भक्ति रस MCQ Quiz in हिन्दी - Objective Question with Answer for भक्ति रस - मुफ्त [PDF] डाउनलोड करें
Last updated on Mar 20, 2025
Latest भक्ति रस MCQ Objective Questions
Top भक्ति रस MCQ Objective Questions
भक्ति रस Question 1:
राम जपु राम जपु राम बावरे।
घोर भव नीर निधि नाम निज नाव रे।।
उपरोक्त पंक्ति में कौन- सा रस है ?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्ति रस Question 1 Detailed Solution
विकल्प 3 'भक्ति रस' सही उत्तर है , अन्य विकल्प असंगत है .
Key Points
- भक्ति रस , जहाँ ईश्वर के प्रति प्रेम या अनुराग का वर्णन होता है वहाँ भक्ति रस होता है.
- भक्ति रस का स्थायी भाव देव रति है.
भक्ति रस Question 2:
"मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
जाके सर मोर मुकुट मेरो पति सोई।।
साधुन संग बैठि बैठि लोक-लाज खोई।
अब तो बात फैल गई जाने सब कोई।।"
उपर्युक्त पंक्तियों में निम्न में से कौन-सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्ति रस Question 2 Detailed Solution
उपर्युक्त पंक्तियों में "भक्ति रस" है। अन्य विकल्प असंगत हैं।
Key Points
"मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
जाके सर मोर मुकुट मेरो पति सोई।।
साधुन संग बैठि बैठि लोक-लाज खोई।
अब तो बात फैल गई जाने सब कोई।।"
- उपर्युक्त पंक्तियों में "भक्ति रस" है।
- उपर्युक्त पंक्तियों का भावार्थ- मीराबाई कहती हैं, गिरधर अर्थात कृष्ण तो मेरे हैं, दूसरा मेरा कोई नहीं हैं। कृष्ण जिनके सिर पर मोरो की मुकुट हैं, वही मेरे पति हे। मेने उन्ही को अपना पति मान लिया है, मैंने कुल की मर्यादा आदि सबकुछ छोड़ दिया हैं। ये सब मेरा कुछ नहीं कर सकता हैं।
रस | परिभाषा | उदाहरण |
भक्ति रस | जहाँ ईश्वर के प्रति प्रेम या अनुराग का वर्णन होता है वहाँ भक्ति रस होता है। |
प्रभु जी तुम चंदन हम पानी, |
Additional Information
रस- रस एक प्रकार का आनन्द है, काव्य पढ़ने या नाटक देखने से जो विशेष प्रकार का आनन्द प्राप्त होता है। उसे रस कहा जाता है। हिन्दी में 'स्थायी भाव' के आधार पर काव्य में नौ रस बताये गए हैं, जो इस प्रकार हैं:- |
क्रम संख्या | रस | स्थायी भाव |
1. | श्रृंगार रस | रति |
2. | हास्य रस | हास |
3. | करूण रस | शोक |
4. | रौद्र रस | क्रोध |
5. | वीर रस | उत्साह |
6. | भयानक रस | भय |
7. | वीभत्स रस | जुगुप्सा |
8. | अद्भुत रस | विस्मय |
9. | शांत रस | निर्वेद |
इसके अलावा दो रस और माने जाते हैं। वे हैं-
10. | वात्सल्य रस | वात्सल्य |
11. | भक्ति रस | वैराग्य |
भक्ति रस Question 3:
“एक भरोसा एक बल एक आस बिस्वास l एक राम घनश्याम हित ,चताक तुलसीदास ” :पंक्ति में रस है –
Answer (Detailed Solution Below)
भक्ति रस Question 3 Detailed Solution
दिए गए विकल्पों में तुलसीदास द्वारा रचित “एक भरोसा एक बल एक आस बिस्वास l एक राम घनश्याम हित ,चताक तुलसीदास ll” पंक्ति में भक्ति रस हैl अन्य विकल्प असंगत है l अतः स्पष्ट है कि भक्ति रस विकल्प सटीक है l
विवरण:-
रस |
परिभाषा |
करुण रस (स्थाई भाव शोक है) |
किसी प्रिय व्यक्ति के विरह से उत्पन्न होने वाली शोकावस्था। |
शांत रस (इसका स्थाई भाव निर्वेद है) |
अनित्य और असार तथा परमात्मा के वास्तविक ज्ञान से विषयों के वैराग्य से उत्पन्न रस परिपक्व होकर शांति में परिणत हो। |
हास्य रस (इसका स्थाई भाव हास है) |
जहां विकृत आकार, वेश-भूषा, चेष्टा आदि के वर्णन से हास्य उत्पन्न हो। |
भक्ति रस Question 4:
मेरी भव बाधा हरो, राधा नागरि सोई|
जा तन की साँई परे स्याम हरित दुति होई
उपर्युक्त पंक्ति में कौन-सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्ति रस Question 4 Detailed Solution
उपर्युक्त पंक्ति में भक्ति रस है,अन्य विकल्प असंगत है, अत: विकल्प 1 'भक्ति रस' सही उत्तर होगा।
Key Points
राधा जी के पीले शरीर की छाया नीले कृष्ण पर पड़ने से वे हरे लगने लगते है।
दूसरा अर्थ है कि राधा की छाया पड़ने से कृष्ण हरित (प्रसन्न) हो उठते हैं।
मेरी भव बाधा हरो भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार, कहानीकार और उपन्यासकार रांगेय राघव द्वारा लिखा गया एक श्रेष्ठ उपन्यास है। यह उपन्यास 'राजपाल एंड संस' प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया था। राघव जी का यह उपन्यास महाकवि बिहारीलाल के जीवन पर आधारित अत्यंत रोचक मौलिक रचना है। यह उपन्यास उस युग के समाज, राजनीति और धार्मिक जीवन का भी सजीव चित्रण करता है|
Additional Information
- श्रव्य काव्य के पठन अथवा श्रवण एवं दृश्य काव्य के दर्शन तथा श्रवण में जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, वही काव्य में रस कहलाता है।
- रस के जिस भाव से यह अनुभूति होती है कि वह रस है उसे स्थायी भाव होता है।
- रस, छंद और अलंकार - काव्य रचना के आवश्यक अव्यय हैं।
- रस का शाब्दिक अर्थ है - आनन्द। काव्य में जो आनन्द आता है वह ही काव्य का रस है।
- काव्य में आने वाला आनन्द अर्थात् रस लौकिक न होकर अलौकिक होता है। रस काव्य की आत्मा है।
- संस्कृत में कहा गया है कि "रसात्मकम् वाक्यम् काव्यम्" अर्थात् रसयुक्त वाक्य ही काव्य है।
भक्ति रस Question 5:
भक्ति रस की स्थापना किसने की?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्ति रस Question 5 Detailed Solution
‘रूपगोस्वामी’ ने ‘मधुर’ नामक ग्यारहवें रस की स्थापना की, जिसे ‘भक्ति रस’ के रूप में मान्यता मिली। अतः सही विकल्प रूपगोस्वामी है।
अन्य विकल्प
- भरत मुनि नाट्यशास्त्र के प्रवर्तक हैं जिन्होंने रस की स्थापना की। उन्होंने एक प्रसिद्ध रस-सूत्र का निष्पादन किया ‘विभावानुभावव्याभिचारिसंयोगाद्रसनिष्पत्तिः’।
- आचार्य विश्वनाथ ने वात्सल्य को दसवाँ रस माना है।
- मम्मट ने किसी रस का निष्पादन नहीं किया है।भक्ति रस Question 6:
सियराम सरूप अगाध अनूप, बिलोचन मेनन को जलु है।
श्रुति राम कथा मुख राम को नाम, हियें पुनि रामहि को थलु है। - में निम्न में से कौन सा रस है?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्ति रस Question 6 Detailed Solution
सही उत्तर विकल्प 'भक्ति रस’ है।
Key Points
-
'सियराम सरूप अगाध अनूप, बिलोचन मेनन को जलु है। श्रुति राम कथा मुख राम को नाम, हियें पुनि रामहि को थलु है।' इस काव्य पंक्ति में 'राम' के प्रति अनुराग होना 'भक्ति रस' का उदाहरण है।
-
इस काव्य पंक्ति का अर्थ है - आँखें श्री सीताराम जी के स्वरूप रूपी सरोवर में मन मछली बन जाए. राम कथा सुनने को मिले, मुख में राम नाम रहे, ह्रदय में राम रहें ।
-
जहाँ ईश्वर के प्रति प्रेम और अनुराग का वर्णन होता है वहाँ भक्ति रस होता है।
-
इसका स्थायी भाव 'देव रति' है।
Additional Information
काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाले आनंद की अनुभूति को साहित्य के अंतर्गत रह कहा जाता है। हिंदी में ‘स्थायी भाव’ के आधार पर काव्य में ‘नौ’ रस बताए गए हैं, जो निम्नलिखित हैं:- |
||
|
रस |
स्थायी भाव |
1. |
शृंगार रस |
रति |
2. |
हास्य रस |
हास |
3. |
करुण रस |
शोक |
4. |
रौद्र रस |
क्रोध |
5. |
वीर रस |
उत्साह |
6. |
भयानक रस |
भय |
7. |
वीभत्स रस |
जुगुप्सा |
8. |
अद्भुत रस |
विस्मय |
9. |
शांत रस |
निर्वेद |
इसके अलावा 2 और रस माने जाते हैं। वे हैं-
10. |
वात्सल्य |
स्नेह |
11. |
भक्ति |
वैराग्य |
भक्ति रस Question 7:
इनमें से किसे उज्जवल रस या मधुर रस भी कहते हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्ति रस Question 7 Detailed Solution
इनमें से भक्ति उज्जवल रस या मधुर रस भी कहते हैं।
Key Points
- उज्जवल रस और मधुर रस विशेष रूप से उस भक्ति को दर्शाते हैं जिसमें प्रेम, आकर्षण, और मिठास होती है।
- यह रस भक्त और ईश्वर के बीच के गहन भावनात्मक और प्रेममय संबंध को चित्रित करता है।
- जब काव्य में ईश्वर की भक्ति एवं महिमा का वर्णन किया जाए तो वहाँ पर भक्ति रस होता है।
- इसका स्थायी भाव 'देव रति' है।
- उदाहरण -
- प्रभु जी तुम चंदन हम पानी
- जाकी अंग-अंग बास समानी।
Important Points
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
करुण | शोक |
हास्य | हास |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
रौद्र | क्रोध |
अद्भुत | आश्चर्य , विस्मय |
शांत | निर्वेद या निर्वृती |
वीभत्स | जुगुप्सा |
वात्सल्य | रति |
Additional Information
श्रृंगार रस-
उदाहरण -
हास्य रस-
उदाहरण -
वात्सल्य रस -
उदाहरण-
|
भक्ति रस Question 8:
भक्ति रस का स्थायी भाव क्या है?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्ति रस Question 8 Detailed Solution
भक्ति रस का स्थायी भाव ईश्वर विषयक रति है। अतः सही उत्तर ईश्वर विषयक रति होगा ।
Key Points
रस |
परिभाषा |
उदाहरण |
भक्ति रस |
भक्ति रस शान्त रस से भिन्न है। शान्त रस जहाँ निर्वेद या वैराग्य की ओर ले जाता है वहीं भक्ति ईश्वर विषयक रति की ओर ले जाते हैं |
मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरों न कोई। |
भक्ति रस Question 9:
'भक्तिरस' के प्रतिष्ठापक आचार्य इनमें से कौन हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्ति रस Question 9 Detailed Solution
'भक्तिरस' के प्रतिष्ठापक आचार्य है- रूप गोस्वामी
Key Pointsरूप गोस्वामी -
- इन्होने देव विषयक रति को स्थायीभाव मानकर 11 वें रस भक्तिरस का प्रतिपादन किया है।
- भक्ति के आधार 5 रसों की कल्पना की - शांत, दास्य (प्रीति) सख्य (प्रेयस) वात्सल्य और माधुर्य रस।
Important Pointsआचार्य विश्वनाथ-
- जन्म-1300-1384ई.
- आचार्य विश्वनाथ संस्कृत काव्य शास्त्र के मर्मज्ञ और आचार्य थे।
- प्रसिद्ध ग्रंथ-'काव्यप्रकाश'
आचार्य भरतमुनि-
- इनका समय 400ई. पू. 100ई. सन माना जाता है।
- इन्होने नाट्यशास्त्र की रचना की।
मम्मट-
- जन्म-11वीं शती
- मम्मट संस्कृत काव्यशास्त्र के सर्वश्रेष्ठ विद्वानों में जाने जाते हैं।
- वे अपने शास्त्रग्रंथ काव्यप्रकाश के कारण अधिक प्रसिद्ध हुए।
भक्ति रस Question 10:
इनमें से किसे उज्जवल रस या मधुर रस भी कहते हैं?
Answer (Detailed Solution Below)
भक्ति रस Question 10 Detailed Solution
इनमें से भक्ति उज्जवल रस या मधुर रस भी कहते हैं।
Key Points
- उज्जवल रस और मधुर रस विशेष रूप से उस भक्ति को दर्शाते हैं जिसमें प्रेम, आकर्षण, और मिठास होती है।
- यह रस भक्त और ईश्वर के बीच के गहन भावनात्मक और प्रेममय संबंध को चित्रित करता है।
- जब काव्य में ईश्वर की भक्ति एवं महिमा का वर्णन किया जाए तो वहाँ पर भक्ति रस होता है।
- इसका स्थायी भाव 'देव रति' है।
- उदाहरण -
- प्रभु जी तुम चंदन हम पानी
- जाकी अंग-अंग बास समानी।
Important Points
रस | स्थायी भाव |
शृंगार | रति |
करुण | शोक |
हास्य | हास |
वीर | उत्साह |
भयानक | भय |
रौद्र | क्रोध |
अद्भुत | आश्चर्य , विस्मय |
शांत | निर्वेद या निर्वृती |
वीभत्स | जुगुप्सा |
वात्सल्य | रति |
Additional Information
श्रृंगार रस-
उदाहरण -
हास्य रस-
उदाहरण -
वात्सल्य रस -
उदाहरण-
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