Question
Download Solution PDFजे. कृष्णामूर्ति का मानना था कि शिक्षण है।
A. किसी चीज का आदान-प्रदान
B. पहले अध्ययन करना एवं फिर उसे कार्रवाईयों में परिणत करना
C. परस्पर साझा करना
D. विद्यार्थीयों को परीक्षा में उत्तीर्ण होने में सहायता करना
E. 'आत्म' अनुभूति करना
नीचे दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त उत्तर का चयन कीजिए।
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFKey Pointsजिद्दू कृष्णमूर्ति:
- जिद्दू कृष्णमूर्ति, जिन्हें सामान्यतः कृष्णमूर्ति के नाम से जाना जाता है, एक प्रमुख आध्यात्मिक शिक्षक, दार्शनिक एवं वक्ता थे।
- उनका जन्म 11 मई, 1895 को मदनपल्ले, भारत में हुआ था और उनका निधन 17 फरवरी, 1986 को हुआ था।
- कृष्णमूर्ति की शिक्षाएँ मन की प्रकृति, सत्य की खोज एवं आंतरिक स्वतंत्रता व आत्म-खोज के मार्ग पर केंद्रित थीं।
जे. कृष्णमूर्ति का मानना था कि 'शिक्षण' का अर्थ है:
- C. परस्पर साझा करना:
- कृष्णमूर्ति के अनुसार, शिक्षण शिक्षक द्वारा छात्र को ज्ञान प्रदान करने की एकतरफ़ा प्रक्रिया नहीं है।
- यह एक सहयोगात्मक और संवादात्मक प्रक्रिया है जहां शिक्षक एवं छात्र दोनों अधिगम व अन्वेषण की प्रक्रिया में एक साथ हिस्सा लेते हैं।
- E. 'आत्म' अनुभूति करना:
- कृष्णमूर्ति ने शिक्षा में आत्म-जागरूकता एवं आत्म-बोध के महत्व पर बल दिया।
- उनका मानना था कि सच्ची शिक्षा केवल ज्ञान प्राप्त करने और परीक्षा उत्तीर्ण करने के बारे में नहीं है, बल्कि स्वयं को समझने एवं जीवन में अपनी वास्तविक क्षमता व उद्देश्य की खोज करने के बारे में है।
नीचे शिक्षण पर जे. कृष्णमूर्ति के कुछ उद्धरण दिए गए हैं:
- "एकमात्र शिक्षण स्व-शिक्षण है।"
- "शिक्षा कैसे जीना है इसका अधिगम है।"
- "शिक्षा का उद्देश्य एक स्वतंत्र, जिज्ञासु मस्तिष्क बनाना है।"
- "शिक्षा का कार्य आपको यह ज्ञात करने में मदद करना है कि आप कौन हैं।"
- "शिक्षा बाल्टी भरना नहीं, बल्कि आग जलाना है।"
अतः सही उत्तर केवल C और E है।
Last updated on Jun 19, 2025
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