Question
Download Solution PDFनिम्नलिखित कथनों को उनके सिद्धांतों के साथ सुमेलित कीजिए :
कथन |
सिद्धांत |
||
(i) |
काव्य-शैली की बाह्य साज-सज्जा |
1. |
वक्रोक्ति |
(ii) |
काव्य के स्वाभाविक गुण - शुद्धता, संक्षिप्तता, स्पष्टता, आदि |
2. |
ध्वनि |
(iii) |
अर्थ की व्यंग्यात्मकता |
3. |
अलंकार |
(iv) |
अर्थ की लाक्षणिकता |
4. |
रीति |
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर है- (i) - 3, (ii) - 4, (iii) - 1, (iv) - 2
Key Pointsसही सुमेलन है-
कथन |
सिद्धांत |
||
(i) |
काव्य-शैली की बाह्य साज-सज्जा |
3. |
अलंकार |
(ii) |
काव्य के स्वाभाविक गुण - शुद्धता, संक्षिप्तता, स्पष्टता, आदि |
4. |
रीति |
(iii) |
अर्थ की व्यंग्यात्मकता |
1. |
वक्रोक्ति |
(iv) |
अर्थ की लाक्षणिकता |
2. |
ध्वनि |
Important Pointsरीति सिद्धांत-
- रीति सिद्धांत के प्रवर्तक का श्रेय आचार्य वामन को माना जाता है।
- इन्होने अपनी रचना काव्यलंकारसूत्रवृत्ति में इसकी विवेचना किया है।
- 'रीतिरात्मा काव्यस्य' रीति काव्य की आत्मा है।
ध्वनि सिद्धांत-
- ध्वनि सिद्धान्त, भारतीय काव्यशास्त्र का एक सम्प्रदाय है।
- भारतीय काव्यशास्त्र के विभिन्न सिद्धान्तों में यह सबसे प्रबल एवं महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है।
- ध्वनि सिद्धान्त का आधार 'अर्थ ध्वनि' को माना गया है।
- इस सिद्धान्त की स्थापना का श्रेय 'आनंदवर्धन' को है किन्तु अन्य सम्प्रदायों की तरह ध्वनि सिद्धान्त का जन्म आनंदवर्धन से पूर्व हो चुका था।
वक्रोक्ति सिद्धांत-
- वक्रोक्ति दो शब्दों 'वक्र' और 'उक्ति' की संधि से निर्मित शब्द है।
- इसका शाब्दिक अर्थ है- ऐसी उक्ति जो सामान्य से अलग हो। टेढा कथन अर्थात जिसमें लक्षणा शब्द शक्ति हो।
- भामह ने वक्रोक्ति को एक अलंकार माना था।
- उनके परवर्ती कुन्तक ने वक्रोक्ति को एक सम्पूर्ण सिद्धान्त के रूप में विकसित कर काव्य के समस्त अंगों को इसमें समाविष्ट कर लिया।
- इसलिए कुन्तक को वक्रोक्ति संप्रदाय का प्रवर्तक आचार्य माना जाता है।
अलंकार सिद्धान्त-
- इस सिद्धान्त या सम्प्रदाय के प्रवर्तक भामह माने जाते हैं।
- इन्होंने चारूता (सौन्दर्य) को सर्वप्रमुख तत्व माना।
- अलंकार मत के अनुसार काव्य यदि सौन्दर्य युक्त है तो स्वाभाविक रूप से वह रसयुक्त होगा ही ।
- इस प्रकार रस और अलंकार परस्पर पोषक सिद्धान्त के रूप में विकसित हुए ।
- अलंकारवादी आचार्यों की दृष्टि में काव्योचित सौन्दर्य का जो भी स्रोत (रस, रीति, गुण, ध्वनि) है,
- वह अलंकार है तथा रस की अपेक्षा चारूता या सौन्दर्य काव्य के व्यापक तत्व हैं।
Last updated on Jul 7, 2025
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