"निराशावाद के भीतर आशावाद का संदेश देना - संसार की क्षणिकता में उसके वैचित्य का इन्द्रधनुषी चित्र खींचना इन सिद्धों की कविता का गुण था ।" यह कथन किस विद्वान का है ?

This question was previously asked in
MPPSC Assistant Prof 2022 (Hindi) Official Paper-II (Held On: 28 Jan, 2024)
View all MPPSC Assistant Professor Papers >
  1. पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी
  2. डॉ. रामकुमार वर्मा
  3. डॉ. गणपति चन्द्र गुप्त
  4. डॉ. नगेन्द्र

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : डॉ. रामकुमार वर्मा
Free
MPPSC Assistant Professor UT 1: MP History, Culture and Literature
2.4 K Users
20 Questions 80 Marks 24 Mins

Detailed Solution

Download Solution PDF

"निराशावाद के भीतर आशावाद का संदेश देना - संसार की क्षणिकता में उसके वैचित्य का इन्द्रधनुषी चित्र खींचना इन सिद्धों की कविता का गुण था ।" यह कथन विद्वान का है - डॉ. रामकुमार वर्मा

Key Pointsडॉ. रामकुमार वर्मा-

  • (15 सितम्बर, 1905 - 1990)
  • हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार, व्यंग्यकार और हास्य कवि के रूप में जाने जाते हैं।
  • उन्हें साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९६३ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
  • इनके काव्य में 'रहस्यवाद' और 'छायावाद' की झलक है।
  • कृतियाँ-
    • वीर हमीर (काव्य ; सन 1922 ई.)
    • चित्तौड़ की चिन्ता (काव्य सन् 1929 ई.)
    • साहित्य समालोचना (सन 1929 ई.)
    • अंजलि (काव्य ; सन 1930 ई.)
    • अभिशाप (कविता ; सन 1931 ई.)
    • हिन्दी गीतिकाव्य (संग्रह ; सन 1931 ई.)
    • निशीथ (कविता ; सन 1935 ई.)
    • चित्ररेखा (कविता ; सन 1936 ई.)

Additional Informationआचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी-

  • (19 अगस्त 1907 - 19 मई 1979)
  • हिन्दी निबन्धकार, आलोचक और उपन्यासकार थे।
  • वे हिंदी, अंग्रेज़ी, संस्कृत और बाङ्ला भाषाओं के विद्वान थे। 
  • आलोचनात्मक -
    • सूर साहित्‍य (1936)
    • हिन्‍दी साहित्‍य की भूमिका (1940)
    • प्राचीन भारत के कलात्मक विनोद (1952)
    • नाथ संप्रदाय (1950)
    • हिन्‍दी साहित्‍य का आदिकाल (1952)
    • आधुनिक हिन्‍दी साहित्‍य पर विचार (1949)
    • साहित्‍य का मर्म (1949) आदि।

डॉ. गणपति चन्द्र गुप्त-

  • (15 जुलाई, सन् 1928 ई.)
  • हिंदी के प्रखर आलोचक हैं। 
  • रचनाएँ :-
    • साहित्य-विज्ञान
    • हिन्दी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास
    • रस-सिद्धान्त का पुनर्विवेचन
    • साहित्यिक निबन्ध
    • हिन्दी-काव्य में शृंगार-परम्परा
    • महाकवि बिहारी आदि।

डॉ. नगेन्द्र -

  • (9 मार्च 1915 - 27 अक्टूबर 1999)
  • हिन्दी के प्रमुख आधुनिक आलोचकों में थे।
  • वे एक सुलझे हुए विचारक और गहरे विश्लेषक थे।
  • आलोचनात्मक कृतियाँ -
    • 'सुमित्रानंदन पंत'(1938ई.),
    • 'साकेत- एक अध्ययन'(1939ई.)
    • 'आधुनिक हिंदी नाटक'(1940ई.)।
  • निबंध संग्रह -
    • विचार और अनुभूति (1949ई.),
    • आधुनिक हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियाँ(1951ई.),
    • विचार विश्लेषण (1955ई.),
    • विचार और विवेचन(1959ई०),
    • अनुसन्धान और आलोचना(1961ई.),
    • आस्था के चरण(1968ई.)
    • आलोचक की आस्था(1966ई.) ।
Latest MPPSC Assistant Professor Updates

Last updated on Jul 7, 2025

-> The MPPSC Assistant Professor exam for Group 1 posts will be held on 27th July 2025.

-> MPPSC Assistant Professor 2025 Notification has been released for 2117 vacancies.

-> The selected candidates will get a salary of Rs. 57,700 to Rs. 1,82,400.

-> Candidates who want a successful selection for the post must refer to the MPPSC Assistant Professor Previous Year Papers to understand the type of questions in the examination.

More प्रमुख साहित्यिक सूक्तियाँ एवं कथन Questions

More साहित्य का इतिहास Questions

Get Free Access Now
Hot Links: teen patti master plus teen patti customer care number all teen patti teen patti joy official