स्वग्रन्थे चॉम्स्की महोदयेन प्रतिपादितम् -

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CTET Paper 1 - 31st Dec 2021 (English-Hindi-Sanskrit)
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  1. अनुकरणाश्रित्य बालः भाषाम् अवगच्छति।
  2. वृत्तिनिर्माणवत् (Habit formation) भाषाशिक्षणम्।
  3. बालः जन्माद् एव सहजात-भाषा-अर्जन-सामर्थ्यं धारयति।
  4. पुरस्कारदण्डाभ्याम् बालः भाषा-अर्जनं करोति।

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : बालः जन्माद् एव सहजात-भाषा-अर्जन-सामर्थ्यं धारयति।
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CTET CT 1: TET CDP (Development)
10 Qs. 10 Marks 8 Mins

Detailed Solution

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प्रश्नानुवाद - अपने ग्रन्थ में चॉम्स्की महोदय ने प्रतिपादित किया -

स्पष्टीकरण - अपने ग्रन्थ में चाॅम्स्की महोदय ने यह प्रतिपादित किया है कि बालक जन्म से ही सहजात-भाषा-अर्जन के सामर्थ्य को धारण करता है।

Important Points

नोम चाॅम्स्की - 

  • आधुनिक भाषा विज्ञान के जनक के रूप में जाने जाने वाले नोम चाॅम्स्की ने भाषाविज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • चॉम्स्की के अनुसार - भाषा प्राप्त करने की एक सहज क्षमता हमारे विशिष्ट मानव जैविक विरासत का परिणाम है, जिसे 'भाषा अधिग्रहण उपकरण' (LAD) कहा जाता है।
  • सैद्धान्तिक रूप से LAD मस्तिष्क का एक क्षेत्र है, जिसमें सभी भाषाओं के लिए सार्वभौमिक वाक्य विन्यास नियम है।
  • यह उपकरण सीखी शब्दावली का उपयोग करके उपन्यास वाक्य बनाने की क्षमता वाले बालकों को प्रदान करता है।
  • भाषा अधिग्रहण उपकरण बच्चे के मस्तिष्क में एक काल्पनिक उपकरण है, जो शिक्षार्थियों को निम्न में सक्षम बनाता है-
  1. भाषा का अधिग्रहण और उत्पादन।
  2. आसानी से भाषा सीखना और इस्तेमाला करना।
  3. भाषा का विश्लेषण करना और बुनियादी नियम निकालना।
  4. भाषा की व्याकरणिक संरचना को कूटबद्ध करना।

नोम चाॅम्स्की द्वारा दी गई अन्य महत्वपूर्ण अवधारणाएँ :

  • सहज क्षमता - वह दृढ़ता से मानता है कि व्याकरण के जन्मजात ज्ञान के साथ पैदा हुए बच्चे जो सभी भाषा अधिग्रहण के लिए आधार के रूप में कार्य करते हैं।
  • जनक व्याकरण - चॉम्स्की के अनुसार यह वाक्यों को उत्पन्न करने के लिए नियमों के एक सीमित सेट को संदर्भित करता है और इसका उपयोग उस भाषा में अधिक वाक्यों का उत्पादन करने के लिए किया जा सकता है।
  • सार्वभौमिक व्याकरण - चॉम्स्की के सार्वभौमिक व्याकरण से पता चलता है कि सभी बच्चों में व्याकरण प्राप्त करने, समझने और विकसित करने की एक जन्मजात क्षमता होती है।

 

अतः कहा जा सकता है कि चॉम्स्की महोदय ने प्रतिपादित किया है कि बालक जन्म से ही सहजात-भाषा-अर्जन के सामर्थ्य को धारण करता है।

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