यण संधि MCQ Quiz in मराठी - Objective Question with Answer for यण संधि - मोफत PDF डाउनलोड करा
Last updated on Mar 19, 2025
Latest यण संधि MCQ Objective Questions
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यण संधि Question 1:
इनमें से अभ्युदय शब्द का सही संधि विच्छेद कौन-सा है?
Answer (Detailed Solution Below)
यण संधि Question 1 Detailed Solution
इनमें से अभ्युदय शब्द का सही संधि विच्छेद है - 'अभि + उदय'
- अभि + उदय = अभ्युदय (इ + उ = य)
- इस शब्द में यण संधि हैं।
- अभ्युदय - उन्नति, उत्थान, उत्तरोत्तर वृद्धि या लाभ
Key Pointsयण संधि:-
- जब संधि करते समय (इ, ई) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘य' बन जाता है,
- जब (उ, ऊ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘व' बन जाता है, जब (ऋ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘र्' बनता है, तो उसे यण संधि कहते है।
उदाहरण-
- अधि + अयन = अध्ययन (इ + अ = य)
- अनु + एषण = अन्वेषण (उ + ए = वे)
- मातृ + आज्ञा = मात्राज्ञा (ऋ + आ = र्)
यण संधि Question 2:
'अत्यावश्यक' उदाहरण है:
Answer (Detailed Solution Below)
यण संधि Question 2 Detailed Solution
'अत्यावश्यक' शब्द में यण् संधि है। शेष विकल्प असंगत हैं। अतः विकल्प 1 ‘यण् संधि’ सही उत्तर है।
Key Points
- 'अत्यावश्यक' में यण् संधि है।
- अति = आवश्यक = अत्यावश्यक' (इ +आ = य), यहाँ 'इ' और 'आ' के मेल से 'य' बना है।
- जब संधि करते समय इ, ई के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ' य ' बन जाता है, जब उ, ऊ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ' व् ' बन जाता है , जब ऋ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ' र ' बन जाता है।
अन्य विकल्प -
संधि |
परिभाषा |
उदाहरण |
गुण संधि |
जब संधि करते समय (अ, आ) के साथ (इ, ई) हो तो 'ए' बनता है, जब (अ, आ) के साथ (उ, ऊ) हो तो 'ओ' बनता है, जब (अ, आ) के साथ (ऋ) हो तो 'अर' बनता है तो यह गुण संधि कहलाती है। |
सर्व + ईक्षण = सर्वेक्षण |
दीर्घ संधि |
जब दो शब्दों की संधि करते समय (अ, आ) के साथ (अ, आ) हो तो 'आ' बनता है, जब (इ, ई) के साथ (इ, ई) हो तो 'ई' बनता है, जब (उ, ऊ) के साथ (उ, ऊ) हो तो 'ऊ' बनता है। |
पुस्तक + आलय = पुस्तकालय |
अयादि संधि |
जब संधि करते समय ए , ऐ , ओ , औ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो (ए का अय), (ऐ का आय), (ओ का अव), (औ – आव) बन जाता है। यही अयादि संधि कहलाती है। |
नै+ अक = नायक |
Additional Information
संधि - दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते हैं। संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर, 2. व्यंजन और 3. विसर्ग, |
||
संधि |
परिभाषा |
उदाहरण |
स्वर |
स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मेल से विकार उत्पन्न होता है। |
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी महा + ईश = महेश |
व्यंजन |
एक व्यंजन से दूसरे व्यंजन या स्वर के मेल से विकार उत्पन्न होता है। |
अहम् + कार = अहंकार उत् + लास = उल्लास |
विसर्ग |
विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से विकार उत्पन्न होता है। |
दुः + आत्मा =दुरात्मा निः + कपट =निष्कपट |
यण संधि Question 3:
स्वागत का सही संधि विच्छेद है-
Answer (Detailed Solution Below)
यण संधि Question 3 Detailed Solution
'स्वागत' के लिए सही संधि विच्छेद - सु + आगत
Key Points
- ‘स्वागत’ में यण संधि है। ‘सु+आगत= स्वागत (उ+आ=व्)’, यहाँ पर ‘उ +आ’ मिलकर ‘व्’ बना है।
- यण संधि में इ, ई, उ, ऊ तथा ऋ के बाद कोई अन्य स्वर आए तो ’इ-ई’ का ’य्’ ’उ’ ’ऊ’ का ’व्’ और ’ऋ’ का ’र्’ हो जाता है।
Additional Information
संधि - दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते हैं। संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर, 2. व्यंजन और 3. विसर्ग, |
|
संधि |
परिभाषा |
स्वर |
स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मेल से विकार उत्पन्न होता है। जैसे - विद्या + अर्थी = विद्यार्थी; महा + ईश = महेश। |
व्यंजन |
एक व्यंजन से दूसरे व्यंजन या स्वर के मेल से विकार उत्पन्न होता है। जैसे - अहम् + कार = अहंकार; उत् + लास = उल्लास। |
विसर्ग |
विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से विकार उत्पन्न होता है। जैसे - दुः + आत्मा = दुरात्मा; निः + कपट = निष्कपट। |
यण संधि Question 4:
''व्याकुल' का सन्धि विच्छेद होता है
Answer (Detailed Solution Below)
यण संधि Question 4 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में उचित उत्तर विकल्प 2 'वि + आकुल’ है। अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
‘व्याकुल’ शब्द का उचित संधि-विच्छेद ‘वि + आकुल’।
- यह यण संधि का उदाहरण है।
संधि |
परिभाषा |
उदाहरण |
यण संधि |
जब इ, ई, उ, ऊ, ऋ के आगे कोई भिन्न स्वर आता है तो ये क्रमश: य, व, र, ल् में परिवर्तित हो जाते हैं, इस परिवर्तन को यण सन्धि कहते हैं। |
व्याकुल – वि + आकुल |
Additional Information
संधि |
परिभाषा |
यण संधि |
जब इ, ई, उ, ऊ, ऋ के आगे कोई भिन्न स्वर आता है तो ये क्रमश: य, व, र, ल् में परिवर्तित हो जाते हैं, इस परिवर्तन को यण सन्धि कहते हैं। |
दीर्घ संधि |
जब दो शब्दों की संधि करते समय (अ, आ) के साथ (अ, आ) हो तो 'आ' बनता है, जब (इ, ई) के साथ (इ, ई) हो तो 'ई' बनता है, जब (उ, ऊ) के साथ (उ, ऊ) हो तो 'ऊ' बनता है। |
व्यंजन संधि |
जब दो वर्णों में संधि होती है तो उनमे से पहला यदि व्यंजन होता है और दूसरा स्वर या व्यंजन होता है तो उसे हम व्यंजन संधि कहते हैं। |
यण संधि Question 5:
संधि विषयक संगत विकल्प का चयन कीजिए -
Answer (Detailed Solution Below)
यण संधि Question 5 Detailed Solution
सही विकल्प है - मातृ + उपदेश = मात्रुपदेश
- मातृ + उपदेश = मात्रुपदेश
- इसमें ऋ के उ आया है इसलिए ऋ का र् हो गया है।
- यह यण स्वर संधि का उदाहरण है।
- इ, ई के आगे कोई विजातीय (असमान) स्वर होने पर इ ई को 'य्' हो जाता है।
- उ, ऊ के आगे किसी विजातीय स्वर के आने पर उ ऊ को 'व्' हो जाता है।
- 'ऋ' के आगे किसी विजातीय स्वर के आने पर ऋ को 'र्' हो जाता है।
- इन्हें यण-संधि कहते हैं ।
Key Pointsअन्य विकल्प के शुद्ध रूप
- वि + इक्षण = वीक्षण (इ+इ=ई) (दीर्घ स्वर संधि)
- वधू + उक्ति = वधूक्ति (ऊ+उ=ऊ) (दीर्घ स्वर संधि)
- अभि + आगत = अभ्यागत (इ+आ= या) (यण स्वर संधि)
Additional Information
- संधि की परिभाषा दो वर्णों के मेल से उत्पन्न विकार संधि कहलाता है।
- संधि तीन प्रकार की होती है।
संधि | परिभाषा | उदाहरण |
स्वर संधि |
दो स्वरों के मेल से बनी संधि स्वर संधि कहलाती है। स्वर संधि के पांच प्रकार है - दीर्घ संधि, गुणसंधि, वृद्धि संधि,यण संधि, अयादि संधि |
प्रोज्ज्वल, विद्यार्थी, भोजनालय, सतीश, महर्षि, सदैव, अन्वय, गायक आदि। |
व्यंजन संधि | व्यंजन से व्यंजन अथवा स्वर के मेल से बनी संधि व्यंजन संधि कहलाती है। | परिष्कार, उन्नयन, जगदीश, सज्जन,किंचित,सम्मान, संयोग,विषम आदि। |
विसर्ग संधि | विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मेल से बनी संधि विसर्ग संधि कहलाती है। | निष्ठुर, सरोज, मनोरथ, दुष्कर्म, नीरव, निर्मल, नीरस आदि। |
यण संधि Question 6:
'प्रत्यक्ष' शब्द में कौन-सी संधि है?
Answer (Detailed Solution Below)
यण संधि Question 6 Detailed Solution
'प्रत्यक्ष' शब्द में संधि है - 'यण'
- 'प्रत्यक्ष' शब्द का संधि विच्छेद - प्रति + अक्ष = प्रत्यक्ष (इ + अ = य)
- प्रत्यक्ष - स्पष्ट दिखाई पड़नेवाला।
- जब संधि करते समय (इ, ई) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘य‘ बन जाता है,
- जब (उ, ऊ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘व‘ बन जाता है ,
- जब (ऋ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘र‘ बन जाता है।
उदाहरण-
- अति + अंत = अत्यंत (इ + अ = य)
- अनु + आय = अन्वय (उ + अ= व)
- पितृ + आदेश = पित्रादेश (ऋ + आ= रा)
अयादि संधि:-
उदाहरण-
गुण संधि:-
उदाहरण-
दीर्घ संधि:-
उदाहरण-
|
यण संधि Question 7:
‘यद्यपि’ का संधि विच्छेद है:
Answer (Detailed Solution Below)
यण संधि Question 7 Detailed Solution
'यद्यपि' का सही संधि विच्छेद है - यदि + अपि। शेष विकल्प त्रुटिपूर्ण हैं। अतः विकल्प 1 ‘यदि + अपि’ सही है।
Key Points
- 'यद्यपि' में यण संधि है।
- यदि + अपि = यद्यपि (इ + अ = य् ), यहाँ 'इ' और 'अ' के मेल से 'य' बना है।
- यण संधि में संधि करते समय इ, ई के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ' य ' बन जाता है,
- जब उ, ऊ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ' व् ' बन जाता है ,
- जब ऋ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ' र ' बन जाता है।
Additional Information
संधि - दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते हैं। संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर, 2. व्यंजन और 3. विसर्ग, |
||
संधि |
परिभाषा |
उदाहरण |
स्वर |
स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मेल से विकार उत्पन्न होता है। |
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी महा + ईश = महेश |
व्यंजन |
एक व्यंजन से दूसरे व्यंजन या स्वर के मेल से विकार उत्पन्न होता है। |
अहम् + कार = अहंकार उत् + लास = उल्लास |
विसर्ग |
विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से विकार उत्पन्न होता है। |
दुः + आत्मा =दुरात्मा निः + कपट =निष्कपट |
यण संधि Question 8:
प्रत्येक का संधि विच्छेद कौन-सा है?
Answer (Detailed Solution Below)
यण संधि Question 8 Detailed Solution
प्रत्येक का संधि विच्छेद प्रति + एक है।
Key Points
- प्रत्येक का संधि विच्छेद = प्रति + एक, जिन स्वरों में संधि है = इ + ए= ये
- प्रत्येक शब्द में यण संधि है।
Additional Information स्वर संधि
दीर्घ स्वर संधि-दो स वर्ण, ह्रस्व या दीर्घ, स्वरों के मेल होने पर दीर्घ स्वर बन जाता है, जैसे– शिव + आलय (अ + आ) = शिवालय, गिरि + इन्द्र (इ + इ) = गिरीन्द्र। |
यण स्वर संधि-इ, ई, उ, ऊ या ऋ का मेल यदि असमान स्वर से हो तो इ, ईका 'य'; उ, ऊका 'व' और ऋ का 'र' हो जाता है, जैसे - यदि + अपि (इ + अ) = यद्यपि, अनु + एषण = अन्वेषण। |
गुण स्वर संधि-अ, आ के साथ इ, ई का मेल होने पर 'ए'; उ, ऊ का मेल होने पर 'ओ'; तथा ऋ का मेल होने पर 'अर्' हो जाता है, जैसे– देव + इन्द्र (अ + इ) = देवेन्द्र |
वृद्धि स्वर संधि- अ, आ का मेल ए, ऐ के साथ होने पर 'ऐ' तथा ओ, औ के साथ होने पर 'औ' में परिवर्तित हो जाता है, जैसे– एक + एक (अ + ए) = एकैक, परम + ओजस्वी (अ + ओ) = परमौजस्वी। |
अयादि स्वर संधि- यदि ए, ऐ, ओ, औ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ए का अय, ऐ का आय, ओ का अव, औ का आव हो जाता है। |
यण संधि Question 9:
गुरु + आज्ञा = गुर्वाज्ञा यह ______ संधि का उदाहरण है।
Answer (Detailed Solution Below)
यण संधि Question 9 Detailed Solution
सही उत्तर है :- यण्
Key Points
- दो समान वर्णो के मेल से जो विकार (बदलाव) उत्पन होता है। उसे संधि कहते है।
- संधि 3 प्रकार के होते है :- स्वर सन्धि , व्यंजन संधि , विसर्ग संधि
- उदाहरण :-
- स + अवधान = सावधान
- सौभाग्य + आकांक्षिणी = सौभाग्याकांक्षिणी
- आत्मा + आनंद = आत्मानंद
- चिकित्सा + आलय = चिकित्सालय
Additional Information
- स्वर संधि के भेद :-
- दीर्घ संधि :-
- यदि अ, आ या इ, ई या उ, ऊ में से कोई भी स्वर अपने सजातीय स्वर से जुड़े तो बनने वाला स्वर सदैव दीर्घ स्वर होगा |
- गुण संधि :-
- गुण संधि के अंतर्गत दो अलग-अलग उच्चारण स्थानों से उच्चारित होने वाले स्वरों के मध्य संधि होती है |
- यण संधि :-
- जब इ, ई या उ,ऊ या ऋ भिन्न-भिन्न स्वरों के साथ संधि करके क्रमशः य, व्, र् बनाएं तो उसे यण् संधि कहते हैं |
- वृद्धि संधि :-
- यदि अ या आ के साथ ए या ऐ की संधि होने पर बनने वाला वर्ण ऐ हो और अ या आ के साथ ओ या औ की संधि होने पर बनने वाला वर्ण औ हो तो उसे वृद्धि संधि कहते हैं |
- अयादि संधि :-
- यदि ए, ऐ, ओ, औ के साथ किसी भी वर्ण (सवर्ण या असवर्ण) की संधि के फलस्वरूप होने वाला विकार क्रमशः अय, आय, अव, आव हो तो उसे अयादि संधि कहते हैं |
- दीर्घ संधि :-
यण संधि Question 10:
‘गुर्वौदार्य’ का संधि-विच्छेद कीजिए
Answer (Detailed Solution Below)
यण संधि Question 10 Detailed Solution
सही उत्तर है - "गुरु + औदार्य"l अन्य विकल्प असंगत हैं।
- गुरु + औदार्य = गुर्वोदार्य(उ + औ = वौ)
Key Points
- ‘गुर्वौदार्य’ का संधि - विच्छेद = गुरु + औदार्य l
- गुर्वौदार्य शब्द में यण संधि का प्रयोग है l
यण संधि:-
- जब इ, ई, उ, ऊ, ऋ के आगे कोई भिन्न स्वर आता है, तो ये क्रमश: य्, व्, र्, ल् में परिवर्तित हो जाते हैं।
उदाहरण-
- नदी + आमुख = नद्यामुख (ई + आ = या)
- स्त्री + उपयोगी = स्त्र्युपयोगी (ई + उ = यु)
- अनु + ईषण = अन्वीक्षण (उ + ई = वी)
- गुरु + औदार्य = गुर्वोदार्य (उ + औ = वौ)
- पितृ + इच्छा = पित्रिच्छा (ऋ + इ = रि)
- मातृ + उपदेश = मात्रुपदेश (ऋ + उ = रु)