चौमस्की- मतानुसारं मनुष्याः जन्मगतभाषाग्रहणसाधनं धारयन्ति येन तेषु उत्पद्यते 

This question was previously asked in
CTET Feb 2015 Paper 2 Maths & Science (L - I/II: Hindi/English/Sanskrit)
View all CTET Papers >
  1. साधारणव्याकरणम्‌
  2. वर्णविचारः
  3. अर्थविचारः
  4. जटिलशब्दाः

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : साधारणव्याकरणम्‌
Free
CTET CT 1: TET CDP (Development)
10 Qs. 10 Marks 8 Mins

Detailed Solution

Download Solution PDF

प्रश्न का अनुवाद - चौमस्की के मतानुसार मनुष्य जन्मगत भाषा ग्रहण करने के साधन धारण करते हैं जो कि उत्पन्न होते हैं?

स्पष्टीकरण - चौमस्की के मतानुसार मनुष्य जन्मगत भाषा ग्रहण करने के साधन धारण करते हैं, जो कि साधारण व्याकरण से उत्पन्न होते हैं।

Important Points

एवरम नोम चौमस्की - 

चाम्सकी को जेनेरेटिव ग्रामर के सिद्धांत का प्रतिपादक एवं बीसवीं सदी के भाषाविज्ञान में सबसे बड़ा योगदानकर्ता, माना जाता है। 

चौमस्की का साधारण व्याकरण (जेनेरेटिव ग्रामर ) का सिद्धान्त भाषा विकास के सिद्धांत के अन्तर्गत आता है। 

 

चौमस्की का साधारण व्याकरण -

उन्होंने सार्वभौमिक व्याकरण के सिद्धांत का प्रस्ताव दिया है। उनके हिसाब से व्याकरण जन्मजात होता है जो बच्चा उसकी जानकारी लेकर पैदा होता है। इस संबंध में, चॉम्स्की ने सिखाया कि भाषा चलने की तरह है। यद्यपि मनुष्य उदाहरण के द्वारा सीखते हैं, उन्होंने प्रस्तावित किया कि हम सभी भाषा के अंतर्निहित तंत्र की मौलिक समझ के साथ पैदा हुए हैं। उनके अनुसार हमारी यही जन्मजात विशेषता हमें उन वाक्यों को पहचानने में हमारी मदद करती है जो व्याकरण के रूप से तो ठीक हैं

अर्थात् चौमस्की के अनुसार बच्चे जन्म से ही भाषाग्रहण करने के साधन धारण करते हैं | वे शब्दों की निश्चित संख्या से कुछ निश्चित नियमों का अनुकरण करते हुए वाक्यों का निर्माण करना सीखते हैं | इन शब्दों से नये-नये  वाक्यों एवं शब्दों का निर्माण होता है | इन वाक्यों का निर्माण जिन नियमों के अंतर्गत होता है,चौमस्की ने उन्हें साधारण व्याकरण की संज्ञा दी है

Additional Information

 

भाषा विकास के अन्य  सिद्धान्त -

  • बैण्ड्युरा का सिद्धान्त -  बैण्ड्युरा के अनुसार बालक अपने परिवार तथा आस पड़ोस में प्रयोग की जाने वाली भाषा को नकल या अनुकरण के माध्यम से सीखता है। वे प्रतिरूपण को भी बच्चों के लिए सीखने का महत्वपूर्ण रूप बताते हैं।
  • परिपक्वता का सिद्धांत - , बोलने में जिह्वा ,गला, तालु, होठ, दाँत तथा स्वर यंत्र आदि की परिपक्वता भाषा विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 
  • अनुबन्ध का सिद्धान्त - अनुबन्ध का तात्पर्य साहचर्य है  । बच्चे किसी विशिष्ट वस्तु या व्यक्ति से साहचर्य स्थापित करते हैं तथा अभ्यास हो जाने पर संबंध वस्तु या व्यक्ति की उपस्थिति पर सम्बन्धित शब्द से सम्बोधित करते हैं | 
  • अनुकरण का सिद्धांत -  चैपनीज, शर्ली, कर्टी तथा वैलेण्टाइन आदि मनोवैज्ञानिकों ने भाषा सीखने के लिए अनुकरण को महत्वपूर्ण बताया है। जैसी भाषा जिस परिवार और समाज में बोली जाती है बच्चे उसी भाषा को सीखते है, यदि वह भाषा दोषपूर्ण है तो बालक की भाषा में भी वह दोष दिखाई देते हैं ।

Latest CTET Updates

Last updated on Apr 30, 2025

-> The CTET 2025 Notification (July) is expected to be released anytime soon.

-> The CTET Exam Date 2025 will also be released along with the notification.

-> CTET Registration Link will be available on ctet.nic.in.

-> CTET is a national-level exam conducted by the CBSE to determine the eligibility of prospective teachers.  

-> Candidates can appear for CTET Paper I for teaching posts of classes 1-5, while they can appear for CTET Paper 2 for teaching posts of classes 6-8.

-> Prepare for the exam with CTET Previous Year Papers and CTET Test Series for Papers I &II.

More प्रसिद्ध दार्शनिक Questions

Hot Links: teen patti glory teen patti diya teen patti bliss teen patti cash game teen patti 50 bonus