Question
Download Solution PDFएरिक्सन ने मानव विकास को विभाजित किया है-
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFएरिक एरिक्सन के मनोसामाजिक विकास के सिद्धांत का मानना है कि व्यक्ति अपने पूरे जीवन में विकास के आठ चरणों से गुजरते हैं, और प्रत्येक चरण एक अद्वितीय मनोसामाजिक समस्या प्रस्तुत करता है। इन समस्याओ का सफल समाधान स्वस्थ मनोवैज्ञानिक और सामाजिक विकास में योगदान देता है।
Key Points
यहां प्रत्येक चरण का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:
- विश्वास बनाम अविश्वास (शैशवावस्था): इस चरण में, शिशु देखभाल की स्थिरता और विश्वसनीयता के आधार पर अपने देखभाल करने वालों पर विश्वास करना सीखते हैं। यदि उनकी आवश्यकताएं पूरी होती हैं, तो उनमें विश्वास की भावना विकसित होती है; अन्यथा, अविश्वास का परिणाम हो सकता है।
- स्वायत्तता बनाम शर्म और संदेह (प्रारंभिक बाल्यावस्था): बच्चे अपनी स्वतंत्रता पर बल देना प्रारंभ कर देते हैं। यदि प्रोत्साहित किया जाए, तो उनमें स्वायत्तता की भावना विकसित होती है; यदि बहुत अधिक प्रतिबंध लगाया जाए, तो उन्हें शर्म और संदेह महसूस हो सकता है।
- पहल बनाम अपराधबोध (प्रीस्कूल/पूर्व विद्यालय): बच्चे खोजबीन करना और पहल करना प्रारंभ करते हैं। यदि उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी जाती है, तो उनमें उद्देश्य और पहल की भावना विकसित होती है; यदि उन पर अत्यधिक नियंत्रण किया जाता है, तो वे अपराधबोध महसूस कर सकते हैं।
- परिश्रम/उद्यम बनाम हीन भावना (विद्यालय की आयु): बच्चे दूसरों से अपनी तुलना करना प्रारंभ कर देते हैं और नए कौशल सीखते हैं। सफलता से योग्यता (उद्योग) की भावना उत्पन्न होती है, जबकि असफलता से हीनता की भावना उत्पन्न होती है।
- पहचान बनाम पहचान भ्रान्ति (किशोरावस्था): किशोर अपनी पहचान, मूल्यों और विश्वासों का पता लगाते हैं। जब वे इस चरण को सफलतापूर्वक पार कर लेते हैं तो उनमें स्वयं और पहचान की स्पष्ट भावना विकसित होती है।
- आत्मीयता बनाम अलगाव (युवा वयस्कता): युवा वयस्क सार्थक संबंध चाहते हैं। सफलतापूर्वक संबंध बनाने से घनिष्ठता आती है, जबकि विफलता के कारण अलगाव हो सकता है।
- उत्पादकता बनाम स्थिरता (मध्य वयस्कता): वयस्क समाज और भावी पीढ़ियों के लिए योगदान देने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। सकारात्मक सहभागिता से उदारता की भावना उत्पन्न होती है, जबकि सहभागिता की कमी से स्थिरता आ सकती है।
- संपूर्णता बनाम निराशा (उत्तर वयस्कता): इस अंतिम चरण में, व्यक्ति अपने जीवन पर विचार करते हैं। उपलब्धि और पूर्ति की भावना अखंडता की ओर ले जाती है, जबकि पछतावे और अधूरे लक्ष्यों के परिणामस्वरूप निराशा हो सकती है।
इसलिए, हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि सही उत्तर विकल्प 2 है।
Last updated on Jan 29, 2025
-> The Bihar STET 2025 Notification will be released soon.
-> The written exam will consist of Paper-I and Paper-II of 150 marks each.
-> The candidates should go through the Bihar STET selection process to have an idea of the selection procedure in detail.
-> For revision and practice for the exam, solve Bihar STET Previous Year Papers.