Question
Download Solution PDF“अनुभूति के द्वंद्व ही से प्राणी के जीवन का आरंभ होता है। उच्च प्राणी मनुष्य भी केवल एक जोड़ी अनुभूति लेकर इस संसार में आता है। बच्चे के छोटे से हृदय में पहले सुख और दुःख की सामान्य अनुभूति भरने के लिए जगह होती है।" उपर्युक्त विचार आचार्य शुक्ल की कृति 'चिंतामणि' के किस निबंध का प्रारंभिक रूप है?
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFअनुभूति के द्वंद्व ही से प्राणी के जीवन का आरंभ होता है। उच्च प्राणी मनुष्य भी केवल एक जोड़ी अनुभूति लेकर इस संसार में आता है। बच्चे के छोटे से हृदय में पहले सुख और दुःख की सामान्य अनुभूति भरने के लिए जगह होती है।" उपर्युक्त विचार आचार्य शुक्ल की कृति 'चिंतामणि' के भाव या मनोविकार निबंध का प्रारंभिक रूप है।
Key Pointsरामचंद्र शुक्ल -
- जन्म - 4 अक्टूबर 1884 ई.
- जन्म स्थान - उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में
- मृत्यु - 2 फरवरी 1941 ई
- मुख्य - आचार्य रामचंद्र शुक्ल के सभी निबंध चिंतामणि भाग 1 में संकलित है।
- इसका प्रकाशन 1939 ई. में हुआ।
- इस निबंध संग्रह में कुल 17 निबंध है।
- आचार्य शुक्ल का चिंतामणि भाग 1 प्रथम विचार वीथी नाम से सन 1930 ई. में प्रकाशित हुआ था।
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- भाव या मनोविकार
- उत्साह
- श्रद्धा और भक्ति
- करुणा
- लज्जा और ग्लानि
- लोभ और प्रीति
- घृणा
- ईर्ष्या
- भय
- क्रोध
- कविता क्या है
- भारतेंदु हरिश्चंद्र
- तुलसी का भक्ति मार्ग
- मानस की धर्मभूमि
- काव्य में लोकमंगल की साधनावस्था
- साधारणीकरण और व्यक्ति वैचित्रयवाद
- रसात्मक बोध के विविध रूप
आचार्य शुक्ल ने 'चिंतामणि' भाग 1 में लिखा है कि" इस पुस्तक में मेरी अंतर्यात्रा में पड़ने वाले कुछ प्रदेश है यात्रा के लिए निकलती रही है बुद्धि पर हृदय को भी साथ लेकर!"
Last updated on May 25, 2025
-> BPSC Senior Secondary Teacher, BPSC TRE 4.0 is to be conducted in August, 2025.
-> CTET/STET-qualified candidates can appear for the BPSC TRE 4.0.
-> The Bihar Senior Secondary Teacher eligibility is PG + B.Ed./ B.El.ED + STET Paper-2 Pass.
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