Question
Download Solution PDFवीररसप्रधानौ ग्रन्थौ स्तः-
A. अभिज्ञानशाकुन्तलम्
B. मुद्राराक्षसम्
C. वाल्मीकिरामायणम्
D. शिशुपालवधम्
उपर्युक्तकथनस्यालोके अधोलिखितेषु विकल्पेषु समुचितमुत्तरं चिनुत-
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFप्रश्न का हिंदी भाषांतर : वीररसप्रधान ग्रंथ कौन से हैंं?
अभिज्ञानशाकुन्तलम् :
- "अभिज्ञानशाकुन्तलम्" भारतीय महाकवि कालिदास द्वारा लिखा गया एक महत्वपूर्ण संस्कृत नाटक है। यह एक प्रेमकाव्य नाटक है जिसमें काव्यिक और नृत्यात्मक अंश हैं। स्पष्ट है, की यह शृंगाररसप्रधान साहित्यकृति है। इस नाटक की कहानी महाकवि कालिदास के "अभिज्ञानशाकुन्तलम्" एक देवकन्या शाकुन्तला की प्रेमकथा पर आधारित है, जिन्होंने एक महर्षि दुर्वाससा के आश्रम में उनके प्रेम का स्मरण हरण कर लिया होता है। इस काव्य की प्रमुख कविताएँ और प्रसंग उसके प्रेम, प्राकृत्य और नृत्य की अद्वितीय व्यक्ति तथा रस-सिद्धांत को दिखाते हैं। यह काव्य भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण कृतियों में से एक है और कालिदास की महाकाव्य रचनाओं में से सबसे प्रमुख है।
मुद्राराक्षसम्
- मुद्राराक्षस संस्कृत का प्रसिद्ध ऐतिहासिक नाटक है। चौथी शती के उत्तरार्ध एवं पांचवी शती ई. के पूर्वार्द्ध में विशाखदत्त द्वारा इसकी रचना की गई थी। इस नाटक में इतिहास और राजनीति का सुन्दर समन्वय प्रस्तुत किया गया है। विशाखदत्त ऐतिहासिक प्रवृत्ति के लेखक थे। इनके नाटक वीर रस प्रधान हैं। 'मुद्राराक्षस' में प्रेमकथा, नायिका, विदूषक आदि का अभाव है तथा इस दृष्टि से यह संस्कृत साहित्य में अपना अलग स्थान रखता है। इस ग्रंथ के चरित्र-चित्रण में विशेष निपुणता का प्रदर्शन मिलता है।
वाल्मीकिरामायणम्
- वाल्मीकि रामायणम्, भारतीय साहित्य का महत्वपूर्ण भाग है और एक प्रमुख हिन्दू धर्मिक काव्य है। यह काव्य महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया था और इसमें भगवान राम के जीवन के घटनाएं और कथाएँ वर्णित हैं। यह काव्य संस्कृत में है और भाषा के दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। वाल्मीकि रामायणमें भगवान राम की जीवन की कई महत्वपूर्ण घटनाएं जैसे कि उनका जन्म, उनके बचपन की कथाएँ, सीता हरण, लंका दहन, और उनके अयोध्या वापस आगमन इत्यादि वर्णित हैं। यह काव्य धर्म, नैतिकता, परमात्मा के प्रति श्रद्धा, और भक्ति के महत्वपूर्ण सिद्धांतों को प्रस्तुत करता है और मानव जीवन के मूल्यों को प्रदर्शित करता है। यह करुणरसप्रधान काव्य है।
शिशुपालवधम्
- शिशुपालवध महाकवि माघ द्वारा रचित संस्कृत काव्य है। २० सर्गों तथा १८०० अलंकारिक छन्दों में रचित यह ग्रन्थ संस्कृत के छः महाकाव्यों में गिना जाता है। इसमें कृष्ण द्वारा शिशुपाल के वध की कथा का वर्णन है। यह वीररसप्रधान काव्य है।
अतः स्पष्ट है, 'B, D केवलम्' यह इस प्रश्न का सही उत्तर है।
Last updated on Jun 25, 2025
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