार्ग

 Additional Information

वल्लभाचार्य के ग्रंथ –

  • पूर्व मीमांसा भाष्य
  • उत्तर मीमांसा भाष्य
  • सुबोधिनी टीका
  • तत्व दीप निबंध
  • उत्तर मीमांसा भाष्य अणु भाष्य या ब्रह्मसूत्र भाषा भी कहते हैं।
    • अनु भाष्य को वल्लभाचार्या अधूरा छोड़ दिया जिसके डेढ़ अध्याय को उनके पुत्र विट्ठलनाथ ने पूरे किए

भक्ति सम्प्रदाय Question 10:

राधावल्लभ संप्रदाय के संस्थापक कौन थे ?  

  1. हित हरिवंश
  2. स्वामी हरिदास
  3. चैतन्य महाप्रभु
  4. वल्लभाचार्य 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : हित हरिवंश

भक्ति सम्प्रदाय Question 10 Detailed Solution

राधावल्लभ संप्रदाय के संस्थापक हित हरिवंश थे।

हित हरिवंश --​

  • रचनाएँ - 
    • राधासुधानिधि (संस्कृत भाषा में राधाप्रशस्ति)
    • स्फुट पदावली (ब्रजभाषा में)
    • हित चौरासी (ब्रजभाषा में)

Key Pointsराधावल्लभ संप्रदाय -- 

  • राधावल्लभ संप्रदाय, हितहरिवंश महाप्रभु द्वारा प्रवर्तित एक वैष्णव सम्प्रदाय है।
  • हित हरिवंश अपनी रचना की मधुरता के कारण श्री कृष्ण की बंसी के अवतार कहे जाते हैं।
  • राधा वल्लभ संप्रदाय में राधा का स्थान सर्वोपरि है।
  • इसमें तत्सुखीभाव को महत्व दिया गया है।

Important Pointsस्वामी हरिदास -  (1480-1575) 

  • भक्त कवि, शास्त्रीय संगीतकार तथा कृष्णोपासक सखी संप्रदाय के प्रवर्तक थे।
  • इन्हें ललिता सखी का अवतार माना जाता है।
  • वे वैष्णव भक्त तथा उच्च कोटि के संगीतज्ञ भी थे।
  • वे प्राचीन शास्त्रीय संगीत के अद्भुत विद्वान एवम् चतुष् ध्रुपदशैली के रचयिता हैं।
  • प्रसिद्ध गायक तानसेन इनके शिष्य थे।
  • रचनाएं - 
    • केलिमाल
    • सिद्धांत के पद
  • सखी संप्रदाय को टट्टी संप्रदाय भी कहा जाता है।

चैतन्य महाप्रभु - 

  • चैतन्य महाप्रभु गौड़ीय संप्रदाय के प्रवर्तक हैं।
  • चेतन महाप्रभु का मूल नाम विश्वभर मिश्र था ।
  • घर में इन्हें गौर या गोरांग नाम से पुकारते थे।
  • इनका दार्शनिक सिद्धांत अचिंत्य भेदाभेद कहलाता है।

वल्लभाचार्य - 

  • श्रीवल्लभाचार्यजी भक्तिकालीन सगुणधारा की कृष्णभक्ति शाखा के आधारस्तंभ एवं पुष्टिमार्ग के प्रणेता थे।
  • उन्हें वैश्वानरावतार (अग्नि का अवतार) कहा गया है।
  • वे वेदशास्त्र में पारंगत थे।
  • वल्लभसम्प्रदाय या पुष्टिमार्ग सम्प्रदाय के प्रवर्तक
  • ग्रन्थ -- 
    • अणुभाष्य
    • तत्वार्थदीपनिबन्ध’
    • ‘पुरुषोत्तम सहस्रनाम’
    • ‘पत्रावलम्बन’
    • ‘पंचश्लोकी’
    • पूर्वमीमांसाभाष्य
    • भागवत पर सुबोधिनी टीका आदि।
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