माहेश्वर सूत्र MCQ Quiz - Objective Question with Answer for माहेश्वर सूत्र - Download Free PDF
Last updated on Jun 17, 2025
Latest माहेश्वर सूत्र MCQ Objective Questions
माहेश्वर सूत्र Question 1:
"खरवसानयोः _____" इति सूत्रस्य रिक्तस्थानं पूरणीयम्-
Answer (Detailed Solution Below)
माहेश्वर सूत्र Question 1 Detailed Solution
प्रश्न का अनुवाद - "खरवसानयोः _____" रिक्त स्थान की पूर्ति करें।
स्पष्टीकरण - उपरोक्त प्रश्न के अनुसार सही पर्याय ''विसर्जनीयः'' है। इस तरह पूर्ण सूत्र होगा - खरवसानयोर्विसर्जनीयः।
Key Pointsपाणिनीय अष्टाध्यायी के अनुसार विसर्ग के बारे में बताते हुए यह सूत्र आया है-
सूत्र - खरवसानयोर्विसर्जनीयः।
खरि अवसाने च पदान्तस्य रेफस्य विसर्गः। अर्थात् ''खर'' परे रहते पदान्त रेफ को विसर्ग होता है।
खर् प्रत्याहार परे रहते या विराम होने पर शब्द के अन्तिम र् को विसर्ग हो जाता है। यह र् शब्द के अन्तिम स् के स्थान पर होता है (ससजुषो रुः)।
उदाहरण-
बालकस् + चलति - बालकः चलति। यहाँ पहले स् को र् हुआ फिर र् के स्थान पर उपर्युक्त नियम से खर् प्रत्याहार वाले वर्ण च् के परे रहते विसर्ग हो गया।
अन्य उदाहरण -
- हरिस् + कथयति= हरिः कथयति ।
- देवदत्तस् + पालयति= देवदत्तः पालयति।
इस प्रकार रिक्त स्थान में विसर्जनीयः शब्द आयेगा। जिससे पूर्ण सूत्र होगा - खरवसानयोर्विसर्जनीयः ।
माहेश्वर सूत्र Question 2:
"हलन्त्यम्" इति सूत्रेण संज्ञा भवति-
Answer (Detailed Solution Below)
माहेश्वर सूत्र Question 2 Detailed Solution
प्रश्नानुवाद - "हलन्त्यम्" इस सूत्र से संज्ञा होती है-
स्पष्टीकरण - हलन्त्यम् इस सूत्र के द्वारा इत् संज्ञा होती है। यह सूत्र इत्संज्ञा विधायक सूत्र है।
सूत्र - हलन्त्यम्।
व्याख्या - उपदेशेऽन्त्यं हलित्स्यात्। उपदेश आद्योच्चारणम्। सूत्रेष्वदृष्टं पदं सूत्रान्तरादनुवर्तनीयं सर्वत्र। अर्थात् उपदेश अवस्था में अन्त्य हल् इत्संज्ञक होता है। उपदेश अर्थात् प्रथम उच्चारण को उपदेश कहते हैं। सूत्रों के अर्थ को परा करने के लिए जो पद कम हो, उसे आवश्यकतानुसार अन्य सूत्रों से ले लेना चाहिए।
चौदह माहेश्वर सूत्रों का प्रथम उच्चारण किया गया है। इन सूत्रों का प्रथम उच्चारण होने से इनका अन्तिम वर्ण इत्संज्ञक है।
उदाहरण - अइउण्, ऋलृक् - इन दोनों सूत्रों में अन्तिम वर्ण ण् एवं क् ये दोनों इत्संज्ञक हैं।
अतः स्पष्ट है कि हलन्त्यम् सूत्र से इत्संज्ञा होती है।
माहेश्वर सूत्र Question 3:
"ईदूदेद्द्विवचनम् _____" इत्यत्र रिक्तस्थानपूर्तिं कुरुत।
Answer (Detailed Solution Below)
माहेश्वर सूत्र Question 3 Detailed Solution
प्रश्नानुवाद - "ईदूदेद्द्विवचनम् _____" यहाँ रिक्तस्थान पूरा करें।
स्पष्टीकरण - रिक्त स्थान में प्रगृह्यम् पद आयेगा। इस तरह पूर्ण सूत्र होगा - ईदूदेद्द्विवचनम् प्रगृह्यम्।
'ईदूदेद्द्विवचनं प्रगृह्यम्' यह प्रगृह्य संज्ञा विधायक सूत्र है। इस सूत्र के अनुसार यदि द्विवचनान्त शब्द के अन्त में ई, ऊ, ए आता है और बाद में यदि कोई स्वर आता है तो ई, ऊ, ए वैसे ही रहते हैं।
उदाहरण -
- गंगे + अमू - गंगे अमू
- मुनी + इमौ - मुनी इमौ
अतः स्पष्ट है कि रिक्त स्थान में प्रगृह्यम् पद आयेगा।
माहेश्वर सूत्र Question 4:
"परः सन्निकर्षः _____" इति रिक्तस्थान-पूरणं कुरुत-
Answer (Detailed Solution Below)
माहेश्वर सूत्र Question 4 Detailed Solution
प्रश्नानुवाद - "परः सन्निकर्षः _____" इस रिक्तस्थान को पूर्ण करें-
स्पष्टीकरण - यहाँ रिक्तस्थान में संहिता पद आयेगा। इस तरह पूर्ण सूत्र होगा - परः सन्निकर्षः संहिता। यह संहिता संज्ञा विधायक सूत्र है।
सूत्र - 'परः सन्निकर्षः संहिता'
वृत्तिः - वर्णानामतिशयितः सन्निधिः संहितासंज्ञं स्यात्। अर्थात् वर्णों की अत्यन्त सन्निधि संहितासंज्ञक होती है अर्थात् वर्णों की अत्यन्त समीपता को संहिता कहते हैं।
वर्णों के मध्य जो सन्धि होती है, वे सन्धि करने वाले सभी सूत्र संहिता के विषय में ही कार्य करते हैं। संहिता एक संज्ञा है। जिन वर्णों की आपस में संहिता संज्ञा नहीं होती है, उनकी सन्धि नहीं हो सकती।
अतः स्पष्ट है कि रिक्तस्थान में संहिता पद आयेगा।
माहेश्वर सूत्र Question 5:
माहेश्वरसूत्राणि केषां संज्ञार्थानि भवन्ति?
Answer (Detailed Solution Below)
माहेश्वर सूत्र Question 5 Detailed Solution
प्रश्नानुवाद - माहेश्वर सूत्र किनके संज्ञार्थ होते हैं?
स्पष्टीकरण - माहेश्वर सूत्र 14 है। ये माहेश्वर सूत्र अण् आदि प्रत्याहारों की सिद्धि के लिए हैं। जैसा कि कहा भी गया है।
- पाणिनीय व्याकरण की वृत्ति के अनुसार - इति माहेश्वराणि सूत्राण्यणादिसंज्ञार्थानि। एषामन्त्या इतः। हकारादिष्वकार उच्चारणार्थः। लण्मध्ये त्वितसंज्ञकः। अर्थात् महेश्वर की कृपा से प्राप्त ये चौदह सूत्र अण् आदि प्रत्याहारों की सिद्धि के लिए हैं। इन सूत्रों के अन्तिम वर्ण इत्संज्ञक हैं। हकार आदि में पठित अकार उच्चारण के लिए है। लण् सूत्र में पठित अकार इत्संज्ञक है, उच्चारणार्थ नहीं है।
अतः स्पष्ट है कि यहाँ अणादि उचित विकल्प है।
Important Points
- संस्कृत व्याकरण की रचना महर्षि पाणिनि द्वारा की गई।
- पाणिनि व्याकरण के आरम्भ में 14 सूत्र है। जिन्हें माहेश्वर सूत्र भी कहते हैं।
- इन चौदह सूत्रों से 42 प्रत्याहारों की रचना होती है।
-
पहले चार सूत्रों में स्वरों की गणना की गयी है। इसे अच् प्रत्याहार कहते हैं।
- हयवरट् सूत्र से लेकर हल् अन्तिम सूत्र तक व्यंजनों की गणना की गयी है। इसे हल् प्रत्याहार कहते हैं।
Top माहेश्वर सूत्र MCQ Objective Questions
माहेश्वर सूत्रों की संख्या हैं
Answer (Detailed Solution Below)
माहेश्वर सूत्र Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFस्पष्टीकरण:- पाणिनी ने अपने अष्टाध्यायी में १४ माहेश्वर सूत्र बताये है। वह इसप्रकार हैं-
१४ माहेश्वर सूत्र:- १. अइउण्। २. ऋऌक्। ३. एओङ्। ४. ऐऔच्। ५. हयवरट्। ६. लण्। ७. ञमङणनम्। ८. झभञ्। ९. घढधष्। १०. जबगडदश्। ११. खफछठथचटतव्। १२. कपय्। १३. शषसर्। १४. हल्।
इन माहेश्वर सूत्र को प्रत्याहार सूत्र के साथ 'चतुर्दश सूत्र' से भी जाने जाते है।
अतिरिक्त जानकारी
उत्पत्ति:- एक आख्यायिका के अनुसार पाणिनि को यह सूत्र भगवान शङ्कर से प्राप्त हुए।
नृत्तावसाने नटराजराजो ननाद ढक्कां नवपञ्चवारम्।
उद्धर्तुकामः सनकादिसिद्धान् एतद्विमर्शे शिवसूत्रजालम् ॥
अर्थ:- "नृत्य (ताण्डव) के अवसान (समाप्ति) पर नटराज (शिव) ने सनकादि ऋषियों की सिद्धि और कामना का उद्धार (पूर्ति) के लिये नवपंच (चौदह) बार डमरू बजाया। इस प्रकार चौदह शिवसूत्रों का ये जाल (वर्णमाला) प्रकट हुयी।"
इस तरह से इन माहेश्वर सूत्रोंकी उत्त्पत्ति है। इन्हे शिवसूत्र भी कहते हैं। इन्ही १४ शिवसूत्रोंको पाणिनि ने भगवान शङ्कर से प्राप्त किया और उनसे अष्टाध्यायी के प्रत्याहार बनाये। इसलिए इन सूत्रों को प्रत्याहार विधायक सूत्र भी कहते हैं।
चतुर्दशमाहेश्वरसूत्रेषु स्वरवर्णानां संख्या अस्ति-
Answer (Detailed Solution Below)
माहेश्वर सूत्र Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्न का अनुवाद - चतुर्दश माहेश्वर सूत्रों में स्वर वर्णों की संख्या हैं -
स्पष्टीकरण - चतुर्दश माहेश्वर सूत्रों में स्वर वर्णों की संख्या हैं - नव अर्थात् नौ।
Important Points
प्रत्याहार – माहेश्वर सूत्रों की व्याख्या -
- माहेश्वर सूत्र 14 है। इन 14 सूत्रों में संस्कृत भाषा के वर्णों (अक्षरसमाम्नाय) को एक विशिष्ट प्रकार से संयोजित किया गया है। फलतः महर्षि पाणिनि को शब्दों के निर्वचन या नियमों मे जब भी किन्हीं विशेष वर्ण समूहों (एक से अधिक) के प्रयोग की आवश्यकता होती है, वे उन वर्णों को माहेश्वर सूत्रों से प्रत्याहार बनाकर संक्षेप में ग्रहण करते हैं।
- इन 14 सूत्रों में संस्कृत भाषा के समस्त वर्णों का समावेश किया गया है।
- प्रथम 4 सूत्रों (अइउण् – ऐऔच्) में स्वर वर्णों तथा शेष १० सूत्रों में व्यञ्जन वर्णों की गणना की गयी है। संक्षेप में –
- स्वर वर्णों को अच् एवं
- व्यञ्जन वर्णों को हल् कहा जाता है। अच् एवं हल् भी प्रत्याहार हैं।
चौदह माहेश्वर सूत्र निम्नलिखित है -
Key Points
प्रत्याहार -
- अच् प्रत्याहार - प्रथम माहेश्वर सूत्र ‘अइउण्’ के आदि वर्ण ‘अ’ को चतुर्थ सूत्र ‘ऐऔच्’ के अन्तिम वर्ण ‘च्’ से योग कराने पर अच् प्रत्याहार बनता है।
- यह अच् प्रत्याहार अपने आदि अक्षर ‘अ’ से लेकर इत्संज्ञक च् के पूर्व आने वाले औ पर्यन्त सभी अक्षरों का बोध कराता है।
- अतः अच् में अ, इ, उ, ॠ, ॡ, ए, ऐ, ओ, औ = (९ ) नौ वर्ण आते हैं।
- हल् प्रत्याहार - इसकी सिद्धि 5वें सूत्र हयवरट् के आदि अक्षर ‘ह’ को अन्तिम 14वें सूत्र हल् के अन्तिम अक्षर ल् के साथ मिलाने (अनुबन्ध) से होती है।
- हल् प्रत्याहार में = ह य व र, ल, ञ म ङ ण न, झ भ, घ ढ ध, ज ब ग ड द, ख फ छ ठ थ च ट त, क प, श ष, स, ह - ये वर्ण आते हैं।
अतः स्पष्ट है की चतुर्दश माहेश्वर सूत्रों में स्वर वर्णों की संख्या हैं - नव अर्थात् नौ।
माहेश्वर सूत्रेषु ह्रस्वस्वराः सन्ति-
Answer (Detailed Solution Below)
माहेश्वर सूत्र Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्नानुवाद - माहेश्वर सूत्रों में ह्रस्व स्वर हैं-
स्पष्टीकरण - माहेश्वर सूत्रों में कुल 9 स्वर वर्ण है। इन 9 स्वर वर्णों में से प्रथम पाँच स्वर ह्रस्व स्वर हैं।
- संस्कृत व्याकरण की रचना महर्षि पाणिनि द्वारा की गई।
- पाणिनि व्याकरण में 14 सूत्र है। जिन्हें माहेश्वर सूत्र भी कहते हैं।
- इन 14 सूत्रों के आधार पर 42 प्रत्याहारों की रचना होती है।
- इन 14 सूत्रों के अन्तिम वर्ण की अन्त्य संज्ञा होने से उनकी गणना नहीं की जाती है।
- अच् प्रत्याहार में कुल चार सूत्र हैं। जिसमें 9 वर्ण आते हैं, जो स्वर वर्ण हैं। अइउण, ऋलृक्, एओङ्, ऐऔच्।
- अच् प्रत्याहार - अ इ उ, ऋ, लृ, ए, ओ, ऐ, औ। किन्तु अन्तिम वर्ण की इत् संज्ञा होने से गणना नहीं की जाती है।
- यहाँ प्रथम 5 वर्ण ह्रस्व स्वर हैं - अ, इ, उ, ऋ, लृ।
अतः स्पष्ट है कि माहेश्वर सूत्रों में ह्रस्व स्वर वर्ण 5 होते हैं।
Additional Information
- पहले चार सूत्रों में स्वरों की गणना की गयी है। इसे अच् प्रत्याहार कहते हैं।
- हयवरट् सूत्र से लेकर हल् अन्तिम सूत्र तक व्यंजनों की गणना की गयी है। इसे हल् प्रत्याहार कहते हैं।
14 माहेश्वर सूत्र निम्नलिखित है -
कस्य माहेश्वरसूत्रस्य मध्ये अकारस्येत्संज्ञा भवति ?
Answer (Detailed Solution Below)
माहेश्वर सूत्र Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्न का हिंदी भाषांतर : किस माहेश्वरसूत्र में अकार की इत्संज्ञा होती है?
स्पष्टीकरण -
- माहेश्वर सूत्रअष्टाध्यायी में आए १४ सूत्र (अक्षरों के समूह) हैं जिनका उपयोग करके व्याकरण के नियमों को अत्यन्त लघु रूप देने में पाणिनि ने सफलता पायी है।
- शिवसूत्रों को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। पाणिनि ने संस्कृत भाषा के तत्कालीन स्वरूप को परिष्कृत एवं नियमित करने के उद्देश्य से भाषा के विभिन्न अवयवों एवं घटकों यथा ध्वनि-विभाग (अक्षरसमाम्नाय), नाम (संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण), पद, आख्यात, क्रिया, उपसर्ग, अव्यय, वाक्य, लिंग इत्यादि तथा उनके अन्तर्सम्बन्धों का समावेश अष्टाध्यायी में किया है।
- माहेश्वर सूत्रों की कुल संख्या १४ है जो निम्नलिखित हैं -
अइउण् |
ऋऌक् |
एओङ् |
ऐऔच् |
हयवरट् |
लण् |
ञमङणनम् |
झभञ् |
घढधष् |
जबगडदश् |
खफछठथचटतव् |
कपय् |
शषसर् |
हल् |
- इत् संज्ञा होने से इन अन्तिम वर्णों का उपयोग प्रत्याहार बनाने के लिए केवल अनुबन्ध हेतु किया जाता है, लेकिन व्याकरणीय प्रक्रिया मे इनकी गणना नही की जाती है अर्थात् इनका प्रयोग नही होता है।
- माहेश्वर सूत्रोंं में छठे सूत्र 'लण्' सूत्र में विद्यमान 'अ' (ल् + अ + ण्) के उच्चारण के लिए तो है ही साथ - साथ एक प्रयोजन और भी है कि यह इत् संज्ञक भी है। अर्थात् जैसे चौदह माहेश्वर सूत्रों के अन्त्य वर्णों (ण् क् आदि) की इत् संज्ञा होती है, वैसे ही 'लण्' सूत्र में विद्यमान अकार भी इत् संज्ञक है।
अतः स्पष्ट है, 'लण्' यह इस प्रश्न का सही उत्तर है।
माहेश्वरसूत्रेषु अच्वर्णाः कति सन्ति?
Answer (Detailed Solution Below)
माहेश्वर सूत्र Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्नानुवाद - माहेश्वर सूत्रों में अच् वर्ण कितने हैं?
स्पष्टीकरण - माहेश्वर सूत्रों में अच् वर्ण 9 है। जो स्वर वर्ण होते हैं।
- संस्कृत व्याकरण की रचना महर्षि पाणिनि द्वारा की गई।
- पाणिनि व्याकरण में 14 सूत्र है। जिन्हें माहेश्वर सूत्र भी कहते हैं।
- इन 14 सूत्रों के आधार पर 42 प्रत्याहारों की रचना होती है।
- इन 14 सूत्रों के अन्तिम वर्ण की अन्त्य संज्ञा होने से उनकी गणना नहीं की जाती है।
- अच् प्रत्याहार में कुल चार सूत्र हैं। जिसमें 9 वर्ण आते हैं, जो स्वर वर्ण हैं। अइउण, ऋलृक्, एओङ्, ऐऔच्।
- अच् प्रत्याहार - अ इ उ, ऋ, लृ, ए, ओ, ऐ, औ। किन्तु अन्तिम वर्ण की इत् संज्ञा होने से गणना नहीं की जाती है।
अतः स्पष्ट है कि अच् प्रत्याहार में 9 वर्ण होते हैं।
Additional Information
- पहले चार सूत्रों में स्वरों की गणना की गयी है। इसे अच् प्रत्याहार कहते हैं।
- हयवरट् सूत्र से लेकर हल् अन्तिम सूत्र तक व्यंजनों की गणना की गयी है। इसे हल् प्रत्याहार कहते हैं।
14 माहेश्वर सूत्र निम्नलिखित है -
माहेश्वरसूत्रेषु को वर्णः द्विरुक्तः?
Answer (Detailed Solution Below)
माहेश्वर सूत्र Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्नानुवाद - माहेश्वर सूत्रों में किस वर्ण को दो बार कहा गया है।
स्पष्टीकरण - माहेश्वर सूत्रों में ह वर्ण को दो बार कहा गया है। हयवरट् एवं हल् सूत्र में।
- संस्कृत व्याकरण की रचना महर्षि पाणिनि द्वारा की गई।
- पाणिनि व्याकरण में 14 सूत्र है। जिन्हें माहेश्वर सूत्र भी कहते हैं।
- इन 14 सूत्रों के आधार पर 42 प्रत्याहारों की रचना होती है।
- इन 14 सूत्रों के अन्तिम वर्ण की अन्त्य संज्ञा होने से उनकी गणना नहीं की जाती है।
- पहले चार सूत्रों में स्वरों की गणना की गयी है। इसे अच् प्रत्याहार कहते है।
- हयवरट् सूत्र से लेकर हल् अन्तिम सूत्र तक व्यंजनों की गणना की गयी है। इसे हल् प्रत्याहार कहते हैं।
- ह वर्ण ऐसा वर्ण है, जो इन माहेश्वर सूत्रों में दो बार आता है।
- हयवरट् और हल् सूत्र में ह आता है।
अतः स्पष्ट है कि यहाँ ह वर्ण सही उत्तर है।
Additional Information
14 माहेश्वर सूत्र निम्नलिखित है -
"खरवसानयोः _____" इति सूत्रस्य रिक्तस्थानं पूरणीयम्-
Answer (Detailed Solution Below)
माहेश्वर सूत्र Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्न का अनुवाद - "खरवसानयोः _____" रिक्त स्थान की पूर्ति करें।
स्पष्टीकरण - उपरोक्त प्रश्न के अनुसार सही पर्याय ''विसर्जनीयः'' है। इस तरह पूर्ण सूत्र होगा - खरवसानयोर्विसर्जनीयः।
Key Pointsपाणिनीय अष्टाध्यायी के अनुसार विसर्ग के बारे में बताते हुए यह सूत्र आया है-
सूत्र - खरवसानयोर्विसर्जनीयः।
खरि अवसाने च पदान्तस्य रेफस्य विसर्गः। अर्थात् ''खर'' परे रहते पदान्त रेफ को विसर्ग होता है।
खर् प्रत्याहार परे रहते या विराम होने पर शब्द के अन्तिम र् को विसर्ग हो जाता है। यह र् शब्द के अन्तिम स् के स्थान पर होता है (ससजुषो रुः)।
उदाहरण-
बालकस् + चलति - बालकः चलति। यहाँ पहले स् को र् हुआ फिर र् के स्थान पर उपर्युक्त नियम से खर् प्रत्याहार वाले वर्ण च् के परे रहते विसर्ग हो गया।
अन्य उदाहरण -
- हरिस् + कथयति= हरिः कथयति ।
- देवदत्तस् + पालयति= देवदत्तः पालयति।
इस प्रकार रिक्त स्थान में विसर्जनीयः शब्द आयेगा। जिससे पूर्ण सूत्र होगा - खरवसानयोर्विसर्जनीयः ।
माहेश्वर सूत्राणि सन्ति
Answer (Detailed Solution Below)
माहेश्वर सूत्र Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्न अनुवाद - माहेश्वर सूत्र हैं-
स्पष्टीकरण -
- अष्टाध्यायी में आए १४ सूत्र (अक्षरों के समूह) हैं, जिनका उपयोग करके व्याकरण के नियमों को अत्यंत लघु रूप देने में पाणिनि ने सफलता पायी है।
- पाणिनि को शब्दों के निर्वचन या नियमों के पालन में जब भी किन्हीं विशेष वर्ण समूहों (एक से अधिक) के प्रयोग की आवश्यकता होती है, वे उन वर्णों (अक्षरों) को माहेश्वर सूत्रों से प्रत्याहार बनाकर संक्षेप में ग्रहण करते हैं।
- माहेश्वर सूत्रों को इसी कारण प्रत्याहार विधायक सूत्र भी कहते हैं। माहेश्वर सूत्र के इन १४ सूत्रों में संस्कृत भाषा के समस्त वर्णों को समावेश किया गया है।
- प्रथम ४ सूत्रों में स्वर वर्णों तथा बाद के १० सूत्र व्यंजन वर्णों की गणना की गयी है।
- संक्षेप में स्वर वर्णों को अच् एवं व्यंजन वर्णों को हल् कहा जाता है।
- अच् एवं हल् भी प्रत्याहार हैं। प्रत्याहार कुल 42 हैं।
अतः स्पष्ट है कि माहेश्वर सूत्र चतुर्दश अर्थात् १४ हैं।
Important Points
- 14 माहेश्वर सूत्र निम्नलिखित तालिका में दिये गये हैं।
- पहले चार सूत्रों में स्वरों की गणना की गयी है। इसे अच् प्रत्याहार कहते हैं।
- हयवरट् सूत्र से लेकर हल् अन्तिम सूत्र तक व्यंजनों की गणना की गयी है। इसे हल् प्रत्याहार कहते हैं।
'जबगडदश्' इत्यस्मिन् सूत्रे इत्संज्ञकः वर्णः अस्ति -
Answer (Detailed Solution Below)
माहेश्वर सूत्र Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्नानुवाद - 'जबगडदश्' इस सूत्र में इत्संज्ञक वर्ण है-
स्पष्टीकरण - जबगडदश्' इस सूत्र में श् इत्संज्ञक वर्ण है।
- संस्कृत व्याकरण की रचना महर्षि पाणिनि द्वारा की गई।
- पाणिनि व्याकरण में 14 सूत्र है। जिन्हें माहेश्वर सूत्र भी कहते हैं।
- इन 14 सूत्रों के आधार पर 42 प्रत्याहारों की रचना होती है।
- इन 14 सूत्रों के अन्तिम वर्ण की अन्त्य संज्ञा होने से उनकी गणना नहीं की जाती है।
- इन सूत्रों में 10वां सूत्र है - जबगडदश्। जिसमें पाँच वर्ण - ज, ब, ग, ड, द आते हैं। किन्तु अन्तिम वर्ण की इत् संज्ञा होने से गणना नहीं की जाती है। यहाँ श् की गणना नहीं की जाती है।
अतः स्पष्ट है कि जबगडदश् सूत्र में श् इत्संंज्ञक वर्ण है।
Additional Information
- पहले चार सूत्रों में स्वरों की गणना की गयी है। इसे अच् प्रत्याहार कहते है।
- हयवरट् सूत्र से लेकर हल् अन्तिम सूत्र तक व्यंजनों की गणना की गयी है। इसे हल् प्रत्याहार कहते हैं।
14 माहेश्वर सूत्र निम्नलिखित है -
अइउण् |
"परः सन्निकर्षः _____" इति रिक्तस्थान-पूरणं कुरुत-
Answer (Detailed Solution Below)
माहेश्वर सूत्र Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्नानुवाद - "परः सन्निकर्षः _____" इस रिक्तस्थान को पूर्ण करें-
स्पष्टीकरण - यहाँ रिक्तस्थान में संहिता पद आयेगा। इस तरह पूर्ण सूत्र होगा - परः सन्निकर्षः संहिता। यह संहिता संज्ञा विधायक सूत्र है।
सूत्र - 'परः सन्निकर्षः संहिता'
वृत्तिः - वर्णानामतिशयितः सन्निधिः संहितासंज्ञं स्यात्। अर्थात् वर्णों की अत्यन्त सन्निधि संहितासंज्ञक होती है अर्थात् वर्णों की अत्यन्त समीपता को संहिता कहते हैं।
वर्णों के मध्य जो सन्धि होती है, वे सन्धि करने वाले सभी सूत्र संहिता के विषय में ही कार्य करते हैं। संहिता एक संज्ञा है। जिन वर्णों की आपस में संहिता संज्ञा नहीं होती है, उनकी सन्धि नहीं हो सकती।
अतः स्पष्ट है कि रिक्तस्थान में संहिता पद आयेगा।