स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह MCQ Quiz in தமிழ் - Objective Question with Answer for स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह - இலவச PDF ஐப் பதிவிறக்கவும்

Last updated on Apr 21, 2025

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Latest स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह MCQ Objective Questions

Top स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह MCQ Objective Questions

स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह Question 1:

एषु कस्य वर्णस्य आहत्य अष्टादशभेदाः न भवन्ति ?

  1. अकारस्य
  2. इकारस्य
  3. उकारस्य
  4. एकारस्य

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : एकारस्य

स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह Question 1 Detailed Solution

प्रश्नार्थ - इस में से वर्ण के वास्तव १८ भेद नहीं होते?

स्पष्टीकरण - 

  • स्वरोंं के भेद - 
    • निम्नलिखित आधार से स्वरोंं के भेद होतें है - 
      • मात्रा की दृष्टि से - 
        • ह्रस्व
        • दीर्घ
        • प्लुत
      • उच्चारण की दृष्टि से - 
        • उदात्त
        • अनुदात्त
        • स्वरित
      • अनुनासिक के प्रयोग की दृष्टि से - 
        • ‘निरनुनासिक (अनुनासिक -रहित)
        • अनुनासिक
  • इस प्रकार अ, इ, उ, ऋ इन स्वरोंं के कुल १८ (३ x ३ x २) भेद होतें हैं। 
  • ए, ऐ, ओ, औ यह स्वर नित्य दीर्घ होनेंं से इन के १२ (२ x ३ x २) भेद होतें हैं। 
  • लृ यह स्वर नित्य ह्रस्व होनें से इस के १२ (२ x ३ x २) भेद होतें हैं।​

अतः स्पष्ट है,  यह इस प्रश्न का सही उत्तर है अर्थात् 'एकारस्य' उचित पर्याय है

स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह Question 2:

अधोलिखितेषु कस्य अष्टादश भेदाः भवन्ति?

  1. लृ

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : ऋ

स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह Question 2 Detailed Solution

प्रश्न का हिंदी भाषांतर : अधोलिखितोंं में से किसके १८ भेद होतें है?

स्पष्टीकरण - 

  • स्वरोंं के भेद - 
    • निम्नलिखित आधार से स्वरोंं के भेद होतें है - 
      • मात्रा की दृष्टि से - 
        • ह्रस्व
        • दीर्घ
        • प्लुत
      • उच्चारण की दृष्टि से - 
        • उदात्त
        • अनुदात्त
        • स्वरित
      • अनुनासिक के प्रयोग की दृष्टि से - 
        • ‘निरनुनासिक (अनुनासिक -रहित)
        • अनुनासिक
  • इस प्रकार अ, इ, उ, ऋ इन स्वरोंं के कुल १८ (३ x ३ x २) भेद होतें हैं। 
  • ए, ऐ, ओ, औ यह स्वर नित्य दीर्घ होनेंं से इन के १२ (२ x ३ x २) भेद होतें हैं। 
  • लृ यह स्वर नित्य ह्रस्व होनें से इस के १२ (२ x ३ x २) भेद होतें हैं

अतः स्पष्ट है,  यह इस प्रश्न का सही उत्तर है।

स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह Question 3:

संयुक्ताक्षर नही है-

  1. ज्ञ्
  2. क्ष्
  3. श्र्
  4. ष्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : ष्

स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह Question 3 Detailed Solution

संस्कृत वर्णमाला में ‘4 संयुक्त व्यञ्जनवर्ण’ होते है। जिसमें दो वर्णों के संयोग से बनने वाले वर्णों को सम्मिलित किया जाता है। जो इस प्रकार हैं-

क्ष्

क् + ष्

त्र्

त् + र्

श्र्

श् + र्

ज्ञ्

ज् + ञ्

अतः स्पष्ट है कि ष्’ यह सयुक्ताक्षर नही है।

Additional Information

वर्ण:- भाषा की सबसे छोटी ईकाई को वर्ण कहते हैं। वर्ण के प्रकार इस प्रकार के होते हैं-

वर्ण

संख्या

वर्णभेद

स्वरवर्ण

 13

ह्रस्व (5)- अ, इ, उ, ऋ, लृ

दीर्घ (4)- आ, ई, ऊ, ॠ

संयुक्त (4)- ए, ऎ, ओ, औ

व्यंजनवर्ण

37

स्पर्श (25)- 'क्' से 'म्' तक

अन्तस्थ (4)- य्, र्, ल्, व्

ऊष्म (4)- श्, ष्, स्, ह्,

संयुक्त (4)- क्ष्, त्र्, ज्ञ्, श्र्

अयोगवाह

4

विसर्ग(1)

अनुस्वार (1)

अर्धविसर्ग (2)- जिह्वामूलीय , उपध्मानीय

यम

4

क्, ख्, ग्, घ् के पश्चात् किसी भी वर्ग के पञ्चम वर्ण हो तो ये 4 यम कहलाते हैं।

 

टिप्पणी- पाणिनि ने स्वरों के प्लुत् भेद भी माना है जिससे स्वर 21 हो जाते है

स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह Question 4:

निम्नलिखितेषु कः स्वरः भवति?

  1. वृ
  2. लृ
  3. तृ
  4. न किमपि

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : लृ

स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह Question 4 Detailed Solution

प्रश्न का हिंदी अनुवाद - निम्नलिखित में से कौन-सा स्वर है?

'ऊकालोऽज्झ्रस्वदीर्घप्लुतः' इस सूत्र के अनुसार तीन प्रकार के स्वर बताये गए है। 

  • ह्रस्व- एक मात्रा वाले स्वर ह्रस्व होते हैं- अ, इ, उ, ऋ, 
  • दीर्घ- दो मात्रा वाले स्वर दीर्घ होते हैं- आ, ई, ऊ, ॠ, ए, ऐ, ओ, औ
  • प्लुत- तीन मात्रा वाले स्वर प्लुत होते हैं- अ३, इ३, उ३, ऋ३, ऌ३, ए३, ऐ३, ओ३, औ३

Important Points

पाणिनी ने ‘अच्’ प्रत्याहार के अन्तर्गत स्वरों की गणना की है। जिसके अन्तर्गत चार माहेश्वर सूत्र आते हैं-

  1. अइउण्,
  2. ऋलृक्,
  3. एओङ्,
  4. ऐऔच्।
  • इसमें प्रथम चार (अ, इ, उ और ऋ) के ह्रस्व, दीर्घ और प्लुत तीनों स्वर होते हैं।
  • लृ केवल ह्रस्व और कहीं कहीं प्लुत प्रयोग मिलते हैं।
  • और अन्त्य चार (ए, ऐ, ओ, और औ) के केवल दीर्घ और प्लुत होते हैं ह्रस्व नहीं क्योंकि ये चार संयुक्ताक्षर होने के कारण पूर्व से ही दो मात्रा युक्त है। अतः इनके एक मात्रा की कल्पना करना ही निरर्थक है।

अतः स्पष्ट है कि 'लृ' स्वर होता है।

Additional Information

  • 'हृ' यह व्यंजन 'ह्' और 'ऋ' से बनाहै इसलिये इसे स्वर नही कह सकते। 
  • 'तृ' यह व्यंजन 'त्' और 'ऋ' से बनाहै इसलिये इसे स्वर नही कह सकते।

स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह Question 5:

संयुक्ताक्षर हैं - 

  1. क्ष्, त्र्, श्र्, ज्ञ्
  2. कृ, तृ , लृ
  3. क्, त्, म्,
  4. इनमें से कोई नहीं

Answer (Detailed Solution Below)

Option 1 : क्ष्, त्र्, श्र्, ज्ञ्

स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह Question 5 Detailed Solution

संस्कृत वर्णमाला में ‘4 संयुक्त व्यञ्जनवर्ण’ होते है। जिसमें दो वर्णों के संयोग से बनने वाले वर्णों को सम्मिलित किया जाता है। जो इस प्रकार हैं-

क्ष्

क् + ष्

त्र्

त् + र्

श्र्

श् + र्

ज्ञ्

ज् + ञ्

अतः स्पष्ट है कि क्ष्, त्र्, श्र्, ज्ञ् संयुक्ताक्षर हैं।

Additional Information

वर्ण:- भाषा की सबसे छोटी ईकाई को वर्ण कहते हैं। वर्ण के प्रकार इस प्रकार के होते हैं-

वर्ण

संख्या

वर्णभेद

स्वरवर्ण

 13

ह्रस्व (5)- अ, इ, उ, ऋ, लृ

दीर्घ (4)- आ, ई, ऊ, ॠ

संयुक्त (4)- ए, ऎ, ओ, औ

व्यंजनवर्ण

37

स्पर्श (25)- 'क्' से 'म्' तक

अन्तस्थ (4)- य्, र्, ल्, व्

ऊष्म (4)- श्, ष्, स्, ह्,

संयुक्त (4)- क्ष्, त्र्, ज्ञ्, श्र्

अयोगवाह

4

विसर्ग(1)

अनुस्वार (1)

अर्धविसर्ग (2)- जिह्वामूलीय , उपध्मानीय

यम

4

क्, ख्, ग्, घ् के पश्चात् किसी भी वर्ग के पञ्चम वर्ण हो तो ये 4 यम कहलाते हैं।

 

टिप्पणी- पाणिनि ने स्वरों के प्लुत् भेद भी माना है जिससे स्वर 21 हो जाते है

स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह Question 6:

मूल स्वर होते है-

  1. क ख ग् घ
  2. अ इ उ ऋ लृ
  3. ए ऐ ओ औ 
  4. ञ् म् ङ् ण् न्

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : अ इ उ ऋ लृ

स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह Question 6 Detailed Solution

संस्कृत में 'स्वयं राजन्ते राजन्ते इति स्वराः' इस वाक्य से ज्ञात होता है, स्वर वे ध्वनीयाँ होती है जिनको अन्य किसी वर्ण की आवश्यकता नहीं होती। जैसे वर्ण 'अ' को पूर्ण होने के लिए किसी और वर्ण की आवश्यकता नहीं होती।

संस्कृत में स्वरों की संख्या - 

संस्कृत में 'अच्' प्रत्याहार के अंतर्गत '९' स्वर माने गये है। इनका २ वर्गों में भेद है-

  • मूल स्वर- मूल स्वर ५ है - अ, इ, उ, ऋ, लृ
  • संयुक्त स्वर- ए, ओ, ऐ, औ, यह चार संयुक्त स्वर होते है।
    • अ के साथ इ, उ के सन्धि होकर अनुक्रम से ए और ओ बनते है जिन्हे गुण कहते है।
    • अ के साथ ए, ओ के साथ सन्धि होकर अनुक्रम से ऐ और औ बनते है जिन्हे वृद्धि कहते है।

अतः स्पष्ट होता है - 'अ इ उ ऋ लृ' यह पाँच मूल स्वर है।

स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह Question 7:

संस्कृत वर्णमाला में वर्गीय व्यंजन होते है-

  1. १६ 
  2. २५

Answer (Detailed Solution Below)

Option 3 : २५

स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह Question 7 Detailed Solution

संस्कृत वर्णमाला में वर्ण स्वर तथा व्यंजनों में विभाजित है। जिसमें वर्गीय और अवर्गीय व्यंजनों में वर्गीकरण किया हुआ है।

संस्कृत वर्णमाला

उच्चारण स्थान

स्वर

व्यञ्जन

वर्गीय

अन्तस्थ

उष्म

कण्ठ

अ आ

क् ख् ग् घ् ङ्

 

ह्  :(विसर्ग)

तालु

इ ई

च् छ् ज् झ् ञ्

य्

श्

मूर्धा

ऋ ॠ

ट् ठ् ड् ढ् ण्

र्

ष्

दन्त

त् थ् द् ध् न्

ल्

स्

ओष्ठ

उ ऊ

प् फ् ब् भ् म्

 

 

कण्ठ और तालु

ए ऐ

 

 

 

कण्ठोष्ठ

ओ औ

 

 

 

दन्तोष्ठ

 

 

व्

 

नासिका

अनुस्वार (स्वराश्रित)

 

 

 

स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह Question 8:

निम्न में से कौन संयुक्त व्यञ्जन है?

  1. ज्ञ 
  2. भ 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : ज्ञ 

स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह Question 8 Detailed Solution

संस्कृत वर्णमाला में ‘संयुक्त व्यञ्जनवर्णों की संख्या 4’ होती है। जिसमें दो वर्णों के संयोग से बनने वाले वर्णों को सम्मिलित किया जाता है। जो इस प्रकार हैं-

क्ष्

क् + ष्

त्र्

त् + र्

श्र्

श् + र्

ज्ञ्

ज् + ञ्

अतः स्पष्ट है कि ज्ञ’ वर्ण ‘ज्’ और ‘ञ’ के संयोग से बनता है।

Additional Information

वर्ण:-भाषा की सबसे छोटी ईकाई को वर्ण कहते हैं। वर्ण के प्रकार इस प्रकार के होते हैं-

वर्ण

संख्या

वर्णभेद

स्वरवर्ण

 13

ह्रस्व (5)- अ, इ, उ, ऋ, लृ

दीर्घ (4)- आ, ई, ऊ, ॠ

संयुक्त (4)- ए, ऎ, ओ, औ

व्यंजनवर्ण

37

स्पर्श (25)- 'क्' से 'म्' तक

अन्तस्थ (4)- य्, र्, ल्, व्

ऊष्म (4)- श्, ष्, स्, ह्,

संयुक्त (4)- क्ष्, त्र्, ज्ञ्, श्र्

अयोगवाह

4

विसर्ग(1)

अनुस्वार (1)

अर्धविसर्ग (2)- जिह्वामूलीय , उपध्मानीय

यम

4

क्, ख्, ग्, घ् के पश्चात् किसी भी वर्ग के पञ्चम वर्ण हो तो ये 4 यम कहलाते हैं।

 

टिप्पणी- पाणिनि ने स्वरों के प्लुत् भेद भी माना है जिससे स्वर 21 हो जाते है

स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह Question 9:

संस्कृत में अयोगवाह वर्णों की संख्या है

  1. पाँच
  2. चार
  3. छः
  4. तीन 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 2 : चार

स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह Question 9 Detailed Solution

संस्कृत वर्णमाला में ‘अयोगवाह वर्णों की संख्या ‘4’ होती है-

  • विसर्ग
  • अनुस्वार
  • अर्द्धविसर्ग (उपध्मानीय, जिह्वामूलीय)

इन्हें अयोगवाह इसलिये कहा जाता है क्योंकि इनका योग किसी भी वर्ण के साथ बिना स्वर की सहायता से नहीं किया जा सकता। यथा- अः, आः, कः (क् + अः) हो सकता है परन्तु 'क्ः' अथवा 'क्ं' नहीं।

Important Points

विशेष:- भाषा की सबसे छोटी इकाई को वर्ण कहते हैं। वर्ण के प्रकार इस प्रकार के होते हैं -

  • स्वर (13)
  • व्यंजन (33)
  • अयोगवाह (4)
  • यम (4)

वर्ण

संख्या

वर्णभेद

स्वरवर्ण

 13

ह्रस्व (5)- अ, इ, उ, ऋ, लृ

दीर्घ (4)- आ, ई, ऊ, ॠ

संयुक्त (4)- ए, ऎ, ओ, औ

व्यंजनवर्ण

37

स्पर्श (25)- 'क्' से 'म्' तक

अन्तस्थ (4)- य्, र्, ल्, व्

ऊष्म (4)- श्, ष्, स्, ह्,

संयुक्त (4)- क्ष्, त्र्, ज्ञ्, श्र्

अयोगवाह

4

विसर्ग(1)

अनुस्वार (1)

अर्धविसर्ग (2)- जिह्वामूलीय , उपध्मानीय

यम

4

क्, ख्, ग्, घ् के पश्चात् किसी भी वर्ग के पञ्चम वर्ण हो तो ये 4 यम कहलाते हैं।

 

टिप्पणी- पाणिनि ने स्वरों के प्लुत् भेद भी मानें है जिससे स्वर 21 हो जाते है और एक दुःस्पृष्ट (ळ्) वर्ण मिलाकर कुल 63 वर्ण बताये हैं।

स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह Question 10:

कौन-सा स्वर ह्रस्व नहीं होता? 

  1. ऊ 
  2. लृ 
  3. ओ 

Answer (Detailed Solution Below)

Option 4 : ओ 

स्वर-व्यञ्जन-अयोगवाह Question 10 Detailed Solution

प्रश्न का स्पष्टीकरण - कौन-सा स्वर ह्रस्व नहीं होता? से तात्पर्य है किस स्वर वर्ण का भेद पाणिनीय व्याकरण में उल्लिखित नहीं है?

स्वर - पाणिनि ने ‘अच्’ प्रत्याहार के अन्तर्गत स्वरों की गणना की है। जिसके अन्तर्गत चार माहेश्वर सूत्र आते हैं-

  1. अइउण्,
  2. ऋलृक्,
  3. एओङ्,
  4. ऐऔच्।

इसके अनुसार स्पष्टतः स्वर वर्णों की संख्या 9 ज्ञात होती है। पुनः 'ऊकालोऽज्झ्रस्वदीर्घप्लुतः'(१.२.२७) इस सूत्र के अनुसार उपर्युक्त वर्णित स्वरों के तीन प्रकार बताये गए है -

  • ह्रस्व- एक मात्रा वाले स्वर ह्रस्व होते हैं- अ, इ, ऋ, 
  • दीर्घ- दो मात्रा वाले स्वर दीर्घ होते हैं- ए, ऐ, ओ, औ
  • प्लुत- तीन मात्रा वाले स्वर प्लुत होते हैं- अ३, इ३, उ३, ऋ३, ऌ३, ए३, ऐ३, ओ३, औ३।

Important Points

  • अक् प्रत्याहार के अन्तर्गत आने वाले प्रथम चार (अ, इ, उ और ऋ) के ह्रस्व, दीर्घ और प्लुत तीनों भेदों का उल्लेख महर्षि पाणिनि द्वारा किया गया हैं।
    • यथा - अ का ह्रस्व अ, दीर्घ आ और प्लुत आ३  होता है, वैसे ही उ का उ, ऊ और ऊ३  होता है।
  • लृ के केवल ह्रस्व और प्लुत भेदों का वर्णन किया गया है।
  • तथा एच् प्रत्याहार के अन्तर्गत आने वाले (ए, ऐ, , और औ) के केवल दीर्घ और प्लुत भेदों का वर्णन किया गया है।
  • ए, ऐ, ओ, और औ ह्रस्व नहीं होते क्योंकि ये चार संयुक्ताक्षर होने के कारण पूर्व से ही दो मात्रा युक्त है। अतः इनके एक मात्रा की कल्पना करना ही निरर्थक है।

अतः स्पष्ट होता है कि- 'ओ' स्वर दीर्घ और प्लुत होता है परन्तु ह्रस्व स्वर नहीं होता है।

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