काव्य लक्षण MCQ Quiz - Objective Question with Answer for काव्य लक्षण - Download Free PDF
Last updated on Jun 6, 2025
Latest काव्य लक्षण MCQ Objective Questions
काव्य लक्षण Question 1:
इनमें से कौन-सी भारतेन्दु की रचना नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य लक्षण Question 1 Detailed Solution
"पद्मावती" भारतेन्दु की रचना नहीं है, अन्य विकल्प असंगत है, अत: विकल्प 4 "पद्मावती" सही उत्तर होगा।
Key Points
- जायसी सूफी संत थे और इस रचना में उन्होंने नायक रतनसेन और नायिका पद्मिनी की प्रेमकथा को विस्तारपूर्वक
कहते हुए प्रेम की साधना का संदेश दिया है।
- पद्मावत हिन्दी साहित्य के अन्तर्गत सूफी परम्परा का प्रसिद्ध महाकाव्य है।
- इसके रचनाकार मलिक मोहम्मद जायसी हैं।
- दोहा और चौपाई छन्द में लिखे गए इस महाकाव्य की भाषा अवधी है।
- यह हिन्दी की अवधी बोली में है और चौपाई, दोहों में लिखी गई है।
- चौपाई की प्रत्येक सात अर्धालियों के बाद दोहा आता है और इस प्रकार आए हुए दोहों की संख्या 653 है।
Important Points
- वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति (१८७३ई., प्रहसन)
- सत्य हरिश्चन्द्र (१८७५,नाटक)
- श्री चंद्रावली (१८७६, नाटिका)
- विषस्य विषमौषधम् (१८७६, भाण)
- भारत दुर्दशा (१८८०, ब्रजरत्नदास के अनुसार १८७६, नाट्य रासक),
- नीलदेवी (१८८१, ऐतिहासिक गीति रूपक)।
- अंधेर नगरी (१८८१, प्रहसन)
काव्य लक्षण Question 2:
व्यंजना शब्द शक्ति का कार्य है-
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य लक्षण Question 2 Detailed Solution
व्यंजना शब्द शक्ति का कार्य है- मुख्यार्थ में छिपे अर्थ को व्यक्त करना
Key Points
- व्यंजना शब्दशक्ति का मुख्य कार्य है शब्दों के माध्यम से गूढ़, गहन या सांकेतिक अर्थ को प्रकट करना।
- जब किसी शब्द या वाक्य का प्राथमिक अर्थ न लेकर उसका सूक्ष्म, छिपा हुआ या विस्तारित अर्थ ग्रहण किया जाता है, वहाँ व्यंजना शब्दशक्ति होती हैं।
- उदाहरण -
- कुम्हार बोला, “बेटी, बादल हो रहे हैं”।
- उसने कहा, ”संध्या हो गई।”
Additional Information
शब्द शक्ति -
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शब्द शक्ति | परिभाषा | उदाहरण |
लक्षणा |
जहां मुख्य अर्थ में बाधा उपस्थित होने पर रूढ़ि अथवा प्रयोजन के आधार पर मुख्य अर्थ से सम्बन्धित अन्य अर्थ को लक्ष्य किया जाता है, वहां लक्षणा शब्द शक्ति होती है। |
यह यमुना-पुत्रों का नगर है। |
अभिधा |
शब्द को सुनने अथवा पढ़ने के पश्चात् पाठक अथवा श्रोता को शब्द का जो लोक प्रसिद्ध अर्थ तत्क्षण ज्ञात हो जाता है, वह अर्थ शब्द की जिस सीमा द्वारा मालूम होता है, उसे अभिधा शब्द शक्ति कहते हैं। |
किसान फसल काट रहा है। |
काव्य लक्षण Question 3:
किस काव्य के छन्द, कथासूत्र की व्यवस्था से पिरोये रहते हैं और उसके छंदों के क्रम को बदला नहीं जा सकता है।
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य लक्षण Question 3 Detailed Solution
प्रबंध काव्य के छन्द, कथासूत्र की व्यवस्था से पिरोये रहते हैं और उसके छंदों के क्रम को बदला नहीं जा सकता है।Key Pointsप्रबंध काव्य --
- प्रबंध काव्य के छन्द, कथासूत्र की व्यवस्था से पिरोये रहते हैं और उसके छंदों के क्रम को बदला नहीं जा सकता है।
- प्रबंध काव्य के तीन प्रकार के भेद होते हैं- महाकाव्य, खण्डकाव्य, और आख्यानक गीतियाँ।
- इसमें कोई प्रमुख कथा काव्य के आदि से अंत तक क्रमबद्ध रूप में चलती है।
- कथा का क्रम बीच में कहीं नहीं टूटता और गौण कथाएँ बीच-बीच में सहायक बन कर आती हैं।
- जैसे - रामचरित मानस।
Important Pointsमुक्तक काव्य --
- मुक्तक, काव्य या कविता का वह प्रकार है जिसमें प्रबन्धकीयता न हो।
- इसमें एक छन्द में कथित बात का दूसरे छन्द में कही गयी बात से कोई सम्बन्ध या तारतम्य होना आवश्यक नहीं है।
- कबीर एवं रहीम के दोहे; मीराबाई के पद्य आदि सब मुक्तक रचनाएं हैं।
- मुक्तक शब्द का अर्थ है ‘अपने आप में सम्पूर्ण’ अथवा ‘अन्य निरपेक्ष वस्तु’ होना. अत: मुक्तक काव्य की वह विधा है जिसमें कथा का कोई पूर्वापर संबंध नहीं होता।
- प्रत्येक छंद अपने आप में पूर्णत: स्वतंत्र और सम्पूर्ण अर्थ देने वाला होता है।
निर्बंध काव्य --
- बंधन मुक्त काव्य
काव्य लक्षण Question 4:
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य लक्षण Question 4 Detailed Solution
सही उत्तर है- यक्ष का अपनी प्रियतमा को मेघ के माध्यम से प्रेम संदेश
Key Points
- मेघदूतम् एक खंडकाव्य है, जिसमें एक यक्ष अपनी प्रियतमा को मेघ के माध्यम से प्रेम संदेश भेजता है।
- यह कालिदास की प्रकृति चित्रण और काव्यात्मक शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है।
Important Pointsकालिदास-
- कालिदास महान संस्कृत कवियों और नाटककारों में से एक हैं।
- वे अपने नाटक अभिज्ञानशाकुंतलम के लिए सबसे अधिक जाने जाते हैं, जिसे व्यापक रूप से शास्त्रीय भारतीय साहित्य की उत्कृष्ट कृति माना जाता है।
- यह नाटक राजा दुष्यंत और एक सुंदर युवती शकुंतला की प्रेम कहानी कहता है।
काव्य लक्षण Question 5:
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य लक्षण Question 5 Detailed Solution
सही उत्तर है- नैषधीयचरित
Key Points
- नैषधीयचरित श्रीहर्ष की रचना है, जबकि अन्य रचनाएँ क्रमशः कालिदास (रघुवंश), भारावी (किरातार्जुनीयम्), और दण्डी (दशकुमारचरितम्) की हैं।
Important Points
- कालिदास
- कालिदास महान संस्कृत कवियों और नाटककारों में से एक हैं।
- वे अपने नाटक अभिज्ञानशाकुंतलम के लिए सबसे अधिक जाने जाते हैं, जिसे व्यापक रूप से शास्त्रीय भारतीय साहित्य की उत्कृष्ट कृति माना जाता है।
- यह नाटक राजा दुष्यंत और एक सुंदर युवती शकुंतला की प्रेम कहानी कहता है।
- भारवि
- भारवि एक प्रसिद्ध संस्कृत कवि थे।
- वे अपने महाकाव्य किरातार्जुनीयम् के लिए सबसे अधिक जाने जाते हैं।
- यह कविता पांडव राजकुमार अर्जुन और भगवान शिव के बीच मुलाकात की कहानी कहती है, जो किरात या पर्वतीय व्यक्ति के रूप में प्रकट होते हैं।
- माघ
- माघ एक शास्त्रीय संस्कृत कवि थे।
- वे अपने महाकाव्य भट्टिकाव्य के लिए जाने जाते हैं, जिसे शिशुपालवध के रूप में भी जाना जाता है।
- यह कविता भगवान कृष्ण द्वारा शिशुपाल के वध की कहानी कहती है।
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सही विकल्प बताओ:
काव्य मानव जीवन की असफलता और निराशा की दशा में _______ करता है।
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य लक्षण Question 6 Detailed Solution
Download Solution PDFकाव्य मानव जीवन की असफलता और निराशा की दशा में आशा का संचार करता है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही उत्तर विकल्प 3) आशा का संचार होगा ।
Key Points
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Additional Information
काव्य के भेद दो प्रकार से किए गए हैं– 1. स्वरूप के अनुसार काव्य के भेद 2. शैली के अनुसार काव्य के भेद |
स्वरूप के आधार पर काव्य के दो भेद हैं -
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Important Points
प्रबंध काव्य |
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मुक्तक काव्य |
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खण्ड काव्य |
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इनमें से कौन-सी भारतेन्दु की रचना नहीं है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य लक्षण Question 7 Detailed Solution
Download Solution PDF"पद्मावती" भारतेन्दु की रचना नहीं है, अन्य विकल्प असंगत है, अत: विकल्प 4 "पद्मावती" सही उत्तर होगा।
Key Points
- जायसी सूफी संत थे और इस रचना में उन्होंने नायक रतनसेन और नायिका पद्मिनी की प्रेमकथा को विस्तारपूर्वक
कहते हुए प्रेम की साधना का संदेश दिया है।
- पद्मावत हिन्दी साहित्य के अन्तर्गत सूफी परम्परा का प्रसिद्ध महाकाव्य है।
- इसके रचनाकार मलिक मोहम्मद जायसी हैं।
- दोहा और चौपाई छन्द में लिखे गए इस महाकाव्य की भाषा अवधी है।
- यह हिन्दी की अवधी बोली में है और चौपाई, दोहों में लिखी गई है।
- चौपाई की प्रत्येक सात अर्धालियों के बाद दोहा आता है और इस प्रकार आए हुए दोहों की संख्या 653 है।
Important Points
- वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति (१८७३ई., प्रहसन)
- सत्य हरिश्चन्द्र (१८७५,नाटक)
- श्री चंद्रावली (१८७६, नाटिका)
- विषस्य विषमौषधम् (१८७६, भाण)
- भारत दुर्दशा (१८८०, ब्रजरत्नदास के अनुसार १८७६, नाट्य रासक),
- नीलदेवी (१८८१, ऐतिहासिक गीति रूपक)।
- अंधेर नगरी (१८८१, प्रहसन)
जिसमें छन्द नपे-तुले और परिभाषित नियमों के अनुसार हो, उसे क्या कहते हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य लक्षण Question 8 Detailed Solution
Download Solution PDFइसका सही उत्तर विकल्प 2 'पद्य काव्य' है। अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं।
- जिसमें छन्द नपे-तुले और परिभाषित नियमों के अनुसार हो, उसे पद्य काव्य कहते हैं।
- पद्य काव्य - इसमें किसी कथा का वर्णन काव्य में किया जाता है, जैसे - गीतांजलि।
अन्य विकल्प-
खंड काव्य |
खंडकाव्य में किसी लोकनायक के जीवन के व्यापक चित्रण के स्थान पर उसके जीवन के किसी एक पक्ष अथवा रूप का संक्षिप्त चित्रण होता है। जिसे महाकाव्य का लघु रुप अथवा 1 सर्ग नहीं समझना चाहिए, खंडकाव्य में अपनी पूर्णता होती है। और संपूर्ण रचना में प्राया एक ही शब्द प्रयुक्त होता है। |
पंचवटी, जयद्रथ वध, सुदामा चरित्र, पथिक आदि। |
महाकाव्य |
प्राचीन आचार्यों के अनुसार महाकाव्य में जीवन का व्यापक रुप में चित्रण होता है। इसकी कथा इतिहास प्रसिद्ध होती है। इसका नायक उदास और महान चरित्र वाला होता है। इसमें वीर , श्रृंगार और शांत रस में से कोई एक रस प्रधान तथा शेष रस गौण होते हैं। यह प्रायः लंबे कथानक पर आधारित तथा सर्गबद्ध होता है। इसमें कम से कम 8 सर्ग होता है। महाकाव्य की कथा में धारावाहिकता तथा हृदय को भाव विभोर करने वाले मार्मिक प्रसंग का समावेश भी होना चाहिए। आधुनिक युग में महाकाव्य के प्राचीन प्रतिमानों में परिवर्तन हुए हैं। इतिहास के स्थान पर मानव जीवन की कोई भी घटना तथा समस्या इसका विषय हो सकती है और महान पुरुष के स्थान पर समाज का कोई भी व्यक्ति इसका नायक हो सकता है। परंतु उस पात्र में लोक आदर्श की क्षमता का होना अनिवार्य है। |
पद्मावत, प्रियप्रवास, साकेत, उर्वशी आदि। |
गद्य काव्य |
इसमें किसी कथा का वर्णन गद्य में किया जाता है, गद्य में काव्य रचना करने के लिए कवि को छंद शास्त्र के नियमों से स्वच्छंदता प्राप्त होती है। |
कामायनी, गोदान आदि। |
- काव्य - काव्य, कविता या पद्य, साहित्य की वह विधा है जिसमें किसी कहानी या मनोभाव को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है।
- भारत में कविता का इतिहास और कविता का दर्शन बहुत पुराना है।
- इसका प्रारंभ भरतमुनि से समझा जा सकता है। कविता का शाब्दिक अर्थ है काव्यात्मक रचना या कवि की कृति, जो छन्दों की शृंखलाओं में विधिवत बांधी जाती है।
- काव्य वह वाक्य रचना है जिससे चित्त किसी रस या मनोवेग से पूर्ण हो अर्थात् वहजिसमें चुने हुए शब्दों के द्वारा कल्पना और मनोवेगों का प्रभाव डाला जाता ह
'साहित्यदर्पण' के रचनाकार कौन हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य लक्षण Question 9 Detailed Solution
Download Solution PDF'साहित्यदर्पण' के रचनाकार है- विश्वनाथ
Key Pointsआचार्य विश्वनाथ-
- जन्म-1300-1384ई.
- आचार्य विश्वनाथ संस्कृत काव्य शास्त्र के मर्मज्ञ और आचार्य थे।
- प्रसिद्ध ग्रंथ-'काव्यप्रकाश'
Important Pointsभरत मुनि-
- समय- दूसरी शती
- यह संस्कृत काव्यशास्त्र के प्रथम आचार्य है।
- रचना-
- नाट्यशास्त्र
- भरतमुनि ने रसों की संख्या आठ मानी है।
आचार्य कुंतक-
- समय-10 वीं शती
- ग्रंथ-वक्रोक्तिजीवितम्
- वक्रोक्ति सिद्धांत के प्रतिपादक है।
- इनके अनुसार-
- वक्रोक्ति ही काव्य की आत्मा है।
भोजराज -
- समय - 11 वीं शती का पूर्वार्ध
- ग्रन्थ -
- सरस्वती कंठाभरण, श्रृंगार प्रकाश
दुबला - पतला लड़का को जब हमने दारा सिंह कहा तो यहाँ कौन सी शब्द शक्ति है -
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य लक्षण Question 10 Detailed Solution
Download Solution PDFदुबला - पतला लड़का को जब हमने दारा सिंह कहा तो यहाँ व्यंजना शब्द शक्ति है।
Key Pointsशब्द शक्ति-
- शब्द या शब्द समूह में जो अर्थ छिपा होता है उसे शब्द शक्ति कहते हैं।
Important Pointsलक्षणा शब्द शक्ति-
- लक्षणा, शब्द की वह शक्ति है जिससे उसका अभिप्राय सूचित होता है।
- शब्द को जिस शक्ति से उसका वह साधारण से भिन्न और दूसरा वास्तविक अर्थ प्रकट होता है, उसे लक्षणा कहते हैं।
- उदाहरण-
- जैसे हम कहें कि ‘लड़का शेर है।’ तो इसका लक्ष्यार्थ है ‘लड़का निडर है।
- लड़के को निडर बताने के प्रयोजन से उसके लिए शेर शब्द का प्रयोग किया गया है।
व्यंजना शब्द शक्ति-
- शब्द की जिस शक्ति या व्यापार से प्रचलित अर्थ एवं लक्ष्यार्थ से भिन्न किसी तीसरे अर्थ का बोध हो, उसे 'व्यंजना शक्ति कहते हैं।
- व्यंजना शक्ति से बोधित होने वाला अर्थ व्यंग्यार्थ है तथा व्यंग्यार्थ द्योतक शब्द व्यंजक शब्द कहलाता है।
- उदाहरण-
- जैसे 'सूर्य डूब गया'- इस वाक्य का प्रचलित या मुख्य अर्थ है, सूरज का लाल गोला क्षितिज में शमा गया, किन्तु इसका अर्थ प्रसंगानुसार भिन्न-भिन्न व्यक्ति अलग-अलग रूप में ग्रहण कर लेते हैं।
अभिधा शब्द शक्ति-
- अभिधा शब्द शक्ति का पहला प्रकार है जो शब्दों के शब्दकोशीय अर्थ का बोध कराती है।
- इसमें किसी शब्द का सामान्य अर्थ में प्रयोग किया जाता है। जैसे 'सिर पर चढ़ाना' का अर्थ किसी चीज को किसी स्थान से उठाकर सिर पर रखना होगा।
- साक्षात् सांकेतित अर्थ (मुख्यार्थ या वाच्यार्थ) को प्रकट करने वाली शब्दशक्ति अभिधा शब्दशक्ति कहलाती है।
- उदाहरण-
- मोहन पुस्तक पढ़ रहा है।
काव्य तीन प्रकार के कहे गए है:
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य लक्षण Question 11 Detailed Solution
Download Solution PDFकाव्य तीन प्रकार के कहे गए है - 'ध्वनि, गुणीभूत व्यंग्य और चित्र'। अत: सही विकल्प 3 ध्वनि, गुणीभूत व्यंग्य और चित्र है. अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं.
- काव्यप्रकाश में काव्य तीन प्रकार के कहे गए हैं, ध्वनि, गुणीभूत व्यंग्य और चित्र।
- ध्वनि वह है जिस, में शब्दों से निकले हुए अर्थ (वाच्य) की अपेक्षा छिपा हुआ अभिप्राय (व्यंग्य) प्रधान हो।
- गुणीभूत ब्यंग्य वह है जिसमें गौण हो।
- चित्र या अलंकार वह है जिसमें बिना ब्यंग्य के चमत्कार हो। इन तीनों को क्रमशः उत्तम, मध्यम और अधम भी कहते हैं।
Additional Information
काव्य -
- काव्य, कविता या पद्य, साहित्य की वह विधा है जिसमें किसी कहानी या मनोभाव को कलात्मक रूप से किसी भाषा के द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है। काव्य वह वाक्य रचना है जिससे चित्त किसी रस या मनोवेग से पूर्ण हो अर्थात् वहजिसमें चुने हुए शब्दों के द्वारा कल्पना और मनोवेगों का प्रभाव डाला जाता है। रसगंगाधर में 'रमणीय' अर्थ के प्रतिपादक शब्द को 'काव्य' कहा है।
‘राजन्! देहु तुरंग मोहि, अथवा देहु मतंग।’ इस पंक्ति में कौन सा काव्य दोष है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य लक्षण Question 12 Detailed Solution
Download Solution PDFदुष्क्रमत्व एक प्रकार का काव्य दोष है। इसमें क्रम का ध्यान रखा जाता है। जैसे ‘राजन्! देहु तुरंग मोहि, अथवा देहु मतंग’ पँक्ति में राजा ने पहले तुरंग की बात की है, जबकि मतंग हाथी अधिक मूल्यवान होता है। अत: प्रश्नानुसार सही विकल्प 4 'दुष्क्रमत्व' है।
अन्य दोष -
- श्रुति कटुत्व - कानो को अप्रिय लगने वाले शब्दों का प्रयोग भी एक दोष है।
- क्लिष्टत्व - गणितीय पहेलियों से काव्य को उलझाना
- अक्रमत्व - अनुचित स्थान पर कोई पद या शब्द प्रयुक्त करना।
हिन्दी समालोचना के सूत्रपात के लिये भारतेन्दु युग की कौन-सी पत्रिका उल्लेखनीय है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य लक्षण Question 13 Detailed Solution
Download Solution PDFहिन्दी समालोचना के सूत्रपात के लिये भारतेन्दु युग की आनन्द कादम्बिनी पत्रिका उल्लेखनीय है, अन्य विकल्प असंगत है।
Key Points
- कविवचन सुधा, हरिश्चंद्र मैगजीन और स्त्री-शिक्षा की पत्रिका 'बालाबोधिनी' के प्रकाशन के जरिए उन्होंने जन-जागरण का काम किया।
- कई आलोचक उन्हें हिंदी में राष्ट्रीय तथा साहित्यिक पत्रकारिता का जनक मानते हैं।
हरिशचन्द्र पत्रिका |
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र |
ब्राम्हण |
वासुदेवशरण अग्रवाल |
आनन्द कादम्बिनी |
बद्रीनारायण चौधरी |
शब्द व्यंजक है तो उसके अर्थ कहलाएँगे -
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य लक्षण Question 14 Detailed Solution
Download Solution PDFशब्द व्यंजक है तो उसके अर्थ कहलाएँगे - व्यंग्य
Key Points
- व्यंजना शब्द शक्ति से अन्यार्थ या विशेषार्थ का ज्ञान कराने वाला शब्द व्यंजक कहलाता है, जबकि उस व्यंजक शब्द से प्राप्त अर्थ को व्यंग्यार्थ या धन्यार्थ कहते हैं।
निम्नलिखित में से यह कथन काव्य शब्दोऽयं गुणालंकार संस्कृतयोः शब्दार्थयोर्वर्तते किसका है?
Answer (Detailed Solution Below)
काव्य लक्षण Question 15 Detailed Solution
Download Solution PDFकथन काव्य शब्दोऽयं गुणालंकार संस्कृतयोः शब्दार्थयोर्वर्तते - वामन का है।
Key Points
वामन –
- जन्म - आठवीं शती का उत्तरार्ध
- रीति संप्रदाय के प्रवर्तक आचार्य है।
- वामन कश्मीर नरेश जयापीड़ के मंत्री थे।
- ग्रंथ - काव्यालंकार सूत्र
- इसमें सूत्रों की संख्या 319 तथा 5 परिच्छेद में विभक्त है।
Important Points
वामन के प्रमुख काव्य सिद्धांत –
- रीति को काव्य की आत्मा माना है।
- गुण तथा अलंकार का परस्पर विवेद तथा गुण को अलंकार की अपेक्षा अधिक महत्व देना।
- वैदर्भी , गौड़ी तथा पंचाली तीनों रीतियों की कल्पना।
- 10 प्रकार के गुण (शब्द तथा अर्थ) को उभयगत मानकर 20 प्रकार के गुणों की कल्पना।
- वक्रोक्ति को सादृस्य मुलक लक्षणा मानना।
- समग्र अर्थालंकारो को उपमा का प्रपंच मानना।
Additional Information
भामह –
- समय - षष्ट शती का पूर्वार्ध
- ग्रन्थ – काव्यालंकार
- शब्द तथा अर्थ दोनों का काव्य होना माना है
मम्मट –
- समय - 11वीं शती का उत्तरार्ध
- ग्रंथ - काव्य प्रकाश
विश्वनाथ –
- समय - 14 वी शती का पूर्वार्ध
- ग्रन्थ - साहित्य दर्पण