सीपीसी की धारा 64(1) के अंतर्गत कुर्की के बाद निर्णीत ऋणी द्वारा संपत्ति का निजी हस्तांतरण क्या है?

  1. वैद्य 
  2. शून्यकरणीय 
  3. शून्य 
  4. कोई भी नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : शून्य 

Detailed Solution

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सही उत्तर विकल्प 3 है।

Key Pointsकुर्की के बाद संपत्ति का निजी हस्तांतरण:

  • सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 की धारा 64 अधिनियमित करती है कि कुर्की के बाद संपत्ति का निजी हस्तांतरण (बिक्री, बंधक, उपहार, आदि) कुर्की के तहत लागू किए जाने योग्य दावों के मुकाबले शून्य है।.जहां कुर्की की जा चुकी है वहां कुर्क की गई सम्पत्ति या उसमें के किसी हित का ऐसी कुर्की के प्रतिकूल प्राइवेट अन्तरण या परिदान और किसी ऋण, लाभांश या अन्य धन का ऐसी कुर्की के प्रतिकूल निर्णीत-ऋणी को संदाय कुर्की के अधीन प्रवर्तनीय सभी दावों के मुकाबले में शून्य होगा।
  • इस धारा की कोई बात, कुर्क की गई संपत्ति या उसमें किसी हित के किसी ऐसे प्राइवेट अंतरण या परिदान को लागू नहीं होगी, जो कुर्की से पहले ऐसे अंतरण या परिदान की संविदा के अनुसरण में किया गया हो और रजिस्ट्रीकृत हो।

दृष्टान्त : 

B के पास 50,000 रुपये का एक घर है और उसके पास कोई अन्य संपत्ति नहीं है। A ने पर 50,000 रुपये का वाद दायर किया। अब, अपना घर बेच सकता है या गिरवी रख सकता है, इस तथ्य के बावजूद कि उसके खिलाफ वाद लंबित है। वह अपने विरुद्ध डिक्री पारित होने के बाद भी ऐसा कर सकता है। लेकिन, यदि घर के डिक्री के निष्पादन में कुर्क किया गया है, तो बिक्री या बंधक का ऐसा कोई भी प्रयास के दावे के विरुद्ध शून्य होगा।

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