हिन्दू अप्राप्तवयता और संरक्षकता अधिनियम, 1956 की धारा 8 (3) के अंतर्गत, न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना नैसर्गिक संरक्षक द्वारा की गई अप्राप्तवय की संपत्ति का हस्तांतरण, ____________ के कहने पर शून्यकरणीय कर दिया जाएगा।

  1. विक्रेता
  2. क्रेता
  3. अप्राप्तवय
  4. (2) एवं (3) दोनों
  5. उपर्युक्त में से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : अप्राप्तवय

Detailed Solution

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सही उत्तर विकल्प 3 है।

Key Points

  • हिन्दू अप्राप्तवयता और संरक्षकता अधिनियम, 1956 की धारा 8 नैसर्गिक संरक्षक की शक्तियों से संबंधित है। 
  • इस धारा के उपबन्धों के अध्यधीन यह है कि किसी भी हिन्दू अप्राप्तवय का नैसर्गिक संरक्षक उन सब कार्यों को करने की शक्ति रखता है जो उस अप्राप्तवय के फायदे के लिए या उस अप्राप्तवय की सम्पदा के आपन, संरक्षण या फायदे के लिए आवश्यक या युक्तियुक्त और उचित हों, किन्तु संरक्षक किसी भी दशा में अप्राप्तवय को वैयक्तिक प्रसंविदा के द्वारा आबद्ध नहीं कर सकता।
  • नैसर्गिक संरक्षक न्यायालय की पूर्व अनुज्ञा के बिना-
    • न तो अप्राप्तवय की स्थावर सम्पत्ति के किसी भी भाग को बन्धक या भारित अथवा विक्रय, दान या विनिमय द्वारा या अन्यथा अन्तरित करेगा; और
    • ऐसी सम्पत्ति के किसी भी भाग को पांच वर्ष से अधिक की अवधि के लिए या जिस तारीख को अप्राप्तवय प्राप्तवयता में प्रवेश करेगा उस तारीख से एक वर्ष से अधिक की अवधि के लिए पट्टे पर देगा  
  • नैसर्गिक संरक्षक द्वारा उपधारा (1) या उपधारा (2) के उल्लंघन में किया गया स्थावर सम्पत्ति का कोई भी व्ययन, अप्राप्तवय की या उससे व्युत्पन्न अधिकार के अधीन दावा करने वाले किसी भी व्यक्ति की प्रेरणा पर शून्यकरणीय होगा
  • कोई भी न्यायालय नैसर्गिक संरक्षक को उपधारा (2) में वर्णित कार्यों में से किसी को भी करने की अनुज्ञा न देगा सिवाय उस दशा में जब कि वह आवश्यक हो या अप्राप्तवय की सुव्यक्त भलाई के लिए हो
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