Question
Download Solution PDFनिम्नाङ्कितेषु संज्ञासूत्रमस्ति -
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्नार्थ - निम्न में से संज्ञा सूत्र है-
स्पष्टीकरण - पाणिनि संस्कृत भाषा के सबसे बड़े वैयाकरण माने जाते हैं। इनके द्वारा संस्कृत व्याकरण का सबसे बडा व प्रसिद्ध ग्रंथ अष्टाध्यायी लिखा गया है।
- प्राचीन काल से शास्त्रों में व्याकरण का प्रमुख स्थान है — मुखं व्याकरणं स्मृतम्। अपने लगभग 4000 सूत्रों में उन्होने सदा के लिये संस्कृत भाषा को गौरवान्वित कर दिया है।
- इन्होंने 14 माहेश्वर सूत्रों का निर्माण किया। जिससे पूरी वर्णमाला इसमें समाहित है।
अष्टाध्यायी में सूत्रों के प्रकार-
- संज्ञा सूत्र
- परिभाषा सूत्र
- विधि सूत्र
- नियम सूत्र
- अतिदेश सूत्र
- अधिकार सूत्र
पर्यायों के स्पष्टीकरण -
- इकोयणचि - 'इक्' (इ, उ, ऋ, लृ) के परे ‘अच्’ (अ इ उ ऋ ऌ ए ऐ ओ औ) परे हो तो 'इक्' के स्थान पर 'यण्' (य्, व्, र्, ल्) आदेश होता है। यह यण् संधि का विधि सूत्र है।
- वृद्धिरादैच - आ, ऐ, औ - इन तीनों की वृद्धि संज्ञा होती है। यह वृद्धि संज्ञा विधायक सूत्र है।
- आद्गुणः - जब अ, आ के बाद इ, ई आता है या उ, ऊ आता है या ऋ, ऋृ आता है तो वहाँ क्रमशः ए, ओ, अर् आदेश होता है। यह गुण सन्धि विधायक सूत्र एक विधि सूत्र है।
- अकः सवर्णे दीर्घः - 'अकः सवर्णे दीर्घः' सूत्र के अनुसार यदि ह्रस्व या दीर्घ स्वर के बाद सवर्ण ह्रस्व या दीर्घ स्वर हो तो वहाँ दोनों के संयोग से दीर्घ स्वर आदेश होता है। यह एक विधि सूत्र है।
अतः स्पष्ट है 'वृद्धिरादैच' यह एक संज्ञा सूत्र स्पष्ट होता है।
Last updated on Jul 12, 2025
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