Question
Download Solution PDFऋग्वेद-कालीन आर्यों और सिंधु घाटी के लोगों की संस्कृति के बीच अंतर के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है/हैं?
1. ऋग्वेद-कालीन आर्य कवच और शिरस्त्राण (हेलमेट) का उपयोग करते थे, जबकि सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों में इनके उपयोग का कोई साक्ष्य नहीं मिलता।
2. ऋग्वेद-कालीन आर्यों को स्वर्ण, चांदी और ताम्र का ज्ञान था जबकि सिंधु घाटी के लोगों को केवल ताम्र और लोहे का ज्ञान था।
3. ऋग्वेद-कालीन आर्यों ने घोड़े को पालतू बना लिया था, जबकि इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि सिंधु घाटी के लोग इस पशु को जानते थे।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
Answer (Detailed Solution Below)
Detailed Solution
Download Solution PDFसही उत्तर केवल 1 और 3 है।
Mistake Points
- यह प्रश्न UPSC सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2017, पेपर -1 में पूछा गया था।
- आधिकारिक उत्तर कुंजी में प्रदान किया गया उत्तर केवल 1 और 3 है। (संदर्भ: UPSC - CSE2017/Paper1/SetA/Q.2)
Key Points
- ऋग्वेद-कालीन:
- ऋग्वेद-कालीन आर्य कवच और शिरस्त्राण (हेलमेट) का उपयोग करते थे जबकि सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों में इनके उपयोग का कोई साक्ष्य नहीं मिलता।
- ऋग्वेद-कालीन आर्यों के दौरान प्रयुक्त तलवारों, तीरों, धनुषों के भी प्रमाण हैं। इसलिए, कथन 1 सही है।
- ऋग्वेद-कालीन आर्यों ने घोड़े को पालतू बना लिया था जबकि इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है की सिंधु घाटी के लोग इस पशु को जानते थे। इसलिए, कथन 3 सही है।
- ऋग्वेद-कालीन आर्यों को स्वर्ण, चांदी, ताम्र और लोहे का ज्ञान था जबकि सिंधु घाटी के लोगों को स्वर्ण, ताम्र, कांस्य का ज्ञान था , किन्तु लोहे का ज्ञान उन्हें नहीं था। इसलिए, कथन 2 सही नहीं है।
Additional Information
- ऋग्वेदिक काल के दौरान, आदिवासी समाज को तीन समूहों में विभाजित किया गया था- योद्धा, पुजारी और सामान्य जनता।
- शूद्र नामक चौथा वर्ण ऋग्वेदिक काल के अंत में प्रकट हुआ क्योंकि इसका उल्लेख सर्वप्रथम ऋग्वेद की दसवीं पुस्तक में हुआ है, जो एक नवीनतम संयोजन है।
- ऋग्वेद-कालीन में पुजारियों को उपहार के रूप में दिए गए दासों के संदर्भ हैं।
- वे मुख्य रूप से घरेलू कार्यों के लिए नियोजित महिला दासियाँ थी।
- यह स्पष्ट है कि ऋग वैदिक काल में दासों का प्रयोग प्रत्यक्ष रूप से कृषि या अन्य उत्पादक गतिविधियों में नहीं किया जाता था।
- ऋग्वेद-कालीन युग में व्यवसाय पर आधारित वर्ण शुरू किया गया था लेकिन यह वर्ण पूर्ण रूप से व्यवस्थित नहीं थी क्योंकि विभिन्न परिवारों के संदर्भ में जिनमें एक ही परिवार के अंतगर्त विभिन्न व्यवसाय होते थे ।
- ऋग्वेदिक काल के दौरान, समाज में आदिवासी प्रमुख रूप से हुआ करते थे और करों के संग्रह या भूमि की संपत्ति के संचय के आधार पर सामाजिक विभाजन अनुपस्थित थे।
- समाज अभी भी आदिवासी और काफी हद तक समतावादी था।
- यह स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि ऋग्वेदिक काल में सामंतवाद का कोई साक्ष्य नहीं था।
Last updated on Jul 6, 2025
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