नाटक MCQ Quiz - Objective Question with Answer for नाटक - Download Free PDF

Last updated on Jul 17, 2025

Latest नाटक MCQ Objective Questions

नाटक Question 1:

अंधायुग के रचनाकार हैं -

  1. श्री नरेष मेहता
  2. भवानी प्रसाद मिश्र
  3. धर्मवीर भारती
  4. श्रीकांत वर्मा
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : धर्मवीर भारती

नाटक Question 1 Detailed Solution

उपर्युक्त प्रश्न का सही उत्तर धर्मवीर भारती है

Key Points

  • अंधा युग, धर्मवीर भारती द्वारा रचित हिंदी काव्य नाटक है।
  • इस गीतिनाट्य का प्रकाशन सन् 1955 ई. में हुआ था। इसका कथानक महाभारत युद्ध के अंतिम दिन पर आधारित है।
  • इसमें युद्ध और उसके बाद की समस्याओं और मानवीय महत्वाकांक्षा को प्रस्तुत किया गया है।

Additional Information

  • धर्मवीर भारती (24 दिसंबर, 1926- 4 सितंबर, 1997) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार और सामाजिक विचारक थे।
  • वे एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान संपादक भी थे।
  • डॉ धर्मवीर भारती को 1972में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
  • उनका उपन्यास गुनाहों का देवता सदाबहार रचना मानी जाती है।
  • सूरज का सातवां घोड़ा को कहानी कहने का अनुपम प्रयोग माना जाता है.

नाटक Question 2:

पारम्परिक लोकगीत ‘गोटे' को गाने में वाद्ययंत्र का प्रयोग होता है :

  1. ढाँक
  2. रामतूला 
  3. बाँसुरी
  4. एकतारा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : ढाँक

नाटक Question 2 Detailed Solution

पारम्परिक लोकगीत ‘गोटे' को गाने में वाद्ययंत्र का प्रयोग होता है- ढाँक

Key Points

  • ‘गोटे’ एक पारम्परिक लोकगीत है, जो मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र और इसके आसपास के क्षेत्रों में प्रचलित है।
  • यह गीत आमतौर पर श्रमिकों, खेतिहर जीवन, और सामाजिक उत्सवों से जुड़ा हुआ है।
  • लोकगीतों में वाद्ययंत्रों का प्रयोग उनकी लय और भाव को बढ़ाने के लिए किया जाता है। ‘गोटे’ गीत की विशेषता इसके ताल और मधुरता में है, और इसके साथ पारम्परिक वाद्ययंत्रों का उपयोग होता है।

Important Pointsढाँक-

  • ढाँक एक पारम्परिक ताल वाद्य है, जो मध्य प्रदेश के निमाड़ और मालवा क्षेत्र में लोकगीतों के साथ प्रयोग किया जाता है।
  • यह एक ड्रम जैसा वाद्य है, जो हाथों से बजाया जाता है और गीत की लय को मधुरता प्रदान करता है।
  • ‘गोटे’ गीत की पारम्परिक शैली में ढाँक का प्रयोग प्रचलित है, क्योंकि यह श्रमिक जीवन और नृत्य के साथ तालमेल बनाता है।

Additional Informationरामतूला-

  • रामतूला एक लोक वाद्य है, जो मुख्य रूप से बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रचलित है, और यह एक ताल वाद्य है।

बाँसुरी-

  • बाँसुरी एक वायु वाद्य है, जो मधुर स्वर पैदा करता है और भारतीय शास्त्रीय संगीत में लोकप्रिय है।

एकतारा-

  • एकतारा एक तंतु वाद्य है, जो मुख्य रूप से बंगाल, असम, और कुछ अन्य क्षेत्रों के लोकगीतों में प्रयोग होता है।

नाटक Question 3:

बाबा स्वाँग में दर्शक होते हैं :

  1. पुरुष
  2. बच्चे
  3. स्त्री
  4. पुरुष और बच्चे दोनों

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : पुरुष और बच्चे दोनों

नाटक Question 3 Detailed Solution

बाबा स्वाँग में दर्शक होते हैं- पुरुष और बच्चे दोनों

Key Points

  • स्वाँग एक प्रकार का लोक नाट्य है जिसमें एक पात्र अनेक पात्रों का अभिनय करता है और दर्शक उसे देखते हैं। 
  • विशेष रूप से, विवाह के अवसर पर बारात के चले जाने के बाद, रात में वर पक्ष की महिलाएं "खोइयां" या "बाबा" के नाम से जो प्रदर्शन करती हैं, उसे भी स्वाँग कहा जाता है।

नाटक Question 4:

“नारी का आकर्षण पुरुष को पुरुष बनाता है, तो उसका अपकर्षण उसे गौतम बुद्ध बना देता है।” यह कथन किन दो पात्रों के बीच का संवाद है ?

  1. सुन्दरी - नीहारिका
  2. सुन्दरी - नंद
  3. सुन्दरी - अलंका
  4. अलका - नीहारिका

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : सुन्दरी - नंद

नाटक Question 4 Detailed Solution

“नारी का आकर्षण पुरुष को पुरुष बनाता है, तो उसका अपकर्षण उसे गौतम बुद्ध बना देता है।” यह कथन सुन्दरी - नंद दो पात्रों के बीच का संवाद है

Key Pointsलहरों के राजहंस-

  • रचनाकार-मोहन राकेश 
  • प्रकाशन वर्ष-1963 ई.
  • विधा-नाटक 
  • प्रमुख पात्र-
    • नंद,सुंदरी,अलका,मैत्रेय,नीहारिका,भिक्षु आनंद,शशांक,स्वेतांग,स्यामांग आदि। 
  • विषय-
    • यह नाटक बुद्ध के भाई नन्द पर आधारित है।
    • इस्म्र भौतिकवाद और अध्यात्मवाद का द्वन्द है।
    • इन दोनों किनारों के मध्य खड़े मनुष्य को समन्वय से ही सही दिशा मिल सकती है।
    • इसकी रचना अश्वघोष के महाकाव्य 'सौरानंद' के आधार पर की गयी है।

Important Pointsमोहन राकेश-

  • नाटक-
    • आषाढ़ का एक दिन (1958 ई.)
    • आधे-अधूरे (1969 ई.) आदि।

नाटक Question 5:

चंद्रगुप्त नाटक से संबंधित पात्र परिचय को सुमेलित कीजिए :

पात्र

परिचय

(i)

वररुचि

1.

शकटार की कन्या

(ii)

मालविका 

2.

सिन्धु देश की राजकुमारी

(iii)

सुवासिनी 

3.

मगध का अमात्य

(iv)

फिलिप्स 

4.

सिकंदर का क्षत्रप

  1. (i) - 3, (ii) - 2, (iii) - 1, (iv) - 4
  2. (i) - 4, (ii) - 1, (iii) - 2, (iv) - 3
  3. (i) - 2, (ii) - 1, (iii) - 4, (iv) - 3
  4. (i) - 1, (ii) - 2, (iii) - 3, (iv) - 4

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : (i) - 3, (ii) - 2, (iii) - 1, (iv) - 4

नाटक Question 5 Detailed Solution

सही उत्तर है- (i) - 3, (ii) - 2, (iii) - 1, (iv) - 4

Key Pointsसही सुमेलन है-

पात्र

परिचय

(i)

वररुचि

3.

मगध का अमात्य 

(ii)

मालविका 

2.

सिन्धु देश की राजकुमारी

(iii)

सुवासिनी 

1.

शकटार की कन्या

(iv)

फिलिप्स 

4.

सिकंदर का क्षत्रप

Important Pointsचन्द्रगुप्त-

  • रचनाकार- जयशंकर प्रसाद
  • प्रकाशन वर्ष- 1931 ई. 
  • विधा- नाटक
  • विषय-
    • चन्द्रगुप्त तथा चाणक्य का अत्याचारी नंद तथा विदेशी यूनानियों से संघर्ष का चित्रण है। 
  • पुरुष पात्र-
    • चन्द्रगुप्त, चाणक्य, सिंहरण, सिकंदर, फिलिप्स, गंधार आदि।
  • स्त्री पात्र-
    • अलका, सुवासिनी, कल्याणी, कार्नेलिया आदि। 

Additional Informationजयशंकर प्रसाद-

  • जन्म-1889-1937 ई. 
  • छायावादी प्रमुख स्तम्भ है।
  • काव्य संग्रह-
    • उर्वशी(1909 ई.)
    • वन मिलन(1909 ई.)
    • कानन कुसुम(1913 ई.)
    • प्रेम पथिक(1913 ई.)
    • चित्राधार(1918 ई.)
    • झरना(1918 ई.)
    • आँसू(1925 ई.) आदि। 
  • उपन्यास-
    • कंकाल(1929 ई.)
    • तितली(1934 ई.)
    • इरावती(1936 ई.) आदि। 
  • नाटक-
    • सज्जन(1910 ई.)
    • कल्याणी परिणय(1912 ई.)
    • करुणालय(1912 ई.)
    • विशाख(1921 ई.)
    • अजातशत्रु(1922 ई.)
    • स्कंदगुप्त(1928 ई.)
    • ध्रुवस्वामिनी(1933 ई.) आदि। 
  • निबंध-
    • काव्य और कला तथा अन्य निबंध(1959 ई.)
    • यथार्थवाद और छायावाद 
    • रहस्यवाद 
    • नाटकों का आरंभ आदि।  

Top नाटक MCQ Objective Questions

'यहाँ रहना मना है' नाटक संग्रह किस रचनाकार का है?

  1. श्रीधर पाठक
  2. महादेवी वर्मा
  3. ममता कालिया
  4. जयशंकर प्रसाद

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : ममता कालिया

नाटक Question 6 Detailed Solution

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उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "ममता कालिया" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।

Key Points
  • यहाँ रहना मना है,नाटक संग्रह ममता कालिया का है।
  • आप न बदलेंगे, इनका अन्य नाटक संग्रह है।
  • वर्तमान में ये महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की त्रैमासिक पत्रिका "हिन्दी" की संपादिका हैं।
Important Points
  • संस्मरण
    • कितने शहरों में कितनी बार
  • कहानी संग्रह
    • छुटकारा, एक अदद औरत, सीट नं. छ:, उसका यौवन, जाँच अभी जारी है, प्रतिदिन, मुखौटा, निर्मोही, थिएटर रोड के कौए, पच्चीस साल की लड़की।
  • उपन्यास
    • बेघर(1971), नरक दर नरक(1975), प्रेम कहानी(1980), लड़कियाँ(1987), एक पत्नी के नोट्स(1997), दौड़(2000), अँधेरे का ताला(2009), दुक्खम्‌ - सुक्खम्‌(2009)
  • कविता संग्रह 
    • खाँटी घरेलू औरत, कितने प्रश्न करूँ, नरक दर नरक, प्रेम कहानी।  
Additional Information
  • श्रीधर पाठक
    • वे हिंदी साहित्य सम्मेलन के पाँचवें अधिवेशन (1915, लखनऊ) के सभापति हुए और 'कविभूषण' की उपाधि से विभूषित भी।
    • हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी पर उनका समान अधिकार था।
    • इनकी रचनाये क्रमश :- इस तरह हैं : मनोविनोद 1882 (भाग-1,2,3), एकांतवासी योगी (1886) , जगत सचाई सार (1887) , धन विनय (1900), गुनवंत हेमंत (1900), वनाष्टक (1912), देहरादून (1914), गोखले गुनाष्टक (1915), सांध्य अटन (1918) इत्यादि।
  • महादेवी वर्मा का गद्य साहित्य
    • रेखाचित्र :- अतीत के चलचित्र (1941) और स्मृति की रेखाएं (1953),
    • संस्मरण :- पथ के साथी (1953) और मेरा परिवार (1972) और संस्मरण (1983)
    • चुने हुए भाषणों का संकलन: संभाषण (1974)
    • निबंध :- शृंखला की कड़ियाँ (1952), विवेचनात्मक गद्य (1952), साहित्यकार की आस्था तथा अन्य निबंध (1963), संकल्पिता (1969)
    • ललित निबंध :- क्षणदा (1956)
    • कहानियाँ :- गिल्लू
    • संस्मरण, रेखाचित्र और निबंधों का संग्रह: हिमालय (1963)
  • जयशंकर प्रसाद के प्रमुख नाटक
    • सज्‍जन, कल्‍याणी, परिणय, करुणालय, प्रायश्‍चित, राज्‍यश्री, विशाख, अजातशत्रु, जनमेजय का नागयज्ञ,  कामना, स्‍कंदगुप्‍त, ध्रुवस्‍वामिनी, अग्‍न‍िमित्र, चंद्रगुप्‍त।

निम्नलिखित में से कौन-सा नाटक जयशंकर प्रसाद का नहीं है?

  1. रक्षाबंधन
  2. अजातशत्रु
  3. स्कन्दगुप्त
  4. ध्रुवस्वामिनी

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : रक्षाबंधन

नाटक Question 7 Detailed Solution

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रक्षाबंधन नाटक जयशंकर प्रसाद का नही है।

  • यह नाटक रक्षाबंधन -हरिकृष्ण का है।
  • रक्षाबंधन उपन्यास - वृन्दावन लाल वर्मा का है।
  • रक्षाबंधन कहानी - विश्वम्भर शर्मा कौशिक

Key Points

  • कल्याणी परिणय-1912- अन्य पात्र-चन्द्रगुप्त,कार्नेलिया,सिल्यूकस आदि।
  • राज्यश्री-1915- अन्य पात्र- ग्रहवर्मन,राज्यश्री आदि।
  • अजातशत्रु-1922- अन्य पात्र-बिम्बसार,उदयन,पद्मावती,वासवी प्रसेनजित आदि।

Important Points

  • स्कन्दगुप्त नाटक 1928 में प्रकाशित हुआ।
    इस नाटक में पाँच अंक हैं तथा अध्यायों की योजना दृश्यों पर आधारित है।
  • स्कन्दगुप्त नाटक के अन्य पात्र-स्कन्दगुप्त,कुमारगुप्त,गोविन्दगुप्त,चक्रपालित,बन्धुवर्म्मा,भीमवर्म्मा,शर्वनाग,कुमारदास (धातुसेन),पुरगुप्त,भटार्क,पृथ्वीसेन,देवसेना आदि हैं।

'पै धन विदेश चलि जात इहै अति ख्वारी।' पंक्ति किसकी है?

  1. हरिऔध
  2. प्रताप नारायण मिश्र
  3. मैथिलीशरण गुप्त
  4. भारतेन्दु हरिश्चंद्र

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : भारतेन्दु हरिश्चंद्र

नाटक Question 8 Detailed Solution

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  • 'पै धन विदेश चलि जात इहै अति ख्वारी' पंक्ति भारतेंदु हरिश्चंद्र ।
  • भारतेंदु ने नाटकों के माध्यम से जनसामान्य को जाग्रत करने का कार्य किया ।
  • भारतेंदु ने सन् 1883 ई. में नाटक के लिए उपयोगी 'नाटक अथवा दृश्यकाव्य' नामक एक महत्वपूर्ण निबंध लिखा ।

Key Points

  • भारतेंदु ने पहली बार हिंदी में मौलिक रंगमंच की स्थापना का प्रयास किया ।

  

  • यह पंक्ति भारत दुर्दशा नाटक की है ।
  • यह नाटक एक नाट्यरासक वा लास्य रूपक था , यह 1880 ई. में लिखा गया ।
  • इस नाटक में भारत की तत्कालीन राजनीतिक व सामाजिक दुर्दशा का प्रतीकात्मक चित्रण है ।

"भारत दुर्दशा" नाटक के लेखक हैं-

  1. लक्ष्मीनारायण मिश्र
  2. उपेन्द्र नाथ अश्क
  3. जयशंकर प्रसाद
  4. भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

नाटक Question 9 Detailed Solution

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"भारत दुर्दशा" नाटक के लेखक हैं- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र

  • "भारत दुर्दशा" का प्रकाशन (1880 ई.) वर्ष  है।
  • नाटक का सार:- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का यह नाटक के माध्यम से तत्कालीन भारत की दुर्दशा को दिखाना एवं दुर्दशा के कारणों को कम कर दुर्दशा करनेवालों का यथार्थ चित्र उपस्थित करना था।

Key Pointsभारतेन्दु हरिश्चन्द्र:-

  • भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (9 सितंबर 1850-6 जनवरी 1885) आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं।
  • वे हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। इनका मूल नाम 'हरिश्चन्द्र' था, 'भारतेन्दु' उनकी उपाधि थी। 
  • भारतेंदु जी ने सन 1868 ई. में “कविवचन सुधा” नामक पत्रिका निकालनी प्रारंभ की।
  • इसके 5 वर्ष उपरांत 1873 ई. में उन्होंने “हरिश्चंद्र मैगजीन” नामक मासिक पत्रिका निकाली, जिसका नाम 8 अंकों के उपरांत “हरिश्चंद्र चंद्रिका” कर दिया गया।
  • 1874 में भारतेंदु जी ने नारी शिक्षा के लिए “बालबोधिनी” पत्रिका निकाली। इस प्रकार कुल मिलाकर उन्होंने तीन पत्रिकाएं निकाली।

प्रमुख नाटक रचनाएँ:-

  • वैदिकी हिंसा-हिंसा न भवति (1873)
  • सत्य हरिश्चन्द्र (1875)
  • प्रेम जोगिनी (1875)
  • चंद्रावली नाटिका (1876)
  • विषस्य विषमौषधम् (1876)
  • भारत जननी (1877)
  • नीलदेवी (1881)
  • सती प्रताप (1883)

Additional Informationलक्ष्मीनारायण मिश्र नाटक रचनाएँ:-

  • अशोक (1926)
  • संन्यासी (1930)
  • राक्षस का मन्दिर (1931)
  • मुक्तिका रहस्य (1932)
  • आधी रात (1936)
  • गरुड़ध्वज (1945)
  • नारद की वीणा (1946)
  • राजयोग और सिन्दूर की होली (1933)

उपेन्द्र नाथ अश्क नाटक रचनाएँ:-

  • लौटता हुआ दिन
  • बड़े खिलाड़ी 
  • जय-पराजय
  • स्वर्ग की झलक
  • भँवर, अंजो दीदी।

जयशंकर प्रसाद  नाटक रचनाएँ:-

  • उर्वशी (1909) 
  • प्रायश्चित्त (1914)  
  • राज्यश्री (1915)
  • विशाख (1921) 
  • अजातशत्रु (1922) 
  • कामना (1927) 
  • एक घूँट (1930) 
  • चन्द्रगुप्त (1931) 
  • ध्रुवस्वामिनी (1933) 

नारी का आकर्षण पुरुष को पुरुष बनाता है, तो उसका अपकर्षण उसे गौतम बुद्ध बना देता है।' - ये संवाद - अंश किस नाटक का है ?

  1. लहरों के राजहंस
  2. आषाढ़ का एक दिन
  3. ध्रुवस्‍वामिनी
  4. स्‍कन्‍द गुप्‍त

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : लहरों के राजहंस

नाटक Question 10 Detailed Solution

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ये संवाद-1)लहरों के राजहंस नाटक का है।

Important Points

  • लहरों के राजहंस नाटक कवि  मोहन राकेश का है।
  • इनका जन्म 8 जनवरी 1925 को अमृतसर में हुआ था।
  • 1950 दशक के हिंदी साहित्य पत्रिका में नई कहानी आंदोलन के साहित्यकार थे।
  • प्रमुख नाटकों में-आषाढ़ का एक दिन,लहरों के राजहंस और आधे अधूरे आदि मोहन राकेश की कुछ प्रमुख कृतियाँ है।
  • इन्हें संगीत नाटक अकादमी द्वारा सम्मानित किया गया था।

Additional Information

  • 1968 में लहरों के राजहंस का एक संशोधित परिवर्तित नया रूप प्रकाशित हुआ था।
  • इसकी विषयवस्तु में पर्याप्त सघनता, एकाग्रता और संगति नहीं है। 
  • आषाढ़ का एक दिन(1958) मोहन राकेश द्वारा रचित नाटक है।
  • ध्रुवस्‍वामिनी(1933) और स्‍कन्‍दगुप्‍त(1928) नाटक जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित है। 

Hint

  • यह कथन सुंदरी पात्र का है। 
  • सुंदरी संसार का प्रतीक है। 
  • सुंदरी द्वारा अभिजात वर्ग का सर्वंगीण सौन्द्रर्य ही उसके व्यक्तित्व का प्रमुख आकर्षण है।   

भारतेन्दु द्वारा रचित मौलिक नाटक कौन सा है?

  1. विद्या सुंदर
  2. भारत जननी
  3. मुद्रा राक्षस
  4. भारत दुर्दशा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : भारत दुर्दशा

नाटक Question 11 Detailed Solution

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  • अंधेर नगरी - 1881 भारतेंदु जी का मौलिक नाटक है।
  • इस प्रहसन में राजा की मूर्खता, अन्याय, और अंधेरगर्दी पर व्यंग्य है।
  • राजनीतिक व्यंग्य का अच्छा उदाहरणI


  

  • भारतेंदु के समस्त मौलिक एवं अनूदित नाटकों की संख्या - 17
  • भारतेंदु को ही हिंदी साहित्य में नाट्य विधा का प्रवर्तक माना जाता हैI
  • अंधेर नगरी, भारत - जननी, नील देवी, भारत दुर्दशा की रचना देश वस्त्सलता के उद्देश्य से की।


Additional Information

  • भारतेंदु के मौलिक नाटक
  1. विषस्य विषमौषधम - 1876 (भाण -एक पात्रीय नाटक)
  2. प्रेम जोगिनी - 1875 (4 अंकों की नाटिका)
  3. चंद्रावली - 1876 (नाटिक)
  4. भारत दुर्दशा - 1880 (नाट्य रूपक)
  5. नीलदेवी - 1881 (गीतिरूपक)
  6. अंधेर नगरी - 1881 (प्रहसन)
  7. सती प्रताप (यह नाटक अधूरा रहा जिसे राधा कृष्णदास ने पूरा किया) - 1883 (पौराणिक नाटक)


Key Points

  • अन्य विकल्प 
    • मुद्रा राक्षस : मुद्रा राक्षस (1878), संस्कृत के विख्यात नाटककार विशाखदत्त के मुद्राराक्षस का अनुवाद -- भारतेंदु 
    • विद्या सुंदर :विद्या सुन्दर (1868), बंगला से छायानुवाद -- भारतेंदु 
    • भारत जननी : भारत जननी (1877), बंगला नाटक ‘भारतमाता’ का भारतेन्दु जी के मित्र ने अनुवाद किया था जिसे उन्होंने संशोधित किया।

निम्‍नलिखित में से कौन - सा नाटक उदयशंकर भट्ट का नहीं है ?

  1. विश्र्वामित्र
  2. मत्‍स्‍यगंधा
  3. राधा
  4. नारद की वीणा

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : नारद की वीणा

नाटक Question 12 Detailed Solution

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  • नारद की वीणा नाटक उदयशंकर भट्ट का नहीं हैI
  • यह लक्ष्मी नारायण मिश्र द्वारा रचित हैI यह नाटक 1946 में लिखा गया थाI

Key Points

  • उदयशंकर भट्ट के नाटक विश्वामित्र, मत्स्यगंधा और राधा हैंI
  • इनके उपन्यास 'सागर, लहरें और मनुष्य', 'शेष-अशेष' भी लोकप्रिय हैंI

Additional Information

  • लक्ष्मी नारायण मिश्र हिन्दी के प्रसिद्ध नाटककार थे इन्होने 100 के लगभग एकांकी और 25 के लगभग नाटकों का सृजन किया हैI
  • इनके नाटकों और एकांकी का स्वर `पौराणिक, ऐतिहासिक, तथा मनोवैज्ञानिक हैI 
  • 'सन्यासी', 'राक्षस का मंदिर', 'नारद की वीणा', 'वितस्ता की लहरें', 'मुक्ति का रहस्य', 'सिन्दूर की होली', आदि इनके प्रमुख नाटक हैंI

निम्नलिखित में से किस पात्र का संबंध 'चंद्रगुप्त' नाटक से नहीं है?

  1. एलिस 
  2. जयमाला
  3. अलका 
  4. लीला

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : जयमाला

नाटक Question 13 Detailed Solution

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 जयमाला का संबंध चंद्रगुप्त नाटक से नहीं है।

Key Points

चंद्रगुप्त  नाटक

  • रचनाकार - जयशंकर प्रसाद
  • रचनाकाल - 1931 ई.
  • अन्य - इसका कथानक प्रसिद्ध ऐतिहासिक घटनाओं अलक्षेंद्र का आक्रमण, नंद वंश का नाश, सेल्यूकस का पराभव, चंद्रगुप्त की प्रतिष्ठा के आधार पर निर्मित है।
    • `चंद्रगुप्त नाटक में कुल 4 अंक और 44 दृश्य है।
  • चंद्रगुप्त नाटक के पात्र
    • नारी पात्र - अलका, सुवासिनी, कल्याणी, मालविका, कार्नेलिया ,एलिस, नीला, लीला। 
    • पुरुष पात्र - चंद्रगुप्त, चाणक्य, राक्षस ,पर्वतेश्वर ,सिहरण, आम्भिक, वररूचि, शकटार,सिकंदर, फिलिप्स, देवल, नागदा, गांधार नरेश,मौर्य सेनापति

 Important Points

जयशंकर प्रसाद के नाटक-

  • सज्जन (1910 ई.)
  • कल्याणी परिणय (1912 ई.)
  • करुणालय (1912 ई.)
  • प्रायश्चित (1913 ई.)
  • राजश्री (1915 ई.)
  • विशाख (1921 ई.)
  • अजातशत्रु (1922 ई.)
  • जन्मेजय का नाग यज्ञ (1926 ई.)
  • कामना (1927 ई.)
  • स्कंदगुप्त (1928 ई.)
  • एक घूंट (1930 ई.)
  • चंद्रगुप्त (1931 ई.)
  • ध्रुवस्वामिनी (1933 ई.)

 Additional Information

जयशंकर प्रसाद

  • जन्म - 1889 ई.
  • जन्म स्थान - काशी सुघनी साहू परिवार  उत्तर प्रदेश में।
  • उपनाम - झारखंडी, खंडेराव, कलाधर
  • गुरु -  रसमयसिद्ध और दीनबंधु
  • अन्य - ब्रज भाषा में कलाधर नाम से रचना करते थे।
    • इन्हें 'छायावाद का ब्रह्मा' कहा जाता था
    • मुकुटधर पांडे के अनुसार यह छायावाद के प्रवर्तक है।
    • छायावादी शैली का प्रथम काव्य संग्रह 'झरना' (1918 ई.)
    • कालक्रमानुसार प्रथम काव्य संग्रह 'चित्राधार' (1917 ई.)
    • खड़ी बोली रचनाओं का प्रथम काव्य संग्रह 'कानन कुसुम' (1918 ई.)

इनमें किस विकल्प में रचना और रचनाकार सुमेलित नहीं हैं?

  1. अंधेर नगरी - भारतेन्दु हरिश्चंद्र
  2. परीक्षागुरु - श्रीनिवासदास
  3. वैदेही वनवास - मैथिलीशरण गुप्त
  4. कानो में कंगना - राधिकारमण सिंह

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : वैदेही वनवास - मैथिलीशरण गुप्त

नाटक Question 14 Detailed Solution

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सही उत्तर 'वैदेही वनवास-मैथिलीशरण गुप्त' हैKey Points

  • 'वैदेही वनवास'(1940) अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' की रचना है,अतः विकल्प (3) वैदेही वनवास - मैथिलीशरण गुप्त सुमेलित नहीं है
  • हरिऔध को "आधुनिक काल का सूरदास" गणपति चंद्र गुप्त ने कहा
  • हरिऔध की अन्य काव्य रचनाएँ-कृष्ण शतक(1882),प्रियप्रवास(1914),चुभते चौपदे(1924),बालचर(1928),

                                 रस कलश(1931),चोखे चौपदे(1932),पारिजात(1937),वैदेही वनवास(1940)

                                 उपन्यास-ठेठ हिंदी का ठाठ या देवबाला(1899),अधखिला फूल(1907)

  • हरिऔध का जन्म 1865ई. में हुआ था 

Additional Information

लेखक

जन्म 

 

                              रचनाएँ 
भारतेन्दु हरिश्चंद्र 1850ई.

उपन्यास-पूर्ण प्रकाश,चन्द्रप्रभा

नाटक-विद्यासुंदर(1868),पाखंड विडंबन(1872)कर्पूर मंजरी(1875),सत्य हरिश्चंद्र(1875),श्री चन्द्रावली(1876),विषयस्य विषमौषधम(1876),भारत जननी(1877),मुद्राराक्षस(1878),भारत दुर्दशा(1880),दुर्लभबंधु(1880),नील देवी(1881),अंधेर नगरी(1881)

काव्य-प्रेम मालिका,प्रेम सरोवर,गीत गोविंदानंद,भारत शिक्षा,वर्षा विनोद,प्रेम फुलवारी,वेणुगीत,प्रेम माधुरी,प्रेम तरंग,प्रेम प्रलाप,उत्तरभक्तमाल,दशरथ विलाप,विजयिनी विजय पताका,नए ज़माने की मुकरी,कृष्ण चरित्र 

श्रीनिवासदास 1851ई.

 उपन्यास-परीक्षा गुरु(1882)

नाटक-रणधीर प्रेममोहिनी(1877),तप्तासंवरण (1883),संयोगिता स्वयंवर(1886)

मैथिलीशरण गुप्त 1886ई.

काव्य-रंग में भंग(1909),जयद्रथ वध(1910),भारत-भारती(1912),किसान (1917),पंचवटी(1925),झंकार(1929),गुरुकुल (1929),साकेत(1931),यशोधरा(1932),द्वापर(1936),जयभारत(1952),

विष्णुप्रिया(1957)

नाटक-अनघ,चन्द्रहास,तिलोत्तमा,निष्क्रिय प्रतिरोध,विसर्जन

राधिकारमण सिंह 1890ई.

कहानी-कानों में कंगना(1913),गाँधी टोपी(1938),सावनी समाँ(1938),नारी क्या एक पहेली?(1951),हवेली और झोपड़ी(1951),देव और दानव (1951),वे और हम(1956),धर्म और मर्म(1959),तब और अब(1958),अबला क्या ऐसी सबला?(1962),बिखरे मोती(भाग-1) (1965)।

उपन्यास-राम-रहीम(1936),पुरुष और नारी(1939),सूरदास(1942),संस्कार(1944),पूरब और पश्चिम(1951),चुंबन और चाँटा(1957) 

नाटक-धर्म की धुरी(1952),अपना पराया(1953),नजर बदली बदल गये नजारे(1961)।

हिन्दी का प्रथम मौलिक नाटक 'नहुष'  के रचनाकार हैं -

  1. भारतेन्दु हरिश्चंद्र
  2. श्रीनिवास दास
  3. गोपाल चंद्र
  4. जयशंकर प्रसाद

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : गोपाल चंद्र

नाटक Question 15 Detailed Solution

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  • “नहुष' हिन्दी का प्रथम मौलिक नाटक है |
  • “नहुष' नाटक के लेखक बाबू गोपाल चन्द्र है। 
  • “नहुष' नाटक के लेखक बाबू गिरधरदास का भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से पिता का सम्बन्ध था।
  • गोपाल चन्द्र जी का उपनाम: गिरिधर दास 


Additional Information

गोपालचन्द्र गिरिधरदास श्री काले हर्षचन्द्र के पुत्र तथा भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के पिता थे। बाबू गोपालचन्द्र ‘गिरिधरदास’ का जन्म काशी में सन 1833 ई. में हुआ था।

  • गिरिधर महाराज के कृपापात्र होने के कारण गोपालचन्द्र ने 'गिरिधरदास' उपनाम रखा था।
  • हिन्दी साहित्य का प्रथम नाटक ‘नहुष’ लिखने का श्रेय इन्हें प्राप्त है।
  • गोपालचन्द्र गिरिधरदासने 1846 में तैरह वर्ष की न्यूनतम आयु में ‘वाल्मीकि रामायण’ के कई हिस्सों का भाषागत छन्द बद्ध अनुवाद किया था।
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