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Download Solution PDFभाषा के क्षेत्र में 'ट' वर्ग का विकास किसके प्रभाव की देन है ?
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MPPSC Assistant Prof 2022 (Hindi) Official Paper-II (Held On: 28 Jan, 2024)
Answer (Detailed Solution Below)
Option 4 : द्रविड़
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MPPSC Assistant Professor UT 1: MP History, Culture and Literature
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Detailed Solution
Download Solution PDFभाषा के क्षेत्र में 'ट' वर्ग का विकास द्रविड़ के प्रभाव की देन है।
Key Pointsमुख्य-
- भाषा के क्षेत्र में 'ट' वर्ग (जैसे- ट, ठ, ड, ढ, ण) का विकास मुख्य रूप से द्रविड़ भाषाओं के प्रभाव की देन है।
- द्रविड़ भाषाएँ, जैसे तमिल, तेलुगु, कन्नड़, और मलयालम, भारत की प्राचीन भाषाएँ हैं।
- इन भाषाओं में 'ट' वर्ग के व्यंजन स्वाभाविक रूप से मौजूद हैं।
- जब आर्य भाषाएँ (जैसे संस्कृत) भारत में आईं, तो वे द्रविड़ भाषाओं के संपर्क में आईं।
- इस संपर्क के दौरान ध्वनियों का आदान-प्रदान हुआ, और 'ट' वर्ग के व्यंजन द्रविड़ भाषाओं से आर्य भाषाओं में शामिल हो गए।
- इस तरह, हिंदी और अन्य उत्तर भारतीय भाषाओं में 'ट' वर्ग का विकास द्रविड़ प्रभाव के कारण हुआ।
Important Pointsनेग्रिटो-
- नेग्रिटो जनजातियाँ भारत के कुछ हिस्सों, जैसे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, में पाई जाती हैं।
- उनकी भाषाएँ पृथक और बहुत सीमित क्षेत्रों तक फैली हुई हैं।
- इनका हिंदी या अन्य प्रमुख भारतीय भाषाओं की ध्वनियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
ऑस्ट्रिक-
- ऑस्ट्रिक भाषाएँ भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्रों और कुछ आदिवासी समूहों, जैसे मुंडा और खासी, द्वारा बोली जाती हैं।
- इन भाषाओं में 'ट' वर्ग के व्यंजन मौजूद हो सकते हैं, लेकिन इनका हिंदी या उत्तर भारतीय भाषाओं पर प्रभाव द्रविड़ भाषाओं जितना गहरा और व्यापक नहीं है।
किरात-
- किरात जनजातियाँ मुख्य रूप से हिमालयी क्षेत्र में निवास करती हैं, और उनकी भाषाएँ तिब्बती-बर्मी परिवार से संबंधित हैं।
- इन भाषाओं का हिंदी या अन्य आर्य भाषाओं की ध्वनियों पर प्रभाव बहुत कम या न के बराबर है।
Last updated on Jul 7, 2025
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