रूपरेखा
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क्षेत्रीय असमानता विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में संसाधनों, अवसरों और आर्थिक विकास के असमान वितरण को संदर्भित करती है, जिससे जीवन स्तर में असमानता आती है। दूसरी ओर, विविधता, किसी क्षेत्र के भीतर विशिष्ट सांस्कृतिक, भाषाई या सामाजिक लक्षणों की उपस्थिति को दर्शाती है। जहाँ असमानता, पक्षपात को दर्शाती है, वहीं विविधता, बहुरूपता और समावेशन को दर्शाती है।
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संक्षेप में असमानता, बहिष्कार और समानता की कमी को इंगित करती है, जबकि विविधता, आर्थिक या सामाजिक अभाव का सुझाव दिए बिना भिन्नताओं से संबंधित है।
भारत में क्षेत्रीय असमानता की गंभीरता: भारत को महत्वपूर्ण क्षेत्रीय असमानताओं का सामना करना पड़ता है, जो समृद्ध और पिछड़े क्षेत्रों के बीच स्पष्ट विरोधाभासों में प्रकट होती हैं:
शहरी-ग्रामीण अंतर: मुंबई और दिल्ली जैसे महानगर आधुनिक सुविधाएं और बेहतर रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्र अच्छी अवसंरचना के लिए संघर्ष करते हैं।
पूर्व-पश्चिम असंतुलन: गुजरात और महाराष्ट्र जैसे पश्चिमी राज्य औद्योगिक रूप से विकसित हैं, जबकि पूर्वी राज्य जैसे ओडिशा और झारखंड, संसाधन संपन्न होने के बावजूद आर्थिक प्रगति में पीछे हैं।
सामाजिक और अवसंरचना अंतराल: सड़क, स्वास्थ्य सेवा और विद्युत जैसी मूल बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच पृथक क्षेत्रों में अलग-अलग है।
क्षेत्रीय असमानता को दूर करने के लिए एक बहुआयामी रणनीति की आवश्यकता है जो संतुलित विकास को बढ़ावा दे। आकांक्षी जिला कार्यक्रम और भारतमाला परियोजना जैसी सरकारी पहलों का उद्देश्य अवसंरचना में सुधार और समावेशी विकास को बढ़ावा देकर इन अंतरों को कम करना है। क्षेत्रीय नियोजन को सशक्त करना, पिछड़े क्षेत्रों में औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना और स्थानीय शासन को सशक्त बनाना असमानताओं को कम करने की कुंजी होगी।
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