Question
Download Solution PDF'श्रृंगार और वात्सल्य के क्षेत्र में इस महाकवि ने मानो औरों के लिए कुछ छोड़ा ही नहीं।' आचार्य शुक्ल ने यह विचार किस कवि के लिए व्यक्त किया था ?
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Detailed Solution
Download Solution PDF'श्रृंगार और वात्सल्य के क्षेत्र में इस महाकवि ने मानो औरों के लिए कुछ छोड़ा ही नहीं।' आचार्य शुक्ल ने यह विचार सूरदास कवि के लिए व्यक्त किया था।
Key Pointsसूरदास-
- जन्म- 1478-1583 ई.
- भक्तिकाल की कृष्ण भक्ति शाखा के प्रमुखक कवि है।
- रचनाएँ-
- सूरसागर
- सुरसरावली(1548 ई.)
- साहित्य लहरी(1550 ई.) आदि।
Important Pointsरसखान-
- जन्म - 1533-1618 ई.
- मूल नाम - सैयद इब्राहिम
- गोस्वामी विट्ठलनाथ से इन्होंने दीक्षा प्राप्त की।
- तुलसीदास के समकालीन थे।
- मुख्य रचनाएँ-
- सुजान रसखान
- प्रेमवाटिका
- दानलीला
- अष्टयाम आदि।
- रसखान के काव्य में श्रृंगार रस की प्रधानता मिलती है।
- इन्हें 'पीयूषवर्षी' अथवा 'अमृत की वर्षा करने वाला कवि' कहा जाता है।
- भारतेंदु-
- "इस मुसलमान हरिजनन पर कोटिन हिंदु वारिए"
मीराबाई-
- जन्म-1516-1546 ई.
- सोलहवीं शताब्दी की एक कृष्ण भक्त और कवयित्री थीं।
- मीरा बाई ने कृष्ण भक्ति के स्फुट पदों की रचना की है।
- गुरु-संत रैदास या रविदास
- मीराबाई ने श्री कृष्ण की उपासना पति या प्रियतम रूप में की है।
- रचनाएँ-
- गीत गोविंद की टीका
- नरसी जी रो मायरो
- राग सोरठा
- मलार राग
- राग गोविन्द
- सत्यभामानुरुषणं
- मीरां की गरबी
- रुक्मणी मंगल आदि।
- मीराबाई की रचनाओं का संकलन ’मीराबाई की पदावली’ के रूप में उपलब्ध है।
घनानन्द-
- जन्म-1689-1739 ई.
- रीतिकाल की रीतिमुक्त धारा के महत्वपूर्ण कवि है।
- सम्प्रदाय-निम्बार्क
- आश्रयदाता-मुहम्मदशाह रंगीले
- प्रेयसी-सुजान
- रचनाएँ-
- वियोगबेलि
- इश्कलता
- सुजान हित प्रबंध
- प्रीतिपावस
- कृपाकन्द
- विरह लीला आदि।
Last updated on Jul 7, 2025
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